लंबे समय तक डायपर पहने रहने के कारण कई बच्चों की त्चचा पर हल्के दानें और रैश हो जाते हैं, इसे डायपर डर्मेटाइटिस कहते हैं। शिशु की त्चचा बहुत कोमल और संवेदनशील होती है, इसलिए उसकी खास देखभाल की जरूरत होती है। इसलिए डॉक्टर भी शिशुओं को ज्यादा देर तक डायपर पहनाने से मना करते हैं। कभी-कभी ऐसा करने के बाद भी बच्चों को इंफेक्शन हो जाता है। डायपर रैशेज होने के और भी कई कारण हो सकते हैं।
पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (PMCH) के शिशु रोग विभाग की डॉ.गीता सिन्हा ने हैलो स्वास्थ्य को बताया कि “डिस्पोजेबल डायपर को ज्यादा देर तक पहना कर रखने से शिशु को डायपर वाले एरिया में रैश और खुजली की समस्या हो सकती है। जिसे बेबी डायपर रैशेज कहा जाता है, जिसके कारण शिशुओं में चिड़चिड़ापन भी होने लगता है, जो उनके विकास के लिए ठीक नहीं है।”
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डायपर रैश के कारण क्या हैं?
- ज्यादा देर तक शिशु का डायपर गीले रहने के कारण भी उसे रैशेज हो जाते हैं। अगर बच्चे का डायपर जल्दी न बदला जाए तो इससे भी उसे इंफेक्शन हो जाता है।
- यदि बच्चे को किसी प्रकार की स्किन एलर्जी है, तो भी डायपर पहनने पर उसे रैश पड़ सकते हैं।
- अगर बच्चे को बार-बार पेशाब और मल आता है, तो भी इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
डायपर रैश होने पर क्या करें ?
कई माता-पिता बच्चों के लिए डायपर को ही सुविधाजनक मानते हैं, क्योंकि डिस्पोजेबल डायपर में यूरिन को सोखने की क्षमता होती है। ऐसे अब्जॉर्बेंट फीचर वाले डायपर सफर के लिए सही रहते हैं। लेकिन, रोजाना इनका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। यदि बच्चे को डायपर रैशेज हो गए हैं, तो उसका तुरंत उपचार करें, नहीं तो इंफेक्शन हो सकता है। यदि बच्चे को डायपर रैशेज से लगातार परेशानी हो रही हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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डायपर रैश का घरेलू उपचार क्या है?
छोटे बच्चों के साथ तो हर दिन कोई न कोई परेशानी लगी रहती है लेकिन, हर बात पर बच्चे को दवा देना या डॉक्टर के पास ले जाना भी ठीक नहीं है। हाँ, अगर परेशानी ज्यादा है तो डॉक्टर के पास जाने में बिलकुल देर न करें। लेकिन, हल्के फुल्के डायपर रैश का इलाज आप आसानी से घर पर ही कर सकते हैं, जैसे कि-
1.नारियल का तेल
नारियल का तेल त्वचा के लिए सबसे सुरक्षित माना गया है क्योंकि यह एक प्राकृतिक उपचार है। इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं। बच्चो को डायपर रैश हो जाने पर प्रभावित हिस्से में आप नारियल का तेल लगाएं। इससे डायपर रैशेज ठीक हो जाएंगे
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2.दही भी है प्रभावी
दही यीस्ट संक्रमण और माइक्रोबियल संक्रमण को बहुत जल्दी ठीक करता है, क्योंकि दही में प्रोबायोटिक्स और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यदि आपका बच्चा कुछ ठोस खाता है तो उसे खाने में दही भी जरूर दें। अगर नहीं, तो इंफेक्शन वाली जगह पर लगाकर हल्का सा दही लगाएं और थोड़ी देर बाद साफ कर दें। इससे रैशेज जल्दी ठीक हो जाएंगे।
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3.एलोवेरा का इस्तेमाल
एलोवेरा का इस्तेमाल तो सालों से इलाज में किया जाता रहा है। त्वचा के लिए तो एलोवेरा वरदान से कम नहीं है, अगर शिशु को डायपर रैश की परेशानी हो गयी है तो थोड़ा सा एलोवेरा का रस या एलोवेरा जेल लेकर रैश पर हल्के हाथ से मालिश करें।
4.ओटमील बाथ
बच्चे के नहाने के पानी में थोड़ा सा ओटमील यानी जई का आटा मिलाएं और नहलाएं। यह डायपर रैशेज की जलन को शांत करने और खुजली से राहत देने में मद्दगार है। दलिया में सैपोनिन होता है, जो बच्चे की त्वचा के रोमछिद्रों से मौजूद गंदगी को साफ करता है।
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5.जैतून का तेल
जैतून का तेल (Olive Oil) भी रैशेज को ठीक करने के लिए काफी प्रभावकारी है। आप इसे हल्के हाथों से रैशेज पर लगाएं। इसमें मॉइश्चराइजिंग तत्व मौजूद होते हैं, जो शिशु की त्वचा को मुलायम बनाए रखने में मद्दगार है। यह बच्चे को रैशेज वाली जगहों पर जलन से राहत पहुंचाता है।
6.कपड़ों के बने डायपर का करें इस्तेमाल
जब रैश ने शिशु की कोमल त्वचा को प्रभावित कर रखा हो, तब अब्जॉर्बेंट वाले डायपर्स के इस्तेमाल से बचें। इनके बदले आपको साफ और सॉफ्ट सूती कपड़े से बने डायपर का इस्तेमाल करना चाहिए। शिशु की नाजुक त्वचा के लिए कपड़े का डायपर ही अच्छा रहता है।
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डायपर लेते समय रखें इन बातों का ध्यान
डिस्पोजेबल डायपर कपड़ों के डायपर्स की तुलना में थोड़े महंगे होते हैं और इसका दोबारा उपयोग नहीं किया जा सकता है। इसलिए आपको ये अधिक खरीदने पड़ते हैं। डिस्पोजेबल डायपर सिंथेटिक फैब्रिक से बने होते हैं। इनमें इस्तेमाल किए जाने वाले केमिकल्स हानिकारक हो सकते हैं, क्योंकि साथ ही इनके उपयोग से बच्चों को रैश होने के खतरे भी ज्यादा होते हैं।
डायपर से होने वाले चकत्तों (Diaper Rashes) से बचने के लिए जितनी जल्दी हो सके शिशु के डायपर बदलें। रोज कुछ घंटों के लिए शिशु को बिना डायपर के रखें, ताकि बच्चे के पिछले हिस्से में थोड़ी हवा लग सके।
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बच्चों के डिस्पोजेबल डायपर्स चुनते समय इन बातों का रखें ख्याल
बच्चों के लिए डायपर्स चुनना आसान नहीं है। बाजार में बहुत से ब्रांड हैं, जो अपने-अपने प्रोडक्ट को बेहतर साबित करने की होड़ में लगे हुए हैं। सारे ही ब्रांड अपने डायपर्स को इस तरह मार्केट करते हैं कि लगता है कि वे ही बेस्ट हैं। ऐसे में पेरेंट्स को डायपर चुनते वक्त इन बातों का रखना चाहिए ख्याल।
सोखने की क्षमता
डायपर का काम होता है कि वह बच्चों के पेशाब और मल को अच्छे से सोख सकें और साथ ही लीक न करें और न ही भारी महसूस हो। अगर डायपर लीक करता है, तो बच्चे की स्किन गीलेपन की संपर्क में आती है और इस कारण उसे रैशेज या अन्य तकलीफें हो सकती हैं।
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गीलापन बताने के लिए इंडिकेटर
आज के दौर में कई ब्रांड्स ऐसे हैं, जो डायपर्स में इंडिकेटर देते हैं, जो बताता है कि डायपर कब पूरी तरह भर चुका है। इनमें इंडिकेटर लाइन्स होती है, जो कलर बदलती हैं और बताती है कि अब डायपर इससे ज्यादा लिक्विड नहीं सोख सकता है। ऐसे में मां के लिए बहुत आसान हो जाता वे बस इन लाइन्स को देखकर पता लगा लेती हैं कि अब डायपर बदलने की जरूरत है।
डायपर की सॉफ्टनेस भी देखें
बच्चों की त्वचा बहुत ही नाजुक और सेंसिटिव होती है। ऐसे में डायपर के मैटेरियल का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है। पेरेंट्स ध्यान दें कि डायपर ऐसे मैटेरियल का बना हो जिससे बच्चों को कोई परेशानी न हो। साथ ही यह फैब्रिक हवा के फ्लो को न रोके।
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डायपर की फिटिंग
डायपर खरीदते समय पेरेंट्स यह भी देखें कि डायपर कितना स्ट्रेच हो सकता है। डायपर के स्ट्रेचेबल होने से यह बच्चे को ठीक से फिट आता है और साथ ही बच्चे को इससे इरीटेशन नहीं होती है।
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