श्री गणेशाय नमः ….हिंदू धर्म के अनुसार किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के सबसे पहले विघ्नहर्ता गणपति की आराधना की जाती है। महाराष्ट्र में गणेश पूजा का विशेष महत्व है और यहां गणेश चतुर्थी के मौके पर 10 दिनों का भव्य आयोजन किया जाता है। इस साल गणपति बाप्पा का आगमन 22 सितंबर 2020 को है। हालांकि इस साल कोरोना वायरस के कारण जगह-जगह बनने वाले पंडालों में भीड़ इक्कठा होने की मनाही है। लेकिन, आप अपने घर में गणेश चतुर्थी का त्योहार मना सकते हैं।
बदलते वक्त के साथ-साथ लोग अब गणेश चतुर्थी के त्योहार के मौके पर भी पर्यावरण का ख्याल रखने लगे हैं। बाप्पा की मूर्ति भी इकोफ्रेंडली बनने लगी है और अब प्लांटेबल गणपति भी घर-घर में विराजमान होने लगे हैं। बाप्पा के भक्त पर्यावरण का ख्याल रखते हुए इस उत्सव को मनाने का एक सराहनीय प्रयास भी कर रहे हैं। पर्यावरण और स्वच्छता के साथ-साथ हम इस त्योहार में अपनी सेहत का भी ख्याल रख सकते हैं। आइए जानते हैं कि कैसे इन निम्नलिखित पहलुओं को ध्यान में रखकर इस त्योहार को और भी आनंदमय बना सकते हैं।
इस गणेश चतुर्थी पर्यावरण और अपने स्वास्थ्य के लिए करें ये उपाय:-
1. प्लांटेबल गणपति की करें स्थापना:
प्लांटेबल गणपति को प्लांटेबल सीड गणपति के नाम से भी जाना जाता है। प्लांटेबल गणपति के निर्माण में मिट्टी, गाय का गोबर और बीज को मिलाकर गणपति बाप्पा की मूर्ति तैयार की जाती है। आप प्लांटेबल गणपति घर पर भी बना सकते हैं या खरीद भी सकते हैं। प्लांटेबल गणपति की आप अपनी इच्छा अनुसार एक, ढ़ाई, तीन, पांच, सात या दस दिनों तक पूजा करने के बाद मूर्ति को अपने घर के गमले (फ्लावर पॉट) या गार्डन एरिया में भी रख सकते हैं। प्लांटेबल गणपति में प्रायः तुलसी का बीज होती है, जिससे कुछ ही दिनों में तुलसी का पौधा उग जाता है। तुलसी का पौधा स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए लाभकारी होता है।
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2. ईको-फ्रेंडली सजावट या उसका पुन: उपयोग
गणेश उत्सव में ऐसी सजावट का इस्तेमाल करें, जिसका आप हर बार इस्तेमाल कर सकें। आर्टिफीशियल चीजों का इस्तेमाल सजवाट के लिए बार-बार किया जा सकता है। वहीं कुछ लोग असली फूलों और पत्तों से भी सजावट करते हैं। जिसका उपयोग बाद में पौधों के खाद के रूप में किया जाता है, जो पर्यावरण के लिए कफी अच्छा होता है। आप ‘बेस्ट फ्रॉम वेस्ट’ फार्मूला का उपयोग करके ईको-फ्रेंडली सजावट कर पर्यावरण के नुकसान को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
3. ईको फ्रेंडली गणेश मूर्ति
पिछले कुछ सालों से ईको-फ्रेंडली गणेश मूर्ति का ट्रेंड चल रहा हैं। इन्हें पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए बनाया जाता है। वैसे देखा जाए तो प्लांटेबल गणपति, इकोफ्रेंडली गणपति के साथ-साथ हार्ड पेपर से बनी गणेश मूर्तियां भी मार्केट में उपलब्ध हैं, जो पर्यावरण के लिहाज से और भी बेहतर हैं। कुछ लोग घर पर मिट्टी की गणेश मूर्ति बनाते हैं, जिसका विसर्जन करने पर कोई भी नुकसान नहीं होता है।
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4. ध्वनि प्रदूषण न करें
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि तेज आवाज का सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और डॉक्टर्स के मुताबिक तेज ध्वनि प्रदूषण ब्लड प्रेशर और हार्ट के मरीजों के लिए खतरनाक भी है। इसीलिए कई राज्यों में सरकार ने नॉइज पॉल्यूशन एक्ट के तेहत रात 10 बजे के बाद बड़े स्पीकर्स पर पाबंदी लगा दी है। इसलिए ध्वनि प्रदूषण न करें और अपने साथ-साथ दूसरों की भी सेहत का ख्याल रखें।
5. मिठाई की जगह फलों का प्रसाद
गणेशोत्सव के दिनों में मिठाई की मांग ज्यादा होती है। लेकिन, दुकान की रेडीमेड मिठाई में जमकर मिलावट के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में इसे प्रसाद के रूप खाना और खिलाना सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इसलिए इसका सबसे अच्छा विकल्प है कि आप मिठाई कि जगह फलों को प्रसाद के रूप में बांटे या इस दौरान अगर आप किसी के घर जाते हैं तो फल लेते जाएं। फल स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।
6. प्लास्टिक का उपयोग न करें
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मुंबई में ईको-फ्रेंडली गणेश उत्सव
गणेश चतुर्थी के अवसर पर हैलो स्वास्थ्य की टीम मुंबई में ईको-फ्रेंडली गणेश उत्सव के बारे में जानने निकली। यहां टीम ने कोपरखैरणे, नवी मुंबई की वरदविनायक हाउसिंग सोसाइटी से बातचीत की, जो हर साल यह प्रयास कर रही है कि 100 प्रतिशत ईको-फ्रेंडली गणेशोत्सव मनाएं। आइए जानते हैं, किस तरह यह सोसायटी ईको-फ्रेंडली गणेश उत्सव मनाती है।
ईकाे-फ्रेंडली सजावट
इस सोसाइटी में सजावट के हर सामान को सोसायटी के लोग घर पर ही बनाते हैं। सोसाइटी के अध्यक्ष अशोक शेलार कहते हैं, ‘ हम गणेशोत्सव शुरू होने के दो हफ्ते पहले से ही इसकी तैयारी शुरू करते हैं। जहां हम योजना बनाते हैं, कि हर घर से उस सामान को लाया जाए जिसे सजवाट आदि काम के लिए उपयोग किया जा सके। इससे खर्चा कम होने के साथ-साथ गैर जरूरी चीजें खरीदने से बच जाते हैं। इसके साथ ही प्रसाद के रूप में घर से बनें मिठे खाद्य पदार्थ या फलों का उपयोग करते हैं, यह नियम लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। हम स्पीकर्स का उपयोग नहीं करते जिससे ध्वनि प्रदुषण नहीं होता और इस तरह सोसाइटी में शांति बनी रहती है।’
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पर्यावरण के साथ स्वास्थ्य का भी ध्यान
अशोक शेलार आगे कहते हैं, “हम कम से कम प्लास्टिक और ज्यादा से ज्यादा लकड़ी और पेपर का उपयोग करते हैं। इसी के साथ गणेशोत्सव के लिए जमा किया गया कलेक्शन का कुछ हिस्सा हम आपदा प्रभावित लोगों को दान करते हैं। हम उत्सव के दौरान सोसाइटी में कई सांस्कृतक आयोजन और खेल स्पर्धा का आयोजन भी करते हैं। इससे मनोरंजन के साथ स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहता है।हम हर बार ईको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमा स्थापित करते हैं। इस तरह हम हर साल इसे और बेहतर तरीके से मनाने कि कोशिश करते हैं। हालांकि सोसाइटी कोरोना वायरस के कारण हर एक बिंदुओं का ख्याल रखेगी, जिससे किसी को भी कोई नुकसान न पहुंचे।’
ईको-फ्रेंडली उत्सव मनाने से आप पर्यावरण और अपने साथ-साथ दूसरों के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हैं, यह दुनिया को बेहतर बनाने की शुरुआत है।
हैलो हेल्थ ग्रुप की ओर से गणेश उत्सव की शुभकामनाएं।
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