- जरूरत से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करना।
- ऐसी दवाओं का सेवन करना, जिनकी वजह से यूरिन प्रॉडक्शन ज्यादा होना।
- यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) होना।
- जरूरत से ज्यादा कैफीन (Caffeine) या एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन करना।
- ब्लैडर स्टोन (Bladder stone) जैसी ब्लैडर एब्नॉर्मलिटीज (Bladder abnormalities) होना।
ओवरएक्टिव ब्लैडर का डायग्नोसिस कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Overactive bladder)
ओवरएक्टिव ब्लैडर के लक्षणों को समझकर डॉक्टर निम्नलिखित शारीरिक जांच करवाने की सलाह देते हैं। इनमें शामिल है:
यूरिन सैंपल (Urine Sample)- यूरिन सैंपल की मदद से एब्नॉर्मलिटीज, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन या यूरिनरी ट्रैक्ट प्रॉब्लम से जुड़ी अन्य परेशानियों को समझने में आसानी मिलती है।
फिजिकल एग्जामिनेशन (Physical examination)- इस दौरान किडनी और एंलार्जड प्रोस्टेट (Enlarged prostate) की जांच की जाती है।
ब्लैडर स्कैन (Bladder scan)- यह एक तरह का अल्ट्रासाउंड है, जिससे ब्लैडर में यूरिन लेवल की जानकारी मिलती है।
यूरोडायनामिक टेस्ट (Urodynamic test)- इस टेस्ट से ब्लैडर की कार्य क्षमता की जानकारी मिलती है।
सिस्टोस्कॉपी (Cystoscopy)- ओवरएक्टिव ब्लैडर किसी एब्नॉर्मलटीज की वजह से हुई है, उसकी जानकारी सिस्टोस्कॉपी से मिलती है। इस टेस्ट से ब्लैडर में ट्यूमर (Tumors) या स्टोन है, इसकी जानकारी भी मिलती है। अगर ट्यूमर है, तो बायोप्सी (Biopsies) भी की जा सकती है।
इन टेस्ट के अलावा पेशेंट की हेल्थ कंडिशन को देखते हुए अन्य बॉडी चेकअप की सलाह दी जा सकती है।
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ओवरएक्टिव ब्लैडर का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment of Overactive bladder)
ओवरएक्टिव ब्लैडर (OAB) का इलाज निम्नलिखित तरह से किया जाता है। जैसे:
पेल्विक फ्लोर फिजिकल थेरिपी (Pelvic floor physical therapy)- पेल्विक मसल्स को स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए पेल्विक फ्लोर फिजिकल थेरिपी की मदद ली जाती है। इससे यूरिन से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं।
मेडिकेशन (Medication)- ओवरएक्टिव ब्लैडर के इलाज के लिए टोलटेरोडाइन (Tolterodine), ट्रॉसपियम (Trospium) और मिराबेग्रोन (Mirabegron) जैसी दवाएं प्रिस्क्राइब की जाती हैं। इन दवाओं के सेवन से ड्राय आंखें, ड्राय माउथ या कब्ज (Constipation) जैसी समस्या हो सकती हैं या यूं कहें कि ये इन दवाओं के सेवन से होने वाले साइड इफेक्ट्स हैं।
बोटॉक्स (Botox)- ब्लैडर मसल्स को ठीक तरह से काम करने के लिए बोटॉक्स को की कम से कम डोज दी जाती है। इससे ओवरएक्टिव ब्लैडर (OAB) के सिम्प्टंस कम होते हैं। बोटॉक्स इंजेक्शन का प्रभाव 6 से 8 महीनों तक रहता है, लेकिन इसके बाद बोटॉक्स की डोज फिर से दी जाती है।
नर्व स्टिमुलेशन (Nerve stimulation)- ओवरएक्टिव ब्लैडर (OAB) की समस्या होने पर नर्व स्टिमुलेशन टेक्निक से इलाज किया जाता है। इस दौरान पेशेंट के लोअर बैक या पैर के निचले हिस्से में एक छोटी सी निडिल इंसर्ट की जाती है, जो ब्लैडर को इलेक्ट्रिकल सिग्नल भेजने में मददगार होता है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार ओवरएक्टिव ब्लैडर की गंभीर समस्या होने पर ये बेहद कारगर माना जाता है।
सर्जरी (Surgery)- अगर ऊपर बताये तरीकों से पेशेंट को लाभ नहीं मिलता है या पेशेंट की हालत ज्यादा गंभीर होती है, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते हैं। सर्जरी की मदद से ब्लैडर की कैपेसिटी को बढ़ाया जाता है।
इन अलग-अलग तरीकों से ओवरएक्टिव ब्लैडर (Overactive Bladder) का इलाज किया जाता है।
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