डायबिटीज एक क्रॉनिक डिजीज है और इसके होने का सबसे बड़ा कारण हमारी खराब लाफस्टाइल मानी जाती है। डायबिटीज के शिकार लोगों को कई शरीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर तब जब डायबिटीज पेशेंट को किसी प्रकार का इंफेक्शन हो जाए या चोट लग जाए, तो उस समय उसका ठीक होना थोड़ा मुश्किल होता है। इतना ही नहीं, डायबिटीज के मरीजों को किसी प्रकार की सर्जरी के दौरान काफी रिस्क होता है। आज हम बात करेंगे डायबिटीज पेशेंट की ऑपरेशन के बाद मृत्यु (Diabetic patient dies after operation) के केसेज क्यों ज्यादा देखने को मिलते हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि डायबिटिक लोगों को सर्जरी में सामान्य लाेगों की तुलना में अधिक जोखिम से गुजरना पड़ता है। कई बार डॉयबिटीज पेशेंट की सेर्जरी के दौरान इंटरनल ब्लीडिंग भी होने लगती है या ब्लीडिंग को रोकना मुश्किल हो जाता है। आइए जानते हैं कि डायबिटीज पेशेंट की ऑपरेशन के बाद मृत्यु (Diabetic patient dies after operation) के कारण और बचाव क्या है?
टाइप 2 डायबिटीज (Diabetes Type 2) क्या है ?
डायबिटीज पेशेंट की ऑपरेशन के बाद मृत्यु के कारणों को समझने से पहले ये जान लें कि डायबिटीज क्या है? डायबिटीज एक एंडोक्राइन डिसऑर्डर है। टाइप 2 डायबिटीज का सबसे आम प्रकार है। वैसे तो डायबिटीज तीन प्रकार के होती है और इसे एक क्रॉनिक कंडिशन ( Chronic condition) भी कहा जाता है। इस कंडिशन में डायबिटीज मरीज के शरीर में रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने लगता है। इसके बाद शरीर धीरे-धीरे शरीर रक्त में शर्करा को नियंत्रित करने की क्षमता खो देता है। ऐसा टाइप-2 डायबिटीज में होता है। ऐसा होने पर शरीर के लिए पर्याप्त एनर्जी बन नहीं पाती है। समय पर इलाज न होने पर धीरे-धीरे डायबिटीज अंट्रोल्ड होने लगती है।
डायबिटीज का इलाज न होने पर जान का जोखिम और अधिक बढ़ जाता है। इसलिए समय रहते डायबिटीज के लक्षणों पर ध्यान देना आवश्यक है। शरीर के लिए डायबिटीज की स्वस्थ रक्त शर्करा का स्तर आमतौर पर खाना खाने से पहले 70 और 130 मिलीग्राम / डीएल के बीच और खाना खाने के दो घंटे बाद 180 मिलीग्राम / डीएल से नीचे होता है। डायबिटीज हाय होने पर कुछ तरह के लक्षण नजर आने लगते हैं, जिनमें शामिल हैं :
- अधिक पेशाब होना
- नींद में दिक्कत
- कमजोरी महसूस होना
- अधिक प्यास लगना
- भूख न लगना
- थकावट महसूस होना
- वजन कम होना
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डायबिटीज पेशेंट की ऑपरेशन के बाद मृत्यु के कारण क्या है ?
सर्जरी, यह शब्द खुद ही में किसी जोखिम से कम नहीं है। लेकिन डायबिटीज वालों के लिए सामान्य लोगों की तुलना में अधिक जोखिम होता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए सर्जरी या इस तरह की दूसरी प्रक्रियाओं के दौरान कई कॉम्पलिकेशन का सामना करना पड़ सकता है। डायबिटीज पेशेंट की ऑपरेशन के बाद मृत्यु के कारणों में सबसे बड़ा कारण है,अन्ट्राेल्ड डायबिटीज का स्तर। डायबिटीज वालों के लिए ऑपरेशन के बाद शुगर के लेवल को सामान्य रखने में भी कई तरह की दिक्कते होती हैं। डायबिटीज के अलावा, हाय बीपी भी जाखिम को बढ़ा देता है। ऑपरेशन के बाद रोगी के जान का खतरा और भी अधिक इसलिए बढ़ जाता है, क्योंकि हाय ग्लूकोज का स्तर हाय होने पर हार्ट अटैक का रिस्क भी और अधिक बढ़ जाता है, जोकि डायबिटीज़ वालों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। इसके अलाव, अक्सर सर्जरी के बाद हाय डोज की कुछ खास दवाएं भी दी जाती हैं, जो कि डायबिटीज के मरीजों में रिस्क को बढ़ा देती है। यानि कई बार इन हाय पॉवर दवाओं का प्रभाव हार्ट पर भी पड़ने लगता है। इसके अलावा, डायबिटीज के मरीजों को सर्जरी के दौरान बेहोश किए जाने या उस अंग को सुन्न किए जाने से लेकर हर पड़ाव पर, इन्हें ब्लड शुगर लेवल को सही बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ता है। डायबिटीज पेशेंट की ऑपरेशन के बाद मृत्यु के कारणों में एक तनाव भी शामिल हैं। कई मरीजों में सर्जरी के बाद तनाव भी अधिक बढ़ जाता है। जिसका प्रभाव हॉर्मोन के संतुलन पर भी पड़ता है।
सर्जरी के बाद होने वाले जोखिम
डायबिटीज पेशेंट की ऑपरेशन के बाद मृत्यु के कारण के बारे में जाना आपने यहां। अब आपको यह भी जानने की जरूरत है कि सर्जरी के बाद डायबिटीज के मरीजों में किन समस्यासओं का जोखिम अधिक बढ़ जाता है। डायबिटीज से प्रभावित लोगों को सर्जरी के दौरान दूसरों से ज़्यादा परेशानियां तो होती ही हैं, इन्हें सर्जरी के बाद होने वाली समस्याओं का जोखिम भी ज्यादा होता है। इतना ही नहीं, मधुमेह के शिकार मरीजों को सर्जरी के अलावा डिलीवरी या रेडियोलॉजिकल जैसी किसी भी प्रक्रिया के लिए आमतौर पर सामान्य मरीजों की तुलना में ज्यादा दिन अस्पताल में रहना पड़ सकता है। हाय डायबिटज वाले मरीजों में कुछ चीजों सर्जरी के बाद होने वाली कुछ खास समस्याओं का खतरा अधिक बढ़ा देते हैं, जिसमें इंफेक्शन सबसे पहले शामिल है, सर्जरी के बाद इसके होने का खतरा सबसे अधिक होता है। डायबिटीज़ से प्रभावित लोगों में जिन समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है, वे हैं:
- इंफेक्शन होना
- सर्जरी के घाव का जल्दी ठीक न होना
- इलेक्ट्रोलाइट में होने वाला असंतुलन
- डायबिटिक कीटोऐसिडोसिस
- इसके अलावा सर्जरी किस अंग पर की गई है, वहां के टाके जल्दी सूखना नहीं।
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डायबिटीज में अधिक पसीना हो सकता खतरे का संकेत?
डायबिटीज के मरीजों को ऑपरेशन के बाद होने वाले जोखिम से बचने के लिए पहले से ही कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। जो लोग पहले से ही इंसुलिन या शुगर को कंट्रोल करने वाली दवाएं लेते हैं, उनके शरीर में कई बार ब्लड ग्लूकोज का लेवल कम हो जाता है, तो इस कारण भी कई बार उन्हें रात के समय बहुत अधिक पसीना आने लगता है। हालांकि एक बार जब ग्लूकोज लेवल सामान्य हो जाता है, फिर पसीना आना रूक जाता है। पसीना आना डायबिटीज मेलेटस को सामान्य स्थिति नहीं कह सकते हैं। कई बार लो शुगर भी कई गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों का कारण बन सकता है। इसके अलावा लंबे समय से चली आ रही डायबिटीज की दवा के सेवन के कारण भी डायबिटीज के मरीजों को अधिक पसीने की समस्या होने लगती है। इसलिए जिनता गंभीर शुगर का हाय होना है, उतना ही लाे होना भी है। में अधिक पसीना आने का कारण देखा गया है। लो शुगर भी डायबिटीज पेशेंट की ऑपरेशन के बाद मृत्यु के कारणों में यह भी एक है।
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डायबिटीज पेशेंट की ऑपरेशन के बाद मृत्यु से बचाव के लिए A1c टेस्ट (Ac1 Test)
आपके रक्त में कुछ ग्लूकोज (Blood sugar) आपके लाल रक्त कोशिकाओं के एक हिस्से से जुड़ते हैं। जब आपका रक्त शर्करा (Blood sugar) अधिक होता है, तो ग्लूकोज लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) से जुड़ जाता है, जब रक्त शर्करा कम होता है, ग्लूकोज लाल रक्त कोशिकाओं से जुड़ जाता है। यह लगाव उस विशेष लाल रक्त कोशिका के जीवन काल के लिए स्थायी है। हर तीन महीने में एक एचबीए 1 सी परीक्षण (HBA1C) लेना अनुशंसित है क्योंकि आपका एचबीए 1 सी स्तर पिछले तीन महीनों में आपके औसत रक्त शर्करा (Blood sugar) को प्रतिबिंबित करेगा।
इस तरह से आपने जाना कि डायबिटीज पेशेंट की ऑपरेशन के बाद मृत्यु के क्या -क्या कारण हो सकते हैं। डायबिटीज पेशेंट को बचाव की खास जरूरत होती है। इसलिए उन्हें अपने शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। उन्हें अपने डायट से लेकर शुगर के लेवल पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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