सेलेब्रल पाल्सी का पता कैसा लगाया जाता है? (Diagnosis of Cerebral Palsy)
डॉक्टर इसके बारे में पता लगाने के लिए फिजिकल एग्जाम, बच्चे के लक्षणों को मॉनिटर करते हैं। साथ ही मेडिकल हिस्ट्री को कंसीडर किया जाता है। इमेजिंग टेस्ट्स से ब्रेन एब्नॉर्मलिटीज (Brain Abnormalities) के बारे में पता लगाया जा सकता है। इसके लिए एमआरआई, क्रानियल अल्ट्रासाउंड (Cranial ultrasound) और सीटी स्कैन शामिल हैं। इसके लिए इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (electroencephalogram) ईईजी टेस्ट भी किया जाता है।
सेरेब्रल पाल्सी का ट्रीटमेंट मेडिकेशन, फिजिकल थेरिपी (Physical Therapy), स्पीच लैंग्वेज थेरिपी (Speech Language Therapy) से किया जा सकता है। कुछ केसेज में बच्चों को ऑर्थोपेडिक सर्जरी (Orthopedic surgery) की जरूरत भी पड़ सकती है ताकि रेंज ऑफ मोशन (Range of Motion) को सुधारा जा सके।
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प्रीमैच्योर बेबीज में ब्रेन प्रॉब्लम्स और हायड्रोसेफलस (Hydrocephalus)
हायड्रोसेफलस एक ऐसी कंडिशन है जिसमें ब्रेन में फ्लूइड जमा हो जाता है। जिसकी वजह से ब्रेन टिशूज पर प्रेशर पड़ता है। हायड्रोसेफलस (Hydrocephalus) आईवीएच का एक कॉम्प्लिकेशन हो सकता है। यह प्रीमैच्योर और फुल टर्म बेबीज दोनो में हो सकता है, अगर आईवीएच (IVH) का इलाज ना किया जाए। हालांकि इसके प्रमुख कारण स्पष्ट नहीं है। इस कंडिशन के लक्षण कंडिशन की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। इसके आम लक्षण निम्न हैं।
- पुतलियों का नीचे होना
- चिड़चिड़ापन होना
- नॉर्मल साइज से बड़ा सिर होना
- सिर का साइज बहुत तेजी से बढ़ा होना
- नींद ना आना
- उल्टी होना
हायड्रोसेफलस का पता कैसे लगाएं? Diagnosis for Hydrocephalus
इसका पता भी इमेजिंग टेक्निक्स के जरिए लगाया जाता है। जिसमें एमआरआई, सीटी और क्रेनिकल अल्टासाउंड आदि शामिल है। कुछ लोगों में इस स्थिति का इलाज करने के लिए सर्जरी प्रॉसीजर का उपयोग किया जाता है।
प्रीमैच्योर बेबीज में होने वाले अन्य कॉम्प्लिकेशन्स (Other Complications)
प्रीमैच्यारे बेबीज में ब्रेन प्रॉब्लम्स के साथ ही निम्न प्रॉब्लम्स हो सकती हैं।
- प्रीमैच्योर बेबीज में लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning disability) पाई जाती है।
- प्रीमैच्योर इंफेंट में विजन प्रॉब्लम्स (Vision Problems) भी होती हैं। इस स्थिति में ब्लड वैसल्स सूज जाती हैं और वे ओवरग्रो हो जाती हैं।
- प्री मैच्योर बेबीज में हियरिंग लॉस (Hearing Loss) भी हो सकता है। बच्चे को घर ले जाने के पहले इसकी जांच की जानी चाहिए।
- प्री मैच्योर बच्चे जो कि बहुत ज्यादा बीमार होते हैं, उनमें डेंटल प्रॉब्लम के विकसित होने का रिस्क रहता है। जिसमें दांत देर से आना, दांतों का डिसलोकेशन होना (Dental dislocation) शामिल हैं।
- प्रीमैच्योर बेबीज को नॉर्मल बेबीज से ज्यादा हॉस्पिटल केयर की जरूरत होती है। इनमें इंफेक्शन, अस्थमा (Asthma) और फीडिंग प्रॉब्लम्स जैसी समस्याएं भी देखने को मिलती है।
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प्रीमैच्योर बर्थ को जोखिम कब होता है? (Premature Birth Risk Factors)
प्रीमैच्योर बेबीज में ब्रेन प्रॉब्लम्स के बाद इसके रिस्क फैक्टर्स को भी जान लेना सही होगा। प्रीमैच्योर बर्थ का कारण स्पष्ट नहीं है। हालांकि कुछ रिस्क फैक्टर्स हैं जो प्रीमैच्योर डिलिवरी का कारण बनते हैं।
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