अच्छी ओरल हेल्थ के लिए रोजाना दांतों की सफाई बहुत जरूरी होती है। हम जब भी ओरल हेल्थ की बात करते हैं, तो इसका मतलब सिर्फ दांतों की सफाई से नहीं होता है। ओरल हेल्थ में गम यानी मसूड़ों का स्वास्थ्य, मुंह का स्वास्थ्य भी जुड़ा होता है। दांतों में गंदगी के कारण या फिर शरीर में विटामिन सी की कमी के कारण, किन्ही दवाओं के इस्तेमाल से या किसी हेल्थ कंडीशन के कारण मसूड़ों की बीमारियां हो सकती है। अगर आपके मसूड़े स्वस्थ्य नहीं रहेंगे, तो दांतों का स्वास्थ्य भी अच्छा नहीं रह सकता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको मसूड़ों की डिजीज (Gum diseases) के साथ ही मुंह की बीमारियों के बारे में भी जानकारी देंगे। जानिए मसूड़ों की बीमारी कैसे आपकी ओरल हेल्थ को नुकसान पहुंचाती है और कैसे मसूड़ों का ख्याल रखना चाहिए।
और पढ़ें: मसूड़े में खुजली से क्या आप भी परेशान हैं? जानें इलाज और
क्या होती है मसूडों की बीमारी? (Gum diseases)
जिस तरह से दांतों में दर्द की समस्या, दांतों में संक्रमण होता है ठीक वैसे ही मसूड़ों में भी तकलीफ हो सकती है। मसूड़ों की बीमारी में मसूड़ों की सूजन शामिल है। मसूड़ों की सूजन बैक्टीरिया संक्रमण के कारण होती है। अगर मसूड़ों की सूजन पर ध्यान न दिया जाए, तो पीरियोडोंटाइटिस (Periodontitis) नाम का गंभीर संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। अगर अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन की मानें, तो जिंजीवाइटिस (Gingivitis) और पेरियोडोंटाइटिस (Periodontitis) टूथ लॉस के मुख्य कारण हैं। जानिए क्या होती है जिंजीवाइटिस (Gingivitis) की समस्या।
जिंजीवाइटिस और पीरियोडोंटाइटिस (Periodontitis and Gingivitis)
गम इंफेक्शन को मेडिकल टर्म में जिंजीवाइटिस कहते हैं। आपके दांत मसूड़ों से निचले पॉइंट यानी किनारे तक जुड़े रहते हैं। किनारों में बहुत छोटा स्पेस होता है, जिसे सल्कस (Sulcus) कहते हैं। खाना और प्लाक इन किनारों पर जमा हो जाते हैं और मसूड़ों के इंफेक्शन का कारण बनते हैं। प्लाक (Plaque) बैक्टीरिया की पट्टी होती है। ये टीथ में एक पतली परत बना लेती है। अगर इसका ट्रीटमेंट न कराया जाए, तो ये कठोर टार्टर बन जाती है। अगर प्लाक मसूड़ों तक पहुंच जाती है, तो ये मसूड़ों के संक्रमण का कारण यानी पीरियोडोंटाइटिस (Periodontitis) बन जाती है। मसूड़ों की सूजन के कारण दांत मसूड़ों से अलग हो जाते हैं। इस कारण से सॉफ्ट टिशू और बोंस में इंज्युरी के चांसेज बढ़ जाते हैं। अगर मसूड़ों के इंफेक्शन का ट्रीटमेंट न कराया जाए, तो दांत गिर भी सकते हैं। अब तो आप समझ की गए होंगे कि मसूड़ों का स्वास्थ्य खराब होने पर दांत खोने की नौबत भी आ सकती है।
और पढ़ें: Angular Cheilitis : एंगुलर चेलाइटिस क्या है?
