हाई ब्लड प्रेशर एक ऐसी बीमारी जो तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रही है। मानसिक तनाव, खराब जीवनशैली व खराब खानपान की वजह से होने वाली यह बीमारी काफी खतरनाक होती है। अगर इसे कंट्रोल न किया जाए तो यह शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचाता है, इससे हार्ट अटैक, ब्रेन हैमरेज का भी खतरा रहता है। काफी हद तक लोग हाई ब्लड प्रेशर के बारे में जानते हैं लेकिन ब्लड प्रेशर से जुड़े मिथक (Blood Pressure myths) भी हैं। इन हाई ब्लड प्रेशर से संबंधित मिथक की वजह से लोगों में गलत धारणाएं फैल रही हैं। यह मिथक लोगों में बिना बात के डर पैदा कर देते हैं। इस आर्टिकल में हम हाई ब्लड प्रेशर से संबंधित मिथक और सही तथ्यों के बारे में बात करेंगे।
ब्लड प्रेशर से जुड़े मिथक (Blood Pressure myths) क्या है?
- ब्लड प्रेशर से जुड़े मिथक में पहला मिथक है कि परिवार में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या चली आ रही है, इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया जा सकता।
हाई ब्लड प्रेशर परिवार में चल सकता है। अगर आपके माता-पिता या करीबी रक्त संबंधियों को हाई ब्लड प्रेशर हुआ है तो आपमें में भी इसके होने की आशंका है। लेकिन ऐसा नहीं है कि इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया जा सकता। आप अच्छी जीवनशैली व खान-पान से इसके शिकार होने से बच सकते हैं।
- ब्लड प्रेशर से जुड़े मिथक में दूसरा मिथक है कि जो स्वस्थ महसूस करते हैं, उन्हें हाई ब्लड प्रेशर के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है।
अगर आप स्वस्थ महसूस कर रहे हैं, तो इसका मतलब ये नहीं कि आप ब्लड प्रेशर के शिकार नहीं हो सकते। एक सर्वे के अनुसार, अमेरिका में करीब 103 मिलियन व्यस्कों को हाई ब्लड प्रेशर है लेकिन इनमें से कई इससे बेखबर हैं। उन्हें इसके लक्षणों का पता ही नहीं चलता।
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- ब्लड प्रेशर से जुड़े मिथक में तीसरा मिथक है कि हाई ब्लड प्रेशर में घबराहट, पसीना, नींद आने में दिक्कत व चेहरा लाल या उत्तेजित हो जाता है। अगर इनमें से कोई भी लक्षण न दिखे तो आदमी ठीक है।
कई लोगों में ये मिथ्स भी है, जो बिल्कुल गलत है। हाई ब्लड प्रेशर के हर मरीज में इनमें से कोई लक्षण दिखे, ऐसा जरूरी नहीं है। कई लोग ऐसे हैं, जो हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं, लेकिन उन्हें इनमें से कोई लक्षण नहीं दिखे और उन्हें कई साल तक इसका पता भी नहीं चल पाया। यही वजह है कि इस बीमारी को साइलेंट किलर भी कहते हैं। ये धीरे-धीरे धमनियों, दिल व शरीर के अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाता है।
- ब्लड प्रेशर से जुड़े मिथक में चौथा मिथक है कि शराब दिल के लिए अच्छी चीज है, ऐसे में हाई ब्लड प्रेशर के मरीज भी जितना चाहे पी सकते हैं।
कई लोगों में ये भी मिथ्स है कि शराब पीने से हाई ब्लड प्रेशर में कोई दिक्कत नहीं होती। ये मिथ्स बहुत खतरनाक है। अगर आप भी ये गलती कर रहे हैं तो सावधान होने की जरूरत है। हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को शराब का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। बहुत जरूरत हो तो कभी-कभार पिएं। दरअसल शराब की अधिक मात्रा हाई ब्लड प्रेशर को बढ़ाती है। यही नहीं इससे हार्ट अटैक की समस्या, स्ट्रोक की समस्या और दिल की धड़कन का अनियमित होने जैसी समस्या भी होती है।
- ब्लड प्रेशर से जुड़े मिथक में पांचवां मिथक है कि अगर कुछ दिन के डोज के बाद हाई ब्लड प्रेशर नॉर्मल हो जाए तो दवा बंद कर सकते हैं।
कई लोगों में ये धारणा होती है कि ब्लड प्रेशर ठीक हो गया है तो अब दवाई बंद कर देनी चाहिए। यह बिल्कुल गलत है, आप दवाई बीच में बंद न करें। हाई ब्लड प्रेशर के मामले में कोई भी कदम बिना डॉक्टरी परामर्श के न उठाएं।
- ब्लड प्रेशर से जुड़े मिथक में छठा मिथक है कि हाई ब्लड प्रेशर जिंदगी भर ठीक नहीं हो सकता।
