समय रहते मिर्गी का उपचार (Epilepsy Treatment) कराना बेहद जरूरी होता है। मेडिकल साइंस में मिर्गी के दौरे को न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर कहा जाता है जो कि एक तरह की दिमाग से जुड़ी बीमारी है। भारत समेत अन्य विकासशील देशों के साथ-साथ विकसित देशों में भी मिर्गी के दौरे से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। मिर्गी की बीमारी होने पर व्यक्ति को अचानक दौरे पड़ने लगते हैं और वो उस दौरान अपना दिमागी संतुलन खो बैठता है। मिर्गी का दौरा आने पर रोगी का शरीर कांपने लगता है और हाथ-पैर भी अकड़ने लगते हैं। इसके अलावा दौरा पड़ने पर कुछ लोगों के मुंह से झाग भी निकलता है।
अगर आप मिर्गी क्या है और इसके लक्षण और उपचार के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो आप हमारा ये आर्टिकल पढ़ सकते हैं।
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इसके अलावा, अगर कभी किसी व्यक्ति में आपको मिर्गी के लक्षण दिखाई दें या आपके आस-पास मौजूद किसी भी शख्स को मिर्गी का दौरा आता है, तो आपको ऐसी स्थिति में मिर्गी का उपचार कैसे करना चाहिए इसके बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बताने वाले हैं। इसकी मदद से आप उस शख्स में प्राथमिक उपचार (फर्स्ट एड) के तौर पर मिर्गी का उपचार कर सकते हैं।
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कैसे करें मिर्गी का उपचार (Epilepsy Treatment)?
- डॉक्टर के मुताबिक किसी भी उम्र के पुरुष, महिला या बच्चों में मिर्गी का दौरा आने पर उसे पकड़े नहीं।
- मिर्गी का दौरा पड़ने पर उसके शरीर में होने वाली हरकतों को वैसे ही होने दें।
- ध्यान रखें कि, वो शख्स जिस भी स्थान पर गिरा हुआ है, उसके आस-पास सभी खतरनाक वस्तुओं, जिससे व्यक्ति को चोट लग सकती है, उन सभी वस्तुओं को वहां से हटा दें।
- व्यक्ति के गले में अगर टाई है, तो उसे हटा दें ताकि उसे सांस लेने में किसी तरह की कोई तकलीफ न हो।
- कुछ मामलों में मिर्गी का दौरा पड़ने पर व्यक्ति का जीभ बाहर निकल जाता है, उसे अंदर करने की कोशिश न करें।
- जैसे ही आपको व्यक्ति में मिर्गी के दौरे के लक्षण दिखाई दें, तुरंत समय नोट करें और अगर यह 30 सेकेंड से 3 मिनट के अंदर बंद नहीं होता है, तो तुरंत आपातकालीन चिकित्सा की सहायता के लिए फोन करें या किसी नजदीकी अस्पताल से संपर्क करें।
- मिर्गी का दौरा पड़ने पर व्यक्ति को कुछ भी खिलाने-पिलाने की कोशिश न करें।
- मिर्गी के दौरे को लेकर लोगों में कई तरह की अफवाहें और भ्रांतियां फैली हुई हैं, जैसे- गंदे मोजे-जूते सुंघाना, दातों के बीच में किसी तरह का टुकड़ा फसाना या पीठ पर जोर-जोर से मारना, ऐसा बिलकुल भी न करें। इस तरह की हरकतों से व्यक्ति के लिए मिर्गी का दौरा अधिक जोखिम भरा हो सकता है और उसकी स्थिति अधिक गंभीर हो सकती है।
- प्राथमिक तौर पर मिर्गी का उपचार करने के लिए व्यक्ति के सिर के नीचे मुलायम और गद्देदार तकिया रखें।
- उसे किसी समतल स्थान पर लेटाएं।
- आमतौर पर मिर्गी का दौरा दो से तीन मिनट में अपने आप बंद भी हो जाता है। इसके बाद होश में आने के बाद जब तब व्यक्ति सामान्य नहीं हो जाता है, तब तक उसे कुछ भी खाने या पीने के लिए न दें।
- मिर्गी का दौरा पड़ने के दौरान या दौरा रुकने के बाद व्यक्ति को किसी भी तरह की दवाएं या खाद्य पदार्थ खाने के लिए न दें।
- खुद शांत रहें और आस-पास मौजूद लोगों को भी शांत कराएं। ध्यान रखें कि, लोगों की भीड़ भी न जमा हो। मिर्गी के दौरे के बाद होश में आने के पर आस-पास लोगों की भीड़ देखकर व्यक्ति अत्यधिक घबरा सकता है।
- मिर्गी का दौरा व्यक्ति को चाहे पहली बार आया हो या इससे अधिक बार यह स्थिति पुरानी हो, हर बार अपने डॉक्टर को इसकी जानकारी देना और उचित उपचार लेना भी बहुत जरूरी होता है।
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साथ ही मिर्गी के दौरे से जुड़े कई तरह के मिथक और भ्रांतियां लोगों के बीच फैली हुई हैं। जिन्हें विस्तार से जानना आपके लिए बेहद जरूरी हो सकता है। अगर आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य या किसी करीबी व्यक्ति को मिर्गी के दौरे आते हैं, तो आप हमारा ये आर्टिकल पढ़ सकते हैं और उन्हें भी इसकी जानकारी शेयर कर सकते हैं।
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मिर्गी का उपचार करने और लोगों के बीच मिर्गी (Epilepsy) की समस्या से जुड़ी बातों को पहुंचाने के लिए भारत में हर साल 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस (National Epilepsy Day) मनाया जाता है। इस दिन लोगों को मिर्गी का दौरा क्या है, मिर्गी क्यों आती है, मिर्गी के कारण क्या है जैसे तमाम सवालों के प्रति जागरुक किया जाता है। इसके अलावा हर साल फरवरी के महीने के दूसरे सप्ताह में पड़ने वाले सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस भी मनाया जाता है।
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जानिए भारत में मिर्गी के मरीजों का आंकड़ा
मौजूदा समय में भारत में मिर्गी की बीमारी से पीड़ित करीब सवा करोड़ लोग मिर्गी का उपचार करा रहे हैं और हर 10 में 1 व्यक्ति अपने पूरे जीवनकाल में कभी न कभी मिर्गी के दौरे का शिकार होता है। विशेषज्ञों की मानें तो मिर्गी का उपचार सफल न होने के पीछे इसके पीछे फैली भ्रांतियां ही इसका सबसे बड़ा कारण हैं जो मिर्गी के मरीजों में मौत का आंकड़ा भी बढ़ा सकती हैं।
समझें मिर्गी के प्रकार (Types of Epilepsy)
विशेषज्ञों के मुताबिक, मिर्गी का रोग दो तरह का हो सकता है पहला आंशिक (Partial) और दूसरा पूर्ण (Generalized)। आंशिक मिर्गी तब होती है, जब मस्तिष्क का सिर्फ एक ही भाग अधिक प्रभावित होता है, जबकि पूर्ण मिर्गी मस्तिष्क के दोनों भागों के प्रभावित होने के कारण हो सकता है। हालांकि, अलग-अलग लोगों में मिर्गी के दौरे के लक्षण और मिर्गी का उपचार कैसा होना चाहिए, इसकी प्रक्रिया अलग-अलग हो सकती है।
कुछ अध्ययनों में इसका भी दावा किया गया है कि सुअरों की आंतों में पाए जाने वाले टेपवर्म के संक्रमण के कारण भी किसी व्यक्ति में मिर्गी का खतरा पनप सकता है। किसी कारणवश अगर टेपवर्म का ‘सिस्ट‘ ब्रेन में पहुंच जाए तो वह मस्तिष्क के कार्यों को प्रभावित कर सकता है, जो मिर्गी का कारण भी बन सकता है।
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मिर्गी का उपचार कब कराना चाहिए या मुझे किन स्थितियों में डॉक्टर से तत्काल संपर्क करना चाहिए?
दौरा पड़ने के लगभग 3 मिनट तक व्यक्ति पूरी तरह से सामान्य हो जाता है। हालांकि, कुछ स्थितियों में इसके लिए गंभीर नहीं होना चाहिए, लेकिन निम्नलिखित स्थितियों में डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी हो सकता हैः
- अगर दौरा पहली बार आया हो
- दौरे की अवधि पांच मिनट से अधिक हो
- दौरे के अलावा, अगर व्यक्ति को दिल की बीमारी या कोई गंभीर बीमारी हो
- अगर दौरा किसी गर्भवती महिला को आया हो
- दौरा पड़ने के कुछ ही समय बाद दूसरी बार दौरा आया हो
- अगर आपको दौरे के कारणों का पता न हो
- दौरा रुकने के बाद भी होश में न आने पर
- दौरा रुकने के बाद भी सांस लेने में तकलीफ होने पर।
डॉक्टर्स के मुताबिक, मिर्गी का उपचार किया जा सकता है। हालांकि, इसके लक्षणों को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है, लेकिन उचित प्रक्रिया और देखभाल से मिर्गी का उपचार सफल हो सकता है। मिर्गी के रोगियों को हमेशा एक न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए। मिर्गी का उपचार लंबे समय तक चल सकता है और मिर्गी का उपचार होने की अवधि में भी व्यक्ति को मिर्गी के दौरे पड़ सकते हैं। इसलिए, मिर्गी का उपचार कराते समय व्यक्ति को धैर्य बनाए रखने की जरूरत हो सकती है।
अगर किसी व्यक्ति, महिला या बच्चे में मिर्गी के लक्षण हैं, तो घर से बाहर जाते समय उसे अपने साथ अपना एक परिचय कार्ड जरूर लेकर जाना चाहिए। खासकर इस बात का ध्यान तब अधिक रखें जब आप अकेले घर से कहीं बाहर जा रहे हों। अपने परिचय कार्ड में अपना नाम, पता, स्वास्थ्य की स्थिति, घर के सदस्यों से संपर्क करने के लिए कोई संपर्क नंबर, डॉक्टर द्वारा निर्देिश किए गए दवा और उसकी खुराक की मात्रा की पूरी जानकारी भी लिखें।
कोशिश करें कि मिर्गी के लक्षणों से पीड़ित व्यक्ति अकेले कोई वाहन न चलाएं।
सामान्य तौर पर मिर्गी का उपचार तीन से पांच साल तक चल सकता है। हालांकि, अगर मिर्गी के लक्षण गंभीर होंगे, तो मिर्गी का उपचार अधिक लंबे समय तक भी जारी रखना पड़ सकता है।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको मिर्गी का उपचार या इससे जुड़ी किसी भी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।