शीतली प्राणायाम (Sheetali Pranayam) जिसे कूलिंग ब्रिद भी कहा जाता है। शीतली प्राणायाम गर्मियों के मौसम में की जाने वाली क्रिया व प्राणायाम है। गर्मी में इस प्राणायाम को करने से इसके काफी फायदे मिलते हैं। एक्सपर्ट बताते हैं कि जिसका शरीर पर बहुत ज्यादा गर्म हो जाता है, गर्मी के समय में बहुत ज्यादा गर्मी का एहसास होता है, तो वो इस योग क्रिया को कर शरीर को ठंडा कर सकते हैं। शीतली प्राणायाम को करने के लिए मुंह को खोलकर और श्वास को अंदर लेकर जाना होता है। शीतली प्रायाणाम को करने के दौरान सावधानियों का खास ख्याल रखना चाहिए, वहीं इस प्राणायाम को किसे करना चाहिए और किसे नहीं यह जानना और समझना भी बेहद ही जरूरी है। इसके साथ ही और सबसे अहम यह कि इस प्राणायाम को कैसे करें? इसके फायदे क्या हैं? और इस प्राणायाम से जुड़ी सभी जरूरी बातें पढ़ें इस आर्टिकल में।
शीतली प्राणायाम (Sheetali Pranayama) क्या है?
सत्यानंद योग केंद्र, जमशेदपुर चैप्टर के योग शिक्षक व वर्तमान में करीम सिटी कॉलेज सहित टाटा स्टील की कंपनियों में योग प्रशिक्षण दे रहे अश्विनी कुमार शुक्ला बताते हैं कि घेरण्ड संहिता के अनुसार “मुंह के श्वांस को मुंह के जरिए लेकर कुछ देर के लिए अपने शरीर में रखकर, सिर नीचे की ओर झुकाकर जलंधर बंद कर इस योग क्रिया को किया जाता है। फिर जलंधर को खोलते हुए नाक से श्वांस को निकाला जाता है। जैसा कि इस प्राणायाम का नाम है शीतली। इसलिए यह शरीर को ठंडा रखने के लिए किया जाता है। इसके कई फायदें हैं।’
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शीतली प्राणायाम (Sheetali Pranayama) कैसे करें?
इस प्राणायाम को करने के लिए निम्नलिखित स्टेप्स फॉलो करें।
- स्टेप 1: सबसे पहले रिलैक्स हो जाएं और आराम से बैठ जाएं।
- स्टेप 2: अपनी आंखें बंद कर लें।
- स्टेप 3: अब अपना मुंह खोलें और जीभ को बाहर लाएं
- स्टेप 4: जीभ को इस तरह रोल करें जैसे नली होती है।
- स्टेप 5: अगर आपको स्टेप 4 करने में परेशानी महसूस होती है या आप नहीं कर पा रहें हैं, तो आप अपनी जीभ से “ओ’ (O) बनाएं।
- स्टेप 6: अब जीभ की मदद से सांस अंदर लें और अपनी फेफड़ों को हवा से भरें।
- स्टेप 7: अब मुंह बंद करें और धीरे-धीरे सांस नाक से छोड़ें।
- स्टेप 8: इस दौरान जब आप सांस लें और आवाज उत्पन्न करें। इस दौरान आप अपने मुंह, जीभ और गले पर ठंड महसूस करेंगे।
- स्टेप 9: इस प्राणायाम को आप 5 मिनट तक दुहराएं
शीतली प्राणायाम (Sheetali Pranayama) के फायदें क्या हैं?
सत्यानंद योग केंद्र, जमशेदपुर चैप्टर के योग शिक्षक व योग प्रशिक्षक अश्विनी बताते हैं कि शीतली प्राणायाम के कई फायदे हैं। जैसे-
- इस प्राणायाम को नियमित करने से शरीर के तापमान को नियंत्रण में रखा जा सकता है।
- हमारे दिमाग को शांत रखता है।
- अगर आपको अत्यधिक गुस्सा आता है, तो शीतली प्राणायाम के फायदे आप अपने गुस्से पर काबू भी पा सकते हैं। जो लोग शीतली प्राणायाम करते हैं, उन लोगों को गुस्सा कम आता है।
- इस प्राणायाम को कर मन की शांति महसूस की जा सकती है
- यह प्राणायाम साइकोसोमेटिक डिजीज से ग्रसित लोगों के लिए काफी लाभकारी है। शीतली प्राणायाम के अभ्यास से इस बीमारी से राहत पा सकते हैं।
- वैसे व्यक्ति जो शीतली प्राणायाम को नियमित करते हैं, उन्हें स्किन संबंधी परेशानियां नहीं होती है।
- इस प्राणायाम को नियमित करने से शरीर के अंदर विषाक्त नष्ट होता है और हमारा खून साफ होता है। ऐसे में शरीर के तमाम अंग सुचारू रूप से काम करते हैं।
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शीतली प्राणायाम के नुकसान क्या हैं? और किन लोगों को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए?
