बच्चों में सेंसरी तकलीफें (Sensory issues in children) तब होती हैं जब किसी बच्चे को अपनी इंद्रियों (Senses) से जानकारी प्राप्त करने और प्रतिक्रिया देने में मुश्किल होती है। इन बच्चों में सेंसेरी तकलीफें होती हैं वे ऐसी किसी भी चीज से नफरत कर सकते हैं जो इंद्रियों को ट्रिगर करती हैं जैसे कि लाइट, ध्वनि, स्पर्श या गंध। बच्चों में सेंसरी तकलीफें होने पर निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
- हायपरएक्टिविटी (Hyperactivity)
- बार-बार चीजों को मुंह में डालना (Frequently putting things in their mouth)
- गले लगने के लिए मना करना (Resisting hugs)
बच्चों में ऐसी परेशानियां क्यों होती है इसके बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। कुछ बच्चे ऐसे अनुभव करते हैं जबकि कुछ नहीं करते। इस आर्टिकल बच्चों में सेंसरी तकलीफें (Sensory issues in children) और उससे संबंधित जानकारी दी जा रही है।
सेंसरी प्रोसेसिंग (Sensory processing) क्या है?
हम स्कूल में पांच सेंसेस के बारे में पढ़ते हैं, लेकिन ये पांच से ज्यादा होते हैं। सेंसरी प्रोसेसिंग आठ प्रमुख प्रकार में बटी हुई है।
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प्रोप्रियोसेप्शन (Proprioception)
यह बॉडी के लिए होने वाला इंटरनल अवेयरनेस सेंस होता है। जो आपको पॉश्चर को मेंटेन करने में मदद करता है। उदाहरण के लिए यह ये भी बताता है कि आप कैसे चल रहे हैं और किस तरह से बैठ रहे हैं।
बेस्टिबुलर (Vestibular)
इस टर्म का उपयोग इंटरनल ईयर स्पेटियल रिकग्नाइजेशन (Inner ear spatial recognition) के लिए किया जाता है। यही आपको संतुलित और समन्वित रखता है।
इंट्रोसेप्शन (Interoception)
यह वह सेंस है जिससे पता चलता है कि आपकी बॉडी में क्या हो रहा है। जिससे आप अपनी भावनाओं, ठंडे, गर्म के एहसास हो समझ पाते हैं।
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पांच ज्ञान (Five senses)
इसके बाद पांच कॉमन सेंसेस है। जिसमें छूना, सुनना, स्वाद लेना, सूंघना और देखना शामिल है।
सेंसरी तकलीफों को पहले सेंसरी प्रोसेसिंग डिसऑर्डर कहा जाता था। इसे एक डिसऑर्डर मानने की जगह डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह किसी दूसरी कंडिशन या डिसऑर्डर एक कंपोनेंट है। यही कारण है कि इसके बारे में और इसके इलाज कैसे किया जाए इसके बारे में कम जानकारी उपलब्ध है, लेकिन पता है वह माता-पिता, डॉक्टर्स और अन्य देखभाल करने वालों को अपने बच्चे के अनुभवों को समझने और सहायता प्रदान करने में मदद कर सकता है।
बच्चों में सेंसरी तकलीफें होने के लक्षण क्या हैं? (What are the symptoms of sensory problems in children?)
बच्चों में सेंसरी ईशूज होने पर यह किसी एक सेंस जैसे कि सुनना, छूना या सूंघना आदि को प्रभावित करते हैं या ये कई सेंसेस को प्रभावित कर सकते हैं। जिससे बच्चें जिन चीजों में उन्हें परेशानी होती है उनके प्रति ज्यादा या बेहद रिस्पॉन्सिव हो सकते हैं। कई दूसरी तकलीफों की तरह ही बच्चों में सेंसरी तकलीफें (Sensory issues in children) होने के लक्षण एक स्पेक्ट्रम में हो सकते हैं। उदाहरण के लिए खिड़की के बाहर से आती हुई आवाज से उन्हें उल्टी हो सकती है या वे टेबल के नीचे छुप सकते हैं। छूने पर वे चिल्ला सकते हैं। कुछ फूड्स के टेक्चर से प्रभावित हो सकते हैं।
वहीं कुछ किसी भी चीज के प्रति प्रतिक्रिया नहीं देते। यहां तक कि वे अत्यधिक सर्द, गर्म और दर्द में भी प्रतिक्रिया नहीं देते। कई बच्चों में सेंसरी तकलीफें एक उधमी बच्चे के रूप में शुरू होती है जो बड़े होने पर परेशान और चिंतित हो जाते हैं। ये बच्चे अक्सर बदलाव को अच्छी तरह संभाल नहीं पाते हैं। वे अक्सर नखरे करते हैं। कई बच्चों में समय-समय पर ये लक्षण देखने को मिलते हैं, लेकिन थेरेपिस्ट बच्चों में सेंसरी तकलीफें (Sensory issues in children) होने पर उनका निदान पर विचार तब करते हैं जब लक्षण सामान्य कामकाज को प्रभावित करने और रोजमर्रा की जिंदगी को बाधित करने के लिए पर्याप्त गंभीर हो जाते हैं।
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बच्चों में सेंसरी तकलीफें होने के कारण क्या हैं? (What are the causes of sensory problems in children?)
