backup og meta

Premature Baby Weight: आखिर कितना होता है प्रीमैच्योर बेबी का वजन? क्या जानते हैं आप?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

    Premature Baby Weight: आखिर कितना होता है प्रीमैच्योर बेबी का वजन? क्या जानते हैं आप?

    हमारे जीवन में कई बार ऐसी चीजें हो जाती हैं, जिनका कोई रीजन नहीं होता है। उन्हीं में से एक है बच्चे की डिलिवरी समय से पहले हो जाना। अगर बच्चों का जन्म तय समय पर होता है, तो उनके स्वस्थ होने की संभावना बढ़ जाती है। अगर बच्चा ड्यू डेट के एक महीने या फिर दो महीने पहले ही पैदा हो जाता है, तो प्रीमैच्योर बेबी होने का खतरा बढ़ जाता है। प्रीमैच्योर का मतलब पूरी तरह से विकसित न होने से है। ऐसे में बच्चे को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। महिलाओं के मन में ये प्रश्न होता है कि अगर बच्चा प्रीमैच्योर पैदा हुआ है, तो आखिर उसका वजन कितना होता होगा? लो बर्थ वेट के कारण बच्चों में कमजोरी की समस्या के साथ ही अन्य समस्याएं भी रहती है और उन्हें अधिक विकास की भी जरूरत होती है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि आखिर प्रीमैच्योर बेबी का वजन (Premature baby weight) कितना होता है और ऐसी स्थिति में किन बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता है।

    प्रीमैच्योर बेबी का वजन (Premature baby weight) कितना होता है?

    प्रीमैच्योर बेबी

    प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही के दौरान बच्चे का पेट में विकास लगभग पूरा हो ही रहा होता है और बच्चे का तीसरी तिमाही के दौरान ही वजन बढ़ता भी है। लगभग 31 सप्ताह की गर्भावस्था में बच्चे का वेट तेजी से बढ़ता है। प्रेग्नेंसी के 10 वें सप्ताह में बच्चा का दोगुनी तेजी से भी अधिक वजन बढ़ता है। 30 वें सप्ताह में बच्चे का वजन करीब 3 पाउंड के करीब होता है। जो बच्चे गर्भवस्था के 40वें सप्ताह में पैदा होते हैं, उनका वजन करीब 7 1/2 पाउंड के करीब होता है। ऐसा नहीं कि जो बच्चे समय से पैदा हो, उनका वजन कम नहीं हो सकता है। समय पर पैदा होने वाले बच्चों का वजन भी कम हो सकता है। जो बच्चे समय से पहले पैदा होते हैं, उनका वजन 5 पाउंड, 8 औंस या इससे कम हो सकता है। करीब 4.4 प्रतिशत बच्चे ही ऐसे होते हैं, जिनका वजन 3 पाउंड से कम होता है। कई बार प्रेग्नेंसी कॉम्प्लीकेशंस भी प्रीमैच्योर बेबी होने का कारण बन सकता है। वैसे तो प्रीमैच्योर बेबी होने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन अधिकतर मामलों में एक से अधिक बच्चे यानी जुड़वा बच्चों के कारण प्रीमैच्योर बेबी का वजन (Premature baby weight) कम हो सकता है। आप चाहे तो इस बारे में डॉक्टर से जानकारी ले सकते हैं।

    और पढ़ें: प्रीमैच्योर बेबी के बचने के कितने चांस होते हैं, जानिए यहां

    प्रीमैच्योर बेबी का वजन (Premature baby weight) इन कारणों से हो सकता है कम

    अगर किसी महिला को ट्रिपलेट (Triplets) या फिर मल्टीपल प्रेग्नेंसी है, तो अधिक संभावना है कि बच्चे का वजन कम होगा। 34 सप्ताह में पैदा होने वाले बच्चे प्रीमैच्योर होते हैं। करीब 20 प्रतिशत जुड़वा बच्चों में और करीब 63 प्रतिशत ट्रिपलेट्स (Triplets) में वजन कम होने की संभावना अधिक होती है। अगर बच्चे गर्भ में दो या तीन से अधिक हैं, तो प्रीमैच्योर बेबी का वजन (Premature baby weight) कम होने की संभावना भी बढ़ जाती है। दो से अधिक बच्चों की प्रेग्नेंसी होने पर डिलिवरी के दौरान अधिक कॉप्लीकेशन होता है। लो बर्थ वेट होने पर ये जरूरी नहीं है कि बच्चों में किसी तरह के लक्षण नजर आएं।

    प्रीनेटल चेकअप बहुत जरूरी होता है। कई बार प्रेग्नेंसी के दौरान किसी प्रकार की समस्या बेबी की ग्रोथ पर बुरा असर डाल सकती है। ऐसा वॉम्ब में उपस्थित प्लासेंटा में किसी समस्या के कारण, होने वाली मां की बुरी हेल्थ के कारण या फिर बेबी में किसी प्रकार की हेल्थ कंडीशन (Health condition) के कारण हो सकता है। महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी प्रकार का इंफेक्शन जैसे कि वायरल या फिर बैक्टीरियल इंफेक्शन भी लो बर्थ वेट का कारण बन सकता है। कुछ इंफेक्शन जैसे कि साइटोमेगालो वायरस (Cytomegalovirus) का इंफेक्शन, टोक्सोप्लाजमोसिज (Toxoplasmosis), रूबेला (Rubella) या फिर सिफलिस (Syphilis) आदि संक्रमण गर्भ में पल रहे बच्चे के कम वजन का कारण हो सकते हैं। प्रीमैच्योर बेबी का वेट कम होने के निम्नलिखत कारण भी हो सकते हैं।

