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Anti-Androgens: जानिए एंटी एड्रोजन्स का क्या होता है शरीर पर असर?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/04/2021

    Anti-Androgens: जानिए एंटी एड्रोजन्स का क्या होता है शरीर पर असर?

    हमारे शरीर में हॉर्मोन का अहम रोल होता है। शरीर में किसी भी तरह की प्रोसेस हो, बिना हॉर्मोन के पॉसिबल नहीं होती है। एड्रोजन्स भी महत्वपूर्ण हॉर्मोन होता है, जो सेक्स से संबंधित क्रियान्वयन के लिए जरूरी होता है। महिलाओं में इसकी मात्रा कम होती है और एस्ट्रोजन की मात्रा अधिक होती है। एंटी एंड्रोजन्स ड्रग्स का इस्तेमाल शरीर में अधिक मात्रा में बन रहे एंड्रोजन्स को कंट्रोल करना है। ये टेस्टोस्टेरॉन के प्रभाव को कम करने का काम करता है। एंटी एंड्रोजन्स (Anti androgens) प्रोटीन (एंड्रोजन रिसेप्टर) को बाइंड करने का काम करता है। एंटी एंड्रोजन्स विभिन्न प्रकार के होते हैं। इन्हें अन्य मेडिसिन के साथ भी लिया जा सकता है। इसे सर्जिकल प्रोसेस के दौरान भी लेने की सलाह दी जाती है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको एंटी एंड्रोजन्स के महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में जानकारी देंगे।

     महिलाओं में एंटी एड्रोजन्स (Anti androgens) का इस्तेमाल

    सभी महिलाओं में एड्रोजन्स पाया जाता है लेकिन अधिक मात्रा में नहीं। जब महिलाओं में एड्रोजन्स की अधिक मात्रा पाई जाती है, तो उनमें कई तरह की समस्याएं पैदा होने लगती हैं। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (polycystic ovary syndrome) से पीड़ित महिलाओं में एड्रोजन्स का अधिक स्तर पाया जाता है। वहीं इस हॉर्मोन के कारण महिलाओं के शरीर में तेजी से बालों में वृद्दि होने लगती है। ऐसे में एंटी एड्रोजन्स का इस्तेमाल कर बीमारी के लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है। इस हॉर्मोन की अधिकता के कारण महिलाओं में एक्ने की समस्या, ऑव्युलेशन प्रॉब्लम ( ovulation problems) आदि भी होने लगते हैं। कुछ अन्य कंडीशन जैसे कि ओवेरियन ट्यूमर (ovarian tumors), एड्रेनल ग्लैंड ट्यूमर (adrenal gland tumors), एड्रेनल हाइपरप्लासिया (adrenal hyperplasia) आदि कंडीशन के कारण भी महिलाओं में एड्रोजन्स का स्तर बढ़ जाता है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह से एंटी एंड्रोजन्स का इस्तेमाल बहुत जरूरी हो जाता है। आपको इस बारे में डॉक्टर से जानकारी जरूर लेनी चाहिए।

    पुरुषों में एड्रोजन्स का स्तर बढ़ने पर होने वाली समस्याएं

    एंड्रोजेन प्रोस्टेट में कैंसर सेल्स ग्रोथ में सहायता करता है। अगर एंड्रोजेन को कैंसर सेल्स तक पहुंचने से रोका जाए, कैंसर की रफ्तार को धीमा किया जा सकता है। साथ ही ट्यूमर भी सिकुड़ जाता है। एंटी एंड्रोजन्स (Anti androgens) का इस्तेमाल कर प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer) को रोका जा सकता है। एंटी एंड्रोजन का सेवन एंड्रोजन के प्रोडक्शन को कम नहीं करता है बल्कि इसे सर्जिकल प्रोसेस के दौरान इस्तेमाल किया जाता है।

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    ट्रांसजेंडर महिलाओं में एंटी एंड्रोजन्स का इस्तेमाल

    ट्रांसजेंडर महिलाओं में एंड्रोजन्स की अधिकता होने पर चेहरे पर अधिक बाल, गंजेपन की समस्या(Baldness problem) आदि समस्याएं होने लगती हैं। एंटी एंड्रोजन्स का इस्तेमाल कर इन समस्याओं से राहत पाई जा सकती है। ट्रांसजेंडर महिलाओं में एंटी एंड्रोजन्स का इस्तेमाल एस्ट्रोजन के साथ अधिक प्रभावी होता है। ऐसा करने से पुरुषों के शारीरिक लक्षणों को दबाने में मदद मिलती है।

    एंटी एंड्रोजन्स (Anti-Androgens) कैसे करते हैं काम?

    एंटी एंड्रोजन्स विभिन्न प्रकार के होते हैं। इन दवाओं का इस्तेमाल भी अलग होता है। महिलाओं और पुरुषों में एंड्रोजन की मात्रा बढ़ने पर विभिन्न प्रकार के लक्षण दिखाई पड़ते हैं।   जानिए एंटी एंड्रोजन्स के प्रकार और उनके इस्तेमाल के बारे में।

    प्रोस्टेट कैंसर में इस्तेमाल होने वाला एंटी एंड्रोजन

    फ्लूटामाइड (Flutamide) एंटी एंड्रोजन का प्रकार है, जिसका इस्तेमाल प्रोस्टेट कैंसर के इलाज के दौरान किया जाता है। फ्लूटामाइड (Flutamide) का इस्तेमाल करने से ये कैंसर कोशिकाओं में एण्ड्रोजन रिसेप्टर्स को बांधता है। इस कारण से प्रोस्टेट कैंसर सेल्स की ग्रोथ रुक जाती है और ये कैंसर को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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    पीसीओएस के ट्रीटमेंट में एंटी एंड्रोजन

    महिलाओं में पीसीओएस यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की समस्या के दौरान साइप्रोटेरोन (Cyproterone) एंटी एंड्रोजन का इस्तेमाल किया जाता है। ये दवा शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करती है और साथ ही एक्ने के लिए जिम्मेदार ऑयल के प्रोडक्शन को भी कम करने का काम करती है। इस एंटी एंड्रोजन का इस्तेमाल ट्रांसजेंडर महिलाओं में पाए जाने वाले मस्कुलिन ट्रेट्स को कम करने के लिए किया जाता है। इस दवा का इस्तेमाल भले ही अपना असर दिखाता हो लेकिन साथ ही इसके दुष्प्रभाव भी होते हैं। इस कारण से इसे लेने से पहले डॉक्टर से इसके साइड इफेक्ट के बारे में जानकारी जरूर लेनी चाहिए।

    ज्यादा हेयर ग्रोथ रोकने के लिए एंटी एंड्रोजन

    हॉर्मोन का असंतुलन शरीर में कई प्रकार की समस्याएं पैदा कर देता है। जब शरीर में अधिक मात्रा में बाल निकलने लगते हैं या फिर एक्ने की अधिक समस्या होने लगती है, तो स्पैरोनोलाक्टोंन (Spironolactone) एंटी एंड्रोजन का इस्तेमाल किया जाता है। ये शरीर में बालों की अधिक ग्रोथ को रोकने का काम करता है। जिन महिलाओं में गंजेपन की समस्या होती है, उनके लिए इस दवा का सेवन करने की सलाह दी जाती है। बिना डॉक्टर की सलाह के एंटी एंड्रोजन दवाओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। दवाओं का साइड इफेक्ट कैसे कम कर सकते हैं, इस बारे में भी डॉक्टर से पूछें।

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    एंटी एंड्रोजन के इस्तेमाल से हो सकते हैं दुष्प्रभाव

    जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि एंटी एंड्रोजन या एंड्रोजन को कम करने की दवा का इस्तेमाल शरीर को फायदा पहुंचाने के साथ ही नुकसान भी पहुंचाता है। आप कैसी डोज या खुराक ले रहे है, इस बात का असर शरीर पर साफ दिखता है। जानिए दवा का इस्तेमाल करने पर शरीर को क्या नुकसान पहुंच सकते हैं।

    अगर आपको दवा का सेवन करने के बाद शरीर में उपरोक्त लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। शरीर में किसी भी तरह के बदलाव दिखने पर उसे इग्नोर बिल्कुल न करें। तुरंत ट्रीटमेंट करवाने पर बीमारी के लक्षणों से राहत पाई जा सकती है।आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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