बच्चों में सेंसरी तकलीफें होने के सटीक कारण की पहचान नहीं की गई है, लेकिन 2006 में जुड़वा बच्चों के अध्ययन में पाया गया कि प्रकाश और ध्वनि के प्रति अतिसंवेदनशीलता में एक मजबूत आनुवंशिक घटक हो सकता है। अन्य प्रयोगों से पता चला है कि जिन बच्चों में सेंसरी तकलीफें (Sensory issues in children) होती हैं उनमें असामान्य मस्तिष्क गतिविधि होती है जब वे एक साथ प्रकाश और ध्वनि के संपर्क में आते हैं। वहीं कुछ अन्य प्रयोगों से पता चला है कि सेंसरी प्रॉब्लम्स वाले बच्चे छूनें या तेज आवाज के प्रति तीव्र प्रतिक्रिया देते हैं जबकि अन्य बच्चे जल्दी संवेदनाओं के प्रति अभ्यस्त हो जाते हैं।
बच्चों में सेंसरी तकलीफें (Sensory problems in children) होने के अन्य कारण
कई डॉक्टर्स सेंसरी ईशूज को एक डिसऑर्डर नहीं मानते, लेकिन यह स्पष्ट है कि कुछ लोगों में वे क्या महसूस कर रहें हैं, क्या देख रहे हैं और क्या सूंघ रहे हैं इसकी प्रॉसेसिंग में समस्या होती है। बच्चों में सेंसरी तकलीफें (Sensory issues in children) दूसरी कंडिशन से भी संबंधित हो सकती हैं जो निम्न हैं।
- अटेंशन डेफिसिएट हायपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (Attention deficit hyperactivity disorder)
- ऑब्सेसिव कंप्लसिव डिसऑर्डर (Obsessive-compulsive disorder)
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एडीएचडी वाले बच्चे संवेदी मुद्दों वाले बच्चों की तुलना में बहुत अलग कारणों से अति सक्रियता का अनुभव करते हैं।
बच्चों में सेंसरी तकलीफों के बारे में पता कैसे लगाया जाता है? (How are sensory issues diagnosed?)
बच्चों में सेंसरी तकलीफें (Sensory issues in children) होना एक ऑफिशियल कंडिशन नहीं है। इसलिए इनके निदान का कोई फॉर्मल क्राइटेरिया नहीं है। डॉक्टर्स और दूसरे हेल्थकेयर प्रोफेशनल ऐसे बच्चों की देखरेख करते हैं जिनको सेंसरी प्रॉसेसिंग में परेशानी होती है। इसलिए वे बच्चों के बिहेवियर और इंटरैक्शन को देखकर परेशानी के बारे में पता लगा लेते हैं। आमतौर पर ये सेंसरी ईशूज आसानी से दिखाई दे जाते हैं। जिससे डायग्नोसिस आसान हो जाता है।
कुछ मामलों में डॉक्टर सेंसरी इंटेग्रेशन और प्रासिक्स (Sensory Integration and Praxis Tests) या सेंसरी प्रोसेसिंग मेजर (Sensory Processing Measure) का उपयोग करते हैं। जिससे डॉक्टर को बच्चों में सेंसरी तकलीफें (Sensory issues in children) समझने में आसानी होती है।
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बच्चों में सेंसरी तकलीफें होने पर इलाज कैसे होता है? (Treatment of sensory problems in children)
बच्चों में सेंसरी तकलीफें (Sensory issues in children) होने पर इसका कोई स्टेंडर्ड इलाज नहीं है। फिर भी निम्न थेरिपीज मददगार साबित हो सकती हैं।
ऑक्यूपेशनल थेरिपी (Occupational therapy)
एक ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट बच्चों की ऐसी एक्टिविटीज को सीखने या प्रैक्टिस करने में मदद करते हैं जो वे सेंसरी ईशूज के चलते अवॉइड कर देते हैं।
फिजिकल थेरिपी (Physical therapy)
एक फिजिकल थेरिपिस्ट सेंसरी रेजीम डेवलप कर सकता है। इसमें ऐसी गतिविधियों को शामिल किया जाता है जो सेंसरी इंपुट की क्रेविंग को सैटिस्फाय करने में मदद करें। इसमें जंपिंग जैक या जगह पर दौड़ना शामिल हो सकता है।
सेंसरी इंटीग्रेशन थेरिपी (Sensory integration therapy)
ऊपर बताए गए दोनों उपचार विकल्प का सेंसरी इंटीग्रेशन थेरिपी हिस्सा हैं।
यह दृष्टिकोण बच्चों को उनकी इंद्रियों को उचित रूप से प्रतिक्रिया करने के तरीके सीखने में मदद करने के लिए माना जाता है। यह उन्हें यह समझने में मदद करने के लिए डिजाइन किया गया है कि उनके अनुभव कैसे भिन्न हैं ताकि वे अधिक विशिष्ट प्रतिक्रिया को ठीक से समझ सकें। जबकि ऐसी खबरें हैं कि सेंसरी इंटीग्रेशन थेरिपी द्वारा बच्चों की मदद तो की जा रही है, लेकिन इसकी प्रभावशीलता सिद्ध नहीं हुई है।
उम्मीद करते हैं कि आपको बच्चों में सेंसरी तकलीफें (Sensory issues in children) क्यों होती है और इनके उपचार से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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