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Post Concussion Syndrome : पोस्ट कंकशन सिंड्रोम क्या है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Anoop Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 29/05/2020

Post Concussion Syndrome : पोस्ट कंकशन सिंड्रोम क्या है?

परिचय

पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) क्या होता है?

पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) सिर की चोट से जुडी एक गंभीर समस्या होती है। आपको बता दें कि पोस्ट कंकशन सिंड्रोम में आपको ट्रामैटिक ब्रेन इंजरी (traumatic brain injury) हो सकती है। पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) का निदान तब संभव होता है जब एक आदमी जिसने ताजा ताजा सिर में चोट को महसूस किया हो, वो निम्नलिखित लक्षणों को महसूस कर सकता है जैसे;

  • सुस्ती 
  • थकान 
  • सिर में दर्द 
  • आपको बता दें कि सिर में चोट लगने के कुछ ही दिनों के भीतर ही पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) की समस्या शुरू होती है। हालांकि कभी कभी ऐसा होता है कि इस समस्या के लक्षणों को सामने आने में हफ्ते या महीने का भी समय लग सकता है।

    किसी ने अगर इसे महसूस किया है तो उसे पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) जैसी गंभीर समस्या होने की संभावना ज्यादा होती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आमतौर पर 40 साल की उम्र के बाद ही पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) की समस्या होती है। 

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    लक्षण

    पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) होने के क्या लक्षण होते हैं?

    पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) सिर की चोट से जुडी एक गंभीर समस्या होती है। आपको बता दें कि पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) में आपको ट्रामैटिक ब्रेन इंजरी (traumatic brain injury) हो सकती है। निम्नलिखित लक्षणों को देखकर डॉक्टर आपकी डाइग्नोसिस करता है जैसे;

    • सिर दर्द 
    • चक्कर आना 
    • सुस्ती 
    • थकान 
    • कोई बात याद रखने में दिक्कत होना 
    • एक जगह ध्यान लगाने में दिक्कत होना 
    • नींद की समस्या 
    • अनिद्रा 
    • बेचैन होना 
    • उलझन होना 
    • किसी चीज में दिलचस्पी ना होना 
    • डिप्रेशन 
    • चिंता करना 
    • मिचली 
    • उल्टी 
    • सिर चकराना 
    • आपके व्यक्तित्व में बदलाव होना 
    • प्रकाश और शोर के प्रति ज्यादा संवेदनशील होना 

    आपको बता दें कि पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) के लक्षण हर इंसान में अलग अलग हो सकते हैं। लक्षणों के महसूस होने पर डॉक्टर एमआरआई (MRI) या सीटी स्कैन कर सकता है। आपका डॉक्टर कन्क्युशन के बाद अक्सर आराम के लिए कह सकता है। 

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    मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए? 

    जैसे ही आपको आपके सिर में चोट महसूस हों जिससे कन्फ्यूजन की स्थिति उत्पन्न हो जाए तो ऐसी स्थिति में आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए। अगर आपको खेलने के दौरान कन्क्युशन होती है तो आप दोबारा खेल में वापस ना जाएं। आपको मेडिकल सहायता लेनी चहिये ताकि चोट और अधिक खराब स्थिति में ना पहुंच जाए।

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    कारण

    पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) होने के क्या कारण हो सकते हैं?

    कुछ एक्सपर्ट ऐसा मानते हैं कि दिमाग में संरचनात्मक क्षति और तंत्रिकाओं के भीतर मौजूद मेसेजिंग सिस्टम के विघटन के कारण पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) के लक्षण महसूस होते हैं। ज्यादातर केस में दिमाग के फिजियोलोजिकल प्रभाव और इमोशनल रिएक्शन (Emotional reaction) दोनों के ही कारण पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) के लक्षण महसूस होते हैं।

    आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आमतौर पर 40 साल की उम्र के बाद ही पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) की समस्या होती है। निम्नलिखित स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी इस समस्या का कारण हो सकती हैं जैसे;

    कुछ एक्सपर्ट का मानना है की ऐसे लोग जिनको पहले से ही किसी तरह की मानसिक समस्या रही हो तो उसको पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) जैसी खतरनाक समस्या होने की संभावना ज्यादा होती है।

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    जोखिम

    पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) के साथ और क्या समस्याएं हो सकती है?

    आपको बता दें कि पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) दिमाग में चोट लगने की वजह से होती है जिसके लक्षणों के सामने आने पर डॉक्टर उसी तरह से उसका निधान करने की कोशिश करता है। पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) के साथ आपको स्ट्रेस, तनाव, हार्ट संबंधी समस्या जैसे स्ट्रोक, हार्ट रेट का अनियंत्रित होना या हार्ट अटैक जैसी समस्या भी हो सकती है।

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    उपचार

    यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें। 

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    पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) का निदान कैसे किया जाता है?

    पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) सिर की चोट से जुडी एक गंभीर समस्या होती है। आपको बता दें कि पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) में आपको ट्रामैटिक ब्रेन इंजरी (traumatic brain injury) हो सकती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आमतौर पर 40 साल की उम्र के बाद ही पोस्ट कंकशन सिंड्रोम (Post concussion syndrome) की समस्या होती है।

    इस समस्या के निदान के लिए आपका डॉक्टर कुछ टेस्ट भी कर सकता है जिससे आपके दिमाग में लगने वाली चोट के बारे में ठीक से पता चल सके। इसके लिए डॉक्टर आपका सीटी स्कैन (CT SCAN) और एमआरआई (MRI) कर सकता है।

    पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) का इलाज कैसे किया जाता है?

    आकी जानकारी के लिए बता दें कि पोस्ट कंकशन सिंड्रोम ( Post concussion syndrome) के लिए कोई एक अकेला ट्रीटमेंट उपलब्ध नहीं है। इसके बावजूद भी आपका डॉक्टर आपके द्वारा महसूस किये गये लक्षणों का इलाज करेगा।

    आपका डॉक्टर आपको किसी मेंटल प्रोफेशनल के पास भेज सकता है अगर आप डिप्रेशन या उलझन आदि महसूस करते हों।अगर आपको मेमोरी संबंधी समस्या है तो डॉक्टर कोग्निटिव थेरिपी (Cognitive therapy) के लिए सलाह दे सकता है।

    आपका डॉक्टर  एंटीडिप्रेशेन्ट (Antidipressants) का इस्तेमाल कर सकता है जिससे आपका डिप्रेशन दूर हो सके। इसके अलावा वह आपकी उलझन को भी दूर करने के लिए एंटी ऐन्जाईटी ड्रग्स (Anti-anxiety drugs) का इस्तेमाल भी कर सकता है। एंटीडिप्रेशेन्ट और साइकोथेरैपी (psychotherapy) का कॉम्बिनेशन डिप्रेशन के इलाज में मददगार साबित हो सकता है।

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    घरेलू उपचार

    जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो पोस्ट कंकशन सिंड्रोम (Post concussion syndrome) को रोकने में मदद कर सकते हैं?

    इस समस्या को रोकने के लिए आप अपने जीवनशैली में बदलाव करके इसकी संभावना को कम कर सकते हैं। इसके लिए आपको डॉक्टर द्वारा बताई दवा का तो इस्तेमाल करना ही है लेकिन इसके अलावा आपको कुछ योगा आदि भी करना होगा। ऐसा करने से आप डिप्रेशन आदि से दूर निकल सकते हैं।

    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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