प्रेग्नेंसी की शुरुआत से ही मां अपना और गर्भ में पल रहे शिशु का ख्याल रखना शुरू कर देती है। वैसे प्रेग्नेंसी के दौरान खानपान का ध्यान रखना आसान है, लेकिन शिशु के जन्म के बाद मां की डायट और न्यू बॉर्न की डायट अलग-अलग हो जाती है। अब अगर आप पहली बार मां बनी हैं, तो ऐसे में नवजात के पेट का आकार (Newborn Stomach Capacity) समझना जरूरी है। नवजात के पेट का आकार ध्यान में रखकर ही शिशु को स्तनपान करवाना चाहिए। इसलिए आज इस आर्टिकल में नवजात के पेट का आकार (Newborn Stomach Capacity) यानी न्यू बॉर्न के पेट की कैपेसिटी (Neonatal stomach volume) को समझेंगे, जिससे आप अपने शिशु के डायट का ख्याल आसानी से रख सकते हैं।
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नवजात के पेट का आकार (Newborn Stomach Capacity)
नवजात के पेट का आकार: पहला दिन (Day 1)-
नवजात के पेट का आकार पहले दिन मटर (Peas) के साइज का होता है। इसलिए नवजात शिशु एक बार में सिर्फ 1 टेबलस्पून ही काफी होता है। इसलिए अगर इस दौरान मिल्क का प्रॉडक्शन सीमित मात्रा में हो, तो मां को परेशान नहीं होना चाहिए।
नवजात के पेट का आकार: तीसरा दिन (Day 3)-
नवजात के पेट का आकार तीसरे दिन अखरोट (Walnut) के साइज का होता है। इसलिए नवजात शिशु को 0.5 से 1 औंस लिक्विड का सेवन करवाया जा सकता है।
नवजात के पेट का आकार: दसवां दिन (Day 10)-
नवजात शिशु जब 10 दिनों का हो जाता है, तो उसके पेट का आकार गोल्फ बॉल (Golf ball) के साइज का होता है। इसलिए नवजात के पेट का आकार (Newborn Stomach Capacity) दसवें दिन 1.5 से 2 औंस लिक्विड का सेवन करवाया जा सकता है।
धीरे-धीरे नवजात शिशु के पेट का आकार बढ़ता जाता है और लिक्विड डायट (Liquid diet) भी बढ़ जाती है। नवजात के पेट का आकार (Newborn Stomach Capacity) समझने के साथ-साथ शिशु के लिए स्तनपान कब-कब आवश्यक है यह भी समझना जरूरी है।
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नवजात शिशु को ब्रेस्टफीडिंग करवाने से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
जब नवजात शिशु का जन्म हो जाता है, तो जन्म के बाद के पहले 24 में शिशु सिर्फ 0.5 से 1 औंस कोलोस्ट्रम (Colostrum) यानी दूध का ही सेवन कर पाता है। हालांकि भले ही शिशु सिर्फ .5 से 1 औंस कोलोस्ट्रम का सेवन करे, लेकिन वो ज्यादा वक्त तक ब्रेस्ट सकिंग कर सकता है। ऐसे करने से ब्रेस्टमिल्क सप्लाई बेहतर होती है। इसलिए ऐसे में नई मां को परेशान नहीं होना चाहिए। हेल्दी नवजात शिशु के जन्म के 1 से 2 घंटे के अंदर फीड करवाई जा सकती है। ब्रेस्टफीडिंग के 4 से 5 दिनों के बाद कोलोस्ट्रम ट्रांजिशनल मिल्क (Transitional milk) में बदल जाता है।
कोलोस्ट्रम की तुलना में ट्रांजिशनल मिल्क ज्यादा गाढ़ा होता है। वहीं 10 से 14 दिनों में ट्रांजिशनल मिल्क भी मैच्योर मिल्क में बदल जाता है। मैच्योर मिल्क भी शिशु की जरूरतों के अनुसार बदलता है। ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को यह ध्यान रखना चाहिए ब्रेस्टमिल्क को समय-समय पर ड्रेन करना चाहिए। यह प्रक्रिया मिल्क प्रॉडक्शन में सहायक होती है। हालांकि इसका अर्थ ये नहीं है कि आप नवजात के पेट का आकार ध्यान रखें और उसे बार-बार ब्रेस्टफीडिंग करवाते रहें। यहां ब्रेस्टमिल्क को समय-समय पर ड्रेन करने अर्थ यह कि आप ब्रेस्टमिल्क पंप की सहायता ब्रेस्ट मिल्क को बाहर निकाल सकती हैं।
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नवजात के पेट का आकार: नई मां कैसे करें ब्रेस्टफीडिंग की तैयारी? (Tips for Breastfeeding)
नवजात शिशु के पेट का आकार समझने के साथ नई मां या मां बनने वाली महिलाएं अक्सर ये सवाल पूछती हैं कि ब्रेस्टफीडिंग की तैयारी कैसे की जाए? ब्रेस्टफीडिंग की तैयारी के लिए महिलाओं को अपने डायट का ख्याल रखना बेहद जरूरी बताया गया है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार नवजात शिशु के जन्म से पहले ही न्यूट्रिशनल डायट को फॉलो करना चाहिए। इसलिए आगे समझेंगे ब्रेस्टफीडिंग डायट (Breastfeeding diet) से जुड़ी खास जानकारी। जैसे:
ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को लिक्विड का सेवन कितना करना चाहिए?
ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को डायट में क्या-क्या शामिल करना चाहिए?
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ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को लिक्विड का सेवन कितना करना चाहिए? (Liquid or fluid intake for Breastfeeding mother)
मायो फाउंडेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (Mayo Foundation for Medical Education and Research) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार प्यास लगने पर पानी का सेवन करें और अगर यूरिन का रंग येल्लो हो रहा है, तो ऐसी स्थिति में ज्यादा पानी का सेवन करें। आप पानी की जगह दूसरे लिक्विड ड्रिंक्स का सेवन कर सकती हैं, लेकिन ध्यान रखें ज्यादा मीठे ड्रिंक के सेवन से वेट गेन की संभावना बढ़ सकती है। इसलिए अगर आप कैफीन युक्त पेय पदार्थो का सेवन करती हैं, तो 2 या 3 कप से ज्यादा का सेवन ना करें। ज्यादा कैफीन के सेवन से शिशु के स्लीप पैटर्न में बदलाव देखा जा सकता है। इसलिए ऐसे किसी भी पेय पदार्थों का सेवन कम से कम करें।
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ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को डायट में क्या-क्या शामिल करना चाहिए? (Things to Eat)
नवजात शिशु के पेट का आकार भले ही छोटा हो, लेकिन मां की हेल्दी खाने-पीने की आदत शिशु के लिए बेहद जरूरी है। मायो फाउंडेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (Mayo Foundation for Medical Education and Research) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) करवाने वाली महिलाओं को आयरन (Iron), प्रोटीन (Protein) और कैल्शियम रिच फूड (Calcium rich food) का सेवन करना चाहिए।
- आयरन (Iron)- ब्रेस्टफीडिंग मदर्स को आयरन के लिए लेंटिल्स, सीरियल्स, हरी पत्तीदार सब्जियां, मटर एवं ड्राय फ्रूट्स में किशमिश का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा बॉडी आयरन रिच फूड को अच्छे से एब्सॉर्ब कर सके इसलिए विटामिन सी रिच फ्रूट्स का भी सेवन करें।
- प्रोटीन (Protein)- प्रोटीन की प्राप्ति के लिए मीट, नट्स, सीड्स और साबूत अनाज का सेवन करना लाभकारी हो सकता है। अंडे (Egg) या डेयरी प्रॉडक्ट्स का भी सेवन कर सकते हैं।
- कैल्शियम (Calcium)- ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को डायट में कैल्शियम का सेवन भी करना आवश्यक बताया गया है। इसलिए सोया मिल्क, सोया योगर्ट और टोफू का सेवन किया जा सकता है।
आयरन, प्रोटीन और कैल्शियम यह तीनों महिलाओं के लिए अत्यधिक जरूरी है। इनके सेवन से शिशु को ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) करवाने में भी सहायता मिलती है। आवश्यकता पड़ने पर डॉक्टर से सलाह लेकर सप्लिमेंट्स (Supplements) का सेवन भी किया जा सकता है।
नोट : स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को स्मोकिंग (Smoking) और एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन नहीं करना चाहिए। इसका मां और शिशु दोनों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
अगर आप नवजात शिशु के पेट का आकार (Newborn Stomach Capacity), ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) या डायट (Diet) से जुड़े किसी भी सवाल का जवाब जानना चाहती हैं, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर पूछ सकती हैं। हालांकि शिशु को फीडिंग में कोई परेशानी या तकलीफ हो रही है, तो डॉक्टर से कंसल्टेशन करना आवश्यक है।
बच्चों के विकास के साथ-साथ मां को अपना ख्याल रखना भी जरूरी है। नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक कर एक्सपर्ट से जानें न्यू मॉम अपना ध्यान कैसे रख सकती हैं और यह उनके लिए क्यों जरूरी है।
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