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कोरोना वायरस वैक्सीन को विकसित होने में इतना समय क्यों लग रहा है? कैसे बनती है कोई वैक्सीन

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Surender aggarwal द्वारा लिखित · अपडेटेड 16/05/2021

    कोरोना वायरस वैक्सीन को विकसित होने में इतना समय क्यों लग रहा है? कैसे बनती है कोई वैक्सीन

    कोरोनावायरस के मामले अब दुनिया भर में 4,71,794 से अधिक हो गए हैं और हर दिन पॉजिटिव मरीजों संख्या की बढ़ रही है। वर्तमान में अभी तक करीब 21,297 लोगों की जान लेने वाले कोरोना वायरस (COVID- 19) के लिए कोई प्रभावशाली एंटीवायरल ड्रग्स या टीका उपलब्ध नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने (WHO) ने COVID-19 के दुनिया भर में फैलने के बाद इसे महामारी घोषित कर दिया है। जिसके कारण बायोटेक इंडस्ट्री में दवा कंपनियों और रिसर्च ऑर्गनाइजेशन द्वारा कोरोना वायरस वैक्सीन को विकसित करने के प्रयासों को और तेज कर दिया है। इम्यूनिफाई मी हेल्थकेयर की को-फाउंडर और वाइस प्रेसिडेंट (प्रोडक्ट), डॉ. नादिरा ने बताया कि आखिर कोरोना वायरस वैक्सीन बनने में इतना समय क्यों लग रहा है और एक वैक्सीन को किन चरणों से होकर गुजरना पड़ता है।

    कोरोना वायरस वैक्सीन का विकास

    कोरोना वायरस वैक्सीन का विकास अभी विभिन्न चरणों में हैं और सभी वैज्ञानिक जल्द से जल्द इसका इलाज ढूंढने के लिए दिन-रात कार्य कर रहे हैं। जिसमें कई प्रकार की वैक्सीन जैसे- वायरस को खत्म करने के लिए टीके का विकास, रीकॉम्बिनेंट प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन, एंटीबॉडी वैक्सीन और न्यूक्लिक एसिड वैक्सीन को विकसित करने का प्रयास जारी है। इसके अलावा, कुछ वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने के नए तरीके जैसे इंट्रानेजल कोरोना वायरस वैक्सीन और टेबलेट के रूप में ओरल रीकॉम्बिनेंट वैक्सीन की भी कोशिश कर रहे हैं।

    कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने में अड़चनें

    नोवेल कोरोना वायरस वैक्सीन (COVID-19 vaccine) बनाते समय कई अड़चनें आ रही हैं। जैसे वर्तमान स्थिति में निश्चित आयु के लोगों के लिए वैक्सीन की जरूरत सबसे ज्यादा है, क्योंकि बुजुर्गों में इस खतरनाक वायरस के कारण मृत्यु दर उच्च है। क्योंकि, एक मध्यम उम्र के स्वस्थ व्यक्ति के मुकाबले उनका इम्यून सिस्टम अलग होता है और वह इलाज के प्रति बहुत जल्द प्रतिक्रिया नहीं देता है। इसलिए, सभी उम्र के लोगों के लिए एक ही वैक्सीन प्रभावी नहीं हो सकती है। इसके अलावा, ऐसी वैक्सीन विकसित होने में करीब 10 से 15 साल का समय लग जाता है।

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    वैक्सीन को किन चरणों से गुजरना पड़ता है?

    इसके अलावा, आपको बता दें कि किसी भी वैक्सीन को मार्केट में आने के लिए कई सख्त क्लिनिकल ट्रायल से होकर गुजरना पड़ता है। पहले फेज में वैक्सीन का कुछ दर्जन स्वस्थ स्वयंसेवकों पर परीक्षण किया जाता है, ताकि उससे होने वाले किसी भी आशंकित साइड इफेक्ट और उस वैक्सीन से जुड़ी सुरक्षा के बारे में पूरी तरह से आश्वस्त हुआ जा सके। अगर कोई भी स्वस्थ स्वयंसेवक किसी दुष्प्रभाव से नहीं गुजरता है, तो वैक्सीन को दूसरे फेज में पहुंचा दिया जाता है। वैक्सीन के ट्रायल के दूसरे फेज में उसे कुछ बीमारी या वायरस (वर्तमान में कोरोना वायरस) से प्रभावित इलाके में मौजूद कई सौ लोगों पर टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट में वैक्सीन द्वारा मरीजों के बीमारी में कमी या रोकथाम से संबंधिक डाटा इकट्ठा किया जाता है। अगर, डाटा संभावित इलाज की तरफ सकारात्मक परिणाम दिखा रहा होता है, तो इसे तीसरे फेज में भेज दिया जाता है। कोरोना वायरस वैक्सीन या किसी भी वैक्सीन के ट्रायल के तीसरे फेज में उसे प्रकोप झेल रहे क्षेत्र में मौजूद कई हजार लोगों पर टेस्ट किया जाता है और इस एक्सपेरिमेंट को रिपीट भी किया जाता है। अगर, सभी ट्रायल के परिणाम सकारात्मक रहते हैं, तो इसके बाद वैक्सीन को रेगुलेटिंग बॉडी के पास मान्यता प्राप्त करने के लिए भेज दिया जाता है।

