कान में फंगल इंफेक्शन को ऑटोमाइकोसिस (Otomycosis) कहते हैं। कान में फंगल इंफेक्शन के कारण एक या फिर दोनों ही कान प्रभावित होते हैं। कान में फंगल इंफेक्शन उन लोगों को ज्यादा होता हैं जो गर्म प्रदेश (ट्रॉपिकल क्लाइमेट) में रहते हैं। साथ ही ऐसे लोग भी कान में फंगल इंफेक्शन से ग्रस्त होते हैं जो तैराकी या फिर वॉटर स्पोर्ट्स करते हैं, या फिर डायबिटीज का शिकार है, या फिर किसी क्रोनिक मेडिकल और स्किन कंडीशन से परेशान है। कान में फंगल इंफेक्शन की समस्या को समाप्त करने के लिए कई ट्रीटमेंट दिए जा सकते हैं। कान में फंगल इंफेक्शन किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। कई बार फंगल इंफेक्शन के साथ ही बैक्टीरिया भी पनपने लगते हैं, जिसके कारण फंगल इंफेक्शन व्यक्ति को अधिक परेशान करता है। ऑटोमाइकोसिस या फिर कान में फंगल इंफेक्शन के बारे में अगर आपको जानकारी नहीं है तो ये आर्टिकल जरूर पढ़ें।
कान में फंगल इंफेक्शन (ऑटोमाइकोसिस) के क्या हैं रिस्क फैक्टर
कान में फंगल इंफेक्शन के कारण व्यक्ति को सुनने में समस्या हो सकती है। साथ ही जिन व्यक्तियों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, उन्हें कान में फंगल इंफेक्शन अन्य व्यक्तियों के मुकाबले जल्दी होता है। ट्रॉपिकल प्लेस में रहने वाले लोगों को कान में फंगल इंफेक्शन इसलिए जल्दी होता है क्योंकि फंगस पनपने के लिए गरम और नमी वाला वातावरण चाहिए होता है। कुछ रिस्क फैक्टर के कारण भी कान में फंगल इंफेक्शन की समस्या
- कान में किसी प्रकार की चोट लगने से
- क्रोनिक हेल्थ कंडीशन जैसे एक्जिमा के कारण
- डायबिटीज मिलिटस (diabetes mellitus)
- वॉटर स्पोर्ट्स या फिर स्वीमिंग के कारण
- गंदे पानी में तैराकी के कारण
- कान में इयरवैक्स की कमी होने के कारण, इयरवैक्स कम हो जाने के कारण बैक्टीरियल और फंगल ग्रोथ तेजी से होती है।
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कान में फंगल इंफेक्शन (ऑटोमाइकोसिस) के लक्षण क्या है ?
कान में फंगल इंफेक्शन के कारण सुनने में समस्या के साथ ही कान में भारीपन महसूस होता है। कान में दर्द की समस्या भी हो सकती है। कान में फंगल इंफेक्शन के कारण डिस्चार्ज भी निकलता है।
- सुनने में समस्या, जिसके कारण बहरेपन की स्थिति उपन्न हो सकती है।
- काम में हमेशा भारीपन महसूस होना
- कान के बाहरी भाग में लालपन महसूस होना
- फंगल इंफेक्शन के अधिकतर मामलों में इचिंग की समस्या उत्पन्न होना
- कान में हल्का दर्द हर पल महसूस होना
- कान भरा हुआ महसूस होना
- कान में आवाज सुनाई देना
- कान से सफेद, पीला, ग्रे, ब्लैक या फिर ग्रीन कलर का डिस्चार्ज निकलना
हो सकता है कि जिस भी व्यक्ति को कान में फंगल इंफेक्शन हुआ है, उसे एक ही कान में समस्या हो। ये भी हो सकता है कि व्यक्ति को दोनों कानों में समस्या महसूस हो रही हो। अगर आपको कान में किसी भी प्रकार की समस्या महसूस हो रही हो तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। कान में भारीपन लगने पर अपने आप ही उसे साफ करने की कोशिश बिल्कुल न करें। ऐसा करने से कान की समस्या अधिक बढ़ सकती है।
कान में फंगल इंफेक्शन क्यों होता है?
कान में फंगल इंफेक्शन फंगस के कारण होता है। फंगस की करीब 60 से ज्यादा प्रजातियां कान में फंगल इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार होती हैं। कॉमन फंगल इंफेक्शन के लिए एस्परजिलस ( Aspergillus ) और कैंडिडा ( Candida) जिम्मेदार होती हैं। कभी-कभी बैक्टीरिया के साथ ही फंगस का कॉम्बिनेशन भी हो जाता है, जो गंभीर समस्या को उत्पन्न कर सकता है। फंगस को ग्रो करने के लिए नमी और गर्म वातावरण की जरूरत होती है।
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कान में फंगल इंफेक्शन का डायग्नोसिस कैसे होता है?
कान में फंगल इंफेक्शन की समस्या को डाग्नोस करने के लिए डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना बहुत जरूरी है। डॉक्टर कान में फंगल इंफेक्शन की समस्या को चेक करने के लिए मेडिकल हिस्ट्री चेक करता है। साथ ही डॉक्टर चेकअप करने के लिए ऑटोस्कोप की सहायता से कान के अंदर चेक करता है। इयर कैनाल और इयरड्रम को चैक किया जाता है। डॉक्टर चैकअप करने के साथ ही कान से निकल रहे डिस्चार्ज का सैंपल भी लेता है। फिर डिस्चार्ज को माइक्रोस्कोप की सहायता से चेक किया जाता है। डिस्चार्ज के सैंपल की जांच के बाद ये पता लगाने में सहायता मिल जाती है कि कान में फंगल इंफेक्शन है या फिर बैक्टीरियल इंफेक्शन है। बैक्टीरियल इंफेक्शन का साथ होना ज्यादा समस्या पैदा करता है।
कान में फंगल इंफेक्शन का इलाज कैसे करें?
कान में फंगल इंफेक्शन होने पर डॉक्टर जांच के बाद जब तय कर लेता है कि ये फंगल इंफेक्शन या फिर बैक्टीरियल इंफेक्शन। डायग्नोस हो जाने के बाद डॉक्टर कान की समस्या को दूर करने के लिए इयरड्रॉप, टॉपिकल क्रीम ओरल मेडिसिन दे सकता है। जानिए साथ ही डॉक्टर कान के इंफेक्शन को दूर करने के लिए और क्या करते हैं,
कान की सफाई
कान की सफाई करने के लिए डॉक्टर सक्शन टूल का यूज करते हैं। ऐसा करने से कान में भरा हुआ डिस्चार्ज साफ हो जाता है। साथ ही मेडिकेशन भी अच्छा होता है। इसके बाद कान को साफ करके सुखाया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि फंगस की ग्रोथ को रोका जा सके। एक बात हमेशा ध्यान रखे कि कान की सफाई हमेशा डॉक्टर से ही कराएं। कान में फंगल इंफेक्शन होने पर घर में सफाई करने के बारे में बिल्कुल भी न सोचें। ऐसा करना कान के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
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कान में फंगल इंफेक्शन को दूर करने के लिए इयरड्रॉप
इयरड्रॉप और टॉपिकल एजेंट
डॉक्टर कान में फंगल इंफेक्शन को दूर करने के लिए इयरड्रॉप भी सजेस्ट कर सकते हैं। इयरड्रॉप में एंटीफंगल एजेंट होता है। रिसर्च में ये बात सामने आई है कि एक प्रतिशत क्लोट्रिमेजोल ड्रॉप में इंफेक्शन को दूर करने के गुण होते हैं। इयरड्रॉप में इकोनाजोल, माइक्रोनाजोल या एम्फोटेरिसिन के साथ ही अन्य केमिकल्स मौजूद होते हैं, जो इंफेक्शन की समस्या को दूर करने में हेल्प करते हैं। इयरड्रॉप के साथ ही टॉपिकल क्रीम का यूज भी किया जा सकता है। क्रीम को कान के बाहरी हिस्से में लगाया जाता है।
कुछ अन्य टॉपिकल मेडिसिन (Topical medications) का भी यूज किया जाता है, जैसे
- एल्यूमीनियम एसीटेट
- हाइड्रोजन पेरोक्साइड
- सैलिसिलिक एसिड
इन एजेंट का यूज करने से कान में फंगल इंफेक्शन से राहत मिलती है और साथ ही अन्य मेडिकेशन भी आसानी से प्रभावी होती हैं।
इयर ड्रॉप का सही प्रयोग कैसे करें?
इयर ड्रॉप का यूज कान के इंफेक्शन को दूर करने और कान में अधिक मात्रा में बन चुके वैक्स को हटाने के लिए किया जाता है। इयर ड्रॉप डॉक्टर के सजेशन के बाद ही खरीदना चाहिए। अगर आपको इयर ड्रॉप का सही तरह से प्रयोग करना नहीं आता है तो बेहतर होगा कि इसके बारे में जानकारी जरूर प्राप्त करें।
- कान में दवा डालने जा रहे हैं तो सबसे पहले अपने पास जरूरी चीजें रख लें। टिशू पेपर, पोछने के लिए कपड़ा और ड्रिप्स जरूर रखें।
- अब सबसे पहले अपने हाथों को सोप से साफ करें। आप चाहे तो हैंड सैनेटाइजर का भी यूज कर सकती हैं।
- अब इयर ड्रॉप को हाथ में पकड़कर हल्का गर्म करें।
- अब साफ जगह में इयर ड्रॉप की कैप को हटाकर रखें। कैप को साफ और सूखी जगह में रखें। इयर ड्रॉप को डालने से पहले चैक कर लेना चाहिए कि कहीं वो पहले से खुली या फिर चिटकी हुई तो नहीं है।
- अब ड्रॉप को डालने के लिए कान को ऊपर की ओर करें। अगर आप खुद ही ड्रॉप डाल रहे हैं तो बैठ कर या फिर खड़े हो कान को ऊपर की तरफ कर लें।
- अब ड्रॉप के बताए गए नंबर के हिसाब से ही दवा को डाले। अगर आप बच्चे के कान में दवा डाल रहे हैं तो कान को नीचे की तरफ खींच कर दवा डाल दें।
- अगर आपको किसी भी तरह की परेशानी महसूस हो रही हो तो एक बार डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। डॉक्टर से एक बार ये जरूर पूछ लें कि इयर ड्रॉप को कहां स्टोर किया जाए।
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इन बातों का रखें ध्यान
इयर ड्रॉप यूज करने से पहले कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। साथ ही डॉक्टर की सलाह भी एक बार लेनी चाहिए।
- अगर इयर ड्रॉप क्रैक है या फिर पहले से ही खुला हुआ है तो उसका उपयोग बिल्कुल न करें।
- ड्रॉपर के टिप्स को इयर, फिंगर या फिर किसी न सर्फिस से न टच कराएं। ऐसा होने पर बैक्टीरियां के साथ ही अन्य कीटाणु लगने का खतरा हो सकता है।
- इयर ड्रॉप को वार्म करने से मतलब हाथों के बीच में कुछ समय के लिए रखना होता है। गर्म पानी में इयरड्रॉप की बोतल को न रखें। हो सकता है कि ऐसा करने से इयर ड्रॉप ज्यादा गर्म हो जाए और कान में जलन होने लगे।
- इयरड्रॉप किसी के भी साथ शेयर न करें। साथ ही किसी का यूज किया हुआ इयर ड्रॉप यूज नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से बैक्टीरिया या फिर कीटाणु फैलने का खतरा हो सकता है।
ओरल मेडिकेशन
कान में फंगल इंफेक्शन से छुटकारा पाने के लिए इट्राकोनाजोल या वोरिकोनाजोल को भी इस्तेमाल किया जा सकता है। आमतौर पर अधिक गंभीर संक्रमणों के लिए इन्हें प्रयोग में लाया जा सकता है। ओरल एंटीफंगल से उन व्यक्तियों को समस्या हो सकती है, जिन्हें लिवर की समस्या हो। ओवर द काउंटर पेन रिलिवर्स जैसे कि एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन का भी यूज कान के फंगल इंफेक्शन से बचने के लिए किया जा सकता है।
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कर सकते हैं घरेलू उपाय
कान की समस्या से बचने के लिए घरेलू उपाय भी अपनाएं जा सकते हैं। कुछ घरेलू उपाय को अपना कर कान की समस्या से बचा जा सकता है। डाल्यूट हाइड्रोजन पैरॉक्साइड की हेल्प से फंगल इंफेक्शन से बचा जा सकता है। ओवर-द-काउंटर मेडिसिन की हेल्प भी ली जा सकती है। ओवर द काउंटर दवाओं में कर्बामाइड परऑक्साइड होता है, जिसकी हेल्प से कान का वैक्स साफ हो जाता है। स्वीमिंग के बाद इयर ड्रॉप सॉल्यूशन का यूज जरूर करना चाहिए।
सॉल्यूशन बनाने के लिए बराबर मात्रा में वाइट विनेगर और एल्कोहॉल को मिलाना चाहिए। स्वीमिंग करते समय स्विम कैप जरूर पहनना चाहिए। आप चाहे तो कान के गीलेपन को सुखाने के लिए हेयर ड्रायर का भी यूज कर सकते हैं। लेकिन हेयर ड्रायर का यूज कान से दूर ही करें, उसे पास में लाने की गलती न करें। हेयर ड्रायर को लोएस्ट सेटिंग में लगा कर रखे। फिर दूर से ही गर्म हवा को कान के अंदर जाने दें।
इयर में फंगल इंफेक्शन के कॉम्प्लिकेशन क्या हैं?
इयर में फंगल इंफेक्शन के कारण कुछ जटिलताएं भी पैदा हो सकती है।अगर इंफेक्शन की समस्या बहुत पहले से है तो ये क्रॉनिकन कंडीशन भी बन सकती है। हो सकता है कि ट्रीटमेंट के दौरान दवाइयों का कोई असर न हो। अगर कोई व्यक्ति लगातार गंदे पानी का प्रयोग कर रहा है तो समस्या अधिक बढ़ सकती है। ऑटोमाइकोसिस के कारण इयरड्रम और कान का बाहरी क्षेत्र भी प्रभावित हो सकता है। कान में इंफेक्शन के कारण इयरड्रम में छेद भी हो सकता है। ज्यादातक कान के इंफेक्शन के मामलों में ओरल एंटीफंगल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है। साथ ही सर्जिकल मैनेजमेंट की भी जरूरत पड़ सकती है।
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कैसे करें इंफेक्शन की समस्या से बचाव?
कान के फंगल इंफेक्शन से बचने के लिए कुछ बातों को ध्यान रखना जरूरी होता है।
- कान में हमेशा वैक्स को साफ न करते रहे। हो सकता है कि आपको जानकारी न है लेकिन वैक्स में एंटीफंगल गुण होते हैं।
- नहाने और तैराकी करने के बाद कान को अच्छी तरह से सुखाना जरूरी होता है।
- आप चाहे तो स्वीमिंग के समय इयर प्लग का यूज कर सकते हैं। ऐसा करने से पानी कान के अंदर नहीं जाएगा।
- कान का सुखाने के लिए हेयरड्रायर का यूज भी किया जा सकता है, लेकिन सावधानी रखना बहुत जरूरी है।
- कान को हमेशा साफ न करते रहे। कुछ लोगों की आदत होती है कि कान को हमेशा साफ करते रहते हैं, जिसके कारण कान की स्किन में स्क्रैच आ सकते हैं। साथ ही फंगस को भी बढ़ावा मिल सकता है।
- कान में कॉटन स्वाब्स (cotton swabs) न डालें।
इयर फंगल इंफेक्शन से छुटकारा पाने के लिए सावधानी रखना बहुत जरूरी है। अगर कान में दर्द की समस्या या फिर डिस्चार्ज की समस्या शुरू हो गई हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगर डायबिटीज की समस्या है तो भी कान का चेकअप करा सकते हैं। साथ ही स्वीमिंग के दौरान सावधानी रखना बहुत जरूरी होता है। बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी प्रकार का इलाज न खुद न करें।