बच्चों का मन बहुत कोमल होता है, इसलिए छोटी सी बात भी उनके दिल को बहुत जल्दी लग जाती है। इसलिए कुछ बच्चे छोटी-छोटी बात भी अपने दिल पर ले लेते हैं। जिन्हें हम सेंसिटिव बच्चे कहते हैं। इसलिए पेरेंट्स काे छोटी-छोटी बातों का बहुत ध्यान रखना चाहिए । हम यहां बात करेंगे बच्चो में उदासी (Boredom in children ) की। कई बच्चे, उदासी के कारण अपनी गुमसुम दुनिया में व्यस्त रहना ज्यादा पसंद करते हैं। जानिए बच्चों में उदासी का कारण क्या है (Boredom in children) और पेरेंट्स को थोड़ी सतर्कता की जरूरत कब होती होती है। तो जानिए यहां, बच्चों में उदासी (Boredom in children ) दूर करने के पेरेंटिंग टिप्स और उन्हें कैसे संभालने में मदद मिल सकती है।
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बच्चों में उदासी क्या है (What is boredom)?
बच्चों में उदासी (Boredom in children ) होना एक सामान्य बात है, लेकिन यह समस्या लंबे समय तक बच्चे में बनी रहे,तो चिंता का कारण भी हो सकती है। बच्चों में उदासी होने के कई कारण हो सकते हैं, वैसे तो आजकल बच्चों में इसके होने का सबसे बड़ा कारण उनकी खराब लाइफस्टाइल है। काफी लंबे समय से बच्चे घर से निकले नहीं है और उनकी पढ़ाई भी ऑनलाइन चल रही है। उनकी लाइफ में वो एक्टिविटीज भी पहले जैसे नहीं रही। इसके अलावा, दोस्तों से झगड़ा और पेरेंट्स के साथ अच्छी बॉन्डिंग न होना भी, कई बार बच्चों में उदासी (Boredom in children ) का कारण बन सकता है। बच्चों में जब उदासी की समस्या देखी जाती है, तो ऐसे बच्चे अधिकतम समय अकेला रहना पसंद करते हैं। वो शांत रहते हैं और जल्दी किसी से बात नहीं करते हैं, ऐसा लंबे समय तक रहना अच्छा नहीं है।
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बच्चों में उदासी के लक्षण क्या हैं (What are the symptoms of boredom)?
बोरियत में उदासी के लक्षण की बात करें, तो उन्हें सबसे बीच रहते हुए भी अकेलापन और खालीपन के साथ निराशा की भावना महसूस हाेना आदि। उदासी के शिका बच्चे खुद को अधिक थका हुआ, नर्वस या चिड़चिड़े महसूस कर सकते हैं। इसके अलावा बच्चों में किसी से बात न करना और बात-बात में गुस्सा आना भी इसका एक लक्षण है।
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बच्चों में उदासी के कारण क्या है (what causes sadness in children)?
बच्चों में उदासी को अलग-अलग तरह से अनुभव कर सकते हैं। कुछ मामलों में, बच्चों में उदासी के निम्न कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- अपर्याप्त पोषण की कमी होना
- बच्चें को उम्र के अनुसार अराम न मिलना
- मानसिक उत्तेजना के निम्न स्तर
- पेरेंट्स के साथ अच्छी बॉन्डिंग न होना
- पेरेंट्स का समय न मिलना
- पढ़ाई का अधिक प्रेशर होना
- स्कूल में किसी प्रकार की दिक्कत होना
सेंसिटिव बच्चों की पेरेंटिंग टिप्स (Parenting Tips for Sensitive Kids) :समझें अपने बच्चे को!
कई बच्चे में इतने ज्यादा सेंसिटिव (Sensitive) होते हैं कि मां कुछ मिनट के लिए भी दूर जाएं, ताे रोने लगते हैं। ऐसा ही एक केस पिछले दिनों मेरे पास आया था, जिसमें एक 6 साल की बच्ची इतनी ज्यादा सेंसिटिव थी कि यदि उसकी मां, उसे कुछ कह भर दें, तो उसका आंसू बहना शुरू हो जाता है। अगर बच्चा संवेदनशील हैं, तो पेरेंट्स को अपने व्यवहार में नम्रता रखनी चाहिए।
बच्चे को सोशल होने के लिए प्रेशर न डालें (Don’t try to change Child )
कई बच्चे अपने व्यवहार से ही शांत होते हैं, तो इसका यह अर्थ नहीं है कि वो उदासी के शिकार हैं। यदि कोई बच्चा अचानक से ही शांत और उदास रहने लगे , तो चिंता का कारण हो सकता है। यदि बच्चा सिर्फ शांत रहता है, ज्यादा किसी से बात नहीं करता है, तो यह पेरेंट्स के लिए चिंता का विषय है। ऐसे में उसके व्यवहार को लेकर प्रेशर न डालें। उसके व्यवहार को बदलने की जगह, आप उसकी उदासी के कारण को समझने की कोशिश करें। अगर बच्चा घर में अधिक रहना पसंद करता है, तो उसे, उसकी पसंद की एक्टिविटी में व्यस्त रखें, जैसे कि बुक्स रीडिंग , पेंटिंग, कहानी लेखन जैसी एक्टिविटीज (Activities) में। इस तरह से बच्चे भविष्य काफी अच्छा हो सकता है। बच्चे को किसी भी प्रकार से सोशल होने के लिए प्रेशर न डालें।
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इमोशनल सहयोग भी है जरूरी (Emotional Support)
बच्चे बहुत सेंसेटिव होते हैं, इसलिए वो इमोशनल भी बहुत जल्दी हो जाते हैं। तो ऐसे में बच्चाें को इमोशनल सहयोग भी कई बार बहुत जरूरी होता है। यदि बच्चा उदास है, तो उसमें उदासी का कारण जानें। ऐसे में डाटें न, क्योंकि कई बार संवेदनशील बच्चे पेरेंट्स की बातों को दिल से लगा बैठते हैं। कभी-कभी बच्चों में उदासी से बाहर निकालने के लिए पेरेंट्स को बच्चों को इमोशनल सहयोग बहुत जरूरी है। उन्हें इमोशनल हर्ट न होने दें। यदि बच्चा को गलती कर रहा है, तो सबके सामने डाटने की गलती न करें। अगर आपको बच्चे को कुछ समझाना है, तो अकेले में ले जाकर समझाएं।
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नियम का प्रेशर न डालें (Rules)
यह सही है कि बच्चों को नियम सिखाना बहुत जरूरी है, लेकिन हमेशा बच्चों पर नियम का प्रेशर डालना सही नहीं है। इससे बच्चे की मेंटल हेल्थ भी प्रभावित हो सकती है। अनुशासन के लिए जरूरी है, लेकिन एक सीमा तक। आप बच्चे को कुछ भी आराम से समझाएं। अधिक नियम का प्रेशर से बच्चों का मानसिक विकास (Mental Health) भी प्रभावित होता है। हां, लेकिन जो नियम बच्चे के अनुशासन के लिए जरूरी है, उन नियमों का पालन जरूर करवाइए, पर प्यार से समझाकर।
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बच्चे को सिचुएशन के बारे में समझाएं (Explain the situation to the child)
कई बार बच्चों में खराब सिचुएशन को जल्दी स्वीकार नहीं कर पाते हैं, यानि कि ऐसी स्थिति,जो वो स्वीकार नहीं करना चाहते हैं। तो ऐसे में पेरेंट्स को बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए बच्चे को सही स्थिति के बारे में समझाना जरूरी है।
दोस्तों के साथ रखें संपर्क में
कई बार बच्चों में उदासी का कारण पेरेंट्स को पता नहीं चल पाता है, तो ऐसे में पेरेंट्स को बच्चे के दोस्तों में बात करना चाहिए। इससे पेरेंट्स बच्चे में उदासी का कारण जान सकते है, फिर उसी हिसाब से बच्चे की समस्या काे सुलझा करते हैं। कई बार बच्चे पेरेंट्स को अपनी बात नहीं बता पाते हैं, जो कि दोस्तों को बता देते हैं। लेकिन पेरेंट्स को बच्चे को दोस्तों के सामने डाटना भी नहीं चाहिए।
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यहां आपने जाना कि बच्चों में उदासी के क्या कारण हो सकते हैं और पेरेंट्स किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। बच्चों के उदासी के इसके अलावा और भी कई कारण हाे सकते हैं। यदि बच्चे में उदासी की समस्या काफी लंबे समय से है, तो इस बार में आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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