मसूड़ों की बीमारी के लक्षण (Symptoms of gum disease)
मसूड़ों में सूजन की समस्या को ठीक किया जा सकता है लेकिन मसूड़ों की सूजन को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। मसूड़ों में सूजन ओरल कैंसर का लक्षण भी हो सकती है। डॉक्टर जांच के बाद ही आपको बीमारी की सही जानकारी दे पाएंगे। जानिए मसूड़ों की बीमारी होने पर क्या लक्षण नजर आ सकते हैं।
- मसूड़ों से खून आना (gums that bleed easily)
- मसूड़ों का लाल होना और सूजन (red, swollen, tender gums)
- मसूड़ों का दांतों से अलग होना (gums that have pulled away from the teeth)
- बैड ब्रीथ और बैड टेस्ट (bad breath or bad taste)
- दांतों का ढीला पड़ना
- खाने के दौरान समस्या
मसूड़ों में उपरोक्त लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अगर आप मसूड़ों की बीमारी का सही समय पर इलाज करा लेते हैं, तो आप दांतों के स्वस्थ्य को बेहतर रख सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए अपने डेंटिस्ट से बात करें।
मुंह की बीमारियां (Mouth Disorders) क्या होती हैं?
ओरल हेल्थ को बेहतर रहने के लिए आपको न सिर्फ दांतों का ख्याल रखने की जरूरत है बल्कि आपको मुंह की बीमारियों से भी बचना होगा। मूंह की बीमारियां आपके दांतों को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। मुंह सूखने की समस्या सलाइवा कम बनने के कारण हो सकती है, वहीं इंफेक्शन के कारण मूंह में घाव हो सकते हैं। जानिए क्या होती हैं मुंह की बीमारियां (Mouth Disorders)।
और पढ़ें: मसूड़ों में सूजन के लिए घरेलू उपाय के साथ ही जानिए प्राकृतिक माउथवॉश के बारे में
कोल्ड सोर्स (Cold Sores)
मुंह में कोल्ड सोर्स की समस्या वायरस के संक्रमण के कारण होती है। कोल्ड सोर्स मुंह के बाहर होते हैं। ये होंठों में फफोले के रूप में उभर कर आते हैं। जब ये मुंह के अंदर होते हैं, तो ये मसूड़ों को भी प्रभावित कर सकते हैं। कोल्ड सोर्स का इलाज नहीं होता है। ये अपने आप ही चले जाते हैं। डॉक्टर एंटीवायरल मेडिसिंस की हेल्प से बीमारी के लक्षणों को कम करते हैं और साथ ही दर्द में राहत मिलती है।
कैंकर सोर्स (Canker Sores)
कैंकर सोर्स छोटे, गोल घाव होते हैं, जो गालों के अंदर, जीभ के नीचे या गले के पीछे हो सकते हैं। ये लाल रंग के होते हैं और बीच का भाग भूरे रंग का होता है। कैंकर सोर्स के कारण दर्द होता है। अगर आपको वायरल इंफेक्शन हुआ है, तो ये मुंह में नजर आ सकते हैं। ये स्ट्रेस, एलर्जी, विटामिन और मिनिरल्स की कमी होने पर जल्दी फैलते हैं। ये कुछ समय बाद अपने आप ही चले जाते हैं।
और पढ़ें: जानें कब और क्यों बदलता है दांतों का रंग, ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सतर्क
मसूड़ों की बीमारी का डायग्नोसिस (Diagnosis of gum disease)
मसूड़ों की बीमारी को डायग्नोज करने के लिए स्मॉल रूलर (small ruler) का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी सहायता से मसूड़ों की सूजन की जांच की जाती है। ये मसूड़ों के आसपास पॉकेट की भी जांच करता है। डेंटिस्ट बोंस लॉस की जांच के लिए एक्स-रे भी कर सकते हैं। आप डॉक्टर से गम डिजीज के रिस्क फैक्टर्स के बारे में जानकारी ले सकते हैं। अगर आपको मसूड़ों में सूजन की समस्या है, तो आपको पीरियडोंटिस्ट ( periodontist) के पास भेजा जा सकता है। पीरियडोंटिस्ट मसूड़ों की बीमारी का इलाज करते हैं। आप चाहे तो इस बारे में डेंटिस्ट से पूछ सकते हैं।
मसूड़ों की बीमारी का ट्रीटमेंट (Treatment of gum disease)
