वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की माने तो हर साल प्राकृतिक आपदाओं में लगभग 90,000 लोग मारे जाते हैं और करीबन 16 करोड़ लोग इससे प्रभावित होते हैं। भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन, तूफान, बाढ़, जंगल की आग, सूखा पड़ना आदि प्राकृतिक आपदाएं शामिल हैं। इनका मानव जीवन पर तत्काल प्रभाव पड़ता है और अक्सर प्रभावित लोगों के फिजिकल, बायोलॉजिकल और सोशल एन्वॉयरन्मेंट का विनाश होता है, जिससे उनके स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है। प्राकृतिक आपदा में स्वास्थ्य किस तरह प्रभावित होता है। जानते हैं “हैलो स्वास्थ्य’ के इस आर्टिकल में कि प्राकृतिक आपदा में स्वास्थ्य स्थिति क्या होती है और नेचुरल डिजास्टर के बाद हेल्थ प्रॉब्लम्स से निपटने के लिए क्या करें।
प्राकृतिक आपदा में स्वास्थ्य : ट्रामा और इंजरी
प्राकृतिक आपदाएं कॉम्पलिकेटेड इवेंट्स हैं जिसकी वजह से लोग गंभीर जोखिमों और खतरों का शिकार हो जाते हैं। हर नेचुरल डिजास्टर का प्रभाव लोगों पर अलग तरीके से होता है। पीड़ितों और रेस्क्यू टीम को असामान्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर, कुछ आपदाओं (जैसे- अर्थक्वेक, सुनामी) से लोगों को इंजरी का खतरा दूसरी प्राकृतिक आपदाओं (सूखा पड़ना) की तुलना में अधिक होता है।
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नेचुरल डिजास्टर के बाद मानसिक स्वास्थ्य
आपदा की स्थिति से गुजरने और उससे हुए नुकसान के कारण व्यक्ति में सेफ्टी को लेकर एंग्जायटी, अवसाद (depression) और स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता है जो मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करता है। अपनों को खोने का दुःख, बाधित दैनिक दिनचर्या, साथ ही साथ अव्यवस्था और भ्रम की स्थिति भी व्यक्ति के तनाव का कारण बन सकती है। नतीजन, कई तरह की मानसिक और शारीरिक बीमारियां जन्म ले सकती हैं। ज्यादातर लोग पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (Post-traumatic stress disorder) की समस्या से जूझते हैं। PTSD एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है जो कुछ लोगों में किसी हिंसक या लाइफ थ्रेटनिंग घटना का अनुभव करने के बाद विकसित होती है, जैसे कि एक कार एक्सीडेंट, सेक्सुअल असॉल्ट (sexual assault) और यहां तक कि प्राकृतिक आपदाएं।
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नेचुरल डिजास्टर के बाद स्वास्थ्य : संचारी रोग बढ़ते हैं
प्राकृतिक आपदा के बाद, महामारी के प्रकोप का खतरा अधिक हो जाता है:
- आपदा के बाद फ्रेश फूड की कमी, कुपोषण की वजह से प्रभावित क्षेत्र में लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को कमजोर करता है।
- पीने के साफ पानी तक सीमित पहुंच और हाइजीन की कमी से संक्रमण और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं (दस्त, हेपेटाइटिस, और विभिन्न अन्य जीवाणु रोग) का खतरा दूषित पानी के सीधे संपर्क से फैल सकता है।
- इमरजेंसी कैम्प्स में भीड़ की स्थिति और खराब हाइजीन स्तर से संक्रामक रोगों के फैलने की संभावना रहती है।
- प्रभावित क्षेत्र में अस्पतालों, स्वास्थ्य सुविधाओं, चिकित्सा उपकरणों और दवाओं के नुकसान के चलते पर्याप्त लोगों को पर्याप्त हेल्थ सुविधाएं नहीं मिल पाती है।
- ये सारी चीजें प्राकृतिक आपदा में स्वास्थ्य को और भी प्रभावित करती हैं। साथ ही ये सभी कारक नेचुरल डिजास्टर के बाद संचारी रोगों (communicable diseases) के फैलने में योगदान देते हैं।
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प्राकृतिक आपदाओं के बाद सेफ्टी रिस्क
प्राकृतिक आपदा में स्वास्थ्य को जितना नुकसान पहुंचता है, नेचुरल डिजास्टर के बाद भी उनकी हेल्थ कंडीशन कोई बेहतर नहीं रहती है। जब लोग किसी आपदा के बाद घर लौटते हैं, तो उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य, घर में अनहेल्दी लिविंग कंडीशंस की वजह से जोखिम में रहता है। टूटी हुई गैस लाइन और बैक्टीरिया युक्त जल भराव, इंफेक्शन जैसे कई रिस्क फैक्टर्स गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। यहां तक परिवहन यानि ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क में बाधा उत्पन्न होने के कारण आपातकालीन वाहन सही समय पर पहुँच नहीं पाते हैं। इसके साथ ही दवा, खाद्द पदार्थ, बाहरी जरूरत की चीजें और जरूरी रिकंस्ट्रक्शन सप्लाई में देरी या बाधा आती है।
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प्राकृतिक आपदाओं के बाद स्वास्थ्य जोखिम के कारण
नेचुरल डिजास्टर के बाद जब लोग टूटे घरों और अनहेल्दी लिविंग कंडीशन में रहते हैं तो आपदा के बाद बीमारियां आमतौर पर व्यक्ति को घेर लेती हैं। डैमेज्ड घर में रहने के कुछ खतरे साफ दिखाई देते हैं जैसे टूटे हुए कांच, लटके हुए तार आदि। हालांकि, इनसे लोग आसानी से बच सकते हैं लेकिन दीवारों के पीछे मोल्ड ग्रोथ (फंगल ग्रोथ), क्षतिग्रस्त स्ट्रक्चरल मटेरियल यानी मलबे से निकलने वाले विषाक्त पदार्थों आदि से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। स्वास्थ्य पर प्राकृतिक आपदाओं का नकारात्मक प्रभाव निम्न कारणों से पड़ सकता है:
- बिल्डिंग का गिरता हुआ मटेरियल, खुले हुए केबल और बिजली के तार, टूटी हुई गैस लाइनें, टूटे हुए कांच और टूटे हुए वुडवर्क आदि से व्यक्ति को गंभीर चोटें या बिजली के झटके लग सकते हैं। यहां तक कि कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता (carbon monoxide poisoning) भी हो सकती है।
- बाढ़ का पानी और स्थिर पानी – बाढ़ का पानी अक्सर सीवेज और केमिकल्स से दूषित होता है जिसमें कई हानिकारक विषाक्त पदार्थ होते हैं। यदि यह किसी घरेलू सामान और सामग्री के संपर्क में आया है, तो यह उन्हें भी दूषित करेगा। इसलिए, इन सामानों या जगह के कीटाणुरहित होने से पहले उन्हें छूने या उनका उपयोग करने से त्वचा में संक्रमण, पेट की समस्या और कंजंक्टिवाइटिस (conjunctivitis) जैसी हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती है। यदि घर में या उसके आस-पास पानी भरा हुआ है, तो इसमें बैक्टीरिया हो सकते हैं जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं और कई तरह के संक्रमणों का कारण बन सकता है।
- मोल्ड ग्रोथ – पर्याप्त कार्बनिक भोजन और प्रचुर मात्रा में नमी की वजह से फंगल ग्रोथ 48 घंटों के अंदर शुरू हो सकती है। यह बाढ़ और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बाद नम वातावरण में बहुत तेजी से फैलकर घर को प्रभावित करेगा। हानिकारक सूक्ष्मजीव घर में रहने वालों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। मोल्ड विभिन्न प्रकार के एलर्जी के लक्षणों और अन्य गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों, जैसे कि सिरदर्द, चक्कर आना, आंखों में जलन, रेस्पिरेटरी समस्याओं (respiratory problems), और साइनस इंफेक्शन को ट्रिगर कर सकता है। यह अस्थमा या क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (chronic obstructive pulmonary disease) जैसी स्थितियों को भी बढ़ा सकता है।
