आपने अक्सर हाय कोलेस्ट्रॉल की समस्या के बारे में सुना होगा। ये समस्या घर में कम उम्र से लेकर बुजुर्गों यानी किसी को भी होने वाली समस्या है। आमतौर पर लोग 20 से अधिक उम्र में इस समस्या का सामना करते हैं। ऐसा खराब लाइफस्टाइल या फिर खानपान में खराबी हाय कोलेस्ट्रॉल का कारण बनता है। पुरुषों के साथ ही हाय कोलेस्ट्रॉल की समस्या का सामना महिलाओं को भी करना पड़ता है। हाय कोलेस्ट्रॉल आर्टरी में इकट्ठा होकर हार्ट से जुड़े जोखिम को बढ़ाने का काम करता है। यानी जिन लोगों में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है, उनमें हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। हॉर्मोन शरीर में कोलेस्ट्रॉल को प्रभावित कर सकते हैं। महिलाओं में हाय कोलेस्ट्रॉल ( High Cholesterol in Women) के कारण कई बीमारियां जन्म ले सकती हैं। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको महिलाओं में हाय कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol in Women) के संबंध में जानकारी देंगे।
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महिलाओं में हाय कोलेस्ट्रॉल ( High Cholesterol in Women)
कोलेस्ट्रॉल वैक्सी फैट होता है, जिसका इस्तेमाल सेल यानी कोशिकाओं, हॉर्मोन या अन्य महत्वपूर्ण सब्सटेंस जैसे कि विटामिन डी या बाइल के निर्माण के दौरान होता है। कोलेस्ट्रॉल ब्लड के माध्यम से लिपोप्रोटीन पार्टिकल की माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान जाता है। कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए जरूरी होता है लेकिन कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा शरीर को नुकसान पहुंचाने का काम करती है। शरीर में दो प्रकार की लिपोप्रोटीन्स (lipoproteins) होती हैं।
एलडीएल (Low-density lipoprotein) –एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को “खराब कोलेस्ट्रॉल” के नाम से भी जाना जाता है, कोलेस्ट्रॉल को शरीर में जहां इसकी जरूरत होती है, वहां लाने का काम ये प्रोटीन करती है।
एचडीएल (high-density lipoprotein) – इसे गुड कोलेस्ट्रॉल के नाम से भी जाना जाता है। एचडीएल वापस लिवर में आने के बाद टूट जाता है।
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अनियंत्रित हो जाती है, तो ये हार्ट के लिए खतरा पैदा कर देती है। जानिए कैसे महिलाओं में हाय कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol in Women) हार्ट डिजीज के खतरे को बढ़ा देता है।
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महिलाओं में हाय कोलेस्ट्रॉल और हार्ट डिजीज
शरीर में अधिक मात्रा में कोलेस्ट्रॉल होने की स्थिति को हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया (Hypercholesterolemia) के नाम से जाना जाता है। शरीर में अगर अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL cholesterol) की मात्रा कम हो और बुरे कोलेस्ट्रॉल ( LDL cholesterol) की मात्रा अधिक हो, तो महिलाओं को हाय कोलेस्ट्रॉल का खतरा रहता है और हार्ट डिजीज की संभावना भी बढ़ जाती है। अगर शरीर में अधिक मात्रा में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल होगा, तो ब्लड वैसल्स में ये जमना शुरू हो जाएगा। इस कारण से ये ब्लड वैसल्स में रक्त के आने-जाने का मार्ग अवरुद्ध होगा। अच्छा कोलेस्ट्रॉल यानी कि एचडीएल बुरे कोलेस्ट्रॉल को हटाने का काम करता है। अगर इसकी मात्रा कम हो जाती है, तो ये अधिक मात्रा में बन रहे बुरे कोलेस्ट्रॉल (LDL cholesterol) को हटाने में मदद नहीं कर पाता है। अधिक मात्रा में जमा हुए कोलेस्ट्रॉल को प्लाक (plaque) कहा जाता है। प्लाक आर्टिरी के मार्ग को छोटा कर देती है, जिससे ब्लड फ्लो सीमित हो जाता है। इसे एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) कहा जाता है। ये एक प्रकार की हार्ट डिजीज है। इस कारण से भविष्य में हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बहुत बढ़ जाता है।
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क्या महिलाओं में हाय कोलेस्ट्रॉल की समस्या पुरुषों से होती है अलग?
