दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निधन से पूरा देश शोक में है। लंबे समय से तबीयत खराब होने के चलते शनिवार को उनका निधन हो गया। बताया जा रहा है कि उनका निधन कार्डिएक अरेस्ट की वजह से हुआ है, जो दिल से जुड़ी एक समस्या है। लेकिन, बहुत-से लोग कार्डिएक अरैस्ट और हार्ट अटैक को एक ही मान लेते हैं। लेकिन, ऐसा नहीं है। कार्डिएक अरेस्ट हार्ट अटैक से अलग स्थिति है। इस लेख में हम आपको कार्डिएक अरेस्ट के बारे में बताएंगे। जानेंगे कार्डिएक अरेस्ट के लक्षण, कारण और इलाज।
समझें कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac arrest) क्या है?
कार्डिएक अरेस्ट एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दिल की धड़कन धीरे-धीरे कम होने लगती है और दमा जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। हार्ट एक्सपर्ट की मानें, तो इस समय अगर सही इलाज किया गया, तो व्यक्ति को बचाया जा सकता है। हार्ट अटैक की स्थिति में इलाज संभव नहीं है, लेकिन कार्डिएक अरेस्ट होने पर इलाज किया जा सकता है।
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अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन और अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के अनुसार, “कार्डिएक अरेस्ट कार्डिएक गतिविधि का अचानक बंद हो जाना है, जिससे पीड़ित व्यक्ति सामान्य नहीं हो पाता है और सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है”। वहीं, नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार, “दिल के स्ट्रक्चर में बदलाव की वजह से कार्डिएक अरेस्ट की स्थिति बनती है। 70 प्रतिशत कार्डिएक अरेस्ट का कारण इस्केमिक कोरोनरी रोग (ischemic coronary disease) माना जाता है”।
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फोर्टिस हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉक्टर अशोक सेठ के नेतृत्व में डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स की टीम ने शीला दीक्षित का इलाज शुरू किया। इस दौरान, कुछ समय के लिए उनकी स्थिति सामान्य हुई। लेकिन, फिर से एक और कार्डिएक अरेस्ट आने की वजह से उन्हें नहीं बचाया जा सका। हृदय की पंपिंग प्रकिया बाधित होने की वजह से हृदय, मस्तिष्क, फेफड़े के साथ-साथ शरीर के दूसरे हिस्से में ब्लड सप्लाई नहीं होने की वजह से उनका निधन हो गया।
मुंबई के जसलोक हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राहुल छाबरिया हैलो स्वास्थ्य से बात करते हुए कहते हैं कि कार्डिएक अरेस्ट में हार्ट काम करना बंद कर देता है। हालांकि, ऐसा कभी-कभी कुछ सेकेंड के लिए होता है और मरीज वापस ठीक हो सकते हैं। ऐसे समय पर सबसे पहले मरीज को आरामदायक पुजिशन में रखना चाहिए और कुछ बातों पर जरूर ध्यान देना चाहिए, जैसे- मरीज का सबसे पहले पल्स रेट चेक करें, अंगूठे से गर्दन की जुगलार वेन की जांच करें। इसके साथ ही, मरीज की कार्डिएक मसाज भी करनी चाहिए। डॉ. छाबरिया के अनुसार, “हमेशा ही वार्निंग साइन का ध्यान रखें। ऐसे में मरीज को ज्यादा पसीना नहीं आना चाहिए, घबराहट महसूस नहीं होनी चाहिए और उसकी हार्ट बीट नॉर्मल रहना चाहिए (60 से 100 तक रहना हार्ट रेट नॉर्मल मानी जाती है। वहीं, जब हार्ट रेट 40 के नीचे जाए या फिर 150 के ऊपर जाए तब स्थिति बिगड़ सकती है )। हालांकि, कभी-कभी मरीज परेशानी की वजह से भी बेहोश हो सकते हैं। इसलिए, स्थिति समझना बेहद जरूरी है और डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए”।
कार्डिएक अरेस्ट के लक्षण (Symptoms of Cardiac arrest)
कार्डिएक अरेस्ट होने पर नीचे बताए गए लक्षण नजर आते हैं, जैसे :
- सीने में दर्द (Chest pain)
- सांस लेने में परेशानी
- चक्कर आना
- आंखों के सामने अंधेरा छाना
- बेहोश होना
- दिल की धड़कन (Heart beat) का कम होना
इन लक्षणों के साथ-साथ नीचे दिए जा रहे लक्षणों को भी ध्यान में रखना जरूरी है :
- बिना कारण या बिना थके घबराहट या पसीना आना।
- थकावट के साथ-साथ मसूड़ों में दर्द होना।
- एसिडिटी या अस्थमा की शिकायत ज्यादा होना।
- सीने में होने वाले दर्द।
- छाती( चेस्ट) में भारीपन महसूस करना।
- बेचैनी महसूस होना।
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आइए जानते हैं कार्डिएक अरेस्ट की स्थिति से बचने के लिए क्या-क्या करना चाहिए?
इस स्थिति से बचने के लिए निम्नलिखित टिप्स फॉलो करना चाहिए। जैसे-
- संतुलित आहार लें।
- वजन संतुलित रखें।
- नियमित रूप से व्यायाम करें।
- ब्लड प्रेशर नॉर्मल रखें (120/80)
- तंबाकू का सेवन न करें।
- एल्कोहॉल का सेवन न करें।
- अगर डायबिटीज की समस्या है, तो उसे कंट्रोल रखें।
- सात से आठ घंटे की अच्छी नींद लें।
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इस बीमारी के क्या कारण हो सकते हैं?
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं। जैसे-
- स्मोकिंग करना
- अत्यधिक व्यस्त जीवन शैली होना
- हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होना
- बढ़ता वजन (मोटापा)
- परिवार में हार्ट डिजीज पेशेंट होना
- पहले कभी हार्ट अटैक हुआ हो
- 45 साल से ज्यादा पुरुषों की उम्र होना
- 55 साल से ज्यादा महिला की उम्र होना
- शरीर में पोटैशियम या मैग्नेशियम की कमी
इन कारणों के साथ-साथ अन्य कारणों की वजह से दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
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कार्डिएक अरेस्ट के दौरान पेशेंट में कौन-कौन से लक्षण नजर आ सकते हैं?
इस दौरान पेशेंट में निम्नलिखित लक्षण देखे और समझे जा सकते हैं। जैसे-
- चक्कर आना
- सांस लेने में परेशानी होना
- थकान महसूस होना या कमजोरी होना
- उल्टी होना
- दिल की धड़कन अनुभव करना
इन लक्षणों के साथ-साथ अन्य लक्षण भी समझें। जैसे-
- सीने में दर्द होना
- पल्स समझ में नहीं आना
- सांस न लेना
- पेशेंट को कुछ समझ न आना
- पेशेंट का बेहोश हो जाना
आपको बता दें कि स्थिति बिगड़ते देख डॉक्टर मरीज को डिफाइब्रिलेटर की मदद से बिजली का झटका भी दे सकते हैं, जिससे दिल की धड़कन को फिर से ठीक किया जा सकता है।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, कार्डिएक अरेस्ट उन लोगों में होने की ज्यादा संभावना होती है, जिन्हें पहले हार्ट अटैक आया हो। इसके अलावा, फैमली हिस्ट्री यानी परिवार में किसी को होने पर भी इसका खतरा हो सकता है। ऐसे में ज्यादा सतर्क रहना चाहिए। दिल से जुड़ी कोई भी समस्या होने पर हार्ट एक्सपर्ट से मिलना और सलाह लेना बेहतर होगा।
कार्डएक अरेस्ट की स्थिति से बचना संभव है, बशर्ते आप अपनी सेहत का पूरा ध्यान रखें। अगर दिल संबंधी समस्या है, तो ऊपर बताए गई बातों का ध्यान जरूर रखें। कोई भी समस्या होने पर डॉक्टर से इलाज कराएं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कार्डिएक अरेस्ट की वजह से ज्यादातर लोगों की मौत घर पर ही हो जाती है। वहीं 85 प्रतिशत तक ऐसे पेशेंट भी होते हैं जो अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते हैं।अगर आप कार्डिएक अरेस्ट से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको कार्डिएक अरेस्ट से संबंधित ये आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपके मन में कोई प्रश्न हो, तो डॉक्टर से जरूर पूछें। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।
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