- एन्वॉयरन्मेंटल टॉक्सिन्स (environmental toxins) – लेड और एस्बेस्टस (asbestos) जैसे पदार्थ कई तरह के कन्स्ट्रक्शनल मटेरियल में मौजूद होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माने जाते हैं। तूफान, भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से फर्श, दीवारों, इन्सुलेशन, साइडिंग और अन्य संरचनात्मक स्ट्रक्चरल एलिमेंट्स को काफी नुकसान हो सकता है। नतीजतन, लेड और एस्बेस्टस फाइबर्स निकलकर हवा को दूषित कर सकते हैं। ऐसे माहौल में सांस लेने से ये छोटे-छोटे खतरनाक पदार्थ श्वसन संबंधी समस्याओं और लंबे समय तक चलने वाली हेल्थ प्रॉब्लम्स का कारण बन सकते हैं।
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प्राकृतिक आपदाओं के बाद स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने के लिए टिप्स
एक नेचुरल डिजास्टर के बाद व्यक्तिगत चोटों और स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए, सुनिश्चित करें कि आप:
- जब तक लोकल अथॉरिटीज जगह की सेफ्टी को लेकर कुछ डिक्लेयर न करें तक घर वापस न जाएं।
अगर आपको गैस से बदबू आती है तो अपने घर में प्रवेश न करें। सभी दरवाजे और खिड़कियां खोलें और
- तुरंत गैस कंपनी को फोन करें।
- किसी आपदा के बाद सफाई करते समय सेफ्टी गियर पहनें जैसे वाटरप्रूफ जूते, रबर के ग्लव्स, फेस मास्क, आदि।
- जब आप घर में एंट्री करें तो टॉर्च ले जाएं – माचिस, कैंडल या लाइटर का उपयोग न करें। यदि कोई गैस रिसाव हुआ है, तो स्पार्क से आग लग सकती है।
- किसी भी खुले हुए बिजली के तारों को न छूएं।
- घरेलू उपकरणों और बिजली के उपकरणों का उपयोग करने से पहले उनकी सर्विस और स्वच्छता की जांच कर लें।
- हीटिंग और कूलिंग सिस्टम को भी सावधानीपूर्वक निरीक्षण किया जाना चाहिए और उनको इस्तेमाल में लाए जाने से पहले साफ किया जाना चाहिए।
- घर में प्रॉपर वेंटिलेशन के लिए दरवाजे और खिड़कियां खोलें और हवा से नमी को दूर करने के लिए कमरों में पंखे और डीह्यूमिडिफायर चलाएं।
- सुरक्षित और उचित तरीके से मलबे और कचरे को हटा दें।
- घर की साफ-सफाई के लिए क्लीनर और गर्म पानी का इस्तेमाल करें। बेहतर कीटाणुशोधन के लिए क्लोरीन ब्लीच और पानी के घोल का उपयोग करें (कभी भी ब्लीच और अमोनिया न मिलाएं क्योंकि इनसे जहरीले तत्व निकलते हैं)।
- उपयोग करने से पहले सभी घरेलू सामानों कीटाणुरहित करें।
- घर में जमे मोल्ड को साफ करने के लिए किसी एक्सपर्ट की मदद लें।
- उन खाद्य और पेय पदार्थों को फेंक दें जो बाढ़ के पानी के संपर्क में आए हैं।
- पीने के पानी को उबालकर इस्तेमाल करें।
- बच्चों और पालतू जानवरों को स्थिर पानी और घर के उन क्षेत्रों से दूर रखें जिन्हें अभी तक साफ नहीं किया गया है।
- वेक्टर जनित बीमारियों से बचने के लिए कीट प्रतिकारक (insect repellents) का उपयोग करें।
आपदा से संबंधित बीमारियों को रोकने के लिए, आपको अपने घर को जल्दी से जल्दी साफ और सुरक्षित करना होगा। इसके लिए अनुभवी डिजास्टर रेस्टोरेशन स्पेशलिस्ट्स (disaster restoration specialists) और वाटर डैमेज रेस्टोरेशन से परामर्श करना सबसे सही रहेगा।
हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।
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