मेरास्मस से बचाव (Prevention of marasmus)
इस समस्या से बचाव का बेहतरीन तरीका है कैलोरी और प्रोटीन से भरपूर हेल्दी और बैलेंस डायट (balance diet) लेना। प्रोटीन से भरपूर चीजें जैसे- स्किम्ड मिल्क, फिश, अंडा और नट्स एनर्जी प्रदान करने के साथ ही बच्चे के विकास में भी मदद करते हैं। इसके अलावा हर क्षेत्र में मौजूद कैलोरी और प्रोटीन से भरपूर अन्य चीजों का सेवन भी कुपोषण से बचाने में मददगार है। इसके अलावा अन्य पोषक तत्वों की आपूर्ति के लिए डायट में पर्याप्त सब्जियां और फलो को शामिल करना जरूरी है। इससे विटामिन्स (vitamins) की कमी नहीं होगी। वैसे तो सप्लीमेंट्स भी लिए जा सकते हैं, लेकिन विटामिन्स के नेचुरल स्रोत ज्यादा असरदार होते हैं। जो व्यक्ति मेरास्मस (marasmus) से उबर चुका है या उबर रहा है उसे अपना खास ख्याल रखने की जरूरत है ताकि डायरिया और डिहाइड्रेशन की समस्या न हो।
साफ-सफाई का ध्यान रखना है जरूरी (Sanitation and hygiene in marasmus)
कुछ मामलों में दूषित पानी की वजह से भी मेरास्मस की समस्या हो सकती है। इसलिए साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाना चाहिए। खासतौर पर उन जगहों पर जहां भोजन और साफ पानी की नियमित रूप से सप्लाई नहीं होती है। साफ-सफाई का ध्यान न रखने से संक्रमण हो सकता है जो मेरास्मस और दूसरे टाइप के कुपोषण के लक्षणों को और गंभीर बनाकर मरीज के ठीक होने की संभावना को घटा सकता है।
कई बार भोजन में मौजूद बैक्टीरिया भी कुपोषण (malnutrition) की समस्या को गंभीर बना सकते है। इससे बचने के लिए खाना हमेशा उच्च तापमान पर पकाना चाहिए। पानी को साफ करने के लिए उसे उबालकर पीना अच्छा विकल्प है।
नवजात बच्चे को कुपोषण से बचाने के लिए नई मां को भी पोषक तत्वों से भरपूर आहार दिया जाना चाहिए, ताकि पर्याप्त ब्रेस्ट मिल्क (breast milk) बने और वह बच्चे को ठीक तरह से स्तनपान करा सके। नवजात को कम से कम 6 महीने तक पर्याप्त मां का दूध मिलना जरूरी होती है, इससे उसे कुपोषण से बचाया जा सकता है। इसके अलावा दो बच्चों के बीच अंतर रखना और बच्चे का समय पर टीकाकरण भी कराना चाहिए ताकि वह किसी अन्य तरह की बीमारी के शिकार न हो, वरना इससे कुपोषण की समस्या और गंभीर हो सकती है।
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कुपोषण (malnutrition) किसी भी देश के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। दक्षिण एशियाई देशों की बात की जाए तो भारत में कुपोषण कि स्थिति बहुत खराब है और हर साल इसकी संख्या बढ़ती ही जा रही है। देश के गरीब इलाकों में आज भी भुखमरी की स्थिति गंभीर है। ऐसे क्षेत्रों में सिर्फ बच्चे ही नहीं, बल्कि व्यस्क भी कुपोषण का शिकार हैं। कई एनजीओ और सरकारी संस्थाएं इनकी मदद कर रही हैं और उन्हें पर्याप्त भोजन प्रदान करने की कोशिश की जा रही है। भारत सरकार ने साल 2018 में राष्ट्रीय पोषण मिशन योजना शुरू की गई थी जिसे ‘पोषण अभियान’ के नाम से भी जाना जाता है। इस योजना का मकसद है 2022 तक देश को ‘कुपोषण-मुक्त’ बनाना। हालांकि जमीनी हकीकत कुछ अलग ही तस्वीर बयां करती हैं जिसे देखते हुए इस मकसद को पाना मुश्किल नजर आता है, क्योंकि देश के कुछ हिस्सों में आज भी कुपोषण की समस्या गंभीर है।
भारत के अलावा कई अफ्रीकी और अन्य देश भी कुपोषण की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं।