आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसिस (All India Institute of Medical Sciences) द्वारा पब्लिश्ड रिपोर्ट में भारत के अलग-अलग क्लिनिकल एवं लेबोरटरी रिपोर्ट्स के अनुसार बच्चों में हायपोकैल्शिमिया (Hypocalcemia in Kids) की समस्या गंभीर बताई गई है। हालांकि बच्चों में हायपोकैल्शिमिया का इलाज संभव है, लेकिन हायपोकैल्सिमीया से जुड़ी जानकारियों को समझकर।
- हायपोकैल्सिमीया क्या है?
- बच्चों में हायपोकैल्शिमिया के लक्षण क्या हैं?
- बच्चों में हायपोकैल्शिमिया के कारण क्या हैं?
- हायपोकैल्सिमीया का डायग्नोसिस कैसे किया जाता है?
- बच्चों में हायपोकैल्शिमिया का इलाज कैसे किया जाता है?
- बच्चों में हायपोकैल्शिमिया के लिए घरेलू उपाय क्या हैं?
चलिए अब एक-एक कर बच्चों में हायपोकैल्शिमिया से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।
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हायपोकैल्सिमीया (Hypocalcemia) क्या है?
हायपोकैल्सिमीया एक ऐसी स्थिति है, जिसके दौरान ब्लड में कैल्शियम का लेवल सामान्य से कम हो जाता है। अगर बच्चों में हायपोकैल्शिमिया की समस्या हो जाए, तो ऐसी स्थिति में हार्ट और ब्रेन ठीक तरह काम नहीं कर पाते हैं। वहीं शरीर में सामान्य से कम कैल्शियम लेवल होने पर बच्चों के हड्डियों और मसल्स के भी निर्माण में समस्या शुरू हो सकती है। ऐसा नहीं है कि हायपोकैल्सिमीया की समस्या सिर्फ बड़ों या बच्चों में ही देखी जाती है, बल्कि नवजात बच्चे भी हायपोकैल्सिमीया के शिकार हो सकते हैं, जिसे मेडिकल टर्म में नियोनेटल हायपोकैल्सिमीया (Neonatal hypocalcemia) कहा जाता है। बच्चों में हायपोकैल्शिमिया के लक्षणों को समझना बेहद जरूरी है, जिसे इस बीमारी को दूर करने का पहला स्टेप माना गया है।
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बच्चों में हायपोकैल्सिमीया के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Hypocalcemia in Kids)
न्यूमरस फाउंडेशन (Nemours Foundation) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार बच्चों में हायपोकैल्शिमिया के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- उल्टी (Vomit) करना।
- बच्चे का शारीरिक रूप से कमजोर (Weak) होना।
- बच्चे का सुस्त होना।
- दौरे (Seizures) पड़ना।
- बच्चे की हृदय गति धीमी (Heart beat) होना।
- बच्चे को बुखार (Fever) आना।
- कैल्शियम की कमी की वजह से दांत निकलने में देरी होना।
- बच्चे का ब्लड प्रेशर कम (Low Blood Pressure) होना।
- रात को सोने के दौरान बच्चे के सिर से पसीना सामान्य से ज्यादा आना।
इन ऊपर बताये लक्षणों के अलावा बच्चों में अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं। इसलिए अगर बच्चों में हायपोकैल्शिमिया के लक्षण नजर आएं, तो डॉक्टर से कंसल्ट करें और बच्चों में हायपोकैल्सिमीया के कारण को भी जानें।
बच्चों में हायपोकैल्शिमिया के कारण क्या हैं? (Cause of Hypocalcemia in Kids)
बच्चों में हायपोकैल्शिमिया के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- बच्चे के आहार में कैल्शियम की मात्रा कम होती है। दरअसल ऐसा जब नवजात शिशुओं या 1 साल से कम उम्र के बच्चों को फॉर्मूला मिल्क (Formula Milk) का सेवन करवाया जाता है, तो शिशु में कैल्शियम की कमी हो सकती है।
- बच्चों में विटामिन डी (Vitamin D) की कमी होना। दरअसल विटामिन डी कैल्शियम (Calcium) एब्सॉर्ब करने में सहायक होते हैं।
- शरीर में हॉर्मोन लेवल इम्बैलेंस होना।
ये 3 कारण बच्चों में हायपोकैल्सिमीया के कारणों में मुख्य माने जाते हैं। इसलिए बच्चों को हेल्दी डायट फॉलो करवाना बेहद जरूरी होता है। बच्चों में हायपोकैल्शिमिया का इलाज करने से पहले डॉक्टर बच्चों में हायपोकैल्सिमीया से जुड़े टेस्ट (Hypocalcemia test) करवाने की सलाह देते हैं।
बच्चों में हायपोकैल्शिमिया का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Hypocalcemia in Kids)
बच्चों में हायपोकैल्शिमिया के निदान के लिए सबसे पहले डॉक्टर बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री समझने की कोशिश करते हैं और बच्चे के हेल्थ कंडिशन की जानकारी लेते हैं। इसके अलावा डॉक्टर पेरेंट्स को बच्चे की ब्लड टेस्ट (Blood test) करवाने की सलाह देते हैं।
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बच्चों में हायपोकैल्शिमिया का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Hypocalcemia in Kids)
बच्चों में हायपोकैल्शिमिया का इलाज बीमारी की गंभीरता को ध्यान में रखकर किया जाता है। दरअसल कभी-कभी बच्चों में कम हुए कैल्शियम लेवल की जानकारी किसी अन्य बॉडी चेकअप के दौरान मिलती है और कुछ बच्चों में हायपोकैल्सिमीया के लक्षणों (Symptoms of Hypocalcemia) को समझकर इलाज शुरू किया जाता है। इसलिए-
- अगर बच्चे की स्थिति गंभीर है, तो इंट्रावेनस लाइन (Intravenous Line [IV]) के माध्यम से बच्चों में आवश्यक दवाओं की पूर्ति की जाती है। इस प्रोसेस के दौरान बच्चे को हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ता है। कभी-कभी क्रिटिकल कंडिशन होने की वजह से आईसीयू (ICU) में भी बच्चे को एडमिट करने की आवश्यकता पड़ सकती है।
- कुछ बच्चों में हायपोकैल्शिमिया की शुरुआत होती है, तो ऐसे में न्यूट्रिशन (Nutrition) एवं मेडिकेशन (Medication) की सहायता से इलाज किया जाता है। आवश्यकता पड़ने पर डॉक्टर बच्चे को विटामिन डी सप्लिमेंट्स के सेवन की भी सलाह दे सकते हैं।
नोट: आप अपनी मर्जी से बच्चों को कैल्शियम सप्लिमेंट्स (Calcium supplements) या विटामिन डी सप्लिमेंट्स (Vitamin D supplements) का सेवन ना करवाएं, क्योंकि ऐसा करने से बच्चे की सेहत को नुकसान पहुंच सकता है।
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बच्चों में हायपोकैल्शिमिया के लिए घरेलू उपाय क्या हैं? (Home remedies Hypocalcemia)
अगर बच्चे को हायपोकैल्सिमीया की समस्या हो जाए या इस स्थिति से बचाने के लिए निम्नलिखित टिप्स को फॉलो करना लाभकारी माना जाता है। जैसे:
- बच्चे को कैल्शियम, विटामिन डी एवं मैग्नीशियम रिच फूड खिलाएं।
- विटामिन डी (Vitamin D) की पूर्ति के लिए सुबह की धूप की किरणों में बच्चों को कुछ देर तक रहने दें।
- एक साल से कम उम्र के बच्चों को ब्रेस्ट मिल्क (Breast milk) या फॉर्मूला मिल्क (Formula milk) का सेवन करवाएं।
इन उपायों के साथ-साथ बच्चों को कैल्शियम से भरपूर खाने की चीजें दें।
बच्चों को बैलेंस डायट फॉलो करवाने से उनके फिटनेस को बरकरार रखा जा सकता है। इसलिए बच्चों के डायट से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी के लिए नीचे दिए गए इस क्विज को खेलें।
कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ (List of Calcium rich food)
- डेयरी प्रॉडक्ट्स (Dairy products) जैसे दूध, पनीर, दही का सेवन लाभकारी हो सकता है।
- संतरे में कैल्शियम की मात्रा ज्यादा होती है। इसलिए बच्चे को संतरा (Orange) या संतरे का जूस दें।
- सोया में कैल्शियम का मात्रा ज्यादा होती है। इसलिए बच्चे को सोया (Soya) दें।
- बादाम ब्रेन के विकास (Brain development) में खास भूमिका निभाता है। इसलिए बच्चे को बादाम (Almond) अवश्य खिलाएं।
- ब्रोकली (Broccoli) कैल्शियम रिच माना जाता है। इसका सेवन भी बच्चे को करवाया जा सकता है।
बच्चों को इन ऊपर बताये खाद्य पदार्थों का सेवन नियमित एवं संतुलित मात्रा में करवाएं।
बच्चों में हायपोकैल्शिमिया की समस्या होने पर घबराएं नहीं, क्योंकि बच्चों को हेल्दी न्यूट्रिएंट्स (Healthy Nutrients) फॉलो करवा कर ये परेशानी दूर की जा सकती है। हालांकि हायपोकैल्सिमीया की समस्या से जुड़े किसी सवाल का जवाब पाना चाहते हैं, तो हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं हमारे हेल्थ एक्सपर्ट आपके सवालों का जवाब देंगे। हालांकि अगर आपके बच्चे में हायपोकैल्शिमिया की समस्या है, तो बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें। क्योंकि हेल्थ एक्सपर्ट बच्चे की पूरी हेल्थ कंडिशन (Health condition) को ध्यान में रखकर बच्चों में हायपोकैल्सिमीया का इलाज (Treatment for Hypocalcemia) करते हैं। इस दौरान डॉक्टर्स लगातार बच्चे की सेहत पर नजर बनाये रखते हैं, जिससे बच्चा जल्द स्वस्थ हो सकता है।
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