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नेत्रदान (eye donation) कर दूसरों की जिंदगी को करें रोशन

नेत्रदान (eye donation) कर दूसरों की जिंदगी को करें रोशन

मनुष्य के जीवन में आंखों का विशेष महत्व है। यह शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसी से हम दुनिया के हर रंग, अपने आसपास होने वाली चीजें, हर रोशनी, एक-दूसरे की पहचान आदि करते हैं। अगर आंखें न हों तो जिंदगी काफी मुश्किल हो जाती है। बिना आंख वालों को काफी हद तक दूसरों पर भी निर्भर रहना पड़ता है। भारत में करीब 4.6 मिलियन लोग कॉर्नियल ब्लाइंड्नेस (corneal blindness) से पीड़ित हैं। ऐसे लोगों की जिंदगी का अंधेरा नेत्रदान से ही खत्म हो सकता है लेकिन, भारत में नेत्रदान को लेकर लोगों में जागरूकता का अभाव है, जिसकी वजह से बहुत कम लोग ही नेत्रदान (eye donation) के लिए आगे आ रहे हैं। इस आर्टिकल में हम नेत्रदान  को लेकर हर पहलु पर बात करेंगे। हम बताएंगे कि क्या है नेत्रदान (eye donation) की प्रक्रिया, कैसे आप नेत्रदान के लिए संकल्प ले सकते हैं?

नेत्रदान (eye donation) से जुड़ी जरूरी बातें

नेत्रदान (eye donation) क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है?

रोटरी आई बैंक के को—चेयरमैन मयंक देसाई ने बताया कि नेत्रदान किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी आंखें दान करने को कहते हैं। दान के बाद ये आंखें किसी दूसरे जरूरतमंद व्यक्ति को लगाई जातीं हैं। सिर्फ कॉर्नियल ब्लाइंड्नेस से प्रभावित व्यक्ति को ही इस प्रक्रिया का लाभ मिलता है। नेत्रदान (eye donation) पूरी तरह से स्वैच्छिक है और मृत्यु के बाद ही होता है। यह इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि आपकी मौत के बाद आपकी आंखें किसी की जिंदगी का अंधेरा खत्म कर सकती हैं। वह आपकी आंखों से पूरी दुनिया को देख सकता है।

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क्या है नेत्रदान की प्रक्रिया?

कुछ लोग इसलिए भी नेत्रदान नहीं कर पाते क्योंकि उन्हें इसकी प्रक्रिया का पता ही नहीं होता। उन्हें लगता है कि ये काफी जटिल है, लेकिन ऐसा नहीं है। नेत्रदान की प्रक्रिया इस प्रकार है।

  •  नेत्रदान (eye donation) के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं है। अगर आप आंखें दान करना चाहते हैं तो, आपको सबसे पहले आईबैंक जाना होगा। आईबैंक अलग-अलग जगहों पर खुले होते हैं। आईबैंक में जाने के बाद आपको कुछ फॉर्म भरकर देने होंगे। इसके बाद आपका रजिस्ट्रेशन हो जाता है और आपको एक कार्ड दिया जाता है। आपकी मृत्यु के बाद आपकी आंखें किसी और को दे दी जाती हैं।
  •  अगर आपने जीवित रहते हुए नेत्रदान के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है और आपकी मौत के बाद आपके परिवार वाले आपकी आंखों को दान करना चाहते हैं, तो ये भी संभव होता है। इसके लिए परिवार वालों को निकटतम आईबैंक में जानकारी देनी होगी। इसके बाद आईबैंक वाले खुद आकर सारी प्रक्रिया पूरी करते हैं। यह पूरी प्रक्रिया लीगल है।
  •  जिसने नेत्रदान किया है, अगर उसकी मौत होती है तो, आईबैंक को फौरन सूचना देनी चाहिए। आंखे निकालने के लिए मृतक को आईबैंक लेकर जाने की जरूरत नहीं होती है। सूचना के बाद आईबैंक की टीम घर या अस्पताल पहुंचकर कॉर्निया निकाल लेती है।
  •  मौत के बाद आंखे निकालने में सिर्फ 10-15 मिनट लगते हैं और इससे चेहरे पर कोई निशान या विकृति नहीं आती है। इसलिए इस भ्रांति को भूल जाएं कि इससे अंतिम संस्कार में देरी होती है।
  •  नेत्रदान की प्रक्रिया में आंखें दान करने वाले और जिसको आंखें दी जा रहीं हैं, उसकी पहचान गुप्त रखी जाती है।
  •  नेत्रदान करने पर न तो कोई चार्ज लगता है और न ही कोई पैसा मिलता है। यह परोपकार का काम है।
  •  आप नेत्रदान के लिए कॉलसेंटर नंबर पर कॉल करके भी जानकारी ले सकते हैं।