  • होने वाली मां की उम्र 17 वर्ष से कम या 35 वर्ष से अधिक होना
  • होने वाली मां को हार्ट डिजीज (Heart disease) होना
  • गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान (Smoking during pregnancy)
  • प्रेग्नेंसी में शराब पीना
  • हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure)
  • प्रेग्नेंसी में ड्रग्स का अधिक इस्तेमाल
  • ऑटोइम्यून डिजीज के कारण
  • प्रेग्नेंसी में सही पोषण प्राप्त न होना
  • गर्भाशय के आकार में परिवर्तन होना
  • उपरोक्त कारण प्रीमैच्योर बेबी का वजन (Premature baby weight) कम करने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। अगर आपको प्रेग्नेंसी के दौरान किसी प्रकार की हेल्थ कंडीशन हो, तो बेहतर होगा कि आप तुरंत ट्रीटमेंट कराएं और डॉक्टर की निगरानी में रहें। ऐसे में आपको अधिक सतर्क रहने की जरूरत होती है। आपकी लापरवाही न सिर्फ बच्चे के कम वजन का कारण बन सकती है बल्कि अन्य समस्याओं को भी जन्म दे सकती है।

    और पढ़ें: जानें प्रीमैच्योर बेबी को होने वाले लंग इंफेक्शन और इलाज के बारे में

    समय से पहले बच्चे का जन्म होने पर हो सकती हैं ये समस्याएं (Premature baby health issues)

    प्रीमैच्योर बेबी का वजन जितना कम होगा, बच्चे के लिए उतने ही कॉम्प्लीकेशंस बढ़ जाएंगे। ऐसे में लॉंग टर्म हेल्थ प्रॉब्मलम्स की भी संभावनाएं बढ़ जाती हैं। ऐसे में बेबी को ट्रीटमेंट का जरूरत होती है ताकि समय रहते समस्या में सुधार किया जा सके। ऐसे बेबी को विजन संबंधित समस्यां, सुनने में दिक्कत, सांस लेने में समस्या, सीखने में समस्या, पाचन संबंधि समस्याएं आदि का सामना करना पड़ सकता है। जानिए अन्य समस्याओं के बारे में।

    • लो ब्लड शुगर लेवल्स (Low blood sugar levels)
    • लो ऑक्सीजन लेवल्स (low oxygen levels)
    • ब्रीथिंग प्रॉब्लम्स (Breathing problems)
    • लो बॉडी टेम्परेचर (Low body temperature)
    • इंफेक्शन (Infections)
    • फीडिंग में दिक्कत होना (Difficulty feeding)
    • वेट गेन होने में दिक्कत (Difficulty gaining weight)
    • ब्लीडिंग प्रॉब्लम होना (Bleeding problems)
    • डायजेस्टिव प्रॉब्लम (Digestive problems)

    और पढ़ें: ब्लू बेबी सिंड्रोम के कारण बच्चे का रंग पड़ जाता है नीला, जानिए क्यों?

    प्रीमैच्योर बेबी का वजन हो कम, तो दिया जाता है ऐसा ट्रीटमेंट (Premature baby treatment)

    जब लो बर्थ यानी कम वजन वाले बच्चे का जन्म होता है, तो उन्हें नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट (Neonatal intensive care unit) में रखा जाता है और साथ उन्हें ऑक्सीजन की आपूर्ति भी की जाती है। प्रीमैच्योर बेबी का वजन कम होने के साथ ही अन्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। बच्चे का टेम्परेचर को भी कंट्रोल किया जाता है और साथ ही स्पेशल फीड की भी व्यवस्था की जाती है, जो ट्यूब के माध्यम से होती है। बच्चे को विटामिन ए के साथ ही अन्य न्यूट्रीशन सप्लिमेंट्स भी दिए जाते हैं। डॉक्टर समय-समय पर बच्चे के वजन के साथ ही उसके सिर के साइज को भी मापते हैं, जो कि ग्रोथ और डेवलपमेंट के बारे में भी जानकारी देता है। करीब 18 से 24 महीने का होने पर बच्चे का वजन बढ़ जाता है। यानी आपको प्रेग्नेंसी के दौरान अधिक सावधानी की जरूरत है। अगर किन्हीं कारणों से बच्चे का वजन कम है, तो उन बातों का पालन करें, जो डॉक्टर ने आपसे कहीं हो। ऐसा करने से बच्चे भविष्य में आने वाली कई समस्याओं से बच सकते हैं।

    हम उम्मीद करते हैं कि आपको प्रीमैच्योर बेबी या प्रीमैच्योर बच्चे के वजन (Premature baby weight) से संबंधित इस आर्टिकल में बहुत सी जानकारी मिल गई होगी। अगर आपको प्रेग्नेंसी के दौरान किसी तरह की समस्या हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ताकि समय रहते समस्या से बचा जा सके। कम वेट के बेबी भी समय के साथ ही पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाते हैं, इसलिए आपको घबराने की जरूरत नहीं है। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

    डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


    Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement