हमारे शरीर में हार्ट अहम रोल अदा करता है। अगर हार्ट के किसी हिस्से में कोई समस्या हो जाए, तो पूरे शरीर में कार्य प्रणाली प्रभावित हो सकती है। शरीर में रक्त कोशिकाओं की सहायता से ऑक्सीजन और अन्य न्यूट्रिएंट्स पहुंचते हैं लेकिन अगर किसी कारण से ये बाधित हो जाए, तो शरीर में विभिन्न प्रकार के लक्षण दिखने लगते हैं। आर्टीरीओस्क्लेरोसिस (Arteriosclerosis) हार्ट संबंधी डिजीज है, जिसमें आर्टरीज (ब्लड वैसल्स जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन के साथ ही अन्य न्यूट्रिएंट्स ले जाती है) किन्हीं कारणों से मोटी या स्टिफ हो जाती हैं, जिससे शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन या न्यूट्रिएंट्स पहुंचने में दिक्कत होने लगती है। हेल्दी ऑर्टरीज फ्लेक्सिबल होती है और साथ ही इलास्टिक भी होती हैं लेकिन समय के साथ ही इनमें बदलाव आ जाता है। समय के साथ ही ये आर्टरीज हार्ड हो जाती है और ब्लड फ्लो में रूकावट भी पैदा होने लगती है। आइए जानते हैं आर्टीरीओस्क्लेरोसिस (Arteriosclerosis) के बारे में विस्तार से।
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आर्टीरीओस्क्लेरोसिस के लक्षण (Symptoms of Artio Sclerosis )
माइल्ड आर्टीरीओस्क्लेरोसिस (Arteriosclerosis) के कारण किसी भी तरह के लक्षण नहीं दिखाई पड़ते हैं। जब तक आर्टरी संकुचित न हो जाए, तब तक व्यक्ति में गंभीर लक्षण नजर नहीं आते हैं। कभी-कभी ब्लड क्लॉट के कारण ब्लड वैसल्स पूरी तरह से ब्लॉक हो जाती है। इस कारण से कुछ लोगों में हार्ट अटैक (Heart attack) या फिर स्ट्रोक की संभावना भी बढ़ जाती है। व्यक्ति में आर्टीरीओस्क्लेरोसिस (Arteriosclerosis) के कारण हल्के से गंभीर लक्षण देखने को मिल सकते हैं।
- व्यक्ति को अचानक से चेस्ट यानी छाती में दर्द की समस्या हो सकती है।
- अगर आपको आर्टरीज में आर्टीरीओस्क्लेरोसिस (Arteriosclerosis) की समस्या है, तो आपके ब्रेन पर भी इसका बुरा असर दिखाई पड़ता है। ये स्ट्रोक का कारण (Cause of stroke) भी बन सकता है।
- हाथ, पैरो में अचानक से कमजोरी का एहसास हो सकता है।
- बोलने में समस्या होना।
- विजन प्रॉब्लम यानी देखने में समस्या होना।
- ब्लड प्रेशर में कमी, चलने में समस्या होना।
- किडनी फेलियर ( Kidney failure) की समस्या।
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समय पर जांच कराने से बच सकते हैं बड़े खतरे से
अगर आपको हार्ट से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या है, तो आपको लक्षण नजर आने शुरू हो जाएंगे। अगर आपको शरीर में कुछ परिवर्तन नजर आ रहे हो या फिर छाती में दर्द की समस्या हो रही हो, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अगर पौष्टिक आहार का सेवन करने के बाद भी आपको कमजोरी का एहसास (Feeling of weakness) हो रहा है, तो आपको देरी नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। उम्र बढ़ने के साथ ही एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis ) या आर्टीरीओस्क्लेरोसिस (Arteriosclerosis) होने का खतरा बढ़ जाता है। ये बीमारी जेनेटिक भी हो सकती है यानी आपकी फैमिली में अगर किसी को हार्ट से रिलेटेड प्रॉब्लम है, तो आर्टीरीओस्क्लेरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। समय पर जांच कराने से भविष्य में हार्ट अटैक या फिर स्ट्रोक के खतरे से बच सकते हैं।
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आखिर क्यों होती है आर्टीरीओस्क्लेरोसिस (Arterio Sclerosis ) की समस्या?
