डायरिसिस का अर्थ है बहुमूत्रता यानी शरीर में बहुत अधिक मूत्र का बनना। डायरिसिस आमतौर पर किसी मेडिकल जटिलता से होने वाला साइड इफेक्ट है जैसे डायबिटीज। लेकिन, इसके साथ ही यह समस्या किसी दवाई, खास चीज को खाने या पीने, अधिक शराब पीने के कारण भी हो सकती है। जानिए ड्यूरिसिस के बारे में विस्तार से।
डायरिसिस (बहुमूत्रता) के लक्षण (Symptoms of Diuresis)
डायरिसिस का सबसे पहला लक्षण है बहुत अधिक मूत्र त्याग। इस कंडीशन में किडनी शरीर से अत्यधिक मात्रा में फ्लुइड को फिल्टर करती है। इस कारण रोगी बार-बार और बहुत अधिक मात्रा में मूत्र त्याग करता है। इसके साथ ही इसका दूसरा लक्षण हैं लगातार मूत्र त्याग की इच्छा होना। इसका अर्थ यह है कि इस रोग में अगर पीड़ित उस समय भी मूत्र त्याग कर के आया हो तब भी उसे ऐसा महसूस होगा की उसे फिर से बाथरूम जाना है।
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डायरिसिस के कुछ अन्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- लगातार शरीर से पानी निकलने के कारण प्यास लगना
- कम नींद आना
- शरीर से अधिक मात्रा में पानी निकल जाने से अधिक थकावट होना
- शरीर से अधिक नमक और अन्य पोषक तत्वों के निकल जाने से कैल्शियम की मात्रा कम हो जाती है, जिससे हार्ट फेलियर भी हो सकता है।
डायरिसिस के कारण (Causes of Diuresis)
ऑस्मोटिक बहुमूत्रता (Osmotic Diuresis)
ऑस्मोटिक बहुमूत्रता का कारण है ऐसे तत्व की मौजूदगी जिसे किडनी ने फिल्टर किया हो। यह फ्लूइड अंततः मूत्र बन जाता है। इन पदार्थों के कारण मूत्र में अतिरिक्त पानी आ जाता है, जिससे इसकी मात्रा बढ़ जाती है।
ऑस्मोटिक बहुमूत्रता के कुछ कारण इस प्रकार हैं (Causes of Osmotic Diuresis)
- ब्लड शुगर का अधिक होना (Excess of Blood Sugar)
- कुछ खास दवाईयां जैसे मैनिटॉल (Certain medicines like Manitol)
डायबिटीज इंसीपीडस (Diabetes insipidus)
डायबिटीज इंसीपीडस एक असामान्य विकार है जिसके कारण शरीर में तरल पदार्थों का असंतुलन हो जाता है। इस असंतुलन के कारण रोगी को हर समय प्यास लगती है। इसके साथ ही शरीर में अत्यधिक पेशाब बनता है, जिसके कारण रोगी को बार-बार मूत्र त्याग करना पड़ता है, यानी ड्यूरिसिस की समस्या होती है। डायबिटीज इंसीपीडस का कोई उपचार नहीं है लेकिन कुछ उपचारों से प्यास और अधिक मूत्र त्याग की समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।
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डायबिटीज इंसीपीडस के प्रकार (Types of Diabetes Insipidus)
डायबिटीज इंसीपीडस के प्रकार निम्न हैं।
सेंट्रल डायबिटीज इंसीपीडस (Central Diabetes Insipidus)
पिट्यूटरी ग्लैंड की समस्या, ट्यूमर, सिर में लगी चोट या किसी बीमारी के कारण सेंट्रल डायबिटीज इंसीपीडस की समस्या हो सकती है। आनुवांशिक कारणों से भी यह रोग हो सकता है।
नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इंसीपीडस (Nephorogenic Diabetes Insipidus)
नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इंसीपीडस की समस्या तब होती है जब हमारी वृक्क नलिका में कोई समस्या होती है। यह दोष आनुवंशिक या क्रोनिक किडनी विकार के कारण हो सकता है। कुछ दवाएं, जैसे कि लिथियम या एंटीवायरल दवाएं (फोसकारनेट) भी नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इंसीपीडस का कारण बन सकती हैं।
जेस्टेशनल डायबिटीज इंसीपीडस (Gestational Diabetes Insipidus)
जेस्टेशनल डायबिटीज इंसीपीडस दुर्लभ है। यह केवल गर्भावस्था के दौरान होता है, जब गर्भनाल द्वारा बनाया गया एंजाइम मां में ADH(एन्टिडाययूरेटिक हार्मोन) को नष्ट कर देता है।
प्राथमिक पॉलीडिप्सिया (Primary polydipsia)
इसे डिसपोजेनिक डायबिटीज इंसीपीडस के रूप में भी जाना जाता है, इस स्थिति में शरीर में पतले मूत्र का बड़ी मात्रा में उत्पादन होता है। इसका कारण अधिक मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन है।
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डाययरेटिक्स (मूत्रल) (Diuretics)
डाययरेटिक्स को वाटर पिल भी कहा जाता है, जो ब्लड प्रेशर के उपचार के लिए बेहद आम उपचार है। यह पिल शरीर से पानी और सोडियम की मात्रा को निकालने में मदद करती है। इनमें से अधिकांश वाटर पिल्स गुर्दे को मूत्र में अधिक सोडियम छोड़ने में मदद करती हैं। सोडियम रोगी के खून से पानी लेता है, जो नसों और धमनियों से बहने वाले द्रव की मात्रा को कम करता है। यह रक्तचाप को भी कम करता है।
डायबिटीज (Diabetes)
अनियंत्रित मधुमेह के कारण हमारी ब्लड स्ट्रीम में अधिक शुगर बनती है। डायबिटीज से प्यास बढ़ सकती है, जिसके कारण आपको अधिक पीना पड़ सकता है। जिससे मूत्र उत्पादन में वृद्धि हो सकती है यानी डायरिसिस जैसा रोग हो सकता है।
हाइपरकैल्शिमिया (Hypercalcemia)
हाइपरकैल्शिमिया वो स्थिति है जिसमें अधिक कैल्शियम पूरे शरीर में चला जाता है। इसका कारण अधिक सक्रिय थायराइड ग्लैंड हो सकते हैं। इसके कारण किडनी कैल्शियम के स्तर को संतुलित बनाए रखने के लिए अधिक यूरिन को निकालती है।
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आहार (Diet)
कुछ आहार और पेय पदार्थ भी डायरिसिस का कारण बनते हैं जैसे ग्रीन और ब्लैक टी। कैफीन युक्त आहार या अधिक नमक वाले आहार का सेवन करने से भी अधिक मूत्र आने की समस्या हो सकती है।
मौसम (Weather)
अगर आप ठंडे मौसम वाले क्षेत्र में रहते हैं तो आप बहुमूत्रता जैसी समस्या का सामना कर सकते हैं। लगातार मूत्र त्याग से ड्यूरिसिस का खतरा रहता है।
डायरिसिस का निदान (Diagnosis of diuresis)
डायरिसिस के निदान के लिए डॉक्टर आपसे इसके लक्षणों के बारे में जानेंगे। डॉक्टर को अपने खाने -पीने , दवाईओं आदि के बारे में सब कुछ बताएं। इसके साथ हीआपकी फॅमिली हिस्ट्री भी जानी जा सकती है।
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डायरिसिस का उपचार (Treatment of Diuresis)
इस समस्या के उपचार के लिए इसके लक्षणों को कम करना पड़ेगा जिसमे यह शामिल है।
कुछ स्वास्थ्य स्थितिओं को नियंत्रण में रखें। जैसे-
- डायबिटीज (Diabetes)
- दवाईयों में बदलाव (Medicine changes)
- प्राकृतिक ड्यूरिसिस का सेवन करने से बचें (Avoid consuming natural diuresis)
डायरिसिस के कारण क्या क्या परेशानी हो सकती है?
बार बार पेशाब आने से शरीर में पानी, नमक और मिनिरल्स का संतुलन बिगड़ सकता है। इससे निम्नलिखित परेशानी हो सकती हैं:
हायपोनाट्रेमिया (Hyponatremia)
हायपोनाट्रेमिया की स्थिति तब होती है जब शरीर में पर्याप्त सोडियम नहीं होता है। ड्युरेटिक्स का इस्तेमाल करने या बार-बार पेशाब आने के कारण यह समस्या होती है। शरीर में सोडियम अहम होता है। यह शरीर में ब्लड प्रेशर और फ्लूइड लेवल को मेंटेन करने का काम करता है। ये नर्वस सिस्टम को स्पोर्ट भी करता है।
हाइपरकलेमिया (Hyperkalemia)
शरीर में अत्यधिक पोटेशियम की मात्रा से हाइपरकलेमिया की परेशानी हो सकती है। शरीर में पोटेशियम हृदय, मांसपेशियों में संकुचन, और पाचन में मदद करता है।
डिहाइड्रेशन (Dehydration)
डायरिसिस के कारण अत्यधिक पेशाब आने के कारण डिहाइड्रेशन हो सकता है। शरीर हाइड्रेट न होने के कारण बॉडी का तापनान अनियंत्रित हो सकता है। इससे किडनी की समस्या, सीजर और सदमे तक में जा सकते हैं।
डायरिसिस के घरेलू उपचार (Home Remedies of Diuresis)
डायरिसिस में घरेलू उपाय भी आपकी मदद कर सकते हैं। डायरिसिस के उपचार के कुछ घरेलू उपाय इस प्रकार हैं:
डिहाइड्रेशन से बचें (Avoid dehyderation)
इस समस्या के होने से शरीर में पानी की मात्रा कम हो सकती है। इसलिए, अपने शरीर में पानी की मात्रा को बनाए रखने के लिए जितना अधिक हो सके अधिक पानी और अन्य पेय पदार्थों का सेवन करें। किंतु अधिक चीनी युक्त पेय पदार्थों से दूर रहें। इसके साथ ही सादा पौष्टिक भोजन ही खाएं। अधिक मिर्च मसाले या नमक युक्त आहार से बचें।
एल्कोहॉल न लें (Do not consume alcohol)
एल्कोहॉल या कैफीन भी आपकी इस समस्या को बढ़ा सकते हैं। इसलिए एल्कोहॉल और कैफीन का कम से कम सेवन करें जैसे एल्कोहॉलिक पेय, चाय ,कॉफी आदि। इस रोग और इसके कारणों के उपचार के लिए डॉक्टर की सलाह लें।
ऊपर दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। इसलिए किसी भी दवा या सप्लिमेंट का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें। हम उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में डायरिसिस से जुड़ी हर मुमकिन जानकारी देने की कोशिश की गई है। यदि आप इस संदर्भ में अन्य कोई जानकारी पाना चाहते हैं तो बेहतर होगा इसके लिए किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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