टाइप सी (type c)
नीमन पिक टाइप सी दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी है। इस टाइप में होने वाला जेनेटिक म्यूटेशन कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) और दूसरे फैट्स का लिवर (liver), स्पलीन और लंग्स में जमने का कारण बनता है। इससे ब्रेन भी प्रभावित होता है।
नीमन पिक डिजीज का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Niemann-Pick disease)

नीमन पिक डिजीज के निदान की शुरुआत फिजिकल एक्जामिनेशन से होती है। जिसमें अर्ली वार्निंग साइन जैसे कि बड़ा हुआ लिवर या स्पलीन दिखाई दे सकते हैं। डॉक्टर डिटेल्ड मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछते हैं। साथ ही वे लक्षणों और फैमिली हिस्ट्री के बारे में भी जानकारी लेते हैं। नीमन पिक बीमारी दुर्लभ है और इसलिए इसके लक्षणों को किसी दूसरी बीमारी के लक्षण भी समझा जा सकता है। इस बीमारी का डायग्नोसिस इसके प्रकार पर आधारित होता है।
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टाइप ए और बी – इन दोनों टाइप के लिए ब्लड सैंपल या बायोप्सी की जाती है। जिसमें एक्सपर्ट इस बात का पता लगाते हैं कि व्हाइट ब्लड सेल्स में स्फिंगोमाइलीनेज (sphingomyelinase) की मात्रा कितनी है।
टाइप सी- इसके लिए एक्सपर्ट स्किन का छोटा सा सैंपल लेकर पता करते हैं कि कोशिकाएं कैसे ग्रो करती हैं, कैसे मूव करती हैं और कैसे कोलेस्ट्रॉल को स्टोर करती हैं।
इसके अलावा दूसरे टेस्ट के द्वारा भी नीमन पिक का पता लगाया जा सकता है जो निम्न हैं।
मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजिंग (Magnetic resonance imaging MRI)

ब्रेन की एमआरआई (MRI) के जरिए ब्रेन सेल्स के लॉस को देखा जा सकता है, लेकिन नीमन पिक के अर्ली स्टेज में एमआरआई नॉर्मल हो सकती है क्योंकि इस बीमारी के लक्षण तभी दिखाई देते हैं जब ब्रेन सेल्स का लॉस होता है।
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आई एग्जाम
आई एग्जाम के द्वारा नीमन पिक डिजीज के संकेत जिसमें आई मूवमेंट करने में परेशानी होती है का पता लगाया जा सकता है।
जेनेटिक टेस्टिंग (genetic testing)
ब्लड सैंपल का डीएनए टेस्टिंग (DNA Testing) से एब्नॉर्मल जीन्स के बारे में पता लगाया जा सकता है जो नीमन पिक डिजीज का कारण बनते हैं।
प्रीनेटल टेस्टिंग (Prenatal testing)
अल्ट्रासाउंड के द्वारा इनलार्ज्ड लिवर और स्पलीन को डिटेक्ट किया जा सकता है जो टाइप सी के कारण होता है। एमिनियोसेंटिसीस (amniocentesis) के जरिए भी नीमन पिक डिजीज को कंफर्म किया जाता है।
नीमन पिक डिजीज का ट्रीटमेंट

नीमन पिक डिजीज का कोई इलाज (Niemann-Pick disease treatment) उपलब्ध नहीं है। सर्पोटिव केयर नीमन पिक के सभी प्रकारों के लिए हेल्पफुल है। टाइप बी का इलाज बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone marrow transplant), एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरिपी ( enzyme replacement therapy) और जीन थेरिपी (gene therapy) के जरिए किया जाता है। हालांकि ये ट्रीटमेंट कितने इफेक्टिव हैं। इस पर रिसर्च जारी है। वहीं टाइप सी के लिए (miglustat) दवा का यूज किया जाता है। यह एक एंजाइम इंहीबिटर (Enzyme inhibitors) है। यह बॉडी को फैटी सब्सटेंस बनाने से रोकती है।
फिजिकल थेरिपी नीमन पिक डिजीज के ट्रीटमेंट में महत्वपूर्ण हैं। इस बीमारी से पीड़ित लोगों को रेगुलरी डॉक्टर को दिखाना चाहिए क्योंकि यह एक प्रोग्रेसिव डिजीज है और इसके लक्षण बिगड़ते जाते हैं।
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