विकास और व्यवहार
मेरे 6 सप्ताह के शिशु का विकास कैसा होना चाहिए?
6 सप्ताह के शिशु कई चीजों पर अपनी प्रतिक्रियाएं भी देने लगते हैं, जैसे कि मुस्कराना। उसकी वो मासूम सी मुस्कराहट आपका दिल पिघला सकती है। इस दौरान आप कोशिश करें कि उसके साथ खेलें और उसे हंसाए। ऐसा करने से हो सकता है कि वे आपकी बातों पर अपने हावभाव के माध्यम से प्रतिक्रिया देने की कोशिश करे।
मुझे 6 सप्ताह के शिशु के विकास के लिए क्या करना चाहिए?
अधिकांश विशेषज्ञ कहते हैं कि इस दौरान शिशु में कुछ आदतें डाल देनी चाहिए, जैसे कि सोने सही समय, मालिश का समय और उसके नहाने का समय आदि निधार्रित होना चाहिए। आप बच्चे को रात का सही समय पर बिस्तर पर लैटाएं, भले ही वे जाग रहे हों। इससे उन्हें अपने आप ही सो जाने में मदद मिलेगी और सही समय पर सोने की आदत उसमें विकसित होगी। । कुछ ऐसी स्वस्थ आदतें हैं जो शिशु के बेहतर विकास और निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
[mc4wp_form id=”183492″]
स्वास्थ्य और सुरक्षा
मुझे डॉक्टर से क्या बात करनी चाहिए?
आपके शिशु की स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर, डॉक्टर कुछ जरूरी टेस्ट का समय निर्धारित करेगा। हालाँकि, आप उसे इस सप्ताह डॉक्टर के पास ले ही जा रहें हैं, तो यह कुछ बातों पर अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें,जैसे कि:
यदि आपके शिशु का वजन धीरे-धीरे बढ़ रहा है या पिछले दो सप्ताह में शिशु के स्वास्थ्य, व्यवहार, आहार या नींद से जुडी कोई समस्या आई हो।
और पढ़ें : बच्चों में जिद्दीपन: क्या हैं इसके कारण और उन्हें सुधारने के टिप्स?
6 सप्ताह के शिशु की देखभाल में मुझे किन बातों की जानकारी होनी चाहिए?
यहाँ कुछ चीजें हैं जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए:
बच्चे का पोषण
शिशु के अच्छे विकास के लिए उसे उचित मात्रा में सही पोषण भी देना जरूरी है। जैसा कि शिशु के मां का दूध जरूरी होता है, यदि किसी कारणवश आप शिशु को स्तनपान नहीं करा सकती हैं, तो चिंता न करें। आप उन्हें बोतल द्वारा भी दूध पिला सकती हैं, यह पूरी तरह सामान्य है। बस ध्यान रहे कि शिशु को सही मात्रा में पोषण मिलता रहे। पोषण की कमी शिशु के पेट दर्द और कमजोरी की वजह बन सकती है, वहीं ज्यादा मात्रा में पोषण शिशु के बढ़ते वजन और मोटापे का कारण भी बन सकता है। इसके लिए आप किसी बाल रोग विशेषज्ञ की सलह भी ले सकती हैं, जो कि आपको ये बताने में सक्षम होंगे कि शिशु के उम्र के हिसाब से उसे कितना पोशषण देना है। इसके अलावा, इस स्तर पर, डॉक्टर कुछ विटामिन और पोषक तत्व जैसे विटामिन डी और आयरन के सेवन की सलाह दे सकते हैं।
- शिशु को बावेल मूवमेंट की समस्या हो सकती है, इस पर ध्यान दें
- बावेल मूवमेंट की वजह से शिशु को असहज महसूस हो सकता है
- फॉर्मूला मिल्क देने की वजह से भी बच्चों को बावेल मूवमेंट की समस्या हो सकती है, ऐसे में शिशु को कौन-सा फॉर्मूला मिल्क दें, इसको लेकर भी डॉक्टरी सलाह लें।
स्तनपान के दौरान कैसा हो खानपान, क्विज खेल जानें : Quiz: स्तनपान के दौरान कैसा हो महिला का खानपान, जानने के लिए खेलें ये क्विज
शिशु की देखभाल : सोने की स्थिति
जमाना चाहें नया हो या पुराना, कुछ बाते हमेशा एक सी रहती हैं, जैसे कि कई अध्ययनों में ये पता चला है कि बैक स्लीपर्स में बुखार, कान और नाक के संक्रमण होने की संभावना कम होती है। इसलिए अपने शिशु को पीठ के बल सोने की आदत डालें ताकि वह इस स्थिति में सहज महसूस करे।
पेरिओडिक ब्रीथिंग
