अल्ट्रासाउंड और लेजर थेरिपी को अक्सर इलेक्ट्रो थेरिपी या इलेक्ट्रो फिजिकल एजेंट की श्रेणी के साथ वर्गीकृत किया जाता है। अल्ट्रासाउंड के साथ इसका इस्तेमाल ध्वनि तरंगों के जरिए प्रभावित क्षेत्र में हीलिंग प्रक्रिया को तेज करने के लिए निर्देशित किया जाता है। लेजर थेरिपी में टिश्यू हील और गहन उपचार प्रदान करता है।
कितनी सुरक्षित है इलेक्ट्रो थेरिपी (Electrotherapy)?
दर्द से राहत के लिए इलेक्ट्रो थेरिपी एक नॉन-इनवेसिव विधि है। यूएस एफडीए से मंजूर इस थेरिपी के कई फायदे हैं। यह दर्द से राहत दिलाती है। इसके अलावा यह मसल्स को टाइट करती है। कमर और गर्दन दर्द के लिए भी इसे फायदेमंद माना जाता है। माइग्रेन के दर्द से भी यह निजात दिलाती है। खास बात यह है इसमें शरीर के अंदर कुछ प्रवेश नहीं करता है। न ही इसे करते समय किसी तरह का दर्द होता है। इसके उपकरण पोर्टेबल होते हैं जिन्हें घर के साथ-साथ कार्यालय में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। करंट रूमेटोलॉजी (Current Rheumatology) में छपे एक शोध के अनुसार, 30 मिनट रोजाना इस थेरिपी को 10 दिन तक करने से एक्यूट और पोस्ट-ओपरेटिव दर्द में आराम पाया गया।
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इलेक्ट्रो थेरिपी (Electrotherapy) के क्या साइड-इफेक्ट्स हैं?
इलेक्ट्रो थेरिपी से होने वाला सबसे आम साइड इफेक्ट है स्किन इरिटेशन और रैशेज, जो इलेक्ट्रोड पर लगी टेप के चिपकने के कारण होता है। इस थेरिपी का अत्यधिक इस्तेमाल करने से त्वचा में जलन महसूस हो सकती है। इस थेरिपी से होने वाले किसी भी साइड इफेक्ट्स से बचने के लिए चिकित्सा की अवधि और इससे जुड़े दिशा निर्देशों का बारीकी से पालन करना चाहिए।