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    कोरोना वायरस वैक्सीन

    भले ही कुछ वैज्ञानिक कोरोना वायरस वैक्सीन को विकसित करने के लिए तेजी से मैसेंजर आरएनए (Messenger RNA) से वायरस के जीनोम को अनुक्रमित कर रहे हैं। परंतु, इस तरह की कोई भी वैक्सीन तैयार करने में समय लगता है। लेकिन, टेक्नोलॉजी एडवांस हो जाने के कारण नए प्रकार के एंटीवायरल ड्रग और इम्यूनोथेरिपी ट्रीटमेंट कई विभिन्न प्रकार की बीमारियों का इलाज करने में सक्षम हैं। इसलिए, पहले से विकासशील ड्रग या कुछ बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल किए जाने वाले ड्रग कोरोना वायरस का इलाज करने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं। चीन के शेन्जेन में मौजूद  गुआंग्डोंग प्रांत में 70 मरीजों पर एक एंटीवायरस ड्रग फेलओवर के द्वारा क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। कथित रूप से इस ड्रग ने कोरोना वायरस की बीमारी का इलाज करने में कुछ मामूली साइड इफेक्ट के साथ प्रभाव दिखता है।

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    कोरोना वायरस वैक्सीन : जिम्मेदार नागरिक बनें

    जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, रोकथाम हमेशा इलाज से बेहतर होता है। इसलिए, दुनियाभर के देशों की सरकारें कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को अलग करने के साथ इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए जरूरी सार्वजनिक स्वास्थ्य एहतियात उठा रही हैं। व्यवसायों और स्कूलों को कुछ दिन के लिए बंद करना, लोगों को घर से कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना, भीड़भाड़ वाली जगहों पर न जाने के लिए कहना और बेवजह घर से बाहर न निकलने जैसी सावधानियां सरकार लोगों से बरतने के लिए कह रही हैं। सरकारों की कोशिशों से अलग स्थिति की गंभीरता को समझते हुए हमें खुद भी जरूरत होने पर घर में ही रहना चाहिए। कुछ जगहों पर लोग बेवजह घरों से बाहर निकल रहे हैं और सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं, जिससे खुद के साथ-साथ कई लोगों के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। इसलिए, एक जिम्मेदार नागरिक बनकर महामारी कोरोना वायरस से लड़ाई जीतने में मदद करें।

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    कोरोना वायरस से सावधानी

    कोरोना वायरस से बचने के लिए भारत सरकार ने लोगों के लिए कुछ सलाह दी है। जबतक कोरोना वायरस वैक्सीन नहीं मिल जाती, तबतक इन एहतियात रूपी सलाह को फॉलो करने से आप कोरोना वायरस संक्रमण से काफी हद तक बच सकते हैं।

    • 20 सेकेंड तक अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं
    • आंखों, नाक और मुंह को छूने से बचें।
    • छींकने या खांसने के दौरान अपने मुंह और नाक को किसी टिश्यू पेपर या फिर कोहनी को मोड़कर ढकें।
    • अगर आप में कोरोना वायरस के लक्षण जैसे बुखार, खांसी या सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, तो जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर से मिलें।
    • अपने डॉक्टर की हर सलाह मानें और पूरी जानकारी प्राप्त करते रहें।
    • भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि अगर आप मास्क लगा रहे हैं तो उससे पहले अपने हाथों को एल्कोहॉल बेस्ड हैंड रब या फिर साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं।
    • बेवजह लोगों से न मिलें, भीड़ न लगाएं।
    • अपने मुंह और नाक को मास्क से अच्छी तरह कवर करें कि उसमें किसी भी तरह का गैप न रहे।
    • आपने जिस मास्क को एक बार इस्तेमाल कर लिया, उसे दोबारा उपयोग में न लाएं।
    • मास्क को पीछे से हटाएं और उसे इस्तेमाल करने के बाद आगे से न छूएं।
    • इस्तेमाल के बाद मास्क को तुरंत एक बंद डस्टबिन में फेंक दें।
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    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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