हाय ब्लड प्रेशर को लोग अक्सर बीमारी नहीं मानते हैं और इसे इग्नोर भी करते हैं। क्या आप जानते हैं कि हाय ब्लड प्रेशर सीधा दिल की बीमारी से जुड़ा हुआ है? जी हां! हाय बीपी के कारण हार्ट को नुकसान पहुंचता है। ऐसी ही एक कंडीशन है, जो हाय ब्लड प्रेशर के कारण पैदा हो सकती है। हायपरटेंसिव हार्ट डिजीज (Hypertensive Heart Disease) हाय ब्लड प्रेशर के कारण होने वाली कंडीशन है। जब हाय ब्लड प्रेशर का ट्रीटमेंट नहीं कराया जाता है, तो हार्ट को अधिक प्रेशर के साथ काम करना पड़ता है।इस कारण से विभिन्न हार्ट डिसऑर्डर पैदा हो जाते हैं। हायपरटेंसिव हार्ट डिजीज (Hypertensive Heart Disease) के कारण न केवल हार्ट अटैक की समस्या हो सकती है बल्कि हार्ट मसल्स भी थिक हो सकती हैं। हाय ब्लड प्रेशर सीधा कोरोनरी आर्टरी डिजीज से भी जुड़ा हुआ है।
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हायपरटेंसिव हार्ट डिजीज के लक्षण
हायपरटेंसिव हार्ट डिजीज (Hypertensive Heart Disease) के लक्षण बीमारी की गंभीरता के अनुसार कम या फिर ज्यादा हो सकते हैं। बीमारी के बढ़ने पर लक्षण तीव्र हो जाते हैं।
- छाती में दर्द (Chest pain)
- सीने में जकड़न (Pressure in the chest)
- सांस लेने में समस्या (Shortness of breath)
- गर्दन में दर्द (Pain in the neck)
- थकान (Fatigue)
- भूख कम लगना (Loss of appetite)
- एंकल स्वैलिंग (Ankle swelling)
अगर डॉक्टर से जांच कराई जाए और रेगुलर एक्सजाम कराया जाए, तो हाय ब्लड प्रेशर के बारे में जानकारी मिल जाती है। अगर आपको हाय ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो आपको इसे कम रखने का प्रयास करना होगा। आप डॉक्टर से इस बारे में परामर्श करें।
हायपरटेंसिव हार्ट डिजीज (Hypertensive Heart Disease)
हाय ब्लड प्रेशर के कारण हार्ट प्रॉब्लम होती है क्योंकि ये हार्ट आर्टरी और मसल्स में हाय ब्लड प्रेशर के कारण अधिक दबाव पड़ता है। जानिए हायपरटेंसिव हार्ट डिजीज (Hypertensive heart disease) कितने प्रकार की हो सकती हैं।
धमनियों का हाय ब्लड प्रेशर के कारण सिकुड़ना (Narrowing of the arteries)
हायपरटेंसिव हार्ट डिजीज (Hypertensive Heart Disease) में धमनिया सिकुड़ जाती हैं। कोरोनरी आर्टरी ब्लड को हार्ट मसल्स में ट्रांसपोर्ट करती है। जब हाय ब्लड प्रेशर के कारण ब्लड वैसल्स नैरो यानी संकुचित हो जाती हैं, तो हार्ट में ब्लड फ्लो धीमा हो जाता है। इस कारण से कोरोनरी हार्ट डिजीज (Coronary heart disease) की समस्या पैदा हो जाती है। अगर ये समस्या पैदा हो जाए, तो हार्ट फंक्शन पर बुरा प्रभाव पड़ता है और शरीर के अन्य भागों में ब्लड की सप्लाई ठीक तरह से नहीं हो पाती है। अगर ब्लड की सप्लाई ठीक प्रकार से नहीं हो पाती है, तो हार्ट अटैक का खतरा (Heart attack risk) भी बढ़ जाता है।
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हार्ट का मोटा और कुछ बड़ा हो जाना (Thickening and enlargement of the heart)
जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) के कारण हार्ट ब्लड को ठीक तरह से पंप नहीं कर पाता है, जिसके कारण मसल्स को अधिक काम करना पड़ता है और ये कुछ मोटी हो जाती है और बढ़ने लगती है। इस तरह से हार्ट के काम करने का तरीका कुछ बदल जाता है। ये बदलाव हार्ट के पंपिंग चैम्बर में दिखाई पड़ते हैं। इस कंडीशन को लेफ्ट वेंट्रीकुलर हायपरट्रॉफी (Left ventricular hypertrophy) के नाम से जाना जाता है। कोरोनरी हार्ट डिजीज के कारण हार्ट को अधिक काम करना पड़ता है जबकि हार्ट इंलार्जमेंट के कारण हार्ट का आकार कुछ बड़ जाता है, जो कोरोनरी आर्टरीज को कम्प्रेस करता है।
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हायपरटेंसिव हार्ट डिजीज के लिए टेस्ट (Hypertensive Heart Disease test)
हायपरटेंसिव हार्ट डिजीज (Hypertensive heart disease) की जांच के लिए डॉक्टर पहले आपसे बीमारी के लक्षणों के बारे में पूछेंगे। डॉक्टर इलेक्ट्रोकार्डियम मॉनिटर (Electrocardiogram monitors) के माध्यम से हार्ट इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी की जांच करते हैं। स्क्रीन में रिजल्ट दिखता है। ईकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram) की हेल्प से हार्ट की पिक्चर के बारे में पता चलता है। कोरोनरी एंजियोग्राफी (Coronary angiography) की हेल्प से ब्लड फ्लो के बारे में जानकारी मिलती है। डॉक्टर आपके लक्षणों की जानकारी लेने के बाद ही टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। आप जांच से पहले डॉक्टर से इस संबंध में अधिक जानकारी ले सकते हैं। आप डॉक्टर से ये भी पूछ सकते हैं कि जांच के दौरान या पहले क्या कोई खास सावधानी रखने की जरूरत है।
हायपरटेंसिव हार्ट डिजीज ट्रीटमेंट (Hypertensive Heart Disease treatment)
हायपरटेंसिव हार्ट डिजीज (Hypertensive Heart Disease) का ट्रीटमेंट उम्र और बीमारी के लक्षणों के अनुसार किया जाता है। डॉक्टर आपको कुछ दवाओं का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं। दवाओं की सहायता से ब्लड क्लॉट को रोकने की कोशिश की जाती है और साथ ही कोलेस्ट्रॉल के लेवल को भी कम किया जाता है। वॉटर पिल्स की हेल्प से बीपी को लो किया जाता है, वहीं एस्पिरिन की सहायता से ब्लड क्लॉट बनने से रोका जाता है। कुछ मामलों में ब्लड फ्लो को नॉर्मल करने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है। आप बीपी को नॉर्मल रखकर और हेल्दी डायट की मदद से इस बीमारी से बच सकते हैं। अगर आपको हार्ट से संबंधित दवाएं खाने के बाद किसी प्रकार के दुष्प्रभाव दिखें, तो इस संबंध में डॉक्टर को जरूर बताएं। कई बार साइडइफेक्ट्स अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। कुछ दुष्प्रभाव ठीक नहीं होते हैं, तो उसके लिए आपको अन्य दवाओं का सेवन भी करना पड़ सकता है।
हाय ब्लड प्रेशर को अगर कंट्रोल किया जाए, तो हायपरटेंसिव हार्ट डिजीज (Hypertensive heart disease) से बच जा सकता है। आजकल की लाइफस्टाइल में स्ट्रेस (Stress) आम समस्या है। स्ट्रेस पर अगर ध्यान न दिया जाए, तो ये हाय ब्लड प्रेशर को भी जन्म दे सकता है। अब आप खुद ही सोच सकते हैं कि अगर आप अच्छी लाइफस्टाइल नहीं अपनाते हैं या फिर बुरी आदतों से घिरे हैं, तो आपको स्वास्थ्य संबंधी कितनी बड़ी समस्याएं हो सकती हैं। बुरी आदतों को छोड़ कर आप अपनी हार्ट हेल्थ को स्वस्थ बना सकते हैं। अगर आपको हार्ट हेल्थ को लेकर कोई भी जानकारी चाहिए, तो डॉक्टर से बात करें।
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हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता। इस आर्टिकल में हमने आपको हायपरटेंसिव हार्ट डिजीज (Hypertensive Heart Disease) के संबंध में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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