इतना ही नहीं पंप के शेप, साइज व अन्य पहलुओं की जांच करने के बाद उसे खरीदना चाहिए। ऐसे मरीजों को वैसे ही इंसुलिन पंप की खरीदारी करनी चाहिए जिसे पहनने में वो किसी प्रकार का संकोच न करें।
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डॉक्टरी सलाह लें। हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।
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उन्नत तकनीक से लैस इंसुलिन पंप (Insulin pump) मार्केट में हैं मौजूद
मौजूदा समय में मार्केट में कई इंसुलिन पंप ऐसे हैं जो लगातार ब्लड ग्लूकोज की मॉनिटरिंग करते रहते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि इंसुलिन पंप का मॉनिटर हमें दिन भर ब्लड शुगर लेवल को दिखाते रहता है। ऐसे में हमें अपनी उंगलियों से खून निकाल चेक करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। साल दर साल इंसुलिन पंप के निर्माता इसे और आधुनिक बनाने के प्रयास में लगे हुए हैं। उदाहरण के तौर पर मेडट्रॉनिक कंपनी ने मिनी मेड 640 जी सिस्टम बनाया है। इस सिस्टम के तहत यह हमारे ब्लड शुगर लेवल की जांच करते रहता है और जब ब्लड शुगर नीचे जाता है तो अपने आप ही इंसुलिन की सप्लाई को रोक देता है।
मौजूदा दौर में शोधकर्ता इससे भी उन्नत इंसुलिन पंप बना रहे हैं ताकि डायबिटीज के मरीजों को सहुलियत हो सके। यह संभव है कि एक दिन ऐसा आएगा जब इंसुलिन पंप आर्टिफिशियल पैनक्रियाज के रूप में काम करेंगे। इसका अर्थ यह हुआ कि इसके बाद जब कोई इंसान इंसुलिन पंप को पहन लेगा तो बिना उसे मेनुअली एडजस्ट किए वो अपने आप ही एडजस्ट हो जाएगा और हमारे शरीर को इंसुलिन की जितनी जरूरत होगी उसकी आपूर्ति करेगा। इंसुलिन पंप डॉक्टरी सलाह के बाद ही लोग लगाते हैं। वहीं यदि कोई अपने मन से इसे लगाता है तो यह गलत है, इसे लगाने को लेकर डॉक्टरी सलाह लें।