आपने इस बात का अंदाजा लगाया ही होगा कि अक्सर उन लोगों में हाय ब्लड प्रेशर की समस्या अधिक देखी जा सकती है, जिन्हें बात-बात पर गुस्सा आता हो। कई वजहों से गुस्से और हाय ब्लड प्रेशर के बीच गहरा संबंध भी पाया जा सकता है। इसके अलावा, हाय ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर हृदय रोगों के जोखिम भी बढ़ सकते हैं, लेकिन क्या आप हाय ब्लड प्रेशर के कारण सिरदर्द होने की समस्या से वाकिफ हैं? अगर नहीं, तो इस लेख में आप हाय ब्लड प्रेशर के कारण सिरदर्द की समस्या क्यों होती है, इनके बीच के इस संबंध को समझ सकते हैं।
हाय ब्लड प्रेशर के कारण सिरदर्द (High Blood Pressure Cause Headaches) क्यों होता है?
हाय ब्लड प्रेशर के कारण सिरदर्द क्यों होता है, इस सवाल का जवाब जानने से पहले यह समझना जरूरी है कि हाय ब्लड प्रेशर क्या है व इसके कारण और जोखिम कारण क्या हो सकते हैं।
हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) क्या है?
हाय ब्लड प्रेशर को उच्च रक्तचाप या हाय बीपी की समस्या भी कहते हैं। बात करें भारत में हाय ब्लड प्रेशर के स्तर की, तो मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर, भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, भारत में उच्च रक्तचाप की समस्या सबसे अधिक देखी जा सकती है। इसके कारण इस्केमिक हृदय रोग और स्ट्रोक जैसे जोखिम के मामले तेजी से बढ़े हुए हैं। यही वजह है कि स्ट्रोक से होने वाली मौतों में से 75% और कोरोनरी हृदय रोग से संबंधित 24% मौतें उच्च रक्तचाप से संबंधित होती हैं।
भारत में हाय ब्लड प्रेशर की दर
उच्च रक्तचाप का स्तर ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के अनुसार अलग-अलग देखा जा सकता है, जो निम्नलिखित हैंः
- ग्रामीण क्षेत्रों में हाय ब्लड प्रेशर की दर – 29.8%
- शहरी क्षेत्रों में हाय ब्लड प्रेशर की दर – 33.8%
हाय ब्लड प्रेशर के कारण व जोखिम कारक (Risk factor of High Blood Pressure)
आमातौर पर हाय ब्लड प्रेशर के कारणों का पता लगा पाना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, इसके पीछे निम्नलिकित कारण व जोखिम कारक शामिल हो सकते हैंः
- खराब जीवन शैली
- खराब खान-पान
- मोटापा
- उच्च स्तर पर नमक का सेवन करना
- एल्कोहल व ध्रूमपान करना
- स्लीप एप्निया
- किडनी की बीमारी
- एड्रेनल ग्लैंड ट्यूमर
- थायरॉयड
- रक्त वाहिकाओं में से जुड़ा जन्मजात दोष होना
- कुछ दवाएं का सेवन करना
- नशीली दवाओं का सेवन करना, आदि।
हाय ब्लड प्रेशर के कारण सिरदर्द (High Blood Pressure Cause Headaches) क्यों होता है?
ऐसा देखा जा सकता है कि ब्लड प्रेशर हाय होने पर माइग्रेन या सिरदर्द की समस्या भी होने लग सकती है। ऐसी स्थिति में बता दें कि बीपी बढ़ने से सिर में दर्द होना चिंता का विषय माना जा सकता है। दरअसल, हाय ब्लड प्रेशर के कारण सिरदर्द की समस्या होना बहुत ही दुर्लभ हो सकता है। इसके बाद भी अगर किसी को हाय ब्लड प्रेशर के कारण सिरदर्द होता है, तो यह हाय ब्लड प्रेशर के गंभीर लक्षणों का संकेत दे सकता है।
आमतौर पर ऐसा तब हो सकता है, जब बढ़े हुए ब्लड प्रेशर के कारण ब्रेन की नसों में पैरॉक्सिस्मल नेक्स्टर्नल हीमोग्लोबिनुरिया यानी लाल रक्त कोशिकाएं अलग होने लगती हैं। इस वजह से ब्रेन में रक्त प्रवाह का स्तर तेजी से बढ़ सकता है और नसों पर दबाव पड़ सकता है। इससे नसों में सूजन आ सकती है, जो सिरदर्द का कारण बन सकती है। इसके आलाव, अत्याधिक दबाव पड़ने से ब्रेन में ब्लड वेसल्स लीक भी हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर समय रहते एक घंटे के अंदर इस तरह के लक्षण को कम न किया जाए, तो यह जीवन के लिए घातक भी हो सकता है।
हाय ब्लड प्रेशर के कारण सिरदर्द होने पर दिखाई देने वाले अन्य लक्षण (Symptoms of Headache due to High Blood Pressure)
