क्रिप्टोकोकोसिस क्या है?
क्रिप्टोकोकोसिस फंगी (कवक) से होने वाली एक बीमारी है। क्रिप्टोकोकस वो फंगस है जो मिट्टी में पाया जाता है। यह रोग मनुष्यों और जानवरों को संक्रमित करता है। सांस के माध्यम से इसे अंदर लेने से फेफड़ों में संक्रमण होता है जो दिमाग तक फैल सकता है, जिससे मेनिंगोएन्सेफलाइटिस हो सकता है। इस रोग के परिणाम घातक हो सकते हैं।
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क्रिप्टोकोकोसिस को कई अन्य नामों से जाना जाता है जैसे बससे-बसचके रोग (Busse-Buschke Disease), क्रिप्टोकोकिक मेनिनजाइटिस (Cryptococcic meningitis), क्रिप्टोकोकोसिस लंग, क्रिप्टोकोकोसिस स्किन, यूरोपीय ब्लास्टोमाइकोसिस, तोरुलार मैनिंजाइटिस (Torular Meningitis), तोरुलोसिस (Torulosis) आदि।
कितना सामान्य है?
यह एक बेहद दुलर्भ बीमारी है जो ज्यादा लोगों में नहीं पाई जाती है। आमतौर पर यह रोग 40 वर्ष से लेकर 60 वर्ष के लोगों को प्रभावित करती है। यह महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में अधिक पाई जाती है। जिन लोगों को इम्युनिटी संबंधी विकार या इंफेक्शन के प्रति कमजोर इम्युनिटी होती है उनमें इसके होने का अधिक खतरा होता है।
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क्रिप्टोकोकोसिस के कारण?
क्रिप्टोकोकस निओफॉर्मन्स और क्रिप्टोकोकस गत्ती वो फंगी या कवक है जो इस रोग का कारण है। दुनिया भर में क्रिप्टोकोकस निओफॉर्मन्स इंफेक्शन देखा जाता है। क्रिप्टोकोकस गत्ती इंफेक्शन मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका के पेसिफिक उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र, कनाडा में ब्रिटिश कोलंबिया, दक्षिण पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया में देखा गया है। यही नहीं, महिलाओं की तुलना में यह पुरुषों को अधिक प्रभावित करता है।
1) क्रिप्टोकोकस सबसे आम कवक है जो गंभीर संक्रमण का कारण बनता है। यह दोनों कवक मिट्टी में पाए जाते हैं। समय के साथ यह पूरे शरीर में फैल जाता है। यहीं नहीं, जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर है, उनमें क्रिप्टोकोकोसिस की समस्या अधिक देखने को मिलती है। जैसे:
- HIV/AIDS
- कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाओं की अधिक खुराक लेने वालों में
- कैंसर रोगी
- जो लोग कैंसर के लिए कीमोथेरेपी दवाओं पर हैं
- जिन्हे हॉजकिन रोग है
- सामान्य तौर पर 20 से 40 साल लोगों में यह इंफेक्शन देखने को मिलता है।
2) कवक को सांस से शरीर के अंदर लेने से यह रोग होता है और यह कवक पक्षियों की कई प्रजातियों खासतौर पर कबूतर के मल आदि से जुड़ा हुआ होता है।
3) कुछ साल पहले तक, क्रिप्टोकोकस गत्ती इंफेक्शन को ट्रॉपिकल और सबट्रॉपिकल वातावरण में पाए जाने वाले पौधों से भी जोड़ा जाता था।
4) क्रिप्टोकोकोसिस इंफेक्शन में अधिकांश हिस्सा क्रिप्टोकोकस नियोफॉर्मन्स और क्रिप्टोकोकस गत्ती द्वारा होता है। हालांकि, 50 से अधिक क्रिप्टोकॉकस प्रजातियां हैं, केवल इनकी कुछ अन्य प्रजातियां शायद ही कभी मनुष्यों को संक्रमित करती हैं।
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लक्षण
क्रिप्टोकोकोसिस इंफेक्शन कमजोर इम्युनिटी के लोगों के मस्तिष्क में फैल सकता है। न्यूरोलॉजिकल (मस्तिष्क) लक्षण धीरे-धीरे शुरू होते हैं। अधिकांश लोगों में इस रोग का निदान होने पर मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में सूजन और जलन होती है। दिमाग के संक्रमण के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
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यह इंफेक्शन फेफड़ों और अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता हैं। फेफड़ों के इंफेक्शन के लक्षण इस प्रकार हैं:
- सांस लेने में परेशानी
- खांसी
- छाती में दर्द
इसके अलावा यह लक्षण भी नजर आ सकते हैं:
- छाती की हड्डी में दर्द हो जाना,
- थकान,
- त्वचा में रैशेस जिनमें लाल दाने, अल्सर आदि,
- पसीना आना (असामान्य या रात में अधिक पसीना आना),
- ग्रंथियों में सूजन,
- वजन कम होना
क्रिप्टोकोकोसिस रोग के गंभीर लक्षण इस प्रकार हैं:
- बुखार
- अधिक खांसी
- हैमोप्टिसिस
- दिमाग की स्थिति में बदलाव
- मैनिंजाइटिस
- सीजर्स
- कोमा
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इसके लक्षण कब दिखाई देते हैं?
