विश्व कुष्ठ दिवस (World Leprosy Day) हर साल 30 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन कुष्ठ रोग को लेकर दुनियाभर के लोगों में जागरुकता फैलाने का सराहनीय काम किया जाता है। साथ ही इसके रोकथाम (Prevention) के लिए तरह-तरह के ट्रीटमेंट के बारे में बताया जाता है। कुष्ठ रोग को हेन्सन रोग (Hansen Disease) भी कहा जाता है। कुष्ठ रोग के मिथ के बारे में जानना बहुत जरूरी है।
बता दें कि कुष्ठ रोग फ्रांस के एक समाजसेवी राउल फोलेरो (French Humanitarian Raoul Follereau) द्वारा सबसे पहले 1954 में मनाया गया था। दुनिया में इसकी रोकथाम के लिए कई अभियान भी चलाए जाते रहे हैं और इसी कारण दुनिया के कई हिस्सों में इसपर काबू पाना मुश्किल नहीं रह गया है। इसका प्रभाव वहां ज्यादा है जहां, बुनियादी चिकित्सा आसनी से नहीं पहुंच पा रही हैं। विश्व कुष्ठ दिवस-2021 के मौके पर आर्टिकल में बात करेंगे कुष्ठ रोग के बारे में फैलने वाले मिथकों की और साथ ही बात करेंगे उनसे जुड़े सटीक तथ्यों के बारें में।
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क्या है कुष्ठ रोग (What is Leprosy)
कुष्ठ (Leprosy) रोग एक संक्रामक (Infectious) रोग है, जिसका असर शरीर के नर्वस सिस्टम, त्वचा, आंखों, श्वसन तंत्र और कई तंत्रिकाओं पर सबसे ज्यादा पड़ता है। बता दें कि यह कोई छुआछूत बीमारी नहीं है, लेकिन मरीज के साथ लगातार संपर्क में रहने से खतरा भी बढ़ सकता है। क्योंकि, मरीज के खांसने या छींकने से भी इस रोग के फैलने की संभावना जताई जाती है। बता दें कि कुष्ठ रोग जीवाणु माइकोबैक्टीरियम लेप्री (Mycobacterium leprae) के कारण होता है, जिसमें मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं और साथ ही त्वचा में घाव होने लगते हैं।
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कुष्ठ रोग पर फैलने वाले बड़े मिथक (Myths Spreading on Leprosy)
कुष्ठ रोग के मिथ: कुष्ठ रोग (Leprosy) एक संक्रामक रोग है
जानकारी के लिए बता दें कि कुष्ठ रोग एक तेजी से फैलने वाला रोग नहीं है। हालांकि, लोगों ने इसे एक फैलने वाली बीमारी का नाम दे डाला है, जो कि गलत है। बता दें कि इम्यून सिस्टम मजबूत होने के कारण तकरीबन 95 फीसदी लोगों को कुष्ठ रोग से कोई खतरा नहीं है। इम्यून सिस्टम हेल्दी होने का मतलब है कि वह उन बैक्टीरिया से लड़ने में ताकतवर है जो एचडी का कारण बनते हैं।
कुष्ठ रोग के मिथ:कुष्ठ रोग में गिरने लगती हैं हाथ-पैरों की उंगलियां
कुष्ठ रोग को लेकर लोगों में यह भ्रम भी घर कर गया है कि इसमें पीड़ित व्यक्ति की हाथ और पैरों की उंगलियां इंफेक्टेड होकर गिरने लगती हैं। जानकारी के लिए बता दें कि इस बीमारी ऐसा कुछ भी नहीं होता है। दरअसल, कुष्ठ रोग के बैक्टीरिया हाथ-पैरों की उंगलियों तक पहुंच उन्हें सुन्न कर देते हैं। हालांकि, यह बैक्टीरिया हाथ-पैरों की उंगलियों में कटने और जलने जैसी बड़ी समस्या पैदा कर देते हैं, जो पीड़ित के लिए असहनीय होता जाता है।
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कुष्ठ रोग के मिथ:कुष्ठ रोग का स्वरूप नहीं बदला
कुष्ठ रोग में रोगी की चमड़ी पपड़ीदार होने लगती थी और चेहरे पर चकते बनने लगते थे। यहां तक कि चेहरे पर सूजन तक हो जाया करती थी। यह लक्षण प्राचीन ग्रंथों में कुष्ठ रोग के बारे में बताया गए हैं। ऐसा माना जाता था कि यह बहुत ही संक्रामक था। इसमें अंधापन और दर्द की समस्या तक घर कर जाती थी। प्राचीन ग्रंथों में यह भी कहा गया है कि यह कमरें और कपड़ों में आसानी से फैल सकता था। लेकिन, वर्तमान की बात करें तो मेडिकल साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है और इसके फैलने पर बहुत हदतक काबू कर लिया है। कुष्ठ रोग के स्वरूप और प्रभाव में बहुत कमी आई है। कुष्ठ रोग अब पहले जैसा नहीं रहा है।
कुष्ठ रोग के मिथ:धीरे-धीरे अपना प्रभाव दिखाता है
पुराने जमाने से मान्यता है कि कुष्ठ रोग बुरे कर्मों का फल है। लेकिन, मेडिकल साइंस ऐसे किसी भी मिथकों की पुष्टि नहीं करता है। बता दें कि कुष्ठ रोग का कारण जीवाणु माइकोबैक्टीरियम लेप्री (Mycobacterium leprae) हैं, जो रोगी में धीरे-धीरे अपना प्रभाव बढ़ाते हैं। इसे भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में कोढ़ के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए लोगों को इस बात को समझ लेना चाहिए कि यह कोई बुरे कर्मों का अभिशाप नहीं है। बल्कि ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द डॉक्टर की सलाह ले और इलाज करवाएं।
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कुष्ठ रोग के मिथ:कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति को घर से अलग रखें
कुष्ठ रोग को लेकर लोगों में एक बड़ा भ्रम यह भी है कि वे मानते हैं कि कुष्ठ रोगी को घर से अलग किसी विशेष कमरे में रखना जाना चाहिए या फिर उससे दूरी बना लेनी चाहिए। दरअसल, ये सरासर गलत है। क्योंकि, कुष्ठ रोगी का इलाज एंटीबायोटिक दवाईंयों के साथ किया जाता है। ऐसे में वे अपने घर और समाज में साधारण इंसान की तरह रह सकता है। उससे दूरी बनाने का कोई तर्क नहीं है। जबकि, ऐसे रोगियों के साथ बहुत ही अच्छे से पेश आने की जरुरत होती है। कुष्ठ रोगी के बगल में बैठने, हाथ मिलाने और उनसे बात करने से कुष्ठ रोग नहीं फैलता है।
कुष्ठ रोग के मिथ:कुष्ठ रोग एक लाइलाज बीमारी
कुष्ठ रोगियों को कोढ़, छुआछूत और सामाजिक उत्पीड़न तक का सामना करना पड़ता है। हालांकि यह एक संक्रामक बीमारी है, लेकिन उतनी नहीं जितना लोग समझते हैं। कुष्ठ रोग को लोग लाइलाज बीमारी भी बताते हैं। लेकिन, जानकारी के लिए बता दें कि इसका इलाज भी अन्य बीमारियों की तरह से आसानी से किया जा सकता है। क्योंकि, लेप्रोसी की रोकथाम के लिए दुनियाभर में प्रभावी कदम उठाए जाए रहे हैं और इस बीमारी पर कई रिसर्च भी की जा चुकी हैं।
संक्षिप्त में जानें कुष्ठ रोग के 8 बड़े लक्षण (8 Major symptoms of leprosy)
1. हाथ-पैरों और और उंगलियों का सुन्न पड़ जाना
2. मांसपेशियों में कमजोरी महसूस करना
3. पैरों के तलुओं में ऐसे घाव, जिनमे दर्द महसूस न हो
4. चेहरे पर दिखने वाले चपटे और फीके रंग के धब्बे
5. कान और चेहरे के पास ऐसी गांठें जिनमें दर्द महसूस न हो
6. इसमें अंधेपन की समस्या तक हो सकती है
8. त्वचा के प्रभावित हिस्सा का अचानक सुन्न पड़ जाना
कुष्ठ रोग से बचने के 5 सामान्य उपाय (5 common ways to avoid leprosy)
किसी भी बीमारो को बढ़ने से रोकने के लिए सबसे जरूरी है सतर्कता और उसको पहचानकर समय पर इलाज कराना है। आइए जानते हैं क्या है कुष्ठ रोग से बचाव के सामान्य:
1. शरीर के किसी हिस्से पर लगने वाले घाव और चोट को सड़ने न दें। उनके हमेशा साफ रखें और नियमित इलाज लेते रहें।
2. इस कंडिशन में कोशिश करें कि इनक लक्षणों पर नजर बनाएं रखें और गंभीर मामलों पर ध्यान दें।
3. व्यस्कों से ज्यादा बच्चों में कुष्ठ रोग का खतरा अधिक होता है। इसलिए, कोशिश करें कि बच्चों को ऐसे मरीजों से दूर ही रखें।
4. लंबे समय से कुष्ठ रोग का इलाज करवा रहे मरीज से उचित दूरी बनाना ही समझदारी है। उनके संपर्क में ज्यादा न रहें।
5. कुष्ठ रोग होने पर शुरुआती स्तर से उसका इलाज उचित रूप से करवातें रहें और समय-समय पर डॉक्टर की सलाह लेते रहें।
उम्मीद करते हैं कि आपको कुष्ठ रोग के मिथ एंड फेक्ट्स से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।