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दो साल का शिशु नहीं कर पा रहा है बात, तो क्या करना चाहिए?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 20/05/2021

    दो साल का शिशु नहीं कर पा रहा है बात, तो क्या करना चाहिए?

    जब शिशु पेट में होता है, तो मां अक्सर शिशु से बात करती है। भले ही ये एक तरफ का संचार होता हो, लेकिन मां को इस बात की तसल्ली रहती है कि दो साल बाद तक वो शिशु की बातों को सुन और समझ पाएगी। अगर बच्चा दो साल बाद भी बोल नहीं पाता है, तो ये सिर्फ मां के लिए नहीं बल्कि पूरे घर के सदस्यों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। बच्चे जब बड़े होते हैं, तो उनमें अपने चारों ओर की चीजों को छूने की, उन्हें समझने की और साथ ही चलने की बहुत उत्सुकता होती है। एक साल के बाद बच्चों को कुछ शब्द को बोलने के लिए जोर दिया जाता है। कुछ बच्चे आसानी से शब्दों को बोलते भी हैं लेकिन सब बच्चे एक जैसे नहीं होते हैं। कुछ बच्चे जल्दी चलना और बोलना शुरू कर देते हैं और कुछ को अधिक समय भी लग सकता है। आमतौर पर दो साल के बच्चे शब्दों को बोलना शुरू कर देते हैं। दो साल का शिशु न बोले (Toddler problems with speaking), तो आपको परेशान होने की बजाय कुछ बातों को समझने की जरूरत है। जानिए इस आर्टिकल के माध्यम से कुछ ऐसी बातें, जो बच्चों को स्पीच को बेहतर बना सकती हैं।

    कब करना चाहिए डॉक्टर से संपर्क, जब दो साल का शिशु न बोले (Toddler problems with speaking)

    दो साल का बच्चा न बोले

    अधिकांश बच्चे पहले बर्थडे तक पहला शब्द बोल सकते हैं। दूसरे साल तक बच्चों की शब्दावली में बहुत से शब्द शामिल हो जाते हैं। अगर बच्चे का सेकेंड बर्थ डे आ चुका है और वो ‘मेरा’ या ‘मुझे’ जैसे शब्द नहीं बोल पा रहा है, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। हो सकता है कि आपने बच्चे को उन शब्दों का प्रयोग करवाने की कोशिश न की हो। दो साल की उम्र तक बच्चे की शब्दावली में करीब 50 शब्द शामिल होने चाहिए। बच्चा मम्मी पापा के नाम साथ ही फल, सब्जियों के नाम बोलना शुरू कर देता है। उसे घर के सदस्यों के नाम भी याद हो सकते हैं। बच्चे दो साल में पक्षियों और जानवरों की आवाज भी निकाल सकते है। टू वर्ड फ्रेज भी बच्चे बोल लेते हैं। जब बच्चा दो से तीन साल का होता है, तो उसकी शब्दावली में 200 से 1000 शब्द बढ़ जाते हैं। बच्चे हैप्पी, सेड, बिग और स्मॉल चीजों को आसानी से पहचान सकते हैं।

    अगर दो साल का शिशु किसी डायरेक्शन को फॉलो नहीं कर रहा है या फिर कुछ भी बोलने में सक्षम नहीं है, तो आपको डॉक्टर से बात करना चाहिए। अगर दो साल में बच्चा कुछ शब्द बोल रहा है, तो बिल्कुल भी परेशान न हो। बच्चा भले ही देर से सही लेकिन बोलना सीख जाएगा। यहां हम आपको कुछ पॉइंट्स दे रहे हैं, अगर ऐसा हो, तो आपको डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

    • 12 मंथ – इशारा या बाय न करें।
    • 18 मंथ – अगर बोलने के बजाय इशारा करें।
    • 18 मंथ – अगर साउंड निकालने में दिक्कत हो और किसी बात को न समझे।
    • दो साल – कोई भी शब्द न बोल पाए।
    • दो साल- केवल साउंड की निकाले और संचार के लिए किसी शब्द को न बोले।
    • दो साल- सिंपल डायरेक्शन को फॉलो न करें।
    • दो साल- आवाज का सामान्य न निकलना।

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    ऑटिस्टिक स्पीस और नॉन ऑटिस्टिक स्पीच में जानिए अंतर

    हो सकता है कि आपके मन में एक बार ख्याल आया हो कि दो साल का शिशु न बोले (Toddler problems with speaking), तो कहीं ऑटिज्म के कारण तो नहीं है। लेकिन ये पूरी तरह से सही नहीं है। ये बात सच है कि ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे दो साल की उम्र में बोल नहीं पाते हैं। अगर आपका दो साल का शिशु न बोले लेकिन डायरेक्शन को फॉलो करें और नाम बुलाने पर रिस्पॉन्स करें, तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है।

    ऑटिज्म से पीड़ित (Autism spectrum disorder) शिशु न तो दो साल की उम्र में बोल पाते हैं और न ही किसी बात का रिस्पॉन्स देते हैं। उन्हें डायरेक्शन फॉलो करने में भी दिक्कत महसूस होती है। ऐसे बच्चे लोगों से आय कॉन्टेक्ट भी नहीं करते हैं और न ही फेशियल एक्सप्रेशन भी समझ नहीं आते हैं। ऐसे बच्चे किसी एक खेल को देर तक खेलते रहते हैं और खिलौने के एक हिस्से (निचले या ऊपर) से खेलना पसंद करते हैं।

