परिचय
हार्मोन असंतुलन क्या है?
हार्मोन असंतुलन (Hormonal Imbalance) का अर्थ है शरीर में किसी भी हार्मोन का स्तर कम या ज्यादा होना। हार्मोन असंतुलन होने पर न सिर्फ हमारी शारीरिक गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं, बल्कि मानसिक स्थितियों पर भी हार्मोन असंतुलन का गहरा असर पड़ता है। अगर हमारे शरीर में हार्मोन के संतुलन को लेकर थोड़ी सी भी गड़बड़ी होती है, तो हम इस बात को नोटिस कर सकते हैं कि हमारे खाने-पीने की आदत और समय के साथ-साथ, सोने-जागने का भी समय अपने आप ही बदल जाता है। साथ ही, स्ट्रेस भी बढ़ने लगता है और शारीरिक रूप से हमेशा थकान महसूस करने के अलावा, मूड भी हमेशा चिड़चिड़ा बना रह सकता है। हमारे शरीर में कई तरह के हार्मोन्स पाए जाते हैं, जो अलग-अलग शारीरिक क्रियाओं के साथ, मानसिक स्थिति को कंट्रोल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हार्मोन्स एंडोक्राइन ग्रंथि (Endocrine System) से बनने वाले ऐसे रसायन होते हैं, जो खून के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंचते हैं और शरीर को अलग-अलग कार्यों को करने के लिए ऑर्डर देते हैं। एक मानव शरीर में कुल 230 हार्मोन्स पाए जाते हैं। जिनमें से कुछ हार्मोन्स, एक-दूसरे हार्मोन्स के उत्पादन और प्रवाह को कंट्रोल करने का भी कार्य करते हैं। अगर इनमें से किसी भी हार्मोन के लेवल में कोई भी गड़बड़ी होती है, तो सबसे पहले शरीर की कोशिकाओं का मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है। सामान्य तौर पर देखा जाए, तो शरीर में हार्मोन असंतुलन उम्र, जीवनशैली, फिजिकल एक्टीविटीज आदि से आसानी से हो सकता है।
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हमारे शरीर में हार्मोन असंतुलन कब होता है?
मनुष्य के शरीर में कार्टिसोल नामक एक स्ट्रेस हार्मोन पाया जाता है, जो शरीर को मानिसक रूप से किसी खतरे की स्थिति में बचने के संकेत देता है। अगर इस कार्टिसोल हार्मोन का लेवल कम ज्यादो हो जाए, तो दिल की धड़कन का कार्य, ब्लड प्रेशर का लेवल और ब्लड में शुगर का लेवल कम या ज्यादा हो सकता है। एक शोध के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने मोबाइल फोन के इस्तेमाल को शरीर में कार्टिसोल के बढ़ते स्तर का सबसे बड़ा कारण बताया है। शोध के मुताबिक, यह दिमाग के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स प्रभावित कर सकता है, जो हमारे निर्णय लेने और विचार करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
इसके अलावा, शरीर में हार्मोन असंतुलन होने के कारण मूड में उतार-चढ़ाव, शरीर के अलग-अलग अंगों में सूजन, महिलाओं में मेनोपॉज, नपुंसकता, छोटा या बड़ा कद, दुबलापन या मोटापा, मुंहासे आदि जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस तरह के शारीरिक बदलावों के अलावा हार्मोन असंतुलन मानसिक गतिविधियों में भी बड़ा बदलाव लाने के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है।
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लक्षण
हार्मोन असंतुलन के लक्षण क्या हैं?
हार्मोन असंतुलन (Hormonal Imbalance) के लक्षण इस बात पर निर्भर कर सकते हैं कि, आपके शरीर में कौन से हार्मोन या ग्रंथियों के कार्य करने की क्षमता प्रभावित हुई है। हार्मोन इंबैलेंस के लक्षण एक महिला और पुरुष के साथ, बालकों में लड़कियों और लड़कों में भी अलग-अलग हो सकते हैं। जिनका पता लगाने के लिए आप निम्न बातों का ध्यान रख सकते हैंः
बच्चों और व्यस्कों यानी सभी लोगों में हार्मोन असंतुलन के निम्न लक्षण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः
- शरीर का वजन बढ़ना
- शारीरिक रूप से थकान महसूस करना
- ठंड या गर्मी का बहुत ज्यादा अहसास करना
- कब्ज की समस्या होना
- बहुत ज्यादा स्टूल पास होना
- रूखी त्वचा (ड्राई स्किन)
- चेहरे में सूजन की समस्या
- अचानक से वजन घटना
- दिल के धड़कने की दर तेज या धीमी होना
- मांसपेशी में कमजोरी आना
- बहुत ज्यादा पेशाब आने की समस्या होना
- बहुत ज्यादा प्यास लगना
- मांसपेशियों में दर्द होना
- मांसपेशियों में अकड़न आना
- शरीर के किसी एक अंग या अलग-अलग हिस्सों में दर्द महसूस करना
- जोड़ों में सूजन
- बालों की प्राकृति में बदलाव आना, जैसे- बालों का बहुत ज्यादा झड़ना, बालों का पतला होना, सफेद बाल की समस्या, गंजापन, दो मुंहे बाल, ड्राई हेयर की समस्या आदि।
- भूख कम लगना या भूख बहुत ज्यादा लगना
- डिप्रेशन
- सेक्स ड्राइव में कमी होना
- घबराहट होना
- बिना किसी बात के चिंता करना
- मना का चिड़चिड़ा होना
- धुंधला दिखाई देना
- बहुत ज्यादा पसीना आना
- बांझपन की समस्या
- कंधों के बीच में कूबड़ निकलाना
- त्वचा पर बैंगनी या गुलाबी खिंचाव के निशान होना (स्ट्रेच मार्क्स)
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महिलाओं में हार्मोन असंतुलन (Hormonal Imbalance) के लक्षण
महिलाओं में हार्मोन असंतुलन होने पर सबसे पहले उनमें पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) की समस्या देखी जा सकती है। इसकी समस्या पीरियड्स के साइकल से जुड़ी होती है। जिसके कारण पीरियड्स साइकल प्रभावित हो सकता है। जैसे- पीरियड्स न आना, बहुत जल्दी-जल्दी पीरियड्स आना आदि।
- कम उम्र में ही युवा होना
- गर्भधारण करने में समस्या होना
- स्तनपान से जुड़ी समस्या होना
- मेनोपॉज बहुत जल्दी या बहुत देर से शुरू होना
- चेहरे, ठोड़ी या शरीर के अन्य हिस्सों पर अनचाहे बाल आना, जिसे अतिरोमता (hirsutism) कहते हैं
- चेहरे, छाती या पीठ के ऊपरी हिस्से में मुंहासे की समस्या होना
- बालों का पतला होना या बालों का बहुत ज्यादा झड़ना
- वजन बढ़ना या वजन कम होना
- त्वचा का काला पड़ना, विशेष रूप से गर्दन, कमर और स्तनों के नीचे का हिस्सा
- त्वचा का बहुत ज्यादा चिपचिपा होना (ऑयली फेश)
- योनि का सूखापन
- योनि से बदबू आना
- वजायनल एट्रोफी (योनि शोष) (Vaginal Atrophy), योनि शोष एक ऐसी अवस्था है जिसमें एस्ट्रोजेन के उत्पादन में कमी के कारण योनि की परत अत्यधिक पतली हो जाती हैं और उनमें सूजन आ जाती है। जिससे संभोग की क्रिया के दौरान महिलाओं को बहुत ज्यादा दर्द होना और यूरिन पास करते समय जलन या दर्द महसूस हो सकता है।
- सेक्स के दौरान दर्द होना
- सोते समय बहुत ज्यादा पसीना आना
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लड़कियों में हाइपोगोनाडिज्म के लक्षण
- पीरियड्स देरी से शुरू होना या शुरू ही न होना
- स्तनों के ऊतकों का विकास नहीं होना या स्तनों का बहुत छोटा होना
- शरीर के कद का विकास रूक जाना
निम्न लक्षणों के दिखाई देने पर तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें, जिनमें शामिल हैंः
- बालों का बहुत ज्यादा झड़ना
- ब्लड शुगर बहुत ज्यादा बढ़ जाना
- कई बार कोशिश करने के बाद भी प्रेग्नेंट न हो पाना या दूसरी बार गर्भधारण करने में परेशानी आना
- स्तंभन बनाए रखने में परेशानी होना
- सेक्स में रुचि कम हो जाने पर
- अचानक से बहुत ज्यादा वजन बढ़ने पर या वजन घटने पर
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कारण
हार्मोन असंतुलन के क्या कारण हो सकते हैं?
