
सामान्य रूप से पोषण प्राप्त करने में असमर्थ शिशुओं के लिए टीपीएन एक लाइफसेविंग ट्रीटमेंट है, लेकिन इसके जोखिम भी हैं। सभी एज ग्रुप के लोगों में सेंट्रल लाइन आईवी एक्सेस के कॉम्प्लिकेशन देखे गए हैं। इसके साथ शिशुओं में निम्न परेशानियां देखी गई हैं।
- लिवर से जुड़ी समस्याएं
- फैट, ब्लड शुगर और इलेक्ट्रोलाइट्स का बहुत अधिक बढ़ना या कम होना
- सेप्सिस बैक्टीरिया या जर्म के कारण होने वाला इंफेक्शन
- जहां नीडल को लगाया और हटाया जाता है वहां पर ब्लड क्लॉट का होना
- टीपीएन में दिए जाने वाले फैट इंटेक से क्रोनिक लंग डिजीज और हाय ब्लड प्रेशर जैसी प्रॉब्लम्स हो सकती हैं।
- शिशुओं में लिवर से जुड़ी परेशानियां ट्रीटमेंट की शुरुआत में हो सकती हैं। आईवी मिक्चर में प्रोटीन की मात्रा को कम करके इस परेशानी की ठीक किया जा सकता है
- इस दौरान डॉक्टर को शिशु को ध्यान पूर्वक निरीक्षण करना चाहिए। इसके लिए ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट लेना जरूरी होता है। इससे डॉक्टर्स को पता चलता है कि शिशु को टीपीएन के कंपोनेंट्स में कुछ बदलाव करने की जरूरत है या नहीं।
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न्यूट्रिशन केयर ऑर्गनाइजेशन के अनुसार अगर किसी प्रकार का कोई जोखिम नहीं होता है तो बच्चे और व्यस्क दोनों इस ट्रीटमेंट का यूज कर सकते हैं। जब तक इसकी आवश्यकता रहती है तब तक इसका उपयोग किया जा सकता है।
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