एक छोटा सा मॉलिक्यूल शरीर के अंदर मौजूद पैंक्रिएटिक कैंसर सेल को खत्म करने में मदद कर सकता है। चूहों के ऊपर की गई एक रिसर्च में यह चौकाने वाला खुलासा हुआ है। इसके अलावा जल्द ही इस शोध में पाए गए सफल परिणामों के बाद इसे मनुष्यों में भी पैंक्रिएटिक कैंसर के इलाज में इस्तेमाल किया जा सकेगा। इस तकनीक के मानवों पर इस्तेमाल के लिए रणनीति तैयार की जा रही है।
इस शोध में टेल अवीव यूनिवर्सिटी (Tel Aviv University) के शोधकर्ताओं के अलावा अमेरिकी अध्ययनकर्ता भी शामिल थे। शोधकर्ताओं ने कहा कि पैंक्रिएटिEverything You Need to Know About Pancreatic Cancer
क कैंसर अभी मौजूद सारे ट्रीटमेंट रेजीस्टेंट है। पैंक्रिएटिक कैंसर के डायग्नोस होने के बाद इससे पीड़ित लोगों का पांच साल भी जी पाना मुश्किल होता है।
यह शोध ऑनकोटारगेट जर्नल में प्रकाशित किया गया। साथ ही इस शोध में एक्सोनोग्राफ्ट्स ट्रांसप्लांटेशन्स ऑफ ह्यूमन पैंक्रिएटिक कैंसर को चूहे में डाला गया और इन चूहों का इम्यून सिस्टम पहले से ही कमजोर था। शोधकर्ताओं के मुताबिक, एक छोटे से मॉलिक्यूल जिसे PJ34 नाम दिया गया है के इस्तेमाल से कैंसर सेल्स 90 फीसदी तक एक महीने में कम हो गए।
इस शोध के सहायक लेखक माल्का कोहन आरमॉन कहते हैं कि इन चूहों में PJ34 मॉलिक्यूल का इस्तेमाल किया गया। यह सेल मेम्बरेन के अंदर जा सकता है, लेकिन यह केवल ह्यूमन कैंसर सेल को ही प्रभावित करता है। इस मॉलिक्युल के इस्तेमाल से कैंसर सेल के खत्म होने की स्पीड बढ़ जाती है।
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पैंक्रिएटिक कैंसर के प्रकार
पैंक्रिएटिक कैंसर आम तौर पर दो प्रकार के होते हैं:
एक्सोक्राइन ट्यूमर
एक्सोक्राइन ग्रंथि को प्रभावित करने वाले ट्यूमर्स को एडेनोकार्सिनोमा कहा जाता है। इस प्रकार का कैंसर पैंक्रिएटिक ट्यूब्स में होता है। इस तरह के ट्यूमर का इलाज इसके विकसित होने की दर के लिहाज से हो सकता है।
एंडोकराइन ट्यूमर
ये ट्यूमर काफी कम ही पाए जाते हैं। लेकिन यह ट्यूमर हॉर्मोन के प्रोडक्शन को प्रभावित करते हैं। इस ट्यूमर के कारण हॉर्मोन उत्पादन करने वाली कोशिकाएं प्रभावित होती हैं। इस तरह के ट्यूमर को आइलेट सेल ट्यूमर भी कहा जाता है।
पैंक्रिएटिक कैंसर के लक्षण
पैंक्रिएटिक कैंसर को साइलेंट कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। इसके लक्षण कुछ खास दिखाई नहीं देते और छिपे हुए रहते हैं। निम्न हो सकते हैं इसके लक्षण:–
- पेट के ऊपरी भाग में दर्द
- आंख, स्किन और यूरिन का रंग पीला होना
- जी मिचलाना, भूख न लगना
- लगातार वजन कम होना
- अधिक कमजोरी, थकान महसूस होना
- तनाव में रहना
अगर आपको इनमें से कोई लक्षण दिखता है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
पैंक्रिएटिक कैंसर
पैंक्रिएटिक कैंसर को लेकर कई शोध होने के बावजूद अभी इसके होने के सही कारणों का पता नहीं लगाया जा सका है। हालांकि, डॉक्टर्स के अनुसार अधिक स्मोकिंग करने से इसका खतरा बढ़ सकता है।
पैंक्रिएटिक कैंसर सर्जरी
