backup og meta

World Environment Day : कोरोना महामारी के दौरान जानिए कैसे पर्यावरण में आया है बदलाव

पर्यावरण निर्जीव और जीवित प्राणी, दोनों को ही दर्शाता है। पर्यावरण से मतलब उस परिवेश से है, जहां हम लोग रहते हैं। पर्यावरण मे इंसान भी रहता है और अन्य प्राणी भी। यानी हम सभी पर्यावर्ण से घिरे हुए हैं। स्वस्थ्य जीवन के लिए साफ पर्यावरण बहुत जरूरी है। भौतिकता के कारण हम लोगों ने पर्यावरण को कई प्रकार से नुकसान पहुंचाया है। आज दुनिया भर लोग कोरोना महामारी की मार झेल रहे हैं। कोरोना के खतरे से बचने के लिए लोगों को अपने घर में रहने की सलाह दी गई है। कई गतिविधियों को बंद कर दिया है। जिंदगी पटरी पर कब तक लौटेगी, इस बारे में शायद अभी किसी को भी नहीं पता है। लेकिन जिस तरह से लॉकडाउन का असर पर्यावरण पर पड़ रहा है, उस बात से इंसान को सबक जरूर लेना चाहिए। विश्व पर्यावरण दिवस पर जानिए कि लॉकडाउन का वातावरण पर असर कैसे पड़ रहा है।

और पढ़ें :कोरोना महामारी में हर्बल उपचार करना कितना सुरक्षित है, जानिए यहां

लॉकडाउन का वातावरण पर असर : विश्व पर्यावरण दिवस

जो भी खाना हम खाते हैं, जो सांस हम जिंदा रहने के लिए लेते हैं, पानी आदि हमे नेचर यानी प्रकृति से ही मिलता है। ये बात सही है कि कोरोना महामारी के दौरान हमे नेचर की तरह से मैसेज मिला है कि हम सब को खुद की और साथ ही नेचर की भी परवाह करनी चाहिए। कोरोना महामारी के कारण लोगों में डर सा बैठ गया है, लेकिन ये समय सोचने का है। विश्व पर्यावरण दिवस के दिन हम सबको एक बार ये जरूर सोचना चाहिए कि हम लोग प्रकृति से तो बहुत कुछ ले रहे हैं, लेकिन बदले में उसे क्या दे रहे हैं ? हर साल पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन दुनिया भर के लोगों को प्रकृति के महत्व के बारे में बताया जाता है।नेचर को लेकर अवेयरनेस फैलाई जाती है। जानकारी के अभाव में या फिर जानकर लोग प्रकृति को आए-दिन नुकसान पहुंचा रहे हैं।

और पढ़ें :महामारी के दौरान टिड्डी दल का हमला कर सकता है परेशान, भारत में दे चुका है दस्तक

लॉकडाउन का वातावरण पर असर

कोरोना महामारी को काबू करने के लिए जब से दुनियाभर के कई देशों में लॉकडाउन लगा है, तब से लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच जो अच्छी खबर सामने आई है कि वो ये कि हमारे चारो ओर का वातावरण शुद्ध होता जा रहा है। वातावरण साफ होने और अधिक शांति होने से जंगल के जानवर भी शहरी क्षेत्रों में दिखने लगे हैं। सालों से देश की कुछ नदियों को साफ करने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन लॉकडाउन का वातावरण पर ऐसा असर पड़ा कि कुछ दिनों गंगा का प्रदूषण भी कम हो गया है। वातावरण में नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड गैस(प्रदूषक गैस) के उत्सर्जन में भी कमी आई है।

