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जुकाम होने पर किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए?
- एक ही तापमान में रहें, जैसे बार-बार गर्म से ठंडे या ठंडे ले गर्म वातारवरण में न जाएं
- ठंडी चीजों का सेवन न करें, जैसे आईसक्रीम या कोल्डड्रिंक्स
- एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल न करें
- खांसी या छींक आने पर हाथ मुंह के ऊपर न रखें।
- खांसी या छींक आने पर मुंह पर साफ कपड़े का इस्तेमाल करें।
फ्लू या मौसमी फ्लू (इंफ्लुएंजा) क्या है?
इन्फ्लुएंजा या फ्लू को मौसमी फ्लू भी कहा जाता है। क्योंकि, इसके वायरस साल के किसी भी समय आपको प्रभावित कर सकते हैं और यही जुकाम और फ्लू में अंतर का सबसे बड़ा कारण भी है। फ्लू पतझड़ के मौसम से शुरू होकर वसंत ऋतु तक चलता है। लेकिन, इसका जोखिम सर्दियों में सबसे ज्यादा बढ़ जाता है। जिसकी वजह से इसे मौसमी बीमारी भी कहा जाता है। देखा जाए तो, सर्दियों में इम्यून सिस्टम बहुत जल्दी कमजोर हो जाता है। जिसके कारण व्यक्ति किसी भी संक्रमण के चपेट में जल्दी आ सकते हैं।
फ्लू (Flu) क्यों होता है?
मौसमी फ्लू इन्फ्लुएंजा ए, बी और सी वायरस के कारण होता है। इसमें इंफ्लुएंजा ए और बी सबसे आम प्रकार हैं। फ्लू के वायरस व्यक्ति में बहुत तेजी से विकसित होते हैं। इसके होने पर तेज बुखार, बहती नाक, सिर और जोड़ों में दर्द होना और बहुत ज्यादा थकान महसूस होने लगता है।
जुकाम और फ्लू में अंतर बुखार के तापमान से भी लगाया जा सकता है। फ्लू के कारण होने वाला बुखार लगभग 100 डिग्री से लेकर 104 डिग्री तक हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगंठन के आंकड़ों की माने, तो दुनिया भर में H1N1 सहित तमाम फ्लू के कारण लगभग 30 से 50 लाख लोग फ्लू की चपेट में आते हैं। जिसमें से हर साल 2.90 से 6.50 लाख लोगों की मौत भी हो जाती है।