अगर किसी को हाय ब्लड प्रेशर के कारण सिरदर्द की समस्या होती है, तो इसके साथ ही उसे कुछ अन्य लक्षणों का भी अनुभव हो सकता है, जैसेः
- थकान होना
- बेहोशी आना
- माइग्रेन होना
- अंधापन या धुंधला दिखाई देना
- छाती में दर्द होना
- जी मिचलाना
हाय ब्लड प्रेशर के कारण सिरदर्द को तुरंत कंट्रोल कैसे करे? (How to control Headache due to High Blood Pressure)
मौजूदा समय में हाय ब्लड प्रेशर होने की मुख्य वजह का पता नहीं लगाया जा सकता है। हालांकि, इसके पीछे खारब जीवनशैली व आहार संबंधी खराब आदतों को एक अहम वजह मानी जा सकती है। ऐसे में कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखकर इस समस्या के जोखिम को काफी हद तक कम करने में मदद मिल सकती है।
- सीमित मात्रा में नमक का सेवन – ज्यादा नमक खाने से ब्लड प्रेशर बढ़ने का खतरा ज्यादा हो सकता है। इसलिए आहार में नमक या सोडियम युक्त विभिन्न खाद्य खाने की मात्रा सीमित रखें।
- फायबर फूड्स का सेवन करना – अध्ययनों से यह भी पता चला है कि उच्च फाइबर खाद्य खाने से न सिर्फ हृदय जोखिम कम हो सकते हैं, बल्कि यह उच्च रक्तचाप और सूजन जैसी समस्याओं के जोखिम को भी कम कर सकता है। इसके लिए आहार में फायबर रिच फूड जैसे बीन्स, ब्रोकली, एवोकाडो, सेब और सूखे मेवो को शामिल करना लाभकारी हो सकता है।
- धूम्रपान व एल्कोहल बंद करना – जैसा लेख में बता चुके हैं कि हाई बीपी का एक अन्य कारण धूम्रपान व एल्कोहॉल का सेवन करना भी हो सकता है। ऐसे में जितना हो सके इस तरह की आदतों से बचाव करना चाहिए। अगर इसकी आदत चाहकर भी कम नहीं कर पा रहे हैं, तो इससे संबंधित विभिन्न एनजीओ की मदद भी ले सकते हैं।
- सिट्रिक फलों का सेवन करना – सिट्रिक फलों का सेवन करना यानी खट्टे फलों के सेवन से भी हाय ब्लड प्रेशर की समस्या को कम किया जा सकता है। दरअसल, खट्टे फलों में सिट्रिक एसिड होता है, जो बढ़े हुए ब्लड प्रेशर के स्तर को कम कर सकता है। इसके लिए आहार में नींबू, संतरा, चकोतरा और अंगूर जैसे खट्टे फलों के जूस को शामिल किया जा सकता है।
- कैफीन का सेवन कम करना – हाय ब्लड प्रेशर के कारण सिरदर्द होने की समस्या अत्यधिक मात्रा में कैफीन के सेवन से भी जुड़ी हो सकती है। इसलिए, आहार में कैफीन की मात्रा सीमित रखें।
- एसेंशियल ऑयल – एसेंशियल ऑयल यानी तेज मधुर सुगंधित तेलों की खुशबू भी हाय ब्लड प्रेशर के कारण सिरदर्द की समस्या से राहत दिला सकते हैं। इसके लिए पेपरमिंट और लैवेंडर जैसे अन्य एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये तेल केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को शांत करने में मदद कर सकते हैं और नसों को आराम पहुंचाकर सिरदर्द को शांत कर सकते हैं।
- सूजन कम करने वाली खाद्यों का सेवन करना – एंटी-इंफ्लामेटरी यानी सूजन कम करने वाले खाद्य के सेवन से भी सिरदर्द का इलाज किया जा सकता है। यह हाय ब्लड प्रेशर के कारण नसों में होने वाले सूजन को कम कर सकता है। इससे हाय ब्लड प्रेशर के कारण सिरदर्द होने के जोखिम कम हो सकते हैं। इसके लिए आहार में अजमोद, चुकंदर, ब्लू बैरीज, असली के बीज जैसे खाद्यों को शामिल किया जा सकता है।
- साबुत अनाज – जब भी तेज सिरदर्द हो, तो साबुत अनाज खाना एक लाभकारी विकल्प हो सकता है। इस दौरान साबुत अनाज में चना, मटर, बाजरा व जौ को शामिल किया जा सकता है।
उम्मीद है कि इस लेख के जरिए आपको हाय ब्लड प्रेशर के कारण सिरदर्द होने की वजह को समझने में मदद मिली होगी। एक बात का ध्यान रखें कि बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को उसके शुरुआती लक्षणों के साथ ही रिवर्स करने के तरीकों पर ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए। इसके लिए आहार संबंधी स्वस्थ्य व हेल्दी आदतों को अपनाना चाहिए और अच्छी जीवनशैली के प्रति दिनचर्या की गतिविधियों को बढ़ाना चाहिए।
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