और पढ़ें :WHO का डर: एचआईवी से होने वाली मौत का आंकड़ा न बढ़ा दे कोविड-19

डब्लूएचओ के अनुसार, प्रदूषक गैस का घटा स्तर

The World Health Organisation (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल 3 मिलियन लोग वायु प्रदूषण के कारण मरते हैं। करीब 80 प्रतिशत लोग शहर में रहते हैं, जहां वायु अधिक प्रदूषित है। लो इंकम कंट्री में हालात ज्यादा खराब हैं। 98% शहरों की एयर क्वालिटी डब्लूएचओ के स्टेंडर्ड के हिसाब से खराब है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी Sentinel-5P satellite की हेल्प से ये जानकारी मिली कि फरवरी 2020 में नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड (शहरों में इंडस्ट्रियल एरिया में इस गैस का उत्सर्जन अधिक होता है) की मात्रा, साल 2019 के कंपेयर में 40 प्रतिशत कम थी। लॉकडाउन लगने के बाद गैस के उत्सर्जन में 60 प्रतिशत की कमी आई। आपको बताते चले कि NO₂का उत्सर्जन रोड ट्रांसपोर्ट, पावर प्लांट से अधिक होता है। जिन लोगों को लंग्स में समस्या या सांस लेने में परेशान, अस्थमा की बीमारी है, उन लोगों को इस गैस से ज्यादा समस्या होती है। NO₂के उत्सर्जन से पेशेंट की तबियत अधिक खराब हो सकती है। जिन देशों में लॉकडाउन लगाया गया है, वहां नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड के स्तर में गिरावट आई है।

और पढ़ेंः अस्थमा और हार्ट पेशेंट के लिए जरूरी है पूरे साल फेस मास्क का इस्तेमाल

ग्रीन हाउन गैस का उत्सर्जन हुआ कम

लॉकडाउन का वातावरण पर असर वाकई सकारात्मक पड़ा है। लॉकडाउन के दौरान प्लेन, ट्रांसपोर्ट, फैक्ट्री आदि के बंद रहने से कई विषैली गैसे के उत्सर्जन में कमी आई है। वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड गैस में भी 5 से 10 प्रतिशत की कमी महसूस की गई है। इस दौरान कार्बन के उत्सर्जन में 10 प्रतिशत की कमी आई है। ऐसा नहीं है कि गैसों के उत्सर्जन में पहली बार कमी महसूस की गई है। साल 2008 में जब दुनिया भर में मंदी का दौर छाया था, तब भी कुछ ऐसे ही हालात सामने आए थे। मंदी के बाद चाइना ने अचानक से अपना कारोबार को तेज कर दिया और कार्बन डाई ऑक्साइड के अधिक उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार भी बना। कोरोना महामारी के कारण लोग ज्यादा से ज्यादा घर में हैं, जिसके कारण बहुत से बदलाव हो रहे हैं। कुछ ही समय में ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में भी कमी महसूस की गई है।

और पढ़ें :रोग प्रतिरक्षा प्रणाली क्या है और यह कोरोना वायरस से आपकी सुरक्षा कैसे करती है?

लॉकडाउन का वातावरण पर असर : आदतों में आया है सुधार

[embed-health-tool-bmi]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

(Accessed on 20/5/2020)

Environmental impacts of coronavirus crisis, challenges ahead: https://unctad.org/en/pages/newsdetails.aspx?OriginalVersionID=2333

Why the lockdown could be just what the environment needs :https://environmentjournal.online/articles/the-lockdown-and-the-environment/

Here’s how lockdowns have improved air quality around the world:https://www.weforum.org/agenda/2020/04/coronavirus-lockdowns-air-pollution

https://www.bbc.co.uk/news/science-environment-52488134 Climate change: Could the coronavirus crisis spur a green recovery?

https://www.worldenvironmentday.global/TIME FOR NATURE:

 

Current Version

05/08/2020

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Ankita mishra


संबंधित पोस्ट

क्रिटिकल लिम्ब इस्किमिया क्या है, जानिए इस पर एक्सपर्ट की राय

क्या हवा से भी फैल सकता है कोरोना वायरस, क्या कहता है WHO


समीक्षा की गई डॉ. प्रणाली पाटील द्वारा · फार्मेसी · Hello Swasthya · । लिखा गया Bhawana Awasthi द्वारा। अपडेट किया गया 05/08/2020।

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement