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मेरास्मस का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of marasmus)
डॉक्टर प्राथमिक रूप से कुपोषित बच्चे का शारीरिक परीक्षण (physical exam) करके इसका पता लगाता है, जैसे बच्चे की लंबाई, वज़न आदि। इससे पता चलता है कि उम्र के अनुसार उसका विकास सही हो रहा है या नहीं। यदि उसका विकास उम्र के हिसाब से नहीं हो रहा तो बच्चा कुपोषित हो सकता है। कुपोषण का शिकार बच्चों में एनर्जी भी नहीं होती है और वह मुश्किल से ही कोई काम कर पाता है इसके आधार पर भी मेरास्मस का पता लगाया जा सकता है। ब्लड टेस्ट से इसका पता लगाना मुश्किल है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मेरास्मस ( marasmus) पीड़ित कुछ बच्चों में इंफेक्शन भी होता है जो ब्लड टेस्ट को प्रभावित करता है।
मेरास्मस का उपचार (How marasmus treated)

मेरास्मस (marasmus) जानलेवा मेडिकल इमरजेंसी है और इसके लक्षण दिखते ही तुरंत इलाज की जरूरत है। शुरुआती इलाज में ड्रायड स्किम मिल्क पाउडर को उबले पानी में मिलाकर दिया जाता है। बाद में इस मिश्रण में वेजीटेबल ऑयल जैसे तिल, कैसिइन और चीनी आदि मिलाया जाता है। कैसिइन मिल्क प्रोटीन होता है। तेल मिलाने से मिश्रण की ऊर्जा डेन्सिटी बढ़ती है। मेरास्मस से पीड़ित बच्चे के लिए खास डायट प्लान मेडिकल प्रोफेशनल तैयार करता है जिससे उसके शरीर में पोषक तत्वों की कमी को दूर किया जा सके। यदि बच्चा एनोरेक्सिया नर्वोसा (anorexia nervosa) से पीड़ित है तो मेडिकल प्रोफेशनल की पूरी टीम उसका उपचार करती है।
मेरास्मस पीड़ित बच्चे के लिए पोषक तत्वों, कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी से भरपूर डायट बहुत जरूरी है। उन्हें अपनी उम्र के सामान्य बच्चों से अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है। हालांकि बहुत अधिक फैट और बॉडी टिशू खत्म होने के कारण उनका शरीर इन सारी चीजों को पचा नहीं पाता है। इसका एक समाधान जो डॉक्टर बताते है वह यह है कि खाने थोड़ी-थोड़ी मात्रा में और संभव हो तो ट्यूब के जरिए नसों और पेट तक पहुंचाया जाता है। इस तरीके से खाना शरीर में सीधे और जल्दी पहुंचता है। सही उपचार के बावजूद इस समस्या से उबरने में महीनों का समय लग जाता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को इंफेक्शन और डिहाइड्रेशन (dehydration) के उपचार की भी जरूरत पड़ती है। यदि मेरास्मस का कारण ईटिंग डिसऑर्डर (eating disorder) है, तो व्यक्ति को मेंटल हेल्थ ट्रिटमेंट और सहयोग की जरूरत पड़ती है।
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मेरास्मस से बचाव (Prevention of marasmus)
इस समस्या से बचाव का बेहतरीन तरीका है कैलोरी और प्रोटीन से भरपूर हेल्दी और बैलेंस डायट (balance diet) लेना। प्रोटीन से भरपूर चीजें जैसे- स्किम्ड मिल्क, फिश, अंडा और नट्स एनर्जी प्रदान करने के साथ ही बच्चे के विकास में भी मदद करते हैं। इसके अलावा हर क्षेत्र में मौजूद कैलोरी और प्रोटीन से भरपूर अन्य चीजों का सेवन भी कुपोषण से बचाने में मददगार है। इसके अलावा अन्य पोषक तत्वों की आपूर्ति के लिए डायट में पर्याप्त सब्जियां और फलो को शामिल करना जरूरी है। इससे विटामिन्स (vitamins) की कमी नहीं होगी। वैसे तो सप्लीमेंट्स भी लिए जा सकते हैं, लेकिन विटामिन्स के नेचुरल स्रोत ज्यादा असरदार होते हैं। जो व्यक्ति मेरास्मस (marasmus) से उबर चुका है या उबर रहा है उसे अपना खास ख्याल रखने की जरूरत है ताकि डायरिया और डिहाइड्रेशन की समस्या न हो।