प्रीजेस्टेशनल डायबिटीज (Pregestational diabetes) तब होती है जब महिला प्रेग्नेंट होने से पहले ही टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज से ग्रसित होती है। प्रीजेस्टेशनल डायबिटीज के नौ क्लासेज होती हैं जो डायग्नोसिस की एज और बीमारी के दूसरे कॉम्प्लिकेशन पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए अगर आपको डायबिटीज (Diabetes) 10 से 19 साल के बीच होती है, तो उसका टाइप सी (C) होगा। इसके साथ ही डायबिटीज क्लास सी (C) तब भी होगा जब डायबिटीज 10 से 19 साल के बीच हुई हो और आपको कोई वैस्कुलर कॉम्प्लिकेशन (Vascular complication) नहीं है। प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज होने से मां और बेबी दोनों के रिस्क बढ़ जाता है। प्रीजेस्टेशनल डायबिटीज होने पर एक्सट्रा मॉनिटरिंग की जरूरत होती है। इस आर्टिकल में जानिए प्रीजेस्टेशनल डायबिटीज (Pregestational diabetes) की क्लासेज और इसे मैनेज करने के टिप्स।
डायबिटीज के लक्षण (Diabetes symptoms)
डायबिटीज के लक्षणों में निम्न शामिल हैं।
- अधिक प्यास और भूख लगना
- बार-बार पेशाब आना
- वजन में बदलाव
- अत्यधिक थकान महसूस होना
प्रेग्नेंसी के दौरान भी थकान और बार-बार पेशाब लगना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह जरूरी है कि ग्लूकोज लेवल (Glucose level) को मॉनिटर किया जाए ताकि डॉक्टर इन लक्षणों के कारण के बारे में बता सके।
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प्रीजेस्टेशनल डायबिटीज की क्लासेज (Pregestational diabetes Classes)
प्रीजेस्टेशनल डायबिटीज (Pregestational diabetes) को निम्न क्लासेज में बांटा गया है।
- क्लास A डायबिटीज किसी भी उम्र मे हो सकती है। इसे आप डायट के जरिए ही कंट्रोल कर सकते हैं।
- क्लास B डायबिटीज तब होती है जब डायबिटीज 20 साल की उम्र के बाद होती है या दस साल से अधिक समय से डायबिटीज है और किसी प्रकार का वैस्कुलर कॉम्प्लिकेशन नहीं है।
- क्लास C डायबिटीज तब मानी जाती है जब 10 से 19 साल की उम्र में डायबिटीज डेवलप होती है। वह भी डायबिटीज सी होती है जब आपको 10 से 19 से यह बीमारी है और किसी प्रकार का कोई वैस्कुलर कॉम्प्लिकेशन नहीं है।
- क्लास D डायबिटीज तब होती है जब डायबिटीज 10 साल की उम्र से पहले होती है और डायबिटीज की बीमारी 20 से ज्यादा समय से रहती है और आपको वैस्कुलर कॉम्प्लिकेशन होते हैं।
- क्लास F डायबिटीज नेफ्रोपैथी (Nephropathy) (किडनी की बीमारी) के साथ होती है।
- क्लास R डायबिटीज रेटिनोपैथी (Retinopathy) (आंख की बीमारी) के साथ होती है।
- क्लास RF डायबिटीज नेफ्रोपैथी और रेटिनोपैथी दोनों के साथ होती है।
- क्लास T डायबिटीज उन महिलाओं में होती है जिनमें किडनी ट्रासंप्लांट (Kidney transplant) हुआ था।
- क्लास H डायबिटीज कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease (CAD) और दूसरी हार्ट डिजीज के साथ होती है।
जेस्टेशनल डायबिटीज की क्लासेज (Gestational diabetes Classes)
प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली डायबिटीज को जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) कहते हैं। जेस्टेशनल डायबिटीज की दो क्लास होती हैं। क्लास ए1 डायबिटीज (Class A1 diabetes) को डायट के जरिए कंट्रोल कर सकते हैं। अगर आपको क्लास A2 डायबिटीज (Class A2 diabetes) है, तो इसे कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन और ओरल मेडिकेशन की जरूरत होती है। जेस्टेशनल डायबिटीज अस्थाई होती है और यह प्रेग्नेंसी के बाद अपने आप ठीक हो जाती है, लेकिन इसकी वजह से बाद में टाइप 2 डायबिटीज के डेवलप होने का रिस्क बढ़ जाता है।
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प्रीजेस्टेशनल डायबिटीज की मॉनिटरिंग क्यों है जरूरी? (Pregestational diabetes Monitoring)
प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज को मॉनिटर की जरूरत ज्यादा होती है। कुछ टिप्स को फॉलो करके आप प्रीजेस्टेशनल डायबिटीज (Pregestational diabetes) को मैनेज कर सकते हैं जो निम्न हैं।
- प्रेग्नेंट होते ही सबसे पहले मेडिकेशन लिस्ट को देखें और डॉक्टर को इसके बारे में बताएं। कुछ दवाएं प्रेग्नेंसी के दौरान सुरक्षित नहीं होती हैं।