बेशक यह सच है कि ब्लड प्रेशर की समस्या ताउम्र रहती है और इसे खत्म नहीं किया जा सकता है, लेकिन अगर इससे पीड़ित व्यक्ति अपनी लाइफ स्टाइल को बेहतर बनाएं तो इसे कंट्रोल किया जा सकता है। आप हेल्दी डायट का सेवन करें, वजन कम करें और खाने में कम नमक का इस्तेमाल करें। सिगरेट व शराब का सेवन छोड़ दें।
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- ब्लड प्रेशर से जुड़े मिथक में सातवां मिथक है कि हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को केला नहीं खाना चाहिए।
हाई बीपी को लेकर इस मिथ्स पर भी बड़ी संख्या में लोग विश्वास करते हैं, जबकि यह गलत है। अगर आप हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं तो केला खाने आपके लिए फायदेमंद ही होगा। यह ब्लड प्रेशर के लेवल को नीचे गिराने में मदद करता है।
- ब्लड प्रेशर से जुड़े मिथक में आठवां मिथक है कि हाई ब्लड प्रेशर के मरीज ब्लड डोनेट नहीं कर सकते।
इस तरह के मिथ्स भी गलत हैं। हाई ब्लड प्रेशर का मरीज भी रक्तदान कर सकता है। हालांकि रक्तदान के समय उक्त व्यक्ति का बीपी 180 सिस्टोलिक से कम और 100 डायस्टोलिक तक होना चाहिए।
- ब्लड प्रेशर से जुड़े मिथक में नौवां मिथक है कि हाई ब्लड प्रेशर सिर्फ 40 साल से अधिक उम्र के लोगों को होता है।
हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के बीच यह धारणा भी गलत है कि यह बीमारी केवल 40 साल से अधिक के उम्र वालों को होती है। ऐसा कुछ नहीं है, यह बीमारी किसी भी उम्र में व किसी भी शख्स को हो सकती है।
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- ब्लड प्रेशर से जुड़े मिथक में दसवां मिथक है कि हाई ब्लड प्रेशर महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा।
यह बात सही नहीं है कि हाई ब्लड प्रेशर सिर्फ पुरुषों को ही प्रभावित करता है। यह बीमारी महिला और पुरुष दोनों को ही समान रूप से प्रभावित करता है।
- ब्लड प्रेशर से जुड़े मिथक में ग्यारहवां मिथक है कि ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव सामान्य है।
ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव सामान्य बात नहीं है। अगर आप भी अब तक यही सोचते आ रहे थे तो आपको सोच बदलने की जरूरत है। दरअसल बीपी में उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज करना अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ करना है।
- ब्लड प्रेशर से जुड़े मिथक में बारहवां मिथक है कि मैं टेबल नमक का उपयोग नहीं करता हूं, इसलिए मेरा ब्लड प्रेशर व शरीर में सोडियम की मात्रा नियंत्रित रहती है।
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कुछ लोगों में सोडियम ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है, लेकिन सोडियम को नियंत्रित करना नमक को छोड़ने से ज्यादा महत्व रखता है। इसका मतलब प्रॉडक्ट के लेबल की जांच करना भी है, क्योंकि हमारे द्वारा उपभोग की जाने वाली सोडियम की 75 प्रतिशत तक मात्रा प्रोसेस्ड (परिष्कृत) किए हुए खाद्य पदार्थों जैसे टमाटर सॉस, सूप, मसालों व डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में छिपी होती है। इसलिए जरूरी है कि पहले से तैयार खाद्य पदार्थ खरीदते समय उस पर वर्णित लेबल जरूर पढ़ें। सोडा और सोडियम के सामने नो शब्द देखना न भूलें। नो का मतलब ये होता है कि उक्त प्रॉडक्ट में सोडियम नहीं है।
- ब्लड प्रेशर से जुड़े मिथक में तेरहवां मिथक है कि आम नमक की जगह कोषेर या समुद्री नमक का उपयोग करना फायदेमंद है क्योंकि इनमें सोडियम कम होता है।
लोगों में इसे लेकर मिथ्स है। दरअसल रासायनिक रूप से कोषेर नमक और समुद्री नमक आम नमक के समान ही हैं। क्योंकि इन दोनों में भी 40 प्रतिशत सोडियम है जो कुल सोडियम की खपत के समान है।
हाई ब्लड प्रेशर मानसिक तनाव, खराब जीवनशैली व खराब खानपान की वजह से होता है। अगर इसे कंट्रोल न किया जाए तो यह शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचाता है, इससे हार्ट अटैक, ब्रेन हैमरेज का भी खतरा रहता है। हाई ब्लड प्रेशर से जुड़े कई मिथ्स भी हैं, जिन्हें जानना बहुत जरूरी है।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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