कौन-कौन कर सकता है नेत्रदान का संकल्प

नेत्रदान के लिए किसी भी प्रकार की बंदिश नहीं है। कोई भी शख्स अपनी आंखों का दान कर सकता है। इस नेक काम में न तो आयु की अड़चन है और न ही लिंग की बाधा। चश्मा लगाने वाले व पूर्व में मोतियाबिंद सर्जरी करा चुके लोग भी अपनी आंखें दान कर सकते हैं। आप भी इस नेक काम में शामिल हो सकते हैं, बस आपको इरादा मजबूत करके एक संकल्प लेने की जरूरत है।

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ये लोग नहीं कर सकते नेत्रदान

ऐसे लोग जो सिफलिस (Syphillis), एड्स, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, रेबीज, एन्सेफलाइटिस (Encephalitis), हैजा, मेनिनजाइटिस (Meningitis) जैसे संचारी रोग से ग्रसित हैं, अपने आंखें किसी को दान नहीं कर सकते।

मयंक देसाई का मानना है कि आंखें दान करने को लेकर काफी भ्रांतियां हैं, जिसे दूर करने की जरूरत है। लोगों को यह समझने की जरूरत है कि यह परोपकार का काम है। लोगों को जागरूक करने के संदर्भ में उन्होंने बताया कि एक तो बहुत कम लोग आई डोनेशन के लिए आते हैं। वहीं इनमें भी यदि युवा हैं तो, जरूरतमंदों को कई वर्षों बाद जाकर फायदा पहुंचता है। मयंक कहते हैं कि यदि आपके आसपास किसी की मृत्यु हो जाए तो, कोशिश करें कि तुरंत उस व्यक्ति की आंखें दान कर दी जाएं। इससे कई लोगों की जिंदगी रोशन हो सकती है।

नेशनल आई डोनेशन के ओर से प्रत्येक वर्ष 25 अगस्त से 8 सितंबर तक कैम्पैन भी चलाई जाती है। इस कैम्पैन के माध्यम से लोगों को नेत्रदान से जुड़ी अहम जानकारी दी जाती है।

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नेत्रदान (eye donation) से  जुड़े कुछ अहम सवाल और उनके जवाब-

प्रश्न- नेत्रदान (eye donation) कौन कर सकता है?

उत्तर- कोई भी किसी भी उम्र में नेत्रदान (eye donation) कर सकता है। जिन लोगों दूर या निकट दृष्टि दोष है, जो लोग लेंस लगाते हैं या चश्मा पहनते हैं वो भी अपनी आंखे दान कर सकते हैं।

प्रश्न- क्या डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति का नेत्रदान किया जा सकता है?

उत्तर- डायबिटीज, हाइपरटेंशन, अस्थमा और यहां तक की मोतियाबिंद की समस्या वाले व्यक्तियों की भी आंखें दान की जा सकती हैं। सिर्फ कम्यूनिकेबल डिजीज से पीड़ित व्यक्ति नेत्रदान (eye donation) नहीं कर सकते हैं।

प्रश्न- मृत्यु के बाद कितनी जल्दी कॉर्निया रिमूव किया जा सकता है?

उत्तर- वैसे तो मृत्यु के एक घंटे के भीतर ही कॉर्निया रिमूव करना चाहिए लेकिन, अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो 6 से 8 घंटे के भीतर-भीतर कॉर्निया रिमूव करना चाहिए।

प्रश्न- नेत्रदान क्यों करना चाहिए?

उत्तर- नेत्रदान(eye donation) एक नेक काम है। किसी अन्य व्यक्ति को अपनी आंखें दान करने से दो लोगों के जीवन को आसान बनाया जा सकता है।

अगर आप नेत्रदान (eye donation) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Awareness and attitudes toward corneal donation: challenges and opportunities/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5995274/Accessed on 13/12/2019

Current Version

23/09/2020

Hema Dhoulakhandi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nikhil deore


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Hema Dhoulakhandi द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/09/2020

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