backup og meta

डायबिटिक कीटोएसिडोसिस: जानिए इसके लक्षण, कारण और उपचार

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

    डायबिटिक कीटोएसिडोसिस: जानिए इसके लक्षण, कारण और उपचार

     डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (DKA) डायबिटीज की गंभीर समस्या है। यह समस्या तब होती है, जब किसी के शरीर में ब्लड शुगर बहुत अधिक होता है और कीटोन्स नामक एसिडिक तत्व उनके शरीर में खतरनाक स्तर तक इनका निर्माण करते हैं। यह स्थिति तब पैदा होती है जब हमारा शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता। डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (Diabetic ketoacidosis) की समस्या अधिकतर टाइप 1 डायबिटीज से प्रभावित लोगों को होती है। लेकिन, यह टाइप 2 का शिकार और जेस्टेशनल डायबिटीज से पीड़ित लोगों को भी हो सकती है। हालांकि, इसका इलाज संभव है, लेकिन समय रहते अगर इस समस्या का इलाज न हो तो रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। जानिए इसके बारे में विस्तार से ताकि अवस्था जटिल होने के पहले संभाला जा सके।

    डायबिटिक कीटोएसिडोसिस के कारण (Diabetic ketoacidosis)

    शुगर हमारे शरीर की कोशिकाओं के लिए ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत है, जो हमारे शरीर में मांसपेशियों और अन्य टिश्यू को बनाता है। समान्यतया, इंसुलिन शुगर को कोशिकाओं तक जाने में मदद करता है। इंसुलिन के बिना, हमारा शरीर ऊर्जा के लिए शुगर का सही से प्रयोग नहीं कर पाता। इससे हार्मोन अधिक मात्रा में निकलते हैं, जिससे वसा ईंधन के रूप में टूटती है और किटोन्स नामक एसिड का उत्पादन अधिक होता है। इससे बहुत अधिक कीटोन्स खून में बनते हैं और उसके बाद मूत्र में फैल जाते हैं।

    और पढ़ें :जानें क्या है डायबिटिक न्यूरोपैथी, आखिर क्यों होती है यह बीमारी?

    डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (Diabetic ketoacidosis) इन कारणों से बढ़ती है:

    कोई बीमारी  – संक्रमण या कोई और बीमारी के कारण हमारे शरीर में कुछ हार्मोन उच्च स्तर में पैदा हो सकते हैं जैसे एड्रेनालाईन या कोर्टिसोल। यह हार्मोन्स डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (Diabetic ketoacidosis) समस्या को बढ़ा देते हैं। निमोनिया और यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन भी इसका कारण हो सकते हैं।

    इंसुलिन थेरेपी की समस्या- इंसुलिन उपचार का न मिलना या अपर्याप्त इंसुलिन थेरेपी के कारण हमारे सिस्टम में बहुत कम इंसुलिन रह जाती है, इससे डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (Diabetic ketoacidosis) की समस्या बढ़ सकती है।

    इसके अन्य कारण इस प्रकार हैं 

    • शारीरिक या भावनात्मक आघात
    • हार्ट अटैक
    • अल्कोहल या ड्रग का सेवन खासतौर पर कोकीन 
    • खास दवाईयां जैसे कॉर्टिकोस्टेरॉइड और कुछ मूत्रवर्धक (diuretics)

    डायबिटिक कीटोएसिडोसिस के लक्षण

    डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (DKA)आमतौर पर धीरे-धीरे बढ़ती है लेकिन इस रोग में अगर रोगी को उल्टी हो जाए तो यह उसके जीवन के लिए जोखिम भरी समस्या हो सकती है। इसके शुरुआती लक्षण इस प्रकार हैं-

  • प्यास लगना या मुंह का सुखना
  • लगातार मूत्र त्याग
  • ब्लड ग्लूकोज स्तर का बढ़ना
  • मूत्र में कीटोन्स  के लेवल का बढ़ना
  • इसके बाद इसके अन्य लक्षण इस प्रकार हैं :

    • लगातार थकावट होना
    • रूखी त्वचा
    • सांस लेने में समस्या 
    • सांस से फूलों जैसी खुशबु आना
    • ध्यान न लगना या बेचैनी 
    • मतली, उल्टी या पेट में दर्द हालांकि उल्टी अन्य बीमारियों के कारण भी हो सकती है। लेकिन ,अगर यह उल्टी दो घंटे से अधिक समय तक रहे तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।

    डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (Diabetic ketoacidosis) खतरनाक है। अगर आपको ऊपर में से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।

    और पढ़ें: Quiz : डायबिटीज के पेशेंट को अपने आहार में क्या शामिल करना चाहिए और क्या नहीं?

    डायबिटिक कीटोएसिडोसिस का निदान 

    आपके डॉक्टर डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (Diabetic ketoacidosis) के निदान के लिए आपसे हेल्थ हिस्ट्री और इसके लक्षणों के बारे में जानेंगे। वो आपको कुछ टेस्ट करने के लिए भी कह सकते हैं।

    ब्लड टेस्ट

    डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (Diabetic ketoacidosis) के निदान के लिए आपके कीटोन्स  और ग्लूकोज लेवल को जांचने के लिए ब्लड टेस्ट कराने के लिए कहा जाता है। इसके लिए आपके मूत्र का टेस्ट भी कराया जा सकता है। 

    ब्लड टेस्ट इन स्थितियों को जानने के लिए भी कराया जा सकता है:

    • आपके रक्त में घुले कणों की संख्या (प्लाज्मा ऑस्मोलारिटी)
    • आपके रक्त में सोडियम और पोटेशियम और बाइकार्बोनेट जैसे कुछ इलेक्ट्रोलाइट्स की कंसंट्रेशन
    • आपके रक्त में लाल और सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या
    • किडनी फंक्शन
    • ब्लड एसिडिटी : अगर रोगी के खून में कीटोन्स की मात्रा बहुत अधिक होती है, तो खून एसिडिक बन जाता है। इसके कारण रोगी के पूरे शरीर में अंग अपना सामान्य कार्य नहीं कर पाते।

    इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम

    आपको दिल की जांच के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (EKG ) कराने के लिए कहा जा सकता है ऐसा इसलिए क्योंकि खून में इलेक्ट्रोलाइट में बदलाव दिल को नुकसान पहुंचा सकता है।

    और पढ़ें: डायबिटिक फुट के प्रकार और देखभाल के बारे में जानें विस्तार से

    उपचार

    इस रोग के उपचार का उद्देश्य इन्सुलिन से हाई ब्लड शुगर को नियंत्रित करना है। इस समस्या के कारण पेशाब, भूख में कमी और उल्टी के माध्यम से तरल पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाता है। इसलिए इस रोग के उपचार का दूसरा लक्षण इस क्षति को पूरा करना भी है।

    • अगर आपको डायबिटीज है, तो आपअपने डॉक्टर को तुरंत डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (Diabetic ketoacidosis) के लक्षणों के बारे में बताएं। अगर आपको लगता है कि आपको डायबिटिक कीटोएसिडोसिस है, तो आप यूरिन स्ट्रिप का प्रयोग कर के कैटोन्स का टेस्ट खुद भी कर सकते हैं। इसके साथ ही ग्लूकोज मीटर से भी ब्लड कैटोन्स को माप सकता है। अगर कैटोन्स मौजूद हैं तो तुरंत डॉक्टर से उपचार कराएं। इसमें बिलकुल भी देरी उचित नहीं है।
    • अस्पताल में आपको इंसुलिन, तरल पदार्थ दिए जाएंगे और अन्य उपचार कराने के लिए भी कहा जा सकता है। इंसुलिन देने से हमारी कोशिकाएं फिर से ग्लूकोज का प्रयोग करना शुरू कर देंगी। इससे कैटोन्स और शुगर का खून में स्तर कम होने में मदद मिलेगी। आपको (electrolytes) भी दिए जा सकते हैं। 
    • यदि आपको कोई बीमारी है, जो आपके डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (Diabetic ketoacidosis) का कारण है, तो आपके डॉक्टर सबसे पहले उसका उपचार करेंगे। उदाहरण के लिए, आपको संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक्स दिए जा सकते हैं
    • आपको अपने उपचार के दौरान अधिक ब्लड टेस्ट की आवश्यकता हो सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपके डॉक्टर आपकी स्थिति को जांचेंगे और आवश्यकतानुसार  उपचार बदल सकते हैं।

    और पढ़ें: Diabetic nephropathy: डायबिटिक नेफ्रोपैथी क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज

    डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (Diabetic ketoacidosis) की रोकथाम 

    डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (Diabetic ketoacidosis) के बचने और अन्य डायबिटीज की जटिलताओं को रोकने के लिए आप यह उपाय अपना सकते हैं:

    • डायबिटीज को संतुलत रखने की कोशिश करें। संतुलित खाएं और शारीरिक गतिविधियों को अपने जीवन का हिस्सा बना लें। डॉक्टर के बताएं अनुसार इन्सुलिन या ओरल दवाईयां लें।
    • अपने ब्लड शुगर लेवल को जांचते रहें। आपको दिन से कम से कम तीन बार अपनी ब्लड शुगर की जांच करनी चाहिए। इस बात का ध्यान रहे कि आपकी ब्लड शुगर सही रेंज के बीच में रहे।
    • इन्सुलिन डोज को आवश्यकता अनुसार समायोजित करें। इस बारे में डॉक्टर से बात करें अपने डॉक्टर से ब्लड शुगर, आप क्या खाते हैं, आपको क्या बीमारी है, आप कितना एक्टिव रहते हैं यह सब बताएं वो उसके अनुसार ही आपको सलाह देंगे।
    • अपने कीटोन लेवल को जांचें। अगर आप बीमार या तनाव में हैं, तब आप अपने यूरिन की जांच कराएं ताकि कैटोन्स की मात्रा का पता चल सके। अगर आपका कैटोन्स लेवल अधिक है, तो अपने डॉक्टर से बात करें और तुरंत इसका उपचार कराएं।

    अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आपको डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (Diabetic ketoacidosis)  से संबंधित ये आर्टिकल पसंद आया होगा।  अगर आपके मन में कोई प्रश्न हो, तो डॉक्टर से जरूर पूछें। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement