यह बात एकदम सच है कि अगर हम शारीरिक रूप से फिट नहीं है तो मौजूद किसी भी सुख सुविधा का आनंद नहीं ले सकते। शरीर का स्वस्थ होना बेहद जरूरी है, लेकिन कई बार छोटी दिखने वाली तकलीफ बड़ी परेशानी का कारण बन जाती है। जिसमें एक है एडिमा (Edema)। एडिमा यानी बॉडी पर सूजन यह हाथ, पैर, पंजे, एड़ी कहीं पर भी हो सकती है। एडिमा फ्लूइड रिटेंशन (Fluid retention) के कारण होने वाली स्थिति है जो सूजन (swelling) का कारण बनती है। ब्लड वैसल्स (blood vessels) में लीकेज होने पर फ्लूइड नजदीक के टिशूज में चला जाता है। यह एक्स्ट्रा फ्लूइड टिशूज स्वेलिंग का कारण बनता है। हालांकि एलोपैथी इलाज के साथ ही एडिमा का आयुर्वेदिक इलाज भी मौजूद है। जिससे इस समस्या से राहत प्राप्त की जा सकती है।
एडिमा के दो प्रकार हैं। जो निम्न हैं।
- सूजन वाले हिस्से को दबाने पर उस पर निशान पड़ जाना या उसका काला पड़ना
- सूजन वाले हिस्से को दबाने पर कोई निशान न पड़ना
एडिमा के कारण क्या हैं? (causes of Edema)
- लंबे समय तक एक ही पोजिशन में रहना या बैठना
- बहुत ज्यादा नमक का सेवन करना
- प्रेग्नेंसी (Pregnancy)
- एडिमा प्री मेन्ट्रुअल लक्षण (Pre menstrual symptoms) भी हो सकता है
- गर्भनिरोधक दवाओं का उपयोग (use of contraceptive pills)
- हाय ब्लड प्रेशर (high blood pressure)
- हाय ब्लड प्रेशर, एंटी इंफ्लामेट्री (anti inflammatory), स्टेरॉइड (steroids), इस्ट्रोजन (estrogen) और डायबिटीज की दवाओं का उपयोग
[mc4wp_form id=’183492″]
एडिमा होने के अन्य कारण (other causes of edema)
कुछ गंभीर स्वास्थ्य स्थितियां भी एडिमा का कारण बन सकती हैं। जो निम्न हैं।
- हार्ट फेलियर (Heart fail)– जब दिल ब्लड को पंप करने में अक्षम हो जाता है तो ब्लड पैर, एड़ियों और पंजों में आ जाता है जो एडिमा का कारण बनता है।
- सिरोसिस (cirrhosis)- सिरोसिस के कारण लिवर डैमेज हो जाता है जिससे बॉडी में फ्लूइड इक्ठ्ठा हो जाता है जो एडिमा का कारण बनता है।
- किडनी डिजीज (Kidney disease)- किडनी डिजीज में सोडियम और एक्सट्रा फ्लूइड सर्क्युलेशन में मौजूद रहता है। जिससे आंख और आंख के आसपास सूजन आ जाती है।
- पैरों की वेन्स के डैमेज होने से भी एडिमा की शिकायत होती है।
आयुर्वेद के अनुसार एडिमा के कारण क्या हैं? (cause of edema in Ayurveda)
आयुर्वेद में एडिमा को स्वाथू (swathu) और शोथ कहा गया है। जिसका कारण आयुर्वेद में तीनों दोष वात, कफ, पित्त में असंतुलन होना बताया गया है। कफ दोष में असंतुलन होने पर जिसे ‘वाटर दोष’ भी कह जाता है एडिमा का कारण बनता है। जो लोग कफ प्रवृत्ति के होते हैं वे एडिमा से ज्यादा प्रभावित होते हैं। यह कंडिशन उम्र के साथ और बिगड़ जाती है। वात दोष में असंतुलन भी एडिमा का कारण बनता है। बता दें कि किसी एक दोष में असंतुलन होने पर बाकी के दोषों में भी असंतुलन हो जाता है।
यदि ऊर्जा संतुलन बहाल नहीं होता है, लेकिन कुछ उपायों की मदद से एडिमा थोड़ी देर के लिए ठीक हो जाता है, तो यह थोड़े समय के लिए होगा और सूजन फिर से आ जाएगी। इसलिए एडिमा के उपचार के साथ-साथ सभी स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज की भी जरूरत होगी जो सूजन का कारण बनती है। आयुर्वेद में उपचार के लिए जड़ी बूटियों और तेल, मालिश, हर्बल, स्नान का उपयोग किया जाता है। दोषों के संतुलन के प्रभाव के अलावा, ये सभी उपाय प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में तरल पदार्थों से शरीर को छोड़ने में मदद कर सकते हैं, वे डिटॉक्स के लिए भी अच्छे हैं। इनका उपयोग एंटी इंफ्लामेट्री, एंटीबैक्टीरियल और पेनकिलर्स के रूप में भी होता है। एडिमा का आयुर्वेदिक उपचार भी इन्हीं तकनीकों के माध्यम से किया जाता है। एडिमा के लिए मिंट की चाय, सूखे एप्पल पील आदि फायदेमंद हैं।
वात दोष के असंतुलन के कारण होने वाला एडिमा- एडिमा का यह प्रकार वैरिकोज वेन्स (Varicose veins) जैसी कंडिशन के कारण होता है जो दर्द का कारण बनती हैं।
पित्त दोष के असंतुलन के कारण होने वाला एडिमा- पित्त दोष में इम्बैलेंस होने के कारण प्रभावित क्षेत्र में सूजन आती है जो एडिमा का कारण बनती है।
कफ दोष के असंतुलन के कारण एडिमा- कफ दोष के असंतुलन से गंभीर प्रकार का एडिमा होता है।
और पढ़ें: पैरों में सूजन से राहत पाने के लिए अपनाएं ये असरदार घरेलू उपाय
एडिमा के लक्षण क्या हैं? (symptoms of edema)
- स्किन के अंदर के टिशूज में सूजन और फूलापन
- एब्डोमेन का साइज बढ़ना
- स्किन में खिंचाव
नीचे दिए गए लक्षण पल्मोनरी एडिमा के हैं। जिनके दिखाई देने पर पीड़ित को तुरुत मेडिकल अटेंशन की जरूरत होती है।
- सांस लेने में कठिनाई
- सीने में दर्द
- सांस में कमी
और पढ़ें: Arnica : मांसपेशियों की सूजन को दूर करने के लिए असरदार है ये होम्योपैथिक दवा
एडिमा का आयुर्वेदिक इलाज में उपयोग की जाने वाली हर्ब (Ayurvedic herbs for edema)
एडिमा का आयुर्वेदिक इलाज कई औषधियों के द्वारा बताया गया है। ये हर्ब हैं पुनर्नवा (Punarnava), अर्जुन, शिलाजीत, सरल, सुंधि, पिप्पली, मारिचा, अमलाकाई, हरित, पाइपर छाबा, हरिदरा, विदंगना, छित्रक मूल, मंडूर भस्म आदि। इन औषधियों का उपयोग एडिमा के आयुर्वेदिक इलाज के लिए किया जाता है क्योंकि इनमें एंटी इंफ्लामेट्री और हीलिंग प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं। आयुर्वेद का उद्देश्य रोग को जड़ से समाप्त करना है। हालांकि हर्ब्स धीरे-धीरे असर दिखाती हैं, लेकिन इनका असर लंबे समय तक रहता है। इनके साइड-इफेक्ट्स भी ना के बराबर रहते हैं। इन हर्ब्स का उपयोग आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की सलाह से करें। क्योंकि हर मरीज की स्वास्थ्य स्थिति अलग होती है।
क्या एडिमा (Edema) के लिए उपयोग की जाने वाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों सभी के लिए सेफ हैं?
एडिमा का आयुर्वेदिक इलाज हर्ब्स के माध्यम से करने से पहले बता दें कि आयुर्वेदिक दवा हमेशा सभी के लिए सुरक्षित नहीं होती है। इसलिए किसी भी स्वास्थ्य स्थिति के लिए आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी बहुत जरूरी है। खासकर गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को इसके इस्तेमाल में बहुत सतर्कता रखने की आवश्यकता है।
और पढ़ें: हर्पीज के इलाज के लिए आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट है प्रभावकारी, जानें इसके बारे में
एडिमा का आयुर्वेदिक इलाज कैसे किया जाता है? (Ayurvedic treatment for edema)
एडिमा का आयुर्वेदिक उपचार तेल की मालिश, लेप और दूषित पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने वाली पद्धतियों के उपयोग से किया जाता है। जो इस बीमारी को जड़ से खत्म करने में मदद करती है। जानते हैं इनके बारे में।
अभ्यंग (Abhyanga)
अभ्यंग एक चिकित्सकीय तकनीक है। जिसमें आयुर्वेदिक तेल का उपयोग कर पूरी बॉडी पर मसाज किया जाता है। एडिमा के आयुर्वेदिक उपचार के लिए अभ्यंग में दशमूला क्वाथ (dashamoola kwatha) का उपयोग किया जाता है। यह एक इफेक्टिव थेरिपी है।
मृदु विरेचन (Mridu Virechana)
कई स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने के लिए मृदु विरेचन का उपयोग किया जाता है, जिसमें से एक एडिमा भी है। इसमें औषधियों, तेल आदि का उपयोग शरीर से विषाक्त पदार्थों, वसा और पित्त को निकालने के लिए किया जाता है। यह वात दोष के असंतुलन के कारण होने वाली एडिमा के इलाज में सबसे प्रभावी उपाय है।
लेप (Lepa)
इस विधि में औषधियों से निर्मित लेप को बॉडी पर मौजूद बालों की विपरीत दिशा में लगाया जाता है। लेप अदरक, देवदार, हरिद्रा, रक्त चंदना, हरितकी और डारू हरिद्रा जैसी जड़ी बूटियों से निर्मित किया जाता है। यह पित्त दोष के कारण होने वाले एडिमा के उपचार के लिए बेस्ट है।
रक्त मोक्षण (Raktamokshana)
इस विधि में रक्तपात क्रिया के माध्यम से शरीर के विभिन्न भागों से विषाक्त पदार्थ बाहर निकाले जाते हैं। एडिमा के अलावा यह सिर दर्द, लिवर संबंधित रोग, हाइपरटेंशन में भी यह थेरिपी राहत प्रदान करती है।
आयुर्वेद में आयुर्वेदिक तरीके से उपचार के साथ ही भोजन परहेज पर भी खासा जोर दिया गया है। कुछ विशेष स्वास्थ्य स्थितियों में कुछ चीजों को खाने से मना किया जाता है।
और पढ़ें: टांगों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? टांगों में दर्द होने पर क्या करें और क्या ना करें?
एडिमा से पीड़ित होने पर इन चीजों को ना खाएं
सोडियम अत्यधिक उपयोग बॉडी में वॉटर रिटेंशन (Water retention) का कारण बनता है। इसलिए इस लिस्ट में ऐसे पदार्थों के बारे में बताया गया है जिन्हें एडिमा के मरीज को नहीं खाना चाहिए। ये फूड्स तकलीफ को बढ़ा सकते हैं।
- प्रोसेस्ड ग्रेन जैसे कि पॉपकॉर्न (Popcorn), ओट्स (oats) सीरियल्स सब्जियों के जूस जो कैन में आते हैं, कोल्ड ड्रिंक्स
- प्रोसेस्ड मीट (Processed Meat)
- प्रोसेस्ड डेयरी प्रोडक्ट्स (Processed Dairy Products)
- बाहर का खाना
- ट्रांस फैट वाले फूड आयटम्स (Trans fat food items)
इस तरह एडिमा का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है। याद रखें किसी भी प्रकार की बीमारी होने पर सबसे पहले डॉक्टर से सलाह लें। इसके बाद ट्रीटमेंट शुरू करें।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और एडिमा का आयुर्वेदिक इलाज से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
[embed-health-tool-bmi]