कहीं आपकी हंसी, छींक या खांसी की वजह से यूरिन निकल जाता है, तो आप ओवरएक्टिव ब्लैडर (Overactive Bladder) की समस्या से पीड़ित हैं। यह पुरुष, महिला या बच्चों में होने वाली समस्या है। क्यों होती है ओवरएक्टिव ब्लैडर की समस्या और क्या हैं इसके कारण? आर्टिकल में इस शारीरिक परेशानी से जुड़ी समस्या को सुलझाएंगे।
- क्या है ओवरएक्टिव ब्लैडर?
- ओवरएक्टिव ब्लैडर के लक्षण क्या हैं?
- ओवरएक्टिव ब्लैडर के कारण क्या हैं?
- ओवरएक्टिव ब्लैडर का डायग्नोसिस कैसे किया जाता है?
- ओवरएक्टिव ब्लैडर का इलाज कैसे किया जाता है?
- ओवरएक्टिव ब्लैडर होने पर डायट कैसा होना चाहिए?
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क्या है ओवरएक्टिव ब्लैडर? (What is Overactive Bladder?)
ओवरएक्टिव ब्लैडर एक ऐसी तकलीफ है, जिसमें ब्लैडर से जुड़ी समस्या शुरू होने लगती है। ओवरएक्टिव ब्लैडर के कारण बार-बार यूरिन की इच्छा होती है। कई बार तो टॉयलेट पहुंचने के पहले ही यूरिन निकलने लगता है।नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार एक एडल्ट व्यक्ति को 24 घंटे में 5 से 6 बार टॉयलेट जाना चाहिए। अगर यूरिन की फ्रीक्वेंसी 8 बार से ज्यादा रहती है, तो व्यक्ति को सतर्क हो जाना चाहिए। इस आर्टिकल में आगे ओवरएक्टिव ब्लैडर (Overactive Bladder) के लक्षणों को समझेंगे।
ओवरएक्टिव ब्लैडर के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Overactive Bladder)
इसके लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- बार-बार पेशाब लगना
- 24 घंटे में 8 बार से ज्यादा पेशाब करना
- रात को सोने के दौरान एक या दो बार से ज्यादा टॉयलेट जाना
- यूरिनेशन पर कंट्रोल नहीं रख पाना
नोट: कभी भी टॉयलेट को रोकना नहीं चाहिए। इससे ब्लैडर में इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है।
ओवरएक्टिव ब्लैडर के ये लक्षण हो सकते हैं।
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ओवरएक्टिव ब्लैडर के कारण क्या हैं? (Cause of Overactive Bladder)
ओवरएक्टिव ब्लैडर के मुख्य कारण क्या हैं, ये अभी तक साफ नहीं है। लेकिन इसके कुछ कारण इस प्रकार हैं। जैसे:
- जरूरत से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करना।
- ऐसी दवाओं का सेवन करना, जिनकी वजह से यूरिन प्रॉडक्शन ज्यादा होना।
- यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) होना।
- जरूरत से ज्यादा कैफीन (Caffeine) या एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन करना।
- ब्लैडर स्टोन (Bladder stone) जैसी ब्लैडर एब्नॉर्मलिटीज (Bladder abnormalities) होना।
ओवरएक्टिव ब्लैडर का डायग्नोसिस कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Overactive bladder)
ओवरएक्टिव ब्लैडर के लक्षणों को समझकर डॉक्टर निम्नलिखित शारीरिक जांच करवाने की सलाह देते हैं। इनमें शामिल है:
यूरिन सैंपल (Urine Sample)- यूरिन सैंपल की मदद से एब्नॉर्मलिटीज, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन या यूरिनरी ट्रैक्ट प्रॉब्लम से जुड़ी अन्य परेशानियों को समझने में आसानी मिलती है।
फिजिकल एग्जामिनेशन (Physical examination)- इस दौरान किडनी और एंलार्जड प्रोस्टेट (Enlarged prostate) की जांच की जाती है।
ब्लैडर स्कैन (Bladder scan)- यह एक तरह का अल्ट्रासाउंड है, जिससे ब्लैडर में यूरिन लेवल की जानकारी मिलती है।
यूरोडायनामिक टेस्ट (Urodynamic test)- इस टेस्ट से ब्लैडर की कार्य क्षमता की जानकारी मिलती है।
सिस्टोस्कॉपी (Cystoscopy)- ओवरएक्टिव ब्लैडर किसी एब्नॉर्मलटीज की वजह से हुई है, उसकी जानकारी सिस्टोस्कॉपी से मिलती है। इस टेस्ट से ब्लैडर में ट्यूमर (Tumors) या स्टोन है, इसकी जानकारी भी मिलती है। अगर ट्यूमर है, तो बायोप्सी (Biopsies) भी की जा सकती है।
इन टेस्ट के अलावा पेशेंट की हेल्थ कंडिशन को देखते हुए अन्य बॉडी चेकअप की सलाह दी जा सकती है।
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ओवरएक्टिव ब्लैडर का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment of Overactive bladder)
ओवरएक्टिव ब्लैडर (OAB) का इलाज निम्नलिखित तरह से किया जाता है। जैसे:
पेल्विक फ्लोर फिजिकल थेरिपी (Pelvic floor physical therapy)- पेल्विक मसल्स को स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए पेल्विक फ्लोर फिजिकल थेरिपी की मदद ली जाती है। इससे यूरिन से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं।
मेडिकेशन (Medication)- ओवरएक्टिव ब्लैडर के इलाज के लिए टोलटेरोडाइन (Tolterodine), ट्रॉसपियम (Trospium) और मिराबेग्रोन (Mirabegron) जैसी दवाएं प्रिस्क्राइब की जाती हैं। इन दवाओं के सेवन से ड्राय आंखें, ड्राय माउथ या कब्ज (Constipation) जैसी समस्या हो सकती हैं या यूं कहें कि ये इन दवाओं के सेवन से होने वाले साइड इफेक्ट्स हैं।
बोटॉक्स (Botox)- ब्लैडर मसल्स को ठीक तरह से काम करने के लिए बोटॉक्स को की कम से कम डोज दी जाती है। इससे ओवरएक्टिव ब्लैडर (OAB) के सिम्प्टंस कम होते हैं। बोटॉक्स इंजेक्शन का प्रभाव 6 से 8 महीनों तक रहता है, लेकिन इसके बाद बोटॉक्स की डोज फिर से दी जाती है।
नर्व स्टिमुलेशन (Nerve stimulation)- ओवरएक्टिव ब्लैडर (OAB) की समस्या होने पर नर्व स्टिमुलेशन टेक्निक से इलाज किया जाता है। इस दौरान पेशेंट के लोअर बैक या पैर के निचले हिस्से में एक छोटी सी निडिल इंसर्ट की जाती है, जो ब्लैडर को इलेक्ट्रिकल सिग्नल भेजने में मददगार होता है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार ओवरएक्टिव ब्लैडर की गंभीर समस्या होने पर ये बेहद कारगर माना जाता है।
सर्जरी (Surgery)- अगर ऊपर बताये तरीकों से पेशेंट को लाभ नहीं मिलता है या पेशेंट की हालत ज्यादा गंभीर होती है, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते हैं। सर्जरी की मदद से ब्लैडर की कैपेसिटी को बढ़ाया जाता है।
इन अलग-अलग तरीकों से ओवरएक्टिव ब्लैडर (Overactive Bladder) का इलाज किया जाता है।
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ओवरएक्टिव ब्लैडर होने पर डायट कैसा होना चाहिए? (Diet for Overactive Bladder patients)
अपने रेग्यूलर डायट में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करें, जो विटामिन्स (Vitamins) से भरपूर हों और नॉन-एसिडिक (Non- Acidic) हों। इसलिए निम्नलिखित फल और सब्जियों का सेवन किया जा सकता है।
फलों में खाएं-
- केला
- सेब
- अंगूर
- नारियल
- तरबूज
- स्ट्रॉबेरी
- ब्लैकबैरी
सब्जियों में खाएं-
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फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन जरूर करें। इससे कॉन्स्टिपेशन की समस्या नहीं होगी, जिससे ब्लैडर पर दवाब नहीं पड़ेगा। इसलिए नीचे बताये जा रहे खाद्य पदार्थों को आहार में जरूर शामिल करें। जैसे:
- लेनटिल्स
- बीन्स
- रास्पबेरी
- बार्ली
- ओट्स
- आलमंडस
बॉडी के लिए प्रोटीन भी आवश्यक है, लेकिन जरूरत से ज्यादा नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए प्रोटीन की कमी ना हो, इसलिए डायट में इन्हें शामिल करें। जैसे:
- मछली
- चिकन
- टोफू
- अंडा
इन ऊपर बताये खाद्य पदार्थों को नियमित खाने की आदत डालें।
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किन-किन खाद्य या पेय पदार्थों का सेवन ना करें? (Food to avoid)
- एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन ना करें।
- मसालेदार खाद्य पदार्थों से दूर रहें।
- सिट्रस जूस का सेवन ना करें।
- कैफीन (Caffeine) या कैफीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें।
- कार्बोनेटेड ड्रिंक (Carbonated drink) नहीं पीना चाहिए।
- चीनी और रिफाइंड आटा ना खाएं।
- तला हुआ खाना और सॉसेज से भी दूर रहें।
ओवरएक्टिव ब्लैडर (Overactive Bladder) की तकलीफ से बचने के लिए ऊपर बताये खाने-पीने की चीजों से दूर ही रहें। अगर आप ओवरएक्टिव ब्लैडर (Overactive Bladder) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। वहीं अगर आप इसके लक्षण महसूस कर रहें हैं, तो देर ना करें और जल्द से जल्द से डॉक्टर से कंसल्ट करें, क्योंकि ओवरएक्टिव ब्लैडर का बुरा प्रभाव किडनी पर भी पड़ना तय माना जाता है। इसलिए वक्त रहते सतर्क हो जाएं और डॉक्टर की देखरेख में इलाज शुरू करवाएं।
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