हार्मोन असंतुलन होने के पीछे मल्टी फैक्टोरियल विकार हो सकता है। मल्टी फैक्टोरियल विकार की समस्या कई कारकों के संयोजन के कारण हो सकती है, जैसेः गलत खानपान, मेडिकल स्थिति, आनुवंशिक विकार, तनाव का स्तर और वातावरण आदि। इस तरह के कारण हार्मोन या ग्रंथि को आसानी से प्रभावित कर सकते हैं। हार्मोन असंतुलन के कुछ सामान्य कारणों में शामिल हो सकते हैंः
- डायबिटीज की समस्या
- थायराॅइड का कम या ज्यादा होना
- कुशिंग सिंड्रोम
- कुछ तरह की दवाओं का साइड इफेक्ट्स
- बहुत ज्यादा तनाव लेने की आदत
- पिट्यूटरी ग्रंथि में ट्यूमर
- किसी तरह की चोट लगना
- किसी तरह का शॉक (सदमा) लगना
- हार्मोन थेरिपी का साइड इफेक्ट्स
- किडनी की समस्या
- कंजेनिटल एड्रेनल ह्यपरप्लासिया
- ईटिंग डिसऑर्डर
- कैंसर के उपचार की प्रक्रिया, जैसे रेडिएशन थेरिपी या कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स
इसके अलावा, महिलाओं में हार्मोन असंतुलन के कारण और पुरुषों में हार्मोन असंतुलन के कारण भी अलग-अलग हो सकते हैं, जैसेः
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महिलाओं में हार्मोन असंतुलन के मुख्य कारण
- रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) का चरण या उम्र
- गर्भावस्था का चरण
- शिशु को स्तनपान कराने की प्रक्रिया
- पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम)
- हार्मोन की दवाओं के साइड इफेक्ट्स, जैसे- गर्भ निरोधक दवाओं या सेक्स की इच्छा बढ़ाने वाली दवाओं का सेवन करना
- प्राइमरी डिम्बग्रंथि इंसफिशंसी (Primary ovarian insufficiency)
- समय से पहले मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) का चरण शुरू होना
पुरुषों के पास भी एंडोक्राइन ऑर्गेन्स (Endocrine Organs) और चक्र होते हैं, जिससे उनमें भी हार्मोन असंतुलित हो सकता है।
किस तरह की स्थितियों में हार्मोन असंतुलन का खतरा बढ़ सकता है?
निम्न स्थितियों में हार्मोन असंतुलन का खतरा बढ़ सकता है, जिसमें शामिल हो सकते हैंः
- कीटनाशकों, जहरीले पदार्थों, वायरस और अन्य कैमिकल के संपर्क में आना
- अत्यधिक मात्रा में स्मोकिंग या ड्रिंकिंग करना
- बहुत ज्यादा तनाव लेने के कारण कम सोना
- शारीरिक तौर पर बहुत ज्यादा कार्य करना
- उचित मात्रा में शारीरिक तौर पर आराम न करना
- दैनिक आहार में पोषक तत्वों की कमी होना या फास्ट फूड या जंक फूड अधिक खाना
- बहुत देर तक खड़े रहकर या बैठे हुए कार्य करना
- किसी तरह के खाद्य पदार्थ से एलर्जी होना
- कोई अनुवांशिक बीमारी होना
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निदान
हार्मोन असंतुलन के बारे में पता कैसे लगाएं?
हार्मोनल इम्बेलेंस के कारणों का पता लगाने के लिए आपके डॉक्टर कई तरह के टेस्ट प्रक्रिया की सलाह दे सकते हैं। हालांकि, टेस्ट से पहले आपके डॉक्टर आपका शारीरिक परीक्षण करेंगे और आपसे कुछ निजी सवाल पूछ सकते हैं, जैसेः
- आप कब से इन लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं?
- क्या इन लक्षणों के उपचार के लिए आपने किसी तरह की प्रक्रिया या उपचार पहले कभी करवाया है?
- क्या आपने हाल ही में वजन घटाने या वजन बढ़ाने का प्रयास किया है?
- क्या आप सामान्य से अधिक तनाव लेते हैं?
- आपके पीरियड्स की आखिरी तारीख कब थी?
- क्या आप गर्भवती होने की योजना बना रही हैं?
- क्या आप शिशु को स्तनपान कराती हैं?
- क्या आपको इरेक्शन होने या बनाए रखने में परेशानी होती है?
- क्या आपको सेक्स के दौरान योनि में सूखापन या दर्द का एहसास होता है?
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आपकी शारीरिक स्थिति और लक्षणों के अनुसार आपके डॉक्टर आपको निम्न टेस्ट की सलाह दे सकते हैं, जिसमें शामिल हो सकते हैंः
ब्लड टेस्ट
ब्लड टेस्ट से आपके शरीर में सभी हार्मोन्स के लेवल की मात्रा का आसानी से पता लगाया जा सकता है।
पेल्विक टेस्ट
पेल्विक टेस्ट महिलाओं के लिए होता है। इसके लिए डॉक्टर पैप स्मीयर (Pap smear) टेस्ट करेंगे जिसकी मदद से किसी प्रकार की असाधारण गांठ, सिस्ट या ट्यूमर आदि का पता लगाया जा सकता है।
अल्ट्रासाउंड
अल्ट्रासाउंड की प्रक्रिया के दौरान गर्भाशय, अंडाशय, वृषण, थायरॉइड या पिट्यूटरी ग्रंथि की जांच की जा सकती है।
इसके अलावा डॉक्टर इमेजिंग टेस्ट की भी सलाह दे सकते हैं, जिसमें शामिल हो सकते हैंः
- बायोप्सी
- एमआरआई
- एक्स-रे
- थायराइड स्कैन
- शुक्राणुओं की संख्या की जांच (Sperm count)
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रोकथाम और नियंत्रण
हार्मोन असंतुलन को कैसे रोका जा सकता है?
हार्मोन असंतुलन होने के जोखिम को कम करने और रोकथाम करने के लिए आपको आपके दैनिक जीवन से जुड़ी गतिविधियों में सुधार लाने की प्रक्रिया पर ध्यान देना चाहिए, जिसमें शामिल हो सकते हैंः
- दैनिक आहार में स्वस्थ और उचित मात्रा में पोषक तत्वों को शामिल करना
- नियमित तौर पर व्यायाम और योग करना
- ऐसे किसी भी उत्पाद या वस्तु का इस्तेमाल ना करें जिसके कैमिकल आपके स्वास्थ्य के प्रति हानिकारक साबित हो सकते हो जैसे: कॉस्मेटिक्स क्रीम्स या लोशन, कुछ तरह की ओरल दवाएं।
- गर्भनिरोधक गोलियां की ओरल खुराक शरीर के कई तरह के हार्मोन्स को कम ज्यादा कर सकते हैं। इसलिए अनचाहे गर्भ से बचने के लिए आपको अपने डॉक्टर से अन्य सुरक्षित विकल्पों के बारे में बात करनी चाहिए। पुरुष या महिला कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए।
- हर रोज कम से कम छह से आठ घंटे की नींद लें। उचित मात्रा में नींद लेने से ब्रेन की इंद्रियों को आराम मिलता है और वे खुद में हुई किसी तरह की क्षति की भरपाई करने का कार्य उचित तरीके से कर सकती हैं। साथ ही, उचित मात्रा में सोने से स्ट्रेल लेवल भी घटाने में मदद मिल सकती है।
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उपचार
हार्मोन असंतुलन का उपचार कैसे किया जाता है?
हार्मोनल असंतुलन का उपचार हार्मोनल इम्बेलेंस के कारणों पर निर्भर कर सकता है। जिसके तहत हर व्यक्ति या महिला और पुरुष में हार्मोनल इम्बेलेंस के उपचार की प्रक्रिया अलग-अलग हो सकती है, जिसमें शामिल हो सकते हैंः
महिलाओं के लिए हार्मोनल इम्बेलेंस के उपचार की प्रक्रिया
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हार्मोन नियंत्रण या जन्म नियंत्रण के विधियों को अपनाना
ऐसी महिलाएं जिन्हें हार्मोनल इम्बेलेंस के कारण मासिक धर्म के चक्र की अनियमितता की समस्या हो रही है, वे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन युक्त दवाओं के नियमित सेवन से मासिक धर्म चक्र के लक्षणों को नियंत्रित कर सकती हैं। हालांकि, इसका सेवन सिर्फ उन्ही महिलाओं के लिए उचित हो सकता है जो गर्भधारण के बारे में विचार न कर रही हों। इसके अलावा अनचाही प्रेग्नेंसी से बचने के लिए गर्भनिरोधक की ओरल दवाओं की जगह पर वे, रिंग, पैच, गर्भनिरोधक इंजेक्शन और आईयूडी (IUD) की प्रक्रिया का इस्तेमाल कर सकती हैं। इनके इस्तेमाल से हार्मोनल इम्बेलेंस होने का जोखिम काफी कम हो सकता है।
हार्मोन रिप्लेसमेंट दवाओं का सेवन करना
हार्मोन रिप्लेसमेंट दवाओं की मदद से रजोनिवृत्ति (Menopause) से जुड़े गंभीर लक्षण, जैसे हॉट फ्लैशेस या रात में बहुत ज्यादा पसीना आने की समस्या को अस्थायी रूप से यानी कुछ समय के लिए कम किया जा सकता है।
वजायनल एस्ट्रोजन
अगर एस्ट्रोजन हार्मोन के लेवल में हुए उतार-चढ़ाव के कारण कोई महिला योनी में सूखापन के लक्षण महसूस करती है, तो उनके इस लक्षणों को दूर करने के लिए डॉक्टर एस्ट्रोजन क्रीम के इस्तेमाल के सेवन की सलाह दे सकते हैं। इस क्रीम को योनी के ऊतकों पर लगाया जा सकता है। इसके अलावा, एस्ट्रोजन की ओरल खुरका भी योनी में सूखापन की समस्या को दूर कर सकती है।
एफ्लोरनीथाइन
एफ्लोरनीथाइन क्रीम चेहरे या शरीर के अन्य हिस्सों के अनचाहे बालों की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकती है। डॉक्टर इसकी सलाह विशेष रूप से उन महिलाओं को दे सकते हैं, जिनके चेहरे पर बाल उगने की समस्या है। इस क्रीम को चेहरे पर इस्तेमाल करने से नए बालों के उगने की गति को धीमा किया जा सकता है। हालांकि, यह क्रीम चेहरे पर उगे हुए बालों से छुटकारा नहीं दिलाती है।
मेटफोर्मिन दवा का सेवन करना
मेटफोर्मिन दवा का सेवन टाइप-2 डायबिटीज के उपचार के लिए किया जा सकता है। यह दवा पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम) (PCOS) के लक्षणों के उपचार में भी मददगार हो सकती हैं। ये दवाएं एंडरोजन हर्मोन के स्तर को कम करती हैं और ऑव्युलेशन (डिंबोत्सर्जन) को बढ़ावा देने में मदद कर सकती हैं।
लेवोथायरोक्सिन (Levothyroxine) दवाओं का सेवन करना
लेवोथायरोक्सिन युक्त दवाएं, जैसे सिंथोइड (Synthroid) और लेवोथायराइड (Levothroid) दवाएं हाइपोथायराॅयडिज्म के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं।
मेटफोर्मिन और लेवोथायरोक्सिन युक्त दवाओं का सेवन महिला और पुरुष दोनों के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है।