टेक्टाइल इनपुट (Tactile input)
इस इनपुट में टच की सेंस शामिल है। जो बच्चे लगातार ऑब्जेक्ट्स को टच करते हैं या अन्य चीजों को लगातार टच करते हैं, उन्हें टेक्टाइल इनपुट की जरूरत होती है। इन बच्चों को निम्नलिखित से लाभ हो सकता है:
- टेक्टाइल सेंसरी बिन्स (Tactile sensory bins)
- डीप प्रेशर

सेंसरी डायट: ऑडिटरी इनपुट (Auditory input)
सेंसरी एक्सपीरियंस जिनमें साउंड शामिल हैं, उन्हें ऑडिटरी इनपुट के नाम से जाना जाता है। जब बच्चे लगातार गुनगुना रहे हों, चिल्ला रहे हों और अन्य शोर कर रहे हों, तो उन्हें अन्य बच्चों की तुलना में अधिक ऑडिटरी इनपुट की आवश्यकता हो सकती है। इस तरह के इनपुट जिनबच्चों को चाहिए होते हैं, उन बच्चों के लिए अच्छे ऑडिटरी एक्सपीरियंस में यह सब शामिल हैं:
- हेडफोन्स के साथ म्यूजिक सुनना
- उन खिलौनों से खेलना, जो आवाज निकालते हों
- इंस्ट्रूमेंट को प्ले करना
और पढ़ें: स्किनी बच्चा किन कारणों से पैदा होता है, क्या पतले बच्चे को लेकर आप भी हैं परेशान?
विजुअल इनपुट (Visual input)
जिन बच्चों को अधिक विजुअल इनपुट की आवश्यकता होती है, वे वस्तुओं को करीब से देख सकते हैं। वे मूविंग या स्पिनिंग ऑब्जेक्ट्स की तलाश कर सकते हैं। वो एक्टिविटीज जो विजुअल स्टिमुलेशन प्रोवाइड कर सकती हैं, इस प्रकार हैं
- फ्लैशलाइट प्ले
- लाइट वाले टॉयज के साथ खेलना
ध्यान रखें कि जहां सेंसरी प्रोसेसिंग इशूज वाले कुछ बच्चों को इनमें से एक या अधिक एरियाज में अधिक सेंसरी इनपुट (Sensory input) की आवश्यकता होती है, वहीं अन्य बच्चे कुछ प्रकार के सेंसरी अनुभवों के प्रति अतिसंवेदनशील हो सकते हैं। इन बच्चों को कम इनपुट की आवश्यकता हो सकती है। इन अनुभवों पर नेगेटिव रिएक्शंस को रोकने के लिए उन्हें कुछ स्ट्रेटेजीज की भी आवश्यकता हो सकती है। अब जानते हैं की अगर उपचार न कराया जाए तो अपर्याप्त सेंसरी डायट (Sensory Diet) की वजह से क्या समस्याएं हो सकती हैं?
और पढ़ें: कई महीनों और हफ्तों तक सही से दूध पीने वाला बच्चा आखिर क्यों अचानक से करता है स्तनपान से इंकार
अपर्याप्त सेंसरी डायट (Sensory Diet) से क्या परेशानियां हो सकती हैं?
जिन बच्चों को पर्याप्त सेंसरी डायट (Sensory Diet) नहीं मिलती है, उन्हें यह परेशानियां हो सकती हैं:
- फिजिकल एक्टिविटी, इमोशन या थॉट की पुअर सेल्फ रेगुलेशन
- ऐकडेमिक एनवायरनमेंट में सीखना या उसे डेमोंस्ट्रेट करने में परेशानी
- स्लीप डिफीकल्टीज, जिससे उनकी लर्निंग एबिलिटी पर असर हो सकता है
- सोशल सेटिंग में कठिनाइयों का सामना करना, जिससे सोशल इंटरेक्शन्स पर प्रभाव पड़ सकता है
- एंग्जायटी और पुअर सेल्फ-एस्टीम इशूज
- सोशल आइसोलेशन। अब जानते हैं सेंसरी डायट (Sensory Diet) प्रोडक्ट्स के बारे में।
और पढ़ें: मां का गर्भ होता है बच्चे का पहला स्कूल, जानें क्या सीखता है बच्चा पेट के अंदर?
सेंसरी डायट प्रोडक्ट्स (Sensory Diet Products)
ऐसे कई सेंसरी प्रोडक्ट्स हैं जिनकी सलाह थेरेपिस्ट बच्चे की सेंसरी नीडस को पूरा करने के लिए दे सकते हैं। यह प्रोडक्ट्स इस प्रकार हैं:
- सेंसरी सॉक्स (Sensory socks)
- एबिलिटेशंस स्टेN’प्लेस बॉल (Abilitations StayN’Place Ball)
- वाल्डोर्फ रॉकर बोर्ड (Waldorf rocker board)
- वेटेड वेस्ट (Weighted vest)
- वेटेड ब्लैंकेट (Weighted blanket)
- क्रेश पैड़ (Crash pad)
और पढ़ें: रटी-रटाई बातें भूल जाता है बच्चा? ऐसे सुधारें बच्चों में भूलने की बीमारी वाली आदत
यह तो थी जानकारी सेंसरी डायट (Sensory Diet) के बारे में। याद रखें, सेंसरी डायट (Sensory Diet) एक टेलर्ड प्रोग्राम है। जिससे बच्चों की जरूरतों को जाना जा सकता है। इससे उन्हें उन्हें बेहतर अटेंशन, लर्निंग और बिहेव करने के मदद मिल सकती है। यह वो स्किल हैं, जो प्रीस्कूल या स्कूल रिडिनेस (readiness) की नींव बनाते हैं। सेंसरी सिस्टम शिशु के सात साल तक होने तक डेवलप होता रहता है। यही कारण है कि जल्दी इलाज कराना सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। इसका अर्थ यह नहीं है कि इस उम्र के बाद इलाज कराना व्यर्थ है, लेकिन यह जानना अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है कि बच्चे की सेंसरी सिस्टम को क्या चाहिए?
अगर इसके बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है तो आप डॉक्टर से इस बारे में अवश्य जानें। आप हमारे फेसबुक पेज पर भी अपने सवालों को पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।