महिलाओं में हाय कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol in Women) की समस्या पुरुषों की अपेक्षा थोड़ी अलग होती है। महिलाओं में पुरुषों की तुलना में एचडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर ज्यादा होता है। ऐसा महिला सेक्स हार्मोन एस्ट्रोजन (Estrogen) के कारण होता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की मानें तो, महिलाओं में एस्ट्रोजन के कारण मेस्ट्रुअल सायकल विभिन्न फेस में कोलेस्ट्रॉल के स्तर भिन्नता पाई जाती है। एस्ट्रोजन के बढ़ने पर एचडीएल हॉर्मोन बढ़ जाता है और वहीं साथ ही एलडीएल का स्तर भी कम होना शुरू हो जाता है। जब महिलाओं में मोनोपॉज यानी पीरियड्स बंद हो जाते हैं, तो कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ना शुरू हो जाता है। ऐसा महिलाओं में 50 से 55 साल की उम्र में होना शुरू हो जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान प्रीक्लेम्पसिया (preeclampsia) या फिर जेस्टेशनल डायबिटीज (gestational diabetes) हार्ट डिजीज के खतरों को बढ़ा देती है। महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ जाता है लेकिन डिलिवरी के बाद नॉर्मल हो जाता है।
कुछ बीमारियों के दौरान महिलाओं में हाय कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol in Women) की संभावना अधिक होती है। अधिक उम्र, एक्सरसाइज की कमी, मोटापा होना, खानपान ठीक न होना, डायबिटीज की समस्या, पीसीओएस (PCOS), प्रेग्नेंसी में हाय ब्लड प्रेशर (preeclampsia) आदि के कारण महिलाओं में हाय कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol in Women) की समस्या हो सकती है।
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कितना कोलेस्ट्रॉल लेवल है महिलाओं के लिए सही?
जब कोलेस्ट्रॉल का लेवल 200 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर होता है, तो उसे हाय कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है। ये वैल्यू महिलाओं और पुरुषों के लिए समान रहता है। महिलाओं में एचडीएल लेवल 50 mg/dL से कम होता है, तो इसे हार्ट डिजीज के लिए की संभावना को बढ़ा देता है। 60 mg/dL एचडीएल लेवल महिलाओं के लिए ठीक रहता है। महिलाओं में एलडीएल लेवल 100 mg/dL से कम तब सही माना जाता है, जब कोई हार्ट डिजीज न हो। हार्ट डिजीज होने पर 70 mg/dL से कम कोलेस्ट्रॉल बेहतर माना जाता है। महिलाओं को हर पांच साल में अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल की जांच करानी चाहिए। 55 से 65 वर्ष की महिलाओं को हर एक से दो साल में कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग करवानी चाहिए।
जिन महिलाओं का कोलेस्ट्रॉल लेवल अधिक होता है, डॉक्टर उन्हें स्टेटिन दवाओं को खाने की सलाह देते हैं। डायट और लाइफस्टाइल चेंज करना भी बहुत जरूरी हो जाता है। महिलाओं को मोनोपॉज के बाद कोलेस्ट्रॉल लेवल को मेंटन रखने की अधिक आवश्यकता होती है। एल्कोहॉल (Alcohol) और स्मोकिंग को छोड़कर, खाने में हेल्दी फूड्स को स्थान देकर और नियमित समय पर चेकअप कराकर कोलेस्ट्रॉल लेवल को मेंटन रखा जा सकता है।
आपका स्वास्थ्य काफी हद तक आपकी आदतों पर निर्भर करता है। अगर आप अच्छी आदतें अपनाएंगी तो आपका स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा। रोजाना एक्सरसाइज करने के साथ ही आपको खाने में पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए। आप चाहे तो इस संबंध में एक्सपर्ट से भी बात कर सकती हैं कि किन फूड्स को खाने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ सकती है। डॉक्टर से परामर्श के बाद ही दवाओं का इस्तेमाल करना चाहिए। हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता। इस आर्टिकल में हमने आपको महिलाओं में हाय कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol in Women) के संबंध में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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