कोरोनरी आर्टरी डिजीज यानी दिल से जुड़ी बीमारी। किसी भी बीमारी का इलाज केयर और दवाओं से किया जाता है। ठीक ऐसे ही कोरोनरी आर्टरी डिजीज के लिए दवा (Medications For Coronary Artery Disease) प्रिस्क्राइब की जाती है, जिससे दिल ठीक तरह से अपना काम करे और पेशेंट को तकलीफ ना हो। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार भारत में साल 1990 में 2.26 मिलियन कोरोनरी आर्टरी डिजीज के पेशेंट रजिस्टर किये गयें। वहीं साल 2020 की बात की जाए, तो 4.77 मिलियन कोरोनरी आर्टरी डिजीज के पेशेंट्स रजिस्टर किये गयें। मरीजों की बढ़ती संख्या भले चौकाने वाली हो, लेकिन ज्यादातर रिसर्च रिपोर्ट्स का यही मानना है कि हेल्दी लाइफस्टाइल और मेडिकेशन से दिल की बीमारी (Heart Disease) से बचा जा सकता है। इसलिए आज इस आर्टिकल में कोरोनरी आर्टरी डिजीज के लिए दवा (Medications For Coronary Artery Disease) से जुड़ी जानकारी आपके साथ शेयर करेंगे।
जब हार्ट तक ब्लड ऑक्सिजन (Oxygen) और न्यूट्रीएंट्स (Neutritents) सही मात्रा में नहीं पहुंच पाते हैं, तो ऐसी स्थिति में कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD) या कोरोनरी धमनी की बीमारी होने की संभवना ज्यादा होती है। बैड कोलेस्ट्रॉल (Bad Cholesterol) की वजह से भी कोरोनरी आर्टरी डिजीज की समस्या शुरू हो जाती है। जब प्लाक जमा हो जाता है, तो वे आपकी कोरोनरी आर्टरी (Coronary Artery) को छोटा कर देता है, जिससे हृदय में रक्त का प्रवाह (Blood Flow) कम हो जाता है। कम ब्लड की वजह से सीने में दर्द (एंजाइना), सांस की तकलीफ या अन्य कोरोनरी आर्टरी डिजीज के लक्षण हो सकते हैं। वहीं अगर आर्टरी के पूरी तरह से ब्लॉक होने की स्थिति में हार्ट अटैक (Heart Attack) होने की संभावना बढ़ जाती है। कोरोनरी आर्टरी की बीमारी पुरानी भी हो सकती है क्योंकि शुरुआत में इसके लक्षण समझ में नहीं आ सकते हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार इस बीमारी से बचने के लिए जरूरी है हेल्दी लाइफस्टाइल मेंटेन करना। इसके अलावा कोरोनरी आर्टरी डिजीज के लिए दवा (Medications For Coronary Artery Disease) भी डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब की जा सकती है, जिनके बारे में आगे समझेंगे।
कोरोनरी आर्टरी डिजीज के लिए दवा प्रिस्क्राइब करने से पहले यह ध्यान दिया जाता है कि कोरोनरी आर्टरी डिजीज बैड कोलेस्ट्रॉल की वजह है, तो ऐसे में स्टेटिन्स (Statins), नियासिन (Niacin), फिब्रिस (Fibrates) और बाइल एसिड सेक्वेस्ट्रॉन्ट्स (Bile Acid Sequestrants) प्रिस्क्राइब की जा सकती है।
एस्प्रिन (Aspirin)
अगर मरीज को ब्लड क्लॉट (Blood Clot) की समस्या हो, तो ऐसे में कोरोनरी आर्टरी डिजीज के लिए ड्रग्स के विकल्प में एस्प्रिन प्रिस्क्राइब की जाती है। वहीं अगर पेशेंट को पहले कभी हार्ट अटैक हुआ हो, तो ऐसे में एस्प्रिन (Aspirin) भविष्य में होने वाले हार्ट अटैक (Heart attack) से बचने में मदद मिल सकती है।
नोट: जिन लोगों को ब्लीडिंग डिसॉर्डर (Bleeding disorder) की समस्या है, तो उन्हें डॉक्टर को इसकी जानकारी देनी चाहिए।
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) के अनुसार बीटा ब्लॉकर्स ड्रग्स की एक क्लास है, जिसका कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (Cardiovascular diseases) के इलाज के लिए किया जाता है। इसके साथ ही हायपरटेंशन, कंजेस्टिव हार्ट फेलियर (Congestive Heart Failure), कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease), पोर्टल हाइपरटेंशन (Portal hypertension), ग्लूकोमा (Glaucoma) एवं माइग्रेन (Migraines) जैसी बीमारियों में भी प्रिस्क्राइब की जा सकती है।
कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स (Calcium channel blockers)
चेस्ट पेन (Chest pain) जैसी समस्याओं के लिए कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स (Calcium channel blockers) पेशेंट की हेल्थ कंडिशन और बीमारी की गंभीरता को ध्यान में रखकर डॉक्टर प्रिस्क्राइब कर सकते हैं।
रानोलाजिन (Ranolazine)
चेस्ट पेन जैसी तकलीफों यानी कोरोनरी आर्टरी डिजीज के लिए दवा प्रिस्क्राइब करने के लिए रैनोलजीन और बीटा ब्लॉकर (Beta blocker) के सेवन की सलाह दी जाती है।
नाइट्रोग्लिसरीन (Nitroglycerin)
कोरोनरी आर्टरी डिजीज में नाइट्रोग्लाइसिन (Nitroglycerin) तब प्रिस्क्राइब की जाती है जब सीने में दर्द हो और हार्ट को ब्लड की जरूरत ज्यादा बढ़ जाती है।
एंजियोटेनसिन कंवर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर्स एंड एंजियोटेनसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin-converting enzyme (ACE) inhibitors and angiotensin II receptor blockers [ARBs])
बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को कम करने में कोरोनरी आर्टरी डिजीज के लिए दवा (Medications For Coronary Artery Disease) दी जाती है। इस दवा से कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा भी कम हो सकता है।
यहां ऊपर बताई दवाएं (Medication) कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease) के दौरान प्रिस्क्राइब की जाती है। इन दवाओं के सेवन से दिल की बीमारी से राहत मिल सकती है।
इन कारणों की वजह से और अन्य हेल्थ कंडिशन (Health Condition) की वजह से भी कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease) की समस्या हो सकती है। अगर दिल से जुड़ी कोई भी परेशानी समझ आती है, तो ऐसे में डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
अगर इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो, तो ऐसे में डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर पेशेंट की हेल्थ कंडिशन और बीमारी की गम्भीरता को ध्यान में रखकर कोरोनरी आर्टरी डिजीज के लिए दवा (Medications for Coronary Artery Disease) लेने की सलाह दे सकते हैं।
नोट: अपनी मर्जी से किसी भी दवा का सेवन ना करें। कोरोनरी आर्टरी डिजीज के लिए दवा (Medications for Coronary Artery Disease) से जुड़ी जानकारी सिर्फ समझने के लिय साझा की गई है।
यदि आप कोरोनरी आर्टरी डिजीज की समस्या हैं, तो रेगुलर चेकअप जरूर करवायें। समय-समय पर डॉक्टर से चेकअप कराते रहना आपके लिए जरूरी माना जाता है। यदि ऐसा ना किया जाए, तो कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease complications) की तकलीफ बढ़ सकती है, जिसके कारण आपको कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए कोरोनरी आर्टरी डिजीज के लिए दवा (Medications for Coronary Artery Disease) अगर पेशेंट को प्रिस्क्राइब की जाती है, तो उसका सेवन डॉक्टर द्वारा बताये अनुसार ही करें। दवाओं का सेवन अगर कम या ज्यादा किया जाए तो तकलीफ बढ़ सकती है।
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