क्या आपने डायबिटीज के 3पीs (3Ps of Diabetes) के बारे में सुना है। दरअसल ये डायबिटीज (Diabetes) के तीन लक्षण हैं जो एक साथ नजर आते हैं। डायबिटीज (Diabetes) एक क्रॉनिक कंडिशन है जिसमें ब्लड शुगर लेवल हाय हो जाता है। यह कंडिशन तब होती है जब शरीर की खाने से प्राप्त होने वाले ग्लूकोज को एनर्जी में बदलने की क्षमता प्रभावित होती है। पैंक्रियाज (Pancreas) हॉर्मोन का निमार्ण कर ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करने में मदद करता है। जब पैंक्रियाज पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का निमार्ण नहीं कर पता तो बॉडी इंसुलिन के प्रति रेजिस्टेंट हो जाती है और ब्लड में मौजूद शुगर कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाता और ब्लड में ही रह जाता है जिसका परिणाम हाय ब्लड ग्लूकोज होता है।
डायबिटीज दो प्रकार की होती है। टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) और टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes)। टाइप 1 डायबिटीज तब होती है जब व्यक्ति के शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन प्रोड्यूस नहीं हो पता। वहीं टाइप 2 डायबिटीज तब होती है जब व्यक्ति इंसुलिन के प्रति रिस्पॉन्स नहीं करता। डायबिटीज के 3पीs (3Ps of Diabetes) डायबिटीज से प्रभावित लोगों में बेहद आम है। जिसमें पॉलीडिप्सिया (Polydipsia), पॉलियूरिया (Polyuria) और पॉलीफेगिया (Polyphagia) शामिल हैं। इन तीनों को ही एक साथ डायबिटीज के 3पीs कहा जाता है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
पॉलीडिप्सिया (Polydipsia)
डायबिटीज के 3पीs (3Ps of Diabetes) में पॉलिडिप्सिया शब्द का उपयोग अत्यधिक प्यास के लिए किया जाता है। यह एक मेडिकल टर्म है। यह कंडिशन रेनल सिस्टम से संबंधित है जिसमें व्यक्ति जितना यूरिन उसे पास करना चाहिए उससे ज्यादा पास करता है। ऐसे में बॉडी में पानी की कमी हो जाती है। जिसको रिप्लेस करने के लिए बॉडी ज्यादा पानी की मांग करती है। जिससे पूरे समय प्यास लगना और मुंह सूखना जैसी समस्याएं होती हैं। डायबिटीज का शिकार लोगों में यह परेशानी ब्लड शुगर लेवल के बढ़ने के कारण होती है। जब ब्लड शुगर लेवल हाय होता है तो किडनी बॉडी से एक्सट्रा ग्लूकोज निकालने के लिए ज्यादा यूरिन का निमार्ण करती है।
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पॉलियूरिया (Polyuria)
डायबिटीज के 3पीs (3Ps of Diabetes) में दूसरा लक्षण है पॉलियूरिया। यह भी एक मेडिकल टर्म है जिसका यूज तब किया जाता है जब व्यक्ति नॉर्मल से ज्यादा यूरिन पास करता है। यह कंडिशन पॉलिडिप्सिया के साथ ही चलती है। यह डायबिटीज का सामना कर रहे लोगों में आम है क्योंकि जब ग्लूकोज बिल्ड अप होता है तो यह किडनी की टयूबल्स में चला जाता है, लेकिन जब यह वहां से ब्लडस्ट्रीम में दोबारा एब्जॉर्ब नहीं हो पाता तो यह यूरिनेशन के बढ़ने का कारण बनता है। ज्यादातर लोग एक दिन में 1 से 2 लीटर तक यूरिन पास करते हैं लेकिन डायबिटीज के 3पीs में से एक पॉलियूरिया से ग्रसित लोग दिन में तीन 3 लीटर से अधिक यूरिन पास करते हैं।
जब बॉडी में ग्लूकोज का लेवल हाय होता है तो बॉडी एक्सट्रा ग्लूकोज को यूरिनेशन के जरिए बाहर निकालने की कोशिश करती है। जिससे किडनी ज्यादा से ज्यादा पानी को फिल्टर करती है जिससे बार-बार यूरिन पास करने की जरूरत महसूस होती है। पॉलीडिप्सिया (Polydipsia) को ध्यान में रखे बिना पॉलियूरिया (Polyuria) के कारण का निदान करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि ये दोनों आम तौर पर एक ही समय में मौजूद होते हैं। जब किसी को अत्यधिक प्यास लगती है, तो वे अधिक लिक्विड लेने से अधिक यूरिन पास करते हैं। जब कोई अधिक यूरिन पास करता है, तो वह डिहायड्रेड (Dehydrated) हो जाता है और प्यास में वृद्धि का अनुभव करता है।
अत्यधिक यूरिन पास करने की समस्या प्रेग्नेंसी, डायबिटीज इंसिपिडस, किडनी डिजीज, हाय कैल्शियम लेवल, दवाओं का उपयोग और मानसिक परेशानियों के चलते हो सकती है।
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पोलिफेगिया (Polyphagia)
डायबिटीज के 3पीs (3Ps of Diabetes) में अगला लक्षण है पोलिफेगिया (Polyphagia)। पोलिफेगिया एक मेडिकल टर्म है जिसका मतलब है एक्सेसिव हंगर यानी बहुत अधिक भूख लगना। इस कंडिशन का सामना सभी को कभी-कभी ना कभी करना पड़ता है। कई बार यह किसी अंडरलाइन कंडिशन का कारण भी बनता है, लेकिन डायबिटीज का सामना कर रहे लोगों में ग्लूकोज कोशिकाओं में प्रवेश नहीं करता जिससे उनकी ऊर्जा की कमी पूरी नहीं हो पाती। ऐसा लो इंसुलिन लेवल या इंसुलिन रेजिस्टेंस के चलते होता है। जब बॉडी ग्लूकोज को एनर्जी में कंवर्ट नहीं कर पाती, तो मरीज को बहुत भूख लगती है। डायबिटीज के 3पीs में से एक पोलिफेगिया में लगने वाली भूख खाना खाने के बाद भी नहीं जाती। जिन लोगों की डायबिटीज मैनेज्ड नहीं होती है उनमें अधिक खाना हाय ब्लड शुगल लेवल में योगदान देता है।
ओवरएक्टिव थायरॉइड (Overactive thyroid), प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (Premenstrual syndrome) (PMS) और स्ट्रेस (Stress) की वहज से भी यह स्थिति हो सकती है।
डायबिटीज के 3पीs का निदान कैसे किया जाता है? (3Ps of Diabetes Diagnosis)
डायबिटीज के 3पीs अक्सर एक साथ दिखाई देते हैं। ये टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) में जल्दी डेवलप होते हैं, लेकिन टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes a) में धीरे-धीरे नजर आते हैं। अगर कोई व्यक्ति डायबिटीज के 3पीs में से किसी एक या सभी लक्षणों को अनुभव कर रहा है तो डॉक्टर कुछ टेस्ट के जरिए इस परेशानी का निदान कर सकता है। ये टेस्ट निम्न हैं।
ए़1सी (A1C test)
यह परीक्षण एक ब्लड मार्कर की जांच करता है जो पिछले दो से तीन महीनों में औसत रक्त शर्करा (Blood glucose) का अनुमान देता है। यदि किसी व्यक्ति को डायबिटीज है, तो उसका प्रतिशत 6.5% या उससे अधिक होगा।
फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट (Fasting blood sugar test)
फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट के लिए व्यक्ति को टेस्ट से पहले खाली पेट रहने की जरूरत होती है। अगर उसे सुबह टेस्ट कराना है तो टेस्ट के पहले कुछ भी खाने की मनाही होती है। इस टेस्ट में खाने के बाद ब्लड ग्लूकोज के स्तर को माप जाता है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि शरीर में भोजन के बिना ग्लूकोज हाय है या नहीं। यदि फास्टिंग टेस्ट के बाद किसी व्यक्ति का स्तर 126 mg/dL या इससे अधिक है, तो उसे डायबिटीज है।
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ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (Glucose tolerance test)
इस टेस्ट के लिए भी ओवरनाइट फास्टिंग की जरूरत होती है। डॉक्टर आपके रक्त ग्लूकोज के लेवल को मापेंगे, इससे पहले कि आप कोई ऐसा तरल पदार्थ पिएं जिसमें ग्लूकोज हो और फिर पीने के बाद भी ग्लूकोज के लेवल को जांचा जाएगा। इस तरल को पीने के एक से तीन घंटे तक रक्त शर्करा के स्तर की जांच की जा सकती है। यदि दो घंटे के बाद रक्त शर्करा का स्तर 200 mg/dL या इससे अधिक है, तो यह डायबिटीज का संकेत है।
रेंडम ब्लड शुगर टेस्ट (Random blood sugar test)
फास्टिंग टेस्ट से अलग यह टेस्ट बिना किसी फास्टिंग के किया जाता है। अगर ब्लड शुगल लेवल 200 mg/dL या इससे ज्यादा है तो यह डायबिटीज का संकेत है।
इन टेस्ट के रिजल्ट के आधार पर डॉक्टर ट्रीटमेंट रिकमंड करते हैं।
डायबिटीज के 3पीs का ट्रीटमेंट (Treatment of 3Ps of Diabetes)
अगर व्यक्ति को डायबिटीज नहीं है तो डायबिटीज के 3पीs का प्रेजेंट होना हाय ब्लड ग्लूकोज लेवल का संकेत है। किसी प्रकार की हेल्थ कॉम्प्लिकेशन से बचने के लिए ब्लड ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल करना जरूरी है क्योंकि इसकी वजह से ब्लड वेसल्स डैमेज हो सकती है। जिससे हार्ट डिजीज (Heart disease), किडनी डिजीज (Kidney disease) और नर्व प्रॉब्लम्स का खतरा हो सकता है। वहीं डायबिटीज होने पर डायबिटीज के 3पीs होने का कारण भी हायर ब्लड शुगर लेवल है। ब्लड शुगल लेवल को कंट्रोल में रखकर इन तीनों लक्षणों से राहत प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए निम्न बातों को फॉलो करें।
- डायबिटीज की दवाओं को समय पर लें। जिसमें इंसुलिन और मेटफॉर्मिन शामिल हैं।
- ब्लड ग्लूकोज लेवल, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की रेगुलर मॉनिटर करें।
- हेल्दी डायट (Healthy diet) फॉलो करें
- फिजिकली एक्टिव रहें
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ब्लड शुगर को मैनेज करके डायबिटीज के 3पीs (3Ps of Diabetes) को मैनेज किया जा सकता है। उम्मीद है कि आपको डायबिटीज 3पीएस संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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