संक्रमण के लिए क्रिप्टोकोकस प्रजातियों के कारण समय अलग हो सकता है। क्रिप्टोकोकस गत्ती संक्रमण के लक्षण एक्सपोजर के दो से 11 दिनों के बीच में कभी भी दिखाई दिए जा सकते हैं। क्रिप्टोकोकस नियोफ़ॉर्मन्स के लिए इस अवधि के बारे में जानकारी नहीं है।
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निदान और उपचार को समझें
क्रिप्टोकोकोसिस रोग के निदान के लिए सबसे पहले आपके डॉक्टर आपसे लक्षणों और अन्य मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछेंगे।
- क्रिप्टोकोकोसिस रोग का निदान माइक्रोस्कोपिक परीक्षण और / या टिशू या शरीर के तरल पदार्थ जैसे रक्त और थूक के कल्चर टेस्ट द्वारा किया जा सकता है। मस्तिष्कमेरु द्रव के लिए सीएसएफ टेस्ट किया जाता है।)
- इसके साथ ही इसके निदान के लिए क्रिप्टोकॉकल एंटीजन टेस्ट किया जाता है जो रक्त और / या सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड के प्रयोग के द्वारा किया जाता है।
- क्रिप्टोकोकोसिस रोग का निदान शरीर के फ्लूइड या टिश्यू में मौजूद क्रिप्टोकोकस नियोफोर्मन्स की उपस्थिति पर निर्भर करता है। कुछ परिस्थितियों में कवक की उपस्थिति एक माइक्रोस्कोप के साथ देखी जा सकती है; अन्य परिस्थितियों में एक मरीज से लिए गए तरल पदार्थ के नमूनों से ऑर्गैनिस्म को बढ़ने की आवश्यकता होती है।
- इस फंगस से लड़ने के लिए शरीर में मौजूद पदार्थ का पता लगाने के लिए एक इम्यूनोलॉजिकल टेस्ट बनाया गया है।
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डॉक्टर सबसे पहले आपकी शारीरिक जांच करेंगे और उसके बाद आपसे आपके लक्षणों और ट्रेवल हिस्ट्री के बारे में पूछेंगे। फिजिकल जांच से उन्हें इन बातों की जानकारी हो सकती है:
- असामान्य सांस की आवाज
- हृदय गति का तेज होना
- बुखार
- मानसिक स्थिति में बदलाव
- गर्दन में अकड़न
डॉक्टर आपसे निम्नलिखित टेस्ट करा सकते हैं
- ब्लड कल्चर टेस्ट ताकि दो कवक के बीच में अंतर किया जा सके
- सिर का CT स्कैन
- स्प्यूटम (Sputum) कल्चर और स्टाइन
- लंग बायोप्सी
- ब्रोंकोस्कोपी और ब्रोन्कोएल्वियोलर लेवेज
- सेलिब्रोस्पाइनल फ्लूइड (CSF) का एक नमूना प्राप्त करने के लिए स्पाइनल टैप
- सेलिब्रोस्पाइनल फ्लूइड कल्चर और अन्य टेस्ट ताकि इंफेक्शन के लक्षण पता चल सके
- चेस्ट X-Ray
- क्रिप्टोकोकल एंटीजन टेस्ट
उपचार
कुछ इंफेक्शन के होने पर उनमे किसी तरह के उपचार की जरूरत नहीं होती। फिर भी, पूरे साल इस बात को सुनिश्चित करने के लिए बार-बार नियमित चेकअप करें ताकि यह इंफेक्शन न फैले। यदि फेफड़े के घाव हैं या रोग फैलता है, तो आपके डॉक्टर आपको एंटी-फंगल दवाओं को लेने की सलाह देंगे। इन दवाओं को लंबे समय तक लेने की जरूरत होती है। यह दवाईआं इस प्रकार हैं
- फ्लूसाइटोसीन (Flucytosine)
- अम्फोर्टेरिसिन बी (Amphotericin B)
- फ्लुकोनाज़ोल (Fluconazole)
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क्रिप्टोकोकोसिस से ग्रस्त ज्यादातर लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। सेंटर फॉर डिजीज एंड प्रिवेंशन के मुताबिक यह संक्रमण 1 लाख लोगों में केवल 0.3 प्रतिशत से 1.3 प्रतिशत तक ही होता है।
इस रोग से अधिक गंभीर रोग जैसे एचआइवी या एड्स के रेट प्रति 1000 लोगों में 2 से 7 हैं। जो की क्रिप्टोकोकोसिस से काफी ज्यादा है। हालांकि, क्रिप्टोकोकोसिस रोग एड्स या एचआईवी से ग्रसित मरीजों में अधिक सामान्य है। दोनों रोग के एक साथ होने पर मरीज के बचने की आशंका 50 से 70 प्रतिशत तक कम हो जाती है।
ज्यादातर मामलों में मरीज को उम्र भर फ्लुकोनाजोल का सेवन करना पड़ सकता है। खासतौर से जिन व्यक्ति को एड्स की समस्या हो। इस दवा का सेवन करने से रोग के होने की आशंका कम की जा सकती है।