एट्रीयल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) एक स्थिति है जो हार्टबीट में अनियमिता का कारण बनती है।एट्रीयल फिब्रिलेशन को क्लासीफाय करने का तरीका इसके कारण को पता करना है। वैलव्युलर एट्रीयल फिब्रिलेशन (Valvular atrial fibrillation) और नॉन वैलव्युलर एट्रीयल फिब्रिलेशन ( Non-valvular atrial fibrillation) शब्द अलग-अलग फैक्टर्स के कारण होने वाले फिब्रिलेशन को डिस्क्राइब करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
फिब्रिलेशन को वैलव्युलर तब माना जाता है जब यह उन लोगों में दिखाई देतो है जिनमें हार्ट वॉल्व डिसऑर्डर (Heart valve disorder) होता है या जिनका हार्ट वॉल्व प्रोस्थेटिक (Prosthetic) होते हैं। नॉन वैलव्युलर एट्रीयल फिब्रिलेशन ( Non-valvular AFib) का कारण अक्सर हाय ब्लड प्रेशर या स्ट्रेस होता है। इसका वॉल्व से संबंध नहीं है। डॉक्टर्स हमेशा इसके कारणों की जानकारी नहीं दे पाते। नॉन वैलव्युलर एट्रीयल फिब्रिलेशन का रिस्क निम्न परिस्थितयों में ज्यादा होता है।
- उम्र अधिक होने पर।
- कई वर्षों से उच्च रक्तचाप है।
- दिल की बीमारी है।
- अधिक मात्रा में शराब का सेवन करते हैं।
- परिवार के किसी सदस्य को एट्रीयल फिब्रिलेशन है।
- स्लीप एपनिया है।
वैलव्युलर एट्रीयल फिब्रिलेशन को कैसे डिफाइन किया जाए इसको लेकर अब भी बहस जारी है। ज्यादातर लोग जो फिब्रिलेशन का अनुभव करते हैं उन्हें लगता है कि वे वैलव्युलर एट्रीयल फिब्रिलेशन से पीड़ित हैं। डॉक्टर फिब्रिलेशन के प्रकार के आधार पर ट्रीटमेंट प्रदान करते हैं। नॉन वैलव्युलर और वैलव्युलर एट्रीयल फिब्रिलेशन (Valvular atrial fibrillation) को अलग प्रकार से ट्रीट किया जाता है।
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वैलव्युलर एट्रीयल फिब्रिलेशन के लक्षण (Valvular AFib Symptoms)
कई बार ऐसा भी हो सकता है कि आपको एट्रीयल फिब्रिलेशन हो, लेकिन इसके लक्षण दिखाई न दें। आपको कई सालों से यह समस्या रह सकती है और जब तक आप फिजिकल एग्जामिनेशन और इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram (EKG) नहीं करवाते तब तक इसके बारे में पता नहीं चलता। इसके लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं।
- सीने में दर्द
- भ्रम
- चक्कर आना
- थकान
- हार्ट पल्पिटेशन
- सिर हल्का लगना
- सांस लेने में कठिनाई
- कमजोरी लगना
अगर फिब्रिलेशन 12 महीने से ज्यादा समय तक रहता है तो इसे लंबे समय तक रहना वाला फिब्रिलेशन कहा जाता है।
वैलव्युलर एट्रीयल फिब्रिलेशन के कारण क्या हैं? (Valvular AFib Causes)
वैलव्युलर एट्रीयल फिब्रिलेशन (Valvular atrial fibrillation) के सही कारण पता नहीं है। इसके संभावित कारणों में निम्न शामिल हो सकते हैं।
माइट्रल वॉल्व स्टेनोटिस (Mitral valve stenosis)
माइट्रल वॉल्व स्टेनोटिस (Mitral valve stenosis) में माइट्रल वॉल्व सामान्य से संकरा होता है। माइट्रल वॉल्व हार्ट के लेफ्ट एट्रियम को लेफ्ट वेंट्रिकल से कनैक्ट करता है। इस स्थिति के परिणामस्वरूप ब्लड सामान्य रूप से लेफ्ट वेंट्रिकल में फ्लो नहीं होता। इससे अनियमित दिल की धड़कन होती है। रयूमेटिक फीवर (Rheumatic fever) माइट्रल वॉल्व स्टेनोटिस (Mitral valve stenosis) का सबसे सामान्य कारण है। इसलिए इस स्थिति का इलाज कराना जरूरी है।
माइट्रल वॉल्व स्टेनोसिस या एक मैक्निकल हृदय वॉल्व होने से आपके रक्त के थक्के जमने का खतरा बढ़ जाता है। एट्रीयल फ्रिबिलेशन होने से यह जोखिम और भी बढ़ जाता है। वैलव्युलर एट्रीयल फिब्रिलेशन (Valvular atrial fibrillation) वाले लोगों में नॉन वैलव्युलर हृदय रोग वाले लोगों की तुलना में रक्त का थक्का बनने की संभावना अधिक होती है।
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आर्टिफिशियल हार्ट वॉल्व (Artificial heart valve)
वैलव्युलर एट्रीयल फिब्रिलेशन (Valvular atrial fibrillation) के दूसरे कारण में आर्टिफिशियल हार्ट वॉल्व का होना है। आर्टिफिशियल हार्ट वॉल्व का उपयोग डैमेज्ड या विकृत हार्ट वॉल्व को रिप्लेस करने के लिए किया जाता है। वॉल्व कई प्रकार के अलग-अलग मटेरियल से बना होता है। जिसमें निम्न शामिल हैं।
- मैक्निकल हॉर्ट वाल्व
- एनिमल डोनर से प्राप्त होने वाला टिशू वॉल्व
- ह्यूमन डोनर से प्राप्त होने वाला टिशू वॉल्व
कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम के बारे में जानने के लिए देखें ये 3डी मॉडल:
वैलव्युलर एट्रीयल फिब्रिलेशन का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosing valvular AFib)
अगर आपको वैलव्युलर एट्रीयल फिब्रिलेशन (Valvular atrial fibrillation) के लक्षण दिखाई नहीं दे रहे हैं, तो डॉक्टर इसके बारे में तब पता करते हैं जब आप किसी और कंडिशन की वजह से डॉक्टर के पास जाते हैं। अगर डॉक्टर को लगता है कि आपको वैलव्युलर एट्रीयल फिब्रिलेशन है तो वे फिजिकल एग्जामिनेशन करेंगे और परिवार की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछेंगे। वे कुछ टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं। जिसमें निम्न शामिल हैं।
चेस्ट एक्स-रे (Chest X ray)
चेस्ट एक्स-रे के जरिए हार्ट में आए असामान्य बदलावों को देखा जा सकता है।
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG)
ईसीजी हार्ट की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटीज को रिकॉर्ड करता है। इसके साथ ही यह एब्नार्मल रिदम और हार्ट मसल स्ट्रेस को दिखाता है। ये समस्याएं एट्रीयल फिब्रिलेशन के कारण हो सकती हैं।
इकोकार्डियोग्राम (ECO)
यह परीक्षण हार्ट और हार्ट के वाल्वों की मूविंग पिक्चर बनाने के लिए साउंड वेव्स का उपयोग करता है। इससे एट्रीयल फिब्रिलेशन के बारे में जानकारी मिल सकती है।
ब्लड टेस्ट्स (Blood tests)
ब्लड टेस्ट्स के जरिए ब्लड में आने वाले असामान्य बदलावों पर नजर रखी जाती है।
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वैलव्युलर एट्रीयल फिब्रिलेशन का ट्रीटमेंट (Valvular AFib treatment)
डॉक्टर वैलव्युलर एट्रीयल फिब्रिलेशन (Valvular atrial fibrillation) का इलाज कई तरीके से कर सकते हैं। जिसमें वे ब्लड क्लॉट्स को बनने से रोकने के साथ ही हार्ट रेट और रिदम को कंट्रोल करते हैं।
ब्लड क्लॉट (Blood Clot) बनने से रोकना
एंटीकोआगुलेशन मेडिकेशन (Anticoagulation medication) ब्लड क्लॉट्स को बनने से रोकने में मदद करते हैं। अगर मरीज के पास आर्टिफिशियल हार्ट वॉल्व हैतो यह दवा आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ब्लड क्लॉट्स आर्टिफिशियल वॉल्व के लीफ्लेट्स या फ्लैप्स पर बनता है।
सबसे कॉमन एंटीकोआगुलेशन विटामिन के एंटागोनिस्ट्स (Vitamin K antagonists) है। ये दवाएं बॉडी की विटामिन के को यूज करने की क्षमता को प्रभावित करती हैं। जो ब्लड क्लॉट के निमार्ण के लिए जरूरी है। नए एंटीकोआगुलेशन को विटामिन के एंटीकोआगुलेशन कहा जाता है। किसी भी दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें।
हार्ट रेट (Heart rate) और रिदम को कंट्रोल करना
डॉक्टर हार्ट रिटम को रिसेट करने के लिए एक प्रॉसीजर का उपयोग कर सकते हैं जिसे कार्डियोवर्जन (Cardioversion) कहा जाता है। इसमें हार्ट पर इलेक्ट्रिक शॉक का उपयोग किया जाता है ताकि उसकी इलेक्ट्रिकल एक्टिविटीज को रिस्टार्ट किया जा सके। इसके लिए कुछ दवाओं का उपयोग भी किया जाता है।
हृदय की लय को बहाल करने के लिए कैथेटर एब्लेशन जैसी प्रक्रियाएं भी उपलब्ध हैं। एब्लेशन की सिफारिश करने से पहले, आपका डॉक्टर आपके संपूर्ण स्वास्थ्य पर विचार करेगा और क्या एंटीकोआगुलेंट्स ने आपके लिए काम किया है या नहीं। ऐसी स्थिति में किसी भी दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
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यदि आपको वैलव्युलर एट्रीयल फिब्रिलेशन (Valvular atrial fibrillation) है, तो एंटीकोआगुलेंट्स के साथ हार्ट रेट को कंट्रोल के लिए अन्य उपचार की जरूरत हो सकती है। जो दिल के दौरे और स्ट्रोक के लिए आपके जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं। उम्मीद करते हैं कि आपको इस दिल की बीमारी से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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