के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya
डायबिटीज एक लाइफस्टाइल डिजीज है और यह अपने साथ और भी कई समस्याओं को लेकर आती है। जिसमें से एक डायबिटिक नेफ्रोपैथी भी है, जो कि किड्नी में होने वाली समस्या है। इसके डायबिटीज किड्नी डिजीज भी कहते हैं। डायबिटिक नेफ्रोपैथी (Diabetic Nephropathy) का प्रभाव शरीर के कई हिस्सों में भी पड़ता है। डायबिटिक नेफ्रोपैथी की समस्या होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि डायबिटिक नेफ्रोपैथी (Diabetic Nephropathy) क्या है और सेक्स लाइफ में इसकी क्या जटिलताएं हो सकती हैं।
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डायबिटिक नेफ्रोपैथी टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज की एक गंभीर जटिलता है। इसे डायबिटिक किडनी डिजीज भी कहते हैं। मधुमेह से पीड़ित 3 में से लगभग 1 मरीज को डायबिटिक नेफ्रोपैथी (Diabetic Nephropathy) की समस्या होती है। डायबिटिक नेफ्रोपैथी आपके शरीर से अपशिष्ट उत्पादों और अतिरिक्त फ्लूइड को निकालने का कार्य करने वाली किड्नी के फंक्शन की क्षमता को प्रभावित करती है। डायबिटिक नेफ्रोपैथी को रोकने का सबसे अच्छा उपाय है, स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखना। इसी के साथ आपकी डायबिटीज और ब्लड प्रेशर का भी कंट्रोल में होना जरूरी है। शुगर और ब्लड प्रेशर कंट्रोल न होने पर कई वर्षों में, स्थिति धीरे-धीरे गुर्दे फिल्टरिंग प्रणाली को नुकसान पहुंचाती है। प्रारंभिक उपचार इस समस्या को रोक या धीमा कर सकता है। इसी के साथ इसकी जटिलताओं की संभावना को कम कर सकता है। गुर्दे की बीमारी गुर्दे की विफलता की ओर ले जा सकता है, जिसे अंतिम चरण की गुर्दा रोग भी कहा जाता है। गुर्दे की विफलता एक जीवन-धमकी वाली स्थिति है। इस स्तर पर, उपचार के विकल्प डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण हैं।
नेफ्रोपैथी का अर्थ है किडनी की बीमारी। डायबिटिक नेफ्रोपैथी वो बीमारी है जो मधुमेह यानी डायबिटीज की वजह से आपकी किडनी को नुकसान पहुंचाती है। कुछ मामलों में इससे किडनी फेल यानी काम करना बंद भी कर सकती है। लेकिन डायबिटीज वाले सभी मरीज की किडनी खराब नहीं होती है। डायबिटीज में पेशेंट्स के शरीर में ब्लड शुगर लेवल काफी बढ़ जाता है। समय के साथ, ग्लूकोज लेवल के बढ़ने से शरीर के कई अंग खासतौर से कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम और किडनी के खराब होने की संभावना होती है। किडनी के डैमेज होने की स्थिति को डायबिटिक नेफ्रोपैथी कहते हैं।
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डायबिटिक नेफ्रोपैथी के शुरुआती चरणों में, सबसे अधिक संभावना है कि आपमें कोई संकेत या लक्षण दिखाई नहीं देंगे। बाद के चरणों में, संकेत और लक्षण शामिल हो सकते हैं:
किडनी डैमेज शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों में तनाव डालने के साथ नुकान पहुंचा सकता है, जिनमें शामिल हैं। डायबिटिक नेफ्रोपैथी की समस्या धीरे-धीरे विकसित होती है। एक अध्ययन के अनुसार, मधुमेह के निदान के 15 साल बाद एक तिहाई लोगों के यूरिन में एल्ब्यूमिन का हाय लेवल देखा जाता है। हालांकि, इनमें से आधे से भी कम लोग पूर्ण नेफ्रोपैथी विकसित करेंगे। कई आकड़ें बताते हैं कि किडनी की बीमारी उन लोगों में असामान्य है, जिन्हें डायबिटीज बहुत लंबे समय से नहीं है। यदि मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति अपने ग्लूकोज के स्तर को कंट्राेल में कर के रखता है, यानि की डायबिटीज मैनेजमेंट का पूरा ध्यान रखता है, तो डायबिटिक नेफ्रोपैथी की संभावना कम होती है।
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डायबिटिक नेफ्रोपैथी की जटिलताएं महीनों या वर्षों में धीरे-धीरे विकसित हो सकती हैं और लंबे समय बाद इसके लक्षण नजर आ सकते हैं, उनमें शामिल हो सकते हैं:
पेरिफेरल न्यूरोपैथी (पीएन) प्रीडायबिटीज और डायबिटीज की एक सामान्य जटिलता है और यह दुनिया भर में एक बढ़ती हुई समस्या है। मौजूदा पीएन उपचार पूरी तरह से ग्लाइसेमिक नियंत्रण पर निर्भर करते हैं, जो टाइप 1 डायबिटीज में प्रभावी है, लेकिन टाइप 2 डायबिटीज में नहीं। डायबिटीज विरोधी दवाओं को लिंग अंतर प्रभावी पीएन उपचारों को और अधिक जटिल बनाता है। प्रीक्लिनिकल अनुसंधान मुख्य रूप से पुरुषों में किया गया है, जिसमें पीएन मॉडल में सेक्स के विचार में वृद्धि की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। हमने पहले मोटे लेप्टिन की कमी वाले ओब / चूहों में पीएन सेक्स डिमॉर्फिज्म की सूचना दी थी। यह आनुवंशिक मॉडल स्वाभाविक रूप से सीमित है, हालांकि, चयापचय में लेप्टिन की भूमिका का कारण माना गया है। इसलिए, वर्तमान अध्ययन लक्ष्य पुरुष और महिला C57BL6 / J चूहों में पीएन और इंसुलिन रेजिस्टेंस की सलाह दी जाती है। एचएफडी महिलाओं बनाम एचएफडी पुरुषों के साथ-साथ एसडी महिलाओं बनाम पुरुषों में एनर्जी की कमी पायी गयी थी। एक रिसर्च के अनुसार एचएफडी पुरुषों की तुलना में, मादा एचएफडी चूहों में इंसुलिन रेजिस्टेंट में रूकावट देखने को मिली। एडिपोकाइन के स्तर में अंतर के साथ सेक्स और मोटापे की स्थिति से भी देख गया था। हालांकि महिलाएं एचएफडी चुनौती पर प्रारंभिक इंसुलिन संवेदनशीलता बनाए रखती हैं।
डायबिटिक नेफ्रोपैथी से बचाव के लिए डायबिटीज का कंट्रोल होना बहुत जरूरी है। जिसके लिए एक अच्छी लाइफस्टाइल बहुत जरूरी है। लाइफस्टाइल में भी आपको डायट और एक्सरसाइज का विशेष ध्यान रखना होगा। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जो शरीर को कमजोर कर देती है। शुगर का लेवल हाय होने पर कई बार किड्नी के अलावा शरीर के और भी अंगों के डैमेज होने का खतरा बना रहता है। हार्ट डिजीज का भी खतरा बढ़ जाता है। अगर हम बात करें, डायबिटिक नेफ्रोपैथी की तो यह एक गंभीर स्थिति का कारण बन सकती है। किड्नी का डैमेज होना जीवन के खतरे का संकेत है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को किड्नी की जांच नियमित करवाते रहना चाहिए और इसी के साथ डायबिटीज की भी। इसके अलावा अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क करें। कोई भी दवाएं अपने मन से न लें, डॉक्टर का ही मेडिकेशन फॉलो करें।
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