मसूड़ों की बीमारी के इलाज के लिए डॉक्टर ओरल हाइजीन मेंटन करने की सलाह देते हैं। आपको स्मोकिंग छोड़ने के साथ ही दांतों को रोजाना साफ करना भी बहुत जरूरी है। डॉक्टर समस्या का समाधान करने के लिए टीथ टीप क्लीनिंग, एंटीबायोटिक मेडिकेशंस, सर्जरी आदि की मदद लेते हैं।
दांतों की सफाई (Cleaning teeth)
दांतों की सफाई के दौरान डॉक्टर दांतों में जमी परत को बिना सर्जरी की सहायता से हटाते हैं। दांतों में प्लाक जमा हो जाती है, जो मसूड़ों को भी नुससान पहुंचाती है। इसलिए दांतों की डीप क्लीनिंग बहुत जरूरी है। लेजर की हेल्प से टार्टर को साफ किया जाता है, जिससे न तो दर्द होता है और न ही ब्लीडिंग होती है।
और पढ़ें: धूम्रपान से दांतों को नुकसान: स्मोकिंग की लत दांतों को कर सकती है धुआं-धुआं
मेडिकेशंस (Medications)
डॉक्टर मेडिकेशंस की हेल्प से भी मसूड़ों की समस्या को दूर करते हैं। एंटीसेप्टिक माउथवॉश, जिसमें क्लोरहेक्सिडिन (chlorhexidine) होता है, उससे संक्रमण को दूर किया जाता है। इंफेक्शन को दूर करने के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक्स दवाएं देते हैं।जब मसूड़े और दांत ज्यादा डैमेज हो जाते हैं, तो बोन और टिशु ग्राफ्ट के जरिए उनके घाव भरे जाते हैं।
कौन-सी हेल्थ कंडीशंस (Health conditions ) मसूड़ों के स्वास्थ्य को कर सकती हैं खराब?
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल एंड क्रैनियोफेशियल रिसर्च की रिपोर्ट (National Institute of Dental and Craniofacial Research) की मानें तो कुछ हेल्थ कंडीशंस मसूड़ों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती हैं।
- डायबिटीज diabetes
- हार्ट डिजीज (heart disease)
- स्ट्रोक (stroke)
- लंग डिजीज (lung disease)
मसूड़ों की बीमारी (Gum disease) से बचने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?
गम डिजीज से बचने के लिए ओरल हेल्थ इग्नोर बिल्कुल न करें। आपको रेग्युलर डेंटिस्ट चेकअप कराना चाहिए। जानिए गम हेल्थ के लिए और किन बातों का ध्यान रखने की जरूरत है।
- अच्छी डेंटल हेल्थ (Dental health) के लिए आपको बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।
- अगर मसूड़ों से खून आ रहा है, तो इसे हल्के में न लें। ये इंफेक्शन (Infection) के लक्षण हो सकते हैं।
- ब्रश (Brush) को मसूड़ों में तेजी से न चलाएं। कई बार तेज ब्रश करने के कारण भी ब्लीडिंग (Bleeding) की समस्या हो जाती है।
- बच्चों को अकेले ब्रश न करने दें बल्कि उनके साथ खड़े होकर उन्हें टीथ क्लीन करने के सही तरीके के बारे बताएं।
- स्मोकिंग (Smoking) के कारण मसूड़ों का स्वास्थ्य (Gum health) खराब हो सकता है। स्मोकिंग इम्यून सिस्टम (Immune system) को भी कमजोर करने का काम करती है। स्मोकिंग के कारण गम हीलिंग प्रोसेस धीमा पड़ जाता है।
- दिन में दो बार दांतों को जरूर साफ करें। आप फ्लोराइड टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें तो बेहतर होगा।
- आप डॉक्टर से सलाह लेने के बाद रेग्युलर माउछवॉश का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
- खाने में मीठे पदार्थों को इग्नोर करें और फाइबर युक्त भोजन लें। वेजीटेबल्स (Vegetables) और फ्रूट्स आपकी ओरल हेल्थ (Oral health) को बेहतर बनाएंगे।
मसूड़ों और मुंह की समस्याओं को छिपाएं नहीं बल्कि उनका ट्रीटमेंट कराएं। ऐसा करके आप ओरल हेल्थ को बेहतर बना सकते हैं। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।
[embed-health-tool-bmi]