- प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें।
- हर्बल सप्लिमेंट्स का उपयोग भी डॉक्टर की सलाह पर ही करें। ये सभी के लिए हर समय सुरक्षित नहीं होते।
- इस दौरान आपको इंसुलिन लेना होगा, लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान डोज को मैनेज करना जरूरी है।
- ब्लड ग्लूकोज लेवल को प्राथमिकता पर मॉनिटर करें। इसका मतलब है कि आपको फ्रिक्वेंट ब्लड और यूरिन टेस्ट कराना होगा।
- डॉक्टर आपको इसके बारे में जानकारी देगा कि किस प्रकार की डायट और एक्सरसाइज आपके और बेबी के लिए बेस्ट है।
- डॉक्टर बेबी की हार्ट रेट (Heart rate), मूवमेंट और एम्नियोटिक फ्लूइड (Amniotic fluid) की मात्रा को देखने के लिए अल्ट्रासाउंड इमेजिंग का सहारा लेगा
- डायबिटीज बेबी के फेफड़ों के विकास को धीमा कर सकता है।
- डॉक्टर बच्चे के लंग्स की मैच्योरिटी चैक करने के लिए एम्नियोसेंटेसिस (Amniocentesis) टेस्ट कर सकता है।
- डॉक्टर लेबर और डिलिवरी के दौरा ब्लड ग्लूकोज लेवल को मॉनिटर करेंगे। डिलिवरी के बाद इंसुलिन की जरूरत में बदलाव आ जाएगा।
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प्रीजेस्टेशनल डायबिटीज के कॉम्प्लिकेशन (Pregestational diabetes complications)
कई महिलाएं डायबिटीज के साथ बिना किसी परेशानी के किसी गंभीर कॉम्प्लिकेशन के बिना हेल्दी बेबी को जन्म देती हैं। हालांकि, अगर आपको डायबिटीज है तो आपको और बच्चे के लिए कॉम्प्लिकेशन का रिस्क बढ़ जाता है। इसलिए इनके बारे में जागरूक होना जरूरी है। जिनमें निम्न शामिल हैं।
- यूरिनरी, ब्लैडर और वजायनल इंफेक्शन
- हाय ब्लड प्रेशर
- प्रीक्लैम्प्सिया (Preeclampsia) इस कंडिशन की वजह से किडनी और लिवर ठीक से काम नहीं करते।
- डायबिटीज रिलेटेड आय प्रॉब्लम्स
- डायबिटीज रिलेटेड किडनी प्रॉब्लम्स
- डिलिवरी में परेशानी
फर्स्ट ट्राइमेस्टर में हाय ग्लूकोज लेवल से बर्थ डिफेक्ट्स का खतरा बढ़ जाता है। कॉम्प्लिकेशन जो बेबी को प्रभावित कर सकते हैं उनमें निम्न शामिल हैं।
- मिसकैरिज
- प्रीमैच्योर बर्थ
- बच्चे का वजन बढ़ना
- लो ब्लड ग्लूकोज या हायपोग्लाइसिमिया
- रेस्पिरेटरी सिस्टम से जुड़ी परेशानियां
- बर्थ डिफेक्ट्स जिसमें हार्ट, ब्लड वेसल्स, ब्रेन, स्पाइन, किडनी और डायजेस्टिव ट्रैक्ट से जुड़ी बीमारियां शामिल है।
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प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज को मैनेज कैसे करें? (How to manage diabetes during pregnancy)
अगर आपको डायबिटीज है, तो प्रेग्नेंसी प्लानिंग के शुरुआत से ही हेल्थ को मॉनिटर करना बेहद जरूरी है। जितनी जल्दी प्लानिंग करेंगे उतना अच्छा होगा। प्रेग्नेंट होने के कुछ महीने पहले से डायबिटीज को कंट्रोल में रखना जरूरी है। इससे बच्चे और मां दोनों का रिस्क कम हो जाता है। इसके अलावा निम्न टिप्स फॉलो कर सकते हैं।
- फोलिक एसिड (Folic Acid) हेल्दी ग्रोथ और डेवलपमेंट के लिए जरूरी है। डॉक्टर से इस बारे में पूछें कि आप कब से फोलिक एसिड की दवाएं लेना शुरू कर सकते हैं। इन्हें सही समय पर लें।
- डॉक्टर की सलाह पर प्रीनेटल विटामिन्स (Prenatal vitamins) को लेना शुरू कर दें। ये बेबी की ग्रोथ में मददगार हैं।
- डॉक्टर से पूछें कि आपका ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar level) कितना होना चाहिए और उसको प्राप्त करने के लिए क्या करना होगा।
- हेल्दी डायट (Healthy diet) को फॉलो करें जिसमें सब्जियां, फल और साबुत अनाज को शामिल करें।
- नॉन फैट डेयरी प्रोडक्ट्स को भी डायट का हिस्सा बनाएं।
- प्रोटीन के लिए दालें, फिश और लीन मीट का सहारा लें, लेकिन इन सभी चीजों को बहुत अधिक मात्रा में ना खाएं।
- कई बार महिलाएं बच्चे को फायदा मिलेगा ऐसा सोचकर अधिक मात्रा में खाना शुरू कर देती है। जिससे गर्भ में बेबी का वेट बढ़ जाता है, जो कई प्रकार के कॉम्प्लिकेशन का कारण बन सकता है।
- र्प्याप्त नींद लें। अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद जरूरी है।
उम्मीद करते हैं कि आपको प्रीजेस्टेशनल डायबिटीज (Pregestational diabetes) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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