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IDDM पेशेंट्स के लिए व्यायाम (Exercise in Individuals With IDDM) करना थोड़ा कॉम्प्लिकेटेड हो सकता है। एक्सरसाइज के प्रकार, वर्कआउट की लेंथ, इंसुलिन का प्रकार, पंप vs. इंजेक्शंस, लास्ट टाइम आप क्या खाया आदि कुछ ऐसे वेरिएबल हैं, जो निर्धारित करते हैं कि यह आपकी ब्लड शुगर को कैसे प्रभावित करेंगे। जनरल हेल्थ और IDDM को मैनेज करने के लिए नियमित एक्सरसाइज बेहद जरूरी है। लेकिन, इस समस्या से पीड़ित लोगों के लिए फिजिकल एक्टिविटीज से कुछ रिस्क्स भी जुड़े हो सकते हैं, जैसे:
IDDM पेशेंट्स के लिए व्यायाम और हायपरग्लाइसीमिया (Hyperglycemia)
हाय इंटेंसिटी एक्सरसाइज से हॉर्मोन्स लेवल में बढ़ोतरी होती है जैसे एपिनेफ्रीन (Epinephrine) और ग्लूकागन (Glucagon)। इससे ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ सकता है जिसे हायपोग्लाइसेमिया कहा जाता है। इससे बचने के लिए अगर रोगी का एक्सरसाइज से पहले ब्लड शुगर लेवल हाय हो, तो उन्हें एक्सरसाइज के दौरान भी इसके लेवल की जांच करनी चाहिए। पर्याप्त रूप से हायड्रेट रहने से भी ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा को बहुत अधिक होने से रोका जा सकता है।
अगर किसी का एक्सरसाइज के बाद ब्लड शुगर लेवल अधिक है, तो उन्हें कीटोन लेवल को भी जांचना चाहिए। अगर कीटोन लेवल अधिक हो तो डॉक्टर से बात करें। क्योंकि, ऐसे में व्यायाम करना घातक हो सकता है। IDDM पेशेंट्स के लिए व्यायाम (Exercise in Individuals With IDDM) के बारे में यह जानकारी बेहद महत्वपूर्ण है।
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IDDM पेशेंट्स के लिए व्यायाम और हायपोग्लाइसेमिया Hypoglycemia
लो ब्लड शुगर को डॉक्टर हायपोग्लाइसेमिया कहते हैं। IDDM की स्थिति में कुछ लो वर्कआउट के बाद इसका अनुभव कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इस समस्या से पीड़ित लोगों के पास हमेशा कार्बोहाइड्रेट का स्रोत हो, ताकि वे हायपोग्लाइसीमिया का तुरंत इलाज कर पाएं। किसी व्यक्ति द्वारा व्यायाम को पूरा करने के बाद ब्लड ग्लूकोज लेवल 24 घंटे तक डाउन हो सकता है, इसलिए लोगों को अपने ब्लड ग्लूकोज लेवल की निगरानी के लिए सावधानी बरतनी चाहिए। अगर वर्कआउट के बाद लगातार रोगी को लो ब्लड शुगर की समस्या हो, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से बात करनी चाहिए। उन्हें लो ब्लड ग्लूकोज लेवल को विकसित होने से रोकने के लिए अपने इंसुलिन इंटेक को एडजस्ट करने की आवश्यकता हो सकती है।
IDDM पेशेंट्स के लिए व्यायाम(Exercise in Individuals With IDDM) करना कोई समस्या नहीं है। लेकिन, उन्हें अतिरिक्त प्रीकॉशन्स बरतने की जरूरत होती है। एक्टिव लाइफस्टाइल से कॉम्प्लीकेशन्स और हेल्थ कंडिशंस के रिस्क्स से बचा जा सकता है। अब जानते हैं कि इंसुलिन-डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस (Insulin-dependent diabetes mellitus) यानी टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) के लक्षणों को मैनेज करने के तरीकों के बारे में।