आमतौर पर एक नवजात शिशु जागते हुए प्रति मिनट में 40 बार के लगभग श्ववास लेता है। वहीं सोते समय रह दर 20 बार के लगभग मिनट ही रह जाता है। लेकिन नींद के दौरान आपका शिशु कैसे सांस लेता है यह चिंता का विषय हो सकता है। कई बार नींद के दौरान 15-20 सेकंड तक शिशु तेजी से सांस ले सकता है, फिर वह 10 सेकंड के लिए रुकता है और फिर से सांस लेने लगता है। इस तरह के श्वास पैटर्न को पेरिओडिक ब्रीथिंग Periodic Breathing कहा जाता है। यह कमजोर मस्तिष्क के कारण होता है।
6 सप्ताह के शिशु की देखभाल : अम्बिलिकल हाइजीन
यदि आप अपने शिशु की गर्भनाल की देखभाल कर रही हैं और शिशु की साफ सफाई का पूरा ध्यान रख रही हैं तो शायद ही Umbilical cord का संक्रमण कभी हो। लेकिन फिर भी कभी अगर आपको शिशु की गर्भनाल के निचले हिस्से या गर्भनाल के नीचे से दुर्गंध आती महसूस हो या वहां से स्राव देखें तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। अगर शिशु को कोई संक्रमण है तो डॉक्टर एंटीबायोटिक्स लिखेंगे। आमतौर पर जन्म के पश्चात् एक या दो सप्ताह के अंदर गर्भनाल सूख कर गिर जाता है। गर्भनाल गिरने के बाद कुछ दिनों तक वहां से थोड़ा तरल स्राव हो सकता है। लेकिन अगर गर्भनाल बंद नहीं हुआ और सूखा नहीं है तो यह कई संक्रमणों को जन्म दे सकता है।
और पढ़ें : बच्चों को टीकाकरण के बाद दर्द या सूजन की हो समस्या, तो अपनाएं ये उपाय
महत्वपूर्ण बातें:
मुझे किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?
यहाँ कुछ चीजें हैं जिनका आपको खासतर पर ख्याल रखना चाहिए:
नींद
हर मांं के लिए अपने शिशु को चैन से सोते हुए देखने से ज्यादा खुशी मिलती है। लेकिन अगर आपका शिशु आपकी बाहों में ही सो जाए और आपके पास कुछ अन्य काम भी हों तो शिशु को को धीरे से बिस्तर पर लेटा दें और कम से कम दस मिनट तक उसके गहरी नींद में आ जाने की प्रतीक्षा करें और फिर इन बातों का ध्यान रखें, जैसे कि,
- अपने बच्चे को ऊंचे गद्दे पर लेटाएं। पहले कुछ हफ्तों के लिए आप झूले का उपयोग भी कर सकते हैं।
- बच्चे के कमरे में रोशनी कम रखें।
- अपने बच्चे को देखें।
- उसे लोरी सुनाएं।
और पढ़ें: जानिए, बच्चों के लिए कस्टर्ड एप्पल के फायदे क्या है?
रोना
पहले महीने के दूसरे सप्ताह में, आपका बच्चा अभी भी रो सकता है। उसे शांत करने के लिए आप यह कुछ कुछ तरकीबें आजमा सकती हैं:
- जैसे ही आपका शिशु रोता है उसे जवाब देकर उसे चुप करने की कोशिश करें।
- स्थिति को समझने की कोशिश करें। यह तय करने से पहले कि आपका बच्चा रोने के लिए रो रहा है, या उसे कोई तकलीफ है।
- शिशु को खुद के करीब रखें । अध्ययन से पता चला है कि जिन शिशुओं को हर दिन कम से कम तीन घंटे के लिए गोद में घुमाया जाता है वह
- अन्य शिशुओं की तुलना में कम रोते हैं।
- कॉलिक के दौरान, शिशुओं को कसकर लपेटने से राहत मिलती है।
- शिशु को बाहों में लेकर थपथपाएं। यह उनमें सुरक्षा की भावना निर्माण करता है।
- बच्चे के पेट को हलके हाथ से दबाने से भी कई बार बच्चों को राहत मिलती है।
- स्तनपान कराएं।
- शिशु को किसी और के हाथों में देकर देखें।
- शिशु को खुली हवा में रखें।
- शिशु का मनोरंजन करें।
- सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा भूख के कारण न रो रहा हो।
- डॉक्टर से जांच कराएं।
- राहत के लिए हर संभावित कदम उठाएं।
और पढ़ें: बच्चों की आंखो की देखभाल को लेकर कुछ ऐसे मिथक, जिन पर आपको कभी विश्वास नहीं करना चाहिए
6 सप्ताह के शिशु के लिए एक्सपर्ट की लें मदद
शिशु की देखभाल करने में यदि आपको किसी प्रकार की समस्या आ रही है, तो ऐसे में आप हेल्थकेयर प्रोफेशनल की मदद ले सकते हैं। इसके लिए आप डॉक्टर के साथ बेबी केयर एक्सपर्ट की सलाह लेकर अपने शिशु की अच्छी देखभाल कर सकते हैं। ध्यान रखें कि शिशु को शुरुआती दिनों में देखभाल की अधिक आवश्यकता होती है। ऐसे में आपको उनके केयर को लेकर हल्की मशक्कत करनी पड़ सकती है।
[embed-health-tool-vaccination-tool]