अगर कैंसर का ट्रीटमेंट हो जाने के बाद भी ट्यूमर अग्नाशय में रहता है तो उसे हटाने के लिए पैंक्रिएटिक कैंसर सर्जरी की सहायता ली जाती है। सर्जरी एक उपाय है, जिसकी सहायता से कैंसर को पूरी तरह से खत्म करने का प्रयास किया जाता है। व्हिपल प्रक्रिया (Whipple procedure) की सहायता से ट्यूमर को अग्नाशय से हटाया जाता है। इस प्रोसीजर में अग्नाशय के हेड यानी सिर के साथ ही करीब 20 प्रतिशत तक भाग को भी निकाला जा सकता है। फिलहाल सर्जरी के दौरान जरूरत पड़ने पर पेट का कुछ हिस्सा भी निकाल दिया जाता है।
पेशेंट को सर्जरी की जरूरत पड़ेगी या फिर नहीं, ये बात डॉक्टर जांच के बाद ही बताते हैं। अगर आपको पैंक्रिएटिक कैंसर सर्जरी के बारे में अधिक जानकारी चाहिए तो बेहतर होगा कि आप सर्जन या फिर डॉक्टर से इसकी जानकारी लें। कैंसर का इलाज सही समय पर ट्रीटमेंट कराने पर काफी हद तक निर्भर करता है। अगर सही समय पर इलाज हो जाए तो कैंसर को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है।
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पैंक्रिएटिज कैंसर या अग्नाशय कैंसर से बचाव
स्मोकिंग छोड़ें
अगर आपके अंदर ऊपर बताया गया कोई भी लक्षण दिखाई दे और आप स्मोकिंग भी करते हैं, तो सबसे पहले स्माोकिंग छोड़ें। अगर लाख कोशिशों के बाद भी आप स्मोकिंग नहीं छोड़ पा रहे हैं, तो डॉक्टर से मदद लें वह आपको स्मोकिंग छोड़ने के तरीके बताएगा।
इस बारे में क्लीनिकल जनरल फिजिश्यन डॉक्टर अशोक रामपाल का कहना है कि अगर आपका वजन बढ़ा हुआ है, तो इसे भी मेंटेन करने की कोशिश करें। वजन कम करने के लिए आप अपने स्टेमिना और अपनी पसंद से एक्सरसाइज और डायट चुन सकते हैं। इस बीमारी में ही नहीं बल्कि एक हेल्दी लाइफ के लिए भी आपको वजन कंट्रोल में रखने की जरूरत होगी । साथ ही वजन कम करने के लिए एक स्ट्रीक्ट डायट और वर्कआउट को फॉलो करें।
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डायट का भी रखें ख्याल
खुद को फिट रखने के लिए हेल्दी डायट लेना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप सब्जियों और फलों के साथ-साथ अधिक अनाज का सेवन कर सकते हैं। एक हेल्दी लाइफस्टाइल के हेल्दी डायट के मंत्र को अपनाएं।
पैंक्रिएटिक कैंसर या अग्नाशय कैंसर होने के बाद जीवन दर
पैंक्रिएटिक कैंसर का समय पर डायग्नोस न होने और इलाज न मिलने पर इंसान का बचना मुश्किल हो जाता है। वहीं अगर समय के लिहाज से देखा जाए, तो पैंक्रिएटिक कैंसर होने पर एक साल के अंदर औसतन 19 फीसदी लोग ही बच पाते हैं। वहीं इस बीमारी के साथ पांच साल तक रहने से लगभग चार फीसदी लोग ही बच पाते हैं। ऐसे में समय पर इस बीमारी का निदान करना जरूरी हो जाता है।
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भारत में पैंक्रिएटिक कैंसर या अग्नाशय कैंसर के मामले
भारत में पैंक्रिएटिक कैंसर के मामले बहुत ही कम देखने को मिलते हैं। आंकड़ों की बात की जाए, तो ये प्रति एक लाख पुरुषों में 0.5 से 2.4 फीसदी पाया जाता है। वहीं प्रति एक लाख महिलाओं में इसकी दर 0.2 से 1.8 फीसदी पाई जाती है।
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