हर सिक्के के दो पहलु होते हैं, ऐसे में इस प्राणायाम के कुछ नुकसान भी हैं। इसलिए हमें एक्सपर्ट की जरूरत पड़ती है, जो हमें सही और गलत की सीख देते हैं। एक्सपर्ट के अनुसार जानें किसे नहीं करना चाहिए यह आसन,
- मानसिक रूप से बीमार लोगों को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए, क्योंकि उनके शरीर का तापमान कम होता है या तनाव और डिप्रेशन से ग्रसित लोगों को भी यह आसन नहीं करना चाहिए
- ठंडी जगहों में रहने वाले लोगों के साथ सर्दियों के मौसम में इस आसन को कतई नहीं करना चाहिए।
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जानें शीतली प्राणायाम करने के दौरान क्या-क्या बरतें सावधानी?
इस प्राणायाम के दौरान निम्नलिखित सावधानी बरतें।
- इसे किसी भी उम्र के लोग कर सकते हैं, लेकिन बेहतर यही होगा कि यदि आपने इससे पहले योग नहीं किया है, तो योग प्रशिक्षक से ट्रेनिंग लेने के बाद ही इसे करें, ताकि आप इस प्राणायाम की गंभीरता को जान सकें।
- साफ व स्वच्छ जगह पर करें : शीतली प्राणायाम को साफ व स्वच्छ जगह पर ही करें। जैसे कि सुबह-सुबह पार्क में, ताकि फ्रेश हवा आपको मिल सकें। एक्सपर्ट अश्विनी शुक्ला बताते हैं कि शीतली प्राणायाम को गंदी जगहों पर अभ्यास नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसे मुंह खोलकर किया जाता है, श्वांस को मुंह के जरिए अंदर लिया जाता है। ऐसे में गंदी जगह पर इसे करने से संभावनाएं रहती है कि प्रदूषित हवा हमारे शरीर में चली जाए। इसलिए इसे साफ व स्वच्छ जगह पर ही करना चाहिए।
- लंबे समय तक न करें : एक्सपर्ट के अनुसार इसे लंबे समय तक नहीं करना चाहिए। क्योंकि मुंह से जब कोई व्यक्ति श्वास लेता है तो संभावना रहती है कि वायु के साथ प्रदूषित हवा के कुछ कण भी शरीर में चले जाएं, इसलिए लंबे समय तक इसे नहीं करना चाहिए।
- सर्दियों के समय न करें : शीतली प्राणायाम को सर्दियों के दिनों में कतई नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस प्राणायाम को करने से शरीर का तापमान ठंडा होता है, सर्दियों के दिनों में तापमान प्राकृतिक तौर पर ही ठंडा होता है। ऐसे में उन दिनों में इसे करने से स्वास्थ्य को लेकर परेशानी हो सकती है।
- हमेशा गर्मियों के दिनों में ही करें : शीतली प्राणायाम को हमेशा गर्मियों के दिनों में ही करना चाहिए। क्योंकि गर्मियों में हमारे शरीर का तापमान काफी बढ़ा हुआ होता है, इसे कर हम शरीर के तापमान को नियंत्रण में रख सकते हैं।
इन ऊपर बताई गई बातों को ध्यान रखें और इस प्राणायाम को नियम से करें।
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एक्सपर्ट की लें राय ताकि फायदा हो, न कि नुकसान
इस आसन को करने के लिए हमेशा एक्सपर्ट की राय लेनी जरूरी होती है ताकि हम शीतली प्राणायाम (Sheetali Pranayama) के फायदों को हासिल कर सकें। गलत जानकारी होने से हमें इसके काफी ज्यादा नुकसान भी हो सकते हैं, जैसे यदि इसे अस्वच्छ व धूल कण वाले इलाके में किया जाए तो संभावनाएं हैं कि हमारे श्वास के जरिए प्रदूषित हवा चली जाएगी। एक्सपर्ट बताते हैं कि क्योंकि मुंह से श्वास लेने से वह बिना प्यूरीफाई हुए शरीर में चला जाता है, इस कारण शरीर में कई विषाक्त धूल कण भी चले जाते हैं, जो इंसान को बीमार कर सकते हैं। इसे शीतली प्राणायाम की प्रैक्टिस हमेशा स्वच्छ जगहों पर ही करनी चाहिए। वहीं गर्मी से राहत पाने के लिए आप इसका अभ्यास कर सकते हैं। सबसे अहम बात यह है कि इसे ठंडे प्रदेशों में रहने वाले लोगों को कतई नहीं करनी चाहिए। इससे उनकी सेहत बिगड़ सकती है।
अगर आप शीतली प्राणायाम (Sheetali Pranayama) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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