कुष्ठ रोग को लेकर लोगों में यह भ्रम भी घर कर गया है कि इसमें पीड़ित व्यक्ति की हाथ और पैरों की उंगलियां इंफेक्टेड होकर गिरने लगती हैं। जानकारी के लिए बता दें कि इस बीमारी ऐसा कुछ भी नहीं होता है। दरअसल, कुष्ठ रोग के बैक्टीरिया हाथ-पैरों की उंगलियों तक पहुंच उन्हें सुन्न कर देते हैं। हालांकि, यह बैक्टीरिया हाथ-पैरों की उंगलियों में कटने और जलने जैसी बड़ी समस्या पैदा कर देते हैं, जो पीड़ित के लिए असहनीय होता जाता है।
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कुष्ठ रोग के मिथ:कुष्ठ रोग का स्वरूप नहीं बदला
कुष्ठ रोग में रोगी की चमड़ी पपड़ीदार होने लगती थी और चेहरे पर चकते बनने लगते थे। यहां तक कि चेहरे पर सूजन तक हो जाया करती थी। यह लक्षण प्राचीन ग्रंथों में कुष्ठ रोग के बारे में बताया गए हैं। ऐसा माना जाता था कि यह बहुत ही संक्रामक था। इसमें अंधापन और दर्द की समस्या तक घर कर जाती थी। प्राचीन ग्रंथों में यह भी कहा गया है कि यह कमरें और कपड़ों में आसानी से फैल सकता था। लेकिन, वर्तमान की बात करें तो मेडिकल साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है और इसके फैलने पर बहुत हदतक काबू कर लिया है। कुष्ठ रोग के स्वरूप और प्रभाव में बहुत कमी आई है। कुष्ठ रोग अब पहले जैसा नहीं रहा है।
कुष्ठ रोग के मिथ:धीरे-धीरे अपना प्रभाव दिखाता है
पुराने जमाने से मान्यता है कि कुष्ठ रोग बुरे कर्मों का फल है। लेकिन, मेडिकल साइंस ऐसे किसी भी मिथकों की पुष्टि नहीं करता है। बता दें कि कुष्ठ रोग का कारण जीवाणु माइकोबैक्टीरियम लेप्री (Mycobacterium leprae) हैं, जो रोगी में धीरे-धीरे अपना प्रभाव बढ़ाते हैं। इसे भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में कोढ़ के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए लोगों को इस बात को समझ लेना चाहिए कि यह कोई बुरे कर्मों का अभिशाप नहीं है। बल्कि ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द डॉक्टर की सलाह ले और इलाज करवाएं।
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कुष्ठ रोग के मिथ:कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति को घर से अलग रखें
कुष्ठ रोग को लेकर लोगों में एक बड़ा भ्रम यह भी है कि वे मानते हैं कि कुष्ठ रोगी को घर से अलग किसी विशेष कमरे में रखना जाना चाहिए या फिर उससे दूरी बना लेनी चाहिए। दरअसल, ये सरासर गलत है। क्योंकि, कुष्ठ रोगी का इलाज एंटीबायोटिक दवाईंयों के साथ किया जाता है। ऐसे में वे अपने घर और समाज में साधारण इंसान की तरह रह सकता है। उससे दूरी बनाने का कोई तर्क नहीं है। जबकि, ऐसे रोगियों के साथ बहुत ही अच्छे से पेश आने की जरुरत होती है। कुष्ठ रोगी के बगल में बैठने, हाथ मिलाने और उनसे बात करने से कुष्ठ रोग नहीं फैलता है।