    आपको ये बात ध्यान रखनी चाहिए कि अगर दो साल का शिशु न बोले (Toddler problems with speaking), तो जरूरी नहीं है कि वो ऑटिज्म से पीड़ित है। दो साल का शिशु न बोले (Toddler problems with speaking), तो उसके अन्य कारण भी हो सकते हैं। जानिए दो साल का शिशु न बोले, तो इसके पीछे क्या वजह हो सकती है।

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    इन कारणों से हो सकती है शिशु को बोलने में देरी

    अगर बच्चा ऑटिज्म से पीड़ित नहीं है, तो लैंग्वेज डिले के अन्य कारण भी हो सकते हैं। स्पीच और लैंग्वेज दो अलग-अलग चीजें होती हैं। स्पीच के दौरान बच्चा शब्द या साउंड को निकालता है वहीं लैंग्वेज के माध्यम से बच्चा अपनी बात समझाने की कोशिश करता है।  लैंग्वेज का इस्तेमाल संचार के दौरान किया जाता है। शिशु को दो शब्दों को साथ मिलाकर बोलने में दिक्कत हो सकती है या फिर कुछ शब्दों को बोलने में भी दिक्कत हो सकती है।दो साल का शिशु न बोले (Toddler problems with speaking), तो ये कारण शामिल हो सकते हैं।

    डेवलपमेंट एक्सप्रेसिव लेग्वेज डिसऑर्ड (DELD)- इस डिसऑर्डर के कारण बच्चों को किसी भी बात को एक्प्रेस करने में दिक्कत होती है। ऐसे बच्चे अपनी बातों को आसानी से व्यक्त नहीं कर पाते हैं। ऐसा क्यों होता है, इस बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है।

    रिसेप्टिव लैंग्वेज डिसऑर्डर (Receptive language disorder) – ऐसे शिशुओं को लैंग्वेज को समझने और लैंग्वेज प्रोसेस करने में दिक्कत महसूस हो सकती है। ऐसे बच्चे अपने चारों ओर के शब्दों को सुनते हैं और बोलने की कोशिश भी करते हैं लेकिन उनके लि उस शब्द का मतलब समझने में दिक्कत होती है। ऐसे शिशु अक्सर देर से बोलना शुरू करते हैं।

    किसी कंडीशन के कारण – अगर आपका शिशु दो साल की उम्र में भी नहीं बोल पा रहा है, तो ये दिमाग या फिर किसी अन्य कंडीशन के कारण भी हो सकता है। माउथ के सॉफ्ट पैलेट में समस्या या फिर कानों में समस्या भी देरी से बोलने का कारण बन सकता है।

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    दो साल का शिशु न बोले, तो अपनाएं ये ट्रीटमेंट

    अगर आपको लगता है कि आपका शिशु कुछ शब्द ही बोल पा रहा है, तो आपको शिशु को खेल की मदद से अन्य शब्दों का अभ्यास कराना चाहिए। अगर बच्चा शब्दों को बोलने में दिक्कत महसूस कर रहा है, तो आपको थेरिपी की मदद लेने चाहिए। दो साल का शिशु न बोले (Toddler problems with speaking), तो आपको कुछ निम्नलिखित थेरिपी की सहायता लेनी चाहिए।

    खेल-खेल में सिखाएं- शिशु खेल के माध्यम से बहुत सी बातें सीखते हैं। आप दो साल के शिशु को प्लेस्कूल भेज सकते हैं । प्ले स्कूल में खेल-खेल के माध्यम से बच्चे खेलना सीखते हैं। आप डे केयर सेंटर में भी बच्चे को भेज सकते हैं। कई बच्चों के साथ होने पर बच्चे जल्दी बोलने की कोशिश करते हैं।

    स्पीच थेरिपी (Speech therapy) – स्पीच थेरिपी के माध्यम से शिशु की न बोलने की समस्या का समाधान किया जा सकता है। आप इसमें एक्सपर्ट की मदद ले सकते हैं। एक्सपर्ट आपके शिशु से बात करने की कोशिश करेंगे और साथ ही शिशु को बोलना सिखाएंगे।

    साउंड प्रैक्टिस (practicing with sounds) – बच्चों को साउंड के माध्यम से समझाना आसान होता है।आप शिशु को अलग-अलग जानवरों की आवाज सुना सकती हैं। साथ ही आप अन्य साउंड का इस्तेमाल भी कर सकती है। ऐसा करने से शिशु उसे दोहराने का प्रयास करेंगे।

    अगर आपके शिशु को ऑटिज्म की समस्या नहीं है, तो भले ही देर से सही, वो बोलना सीख जाएगा। आपको कुछ समय तक इंतजार करना चाहिए। स्पीच थेरिपी के बाद बच्चे अच्छा रिस्पॉन्स करते हैं। अगर बच्चा किसी कंडीशन के कारण नहीं बोल पा रहा है, तो बीमारी के इलाज के बाद बोलने की संभावना बढ़ जाती है। बेहतर होगा कि आप अपने शिशु की जांच कराएं और इस बारे में डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।

    हम आशा करते हैं कि आपको दो साल का शिशु न बोले (Toddler problems with speaking) संबंधित ये लेख पसंद आया होगा। हैलो स्वास्थ्य के इस आर्टिकल में दो साल के शिशु के न बोल पाने की समस्या के बारे में बताया गया है। अगर आपका बच्चा दो साल में थोड़े शब्द बोल रहा है, तो परेशान न हो, बल्कि शिशु को रोजाना अभ्यास कराएं। यदि आप इससे जुड़ी कोई जानकारी चाहते हैं, तो आप हम से कमेंट कर पूछ सकते हैं। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा यह भी आप हमें कमेंट सेक्शन में बता सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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