आर्टीरीओस्क्लेरोसिस (Arteriosclerosis) की समस्या के लिए एक नहीं बल्कि बहुत से कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। जब शरीर में ज्यादा मात्रा में कोलेस्ट्रॉल हो जाता है या फिर कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ जाता है, तो ये आर्टरीज में जमने लगता है और साथ ही खून की पंपिंग पूरे शरीर में ठीक प्रकार से नहीं हो पाती है। अधिक फैट वाला खाना भी आर्टीरीओस्क्लेरोसिस (Arteriosclerosis ) की समस्या पैदा कर सकता है क्योंकि फैट आर्टरीज में जमने लगता है और फिर रुकावट पैदा होने लगती है। अधिक उम्र में हार्ट संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। ऐसा आर्टरीज में आने वाले बदलाव के कारण होता है।
जो लोग अधिक स्मोकिंग (Smoking) या टबैको का सेवन करते हैं, उनमें भी आर्टीरीओस्क्लेरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। मोटापा या डायबिटीज की समस्या भी आर्टीरीओस्क्लेरोसिस (Arteriosclerosis) की प्रमुख वजह बन सकता है। जिन लोगों को अर्थराइटिस या फिर इंफ्लामेटरी बाउल डिज़ीज़ (inflammatory bowel disease) या इंफ्लामेशन है, ये भी बीमारी का कारण बन सकती है। आपको आर्टीरीओस्क्लेरोसिस (Arteriosclerosis) के कारणों के बारे में डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए। आर्टीरीओस्क्लेरोसिस(Arteriosclerosis ) के रिस्क फैक्टर के रूप में हाय ब्लड प्रेशर, हाय कोलेस्ट्रॉल, स्लीप एप्निया (Sleep apnea), एक्सरसाइज की कमी (Lack of exercise) और अनहेल्दी डायट शामिल है।
हार्ट के बारे में अधिक जानकारी के लिए देखें ये 3डी मॉडल:
आर्टीरीओस्क्लेरोसिस का डायग्नोसिस (Diagnosis of Arteriosclerosis)
डॉक्टर बीमारी के लक्षणों के बारे में जानकारी लेने के बाद शारीरिक परिक्षण के साथ ही अन्य टेस्ट कराने का सुझाव भी दे सकते हैं। इन जांच में मुख्य रूप से ब्लड टेस्ट या खून की जांच शामिल होती है, जिसके माध्यम से कोलेस्ट्रॉल या शुगर लेवल की जानकारी मिलती है। डॉक्टर से जांच से पहले पूछें कि आपको टेस्ट से पहले क्या सावधानी रखने की जरूरत है। डॉक्टर इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम की मदद से हार्ट अटैक के खतरे के बारे में भी जानकारी ले सकते हैं। एंजियोग्राम के दौरान डॉक्टर आर्टरीज का एक्स-रे करते हैं और ब्लॉकेज के बारे में जानकारी लेते हैं। अगर आपको भी बीमारी के लक्षण महसूस हो रहे हो, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं और खुद को बड़े खतरे से बचाएं।
आर्टीरीओस्क्लेरोसिस (Arteriosclerosis) का ट्रीटमेंट
आर्टीरीओस्क्लेरोसिस (Arteriosclerosis) के कारण शरीर में कई प्रकार के कॉम्प्लीकेशंस भी बढ़ सकते हैं। कोरोनरी ऑर्टरी डिजीज (Coronary artery disease), कैरोटिड आर्टरी डिजीज (Carotid artery disease), पेरीफेरल आर्टरी डिजीज (Peripheral artery disease), क्रॉनिक किडनी डिजीज (Chronic kidney disease) आदि का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ ही खाने में पौष्टिक आहार का सेवन, खाने में बैड कोलेस्ट्रॉल जैसे कि प्रोसेस्ड फूड या फ्राइड फूड्स से दूरी बनाना बीमारी के खतरे को कम करने का काम करता है। डॉक्टर बीमारी के लक्षणों को कम करने के लिए स्टेटिन्स, एस्प्रिन, बीटा ब्लॉकर्स आदि दवाओं का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं। अगर ब्लड वैसल्स से ब्लॉकेज नहीं हटती है, तो सर्जरी जैसे कि बायपास सर्जरी, एंजियोप्लास्टी, एंडारटेरेक्टॉमी आदि की मदद भी ली जाती है। बीमारी का इलाज डॉक्टर बीमारी की गंभीरता के अनुसार करते हैं। जरूरी नहीं है कि सभी पेशेंट्स को एक ही ट्रीटमेंट दिया जाए।
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हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से आर्टीरीओस्क्लेरोसिस (Arteriosclerosis) के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।